सेंटर आफ एक्सीलेंस गैरसैंण करेगा स्थानीय आर्थिकी में सुधार: त्रिवेन्द्र
देहरादून 28 नवम्बर, 2020। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में गैरसैंण में स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थानीय स्तर पर लोगों की आर्थिकी में सुधार एवं कौशल विकास की दिशा में अहम भूमिका निभायेगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्वरोजगार सृजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्रों को भी विशेष तौर पर शामिल किया जाए। प्रदेश के युवा परिश्रमी एवं ईमानदार है, इनके हुनर को कौशल विकास से और अधिक निखारा जा सकता है। हमें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनानी होगी। कृषि में मंडूआ, झंगोरा, मसूर, चौलाई के साथ ही अन्य ़क्षेत्रीय उत्पादों को ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के माध्यम से राजस्व सृजन का बेहतर स्रोत बनाना होगा। हमारे स्थानीय उत्पादों को और अधिक डिजीटल प्लेटफार्म उपलब्ध कराना होगा। कृषि, बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, भेड-बकरी पालन के साथ ही स्थानीय उत्पादों की बेहतर प्रोसेसिंग आदि की आधुनिक तकनीकी दक्षता के साथ प्रशिक्षण प्राप्त होने से लोगो को इन व्यवसायों से जुड़ने में मदद मिलेगी तथा अधिक से अधिक लोग इन क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिये आगे आयेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं लोगों की आर्थिकी में सुधार की दिशा में राज्य सरकार ने अनेक प्रयास किये हैं। प्रदेश में स्थापित किये जा रहे विभिन्न रूरल ग्रोथ सेंटर भी लोगों की आर्थिकी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि गैरसैंण में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के सम्बन्ध में विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं योजनाओं के विषयगत प्रशिक्षण आदि की रूप रेखा निर्धारित करने हेतु गठित समिति के सदस्यों ने जनपद चमोली के विकासखण्ड गैरसैंण,कर्णप्रयाग,थराली,देवाल आदि के लोगो से सम्पर्क कर उनके सुझाव व विचार जाने। इसके साथ ही समिति के सदस्यों ने चमोली के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से सम्पर्क कर डेयरी विकास,कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण,हेल्थ एण्ड वेलनेस,पर्यटन व हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर में सामने आ रही चुनौतियों के सम्बन्ध में भी चर्चा की।
प्रस्तुतीकरण में निदेशक कौशल विकास डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बताया कि गैरसैंण में यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस यूएनडीपी के सहयोग से बनाया जायेगा। इसमें लोगों को उद्यमिता विकास एवं आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिये जायेंगे। यूएनडीपी ने भी इस प्रयास को काफी सराहा है। यूएनडीपी से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के संचालन हेतु तकनीकी,परामर्शीय एवं कॉरपोरेट स्पान्सर्स के माध्यम से वित्तीय सहयोग दिया जायेगा। आरंभ में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस राजकीय पॉलिटेक्नीक,गैरसैंण से संचालित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का कार्य दो फेज में किया जायेगा। प्रथम फेज में गैरसैंण,समीपवर्ती ब्लॉक,निकटतम जनपद पौड़ी,रूद्रप्रयाग व अल्मोड़ा के पश्चात् राज्य के समस्त पर्वतीय जनपदों के लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। द्वितीय फेज में राज्य के समस्त जनपदों के लाभार्थियों हेतु प्रशिक्षण दिया जायेगा साथ ही समस्त राज्य के स्वरोजगारपरक कार्यक्रमों हेतु अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के नोडल केन्द्र के रूप में इसे विकसित किया जायेगा। प्रथम फेज जनवरी 2021 से मई 2023 तक चलेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकी सलाहकार डॉक्टर नरेन्द्र सिंह,अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी,अपर सचिव सुश्री झरना कमठान सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
रविवार को प्रदेशवासियों को सूर्यधार का तोहफा देंगे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
पहले डोबराचांठी, जानकी सेतु और अब सूर्यधार। विकास की इबारत लिखते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रविवार को प्रदेशवासियों को सूर्यधार झील के रूप में एक नया तोहफा देने जा रहे हैं। सूर्यधार में झील बनकर तैयार हो गई है जिसका रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोकार्पण करेंगे।
सूर्यधार झील मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक है। इस झील से क्षे़त्र को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। इससे लगभग 18 गांवों को सिंचाई और 19 गांवों को पेयजल मिलेगा जो कि पूरी तरह से ग्रैविटी आधारित होगी। बता दें कि इस क्षेत्र में लंबे समय से पेयजल और खेतों की सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता न होने की समस्या रही है। क्षेत्रवासियों की इसी दिक्कत को समझते हुए मुख्यमंत्री ने सूर्यधार में झील बनाने का ऐलान किया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र समय-समय पर सूर्यधार में निर्माणाधीन झील के निरीक्षण करते रहे हैं। अब, रिकार्ड समय में यह झील बनकर तैयार हो गई है। झील आने वाले दिनों में देहरादून जिले में नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर भी उभरेगी। यहां पर सरकार की योजना नौकायन के साथ ही लोगों को प्रकृति दर्शन कराने व अन्य पर्यटन गतिविधियां संचालित करने की है। इस बहुउद्देशीय योजना के माध्यम से प्रति वर्ष सात करोड़ रुपये की बिजली की बचत भी होगी. इससे किसानों को 12 महीने पानी मिलेगा।