पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत तीन को सामूहिक दुष्कर्म में उम्र कैद,रोऐ
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को उम्रकैद, सामूहिक दुष्कर्म मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई सजा
एमपी-एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत तीन को दोषी करार करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। दो दिन पहले इसी मामले में गायत्री का गनर और पीआरओ समेत चार बरी कर दिए गए थे
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को उम्रकैद, सामूहिक दुष्कर्म मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई सजा
गायत्री के दो अन्य साथियों को भी आजीवन कारावास की सजा।
लखनऊ 12 नवंबर, । उत्तर प्रदेश के पूर्व काबीना मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई है। विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री के दो सहयोगी अभियुक्त आशीष शुक्ला व लेखपाल अशोक तिवारी को भी उम्र कैद की सजा सुनाई है। गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी ठोंका है। विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा है कि जुर्माने की समस्त धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी क्योंकि इस मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए। उसकी बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है। ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है जिसके पुनर्वास की आवश्यकता है। लिहाजा अर्थदंड की सम्पूर्ण धनराशि उसे ही दिया जाएगी।
बीते बुधवार को विशेष जज ने इन तीनों अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 376 डी व पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 में दोषी करार दिया था लेकिन पॉक्सो एक्ट के प्राविधानो के मुताबिक जिस धारा में अधिक सजा होगी, अभियुक्त को उसी धारा से दंडित किया जाएगा। लिहाजा उन्होंने अभियुक्तों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई क्योंकि वर्ष 2019 से पहले पॉक्सो की धारा 5जी/6 में 10 साल उम्र कैद तक की सजा का प्राविधान था। जबकि यह मामला वर्ष 2017 का है।
मंत्री होने के नाते गायत्री का दायित्व जनता की सेवा करना था, लेकिन अपने पद का दुरुपयोग किया
विशेष जज ने अपने 72 पन्ने के फैसले में कहा है कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, की कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया। उसे खनन-पट्टे का लालच दिया। उसे लखनऊ बुलाया। फिर उसके व उसकी नाबालिग बच्ची के साथ भी सामूहिक दुष्कर्म किया। ऐसे में अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है। जबकि एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवा करें। लेकिन उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया।
शुक्रवार को सजा के बिन्दू पर सुनवाई के दौरान गायत्री समेत तीनों अभियुक्त जेल से अदालत में उपस्थित थे। अभियोजन की ओर से अभियुक्तों के लिए अधिकत्तम सजा की मांग की गई। तर्क दिया गया कि इनका यह अपराध अत्यन्त गंभीर है। जो किसी भी व्यक्ति की अर्न्तआत्मा को झकझोर देने वाला है।
दूसरी तरफ बचाव पक्ष की ओर से कम से कम सजा की मांग की गई। गायत्री की ओर से कहा गया कि वह करीब 60 वर्ष का है। वह किडनी व लीवर आदि जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। उसके पांच बच्चों में सिर्फ एक का विवाह हुआ है। उसे अभी अपनी दो पुत्रियों का भी विवाह करना है। वह वर्ष 2017 से लगातार जेल में है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। यह उसका पहला अपराध है। वहीं अभियुक्त अशोक तिवारी की ओर से कहा गया कि उसके परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उसी पर है। जबकि अभियुक्त आशीष शुक्ला की ओर से तर्क दिया गया कि वह अभी अविवाहित है। उसके परिवार में वृद्ध पिता के अलावा दो बहनें हैं। उनके विवाह की जिम्मेदारी उसी पर है।
यह है पूरा मामला
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में सामूहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की अर्जी पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का इल्जाम लगाया था
बहुत जतन किए पर सजा से न बच सके पूर्व मंत्री, बृजभुवन ने खोले राज तो फंसते चले गए गायत्री प्रजापति
गायत्री प्रजापति के खिलाफ पीड़िता ने जब वर्ष 2016 में पीड़िता ने जब डीजीपी से शिकायत की, तब उसने सोचा ही नहीं था कि यह मामला इतना तूल पकड़ेगा। पर, जब वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया तो हड़कम्प मच गया था। गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही गायत्री की मुसीबतें बढ़ती चली गई। इन चार साल में गायत्री और उसके परिचितों ने पीड़िता के बयान बदलवाने और समझौता करने के लिये कई जतन कर डाले लेकिन कोई प्रयास काम नहीं आया।
गायत्री के खिलाफ पीड़िता कई आरोप लगाती रही। इस बीच ही गायत्री ने पीड़िता के नाम काफी जमीन कर दी। उसे रुपये देने का भी आरोप लगा। यह बातें सामने तब आयी जब गायत्री प्रजापति की एक कम्पनी के पूर्व निदेशक बृजभुवन चौबे ने गोमतीनगर विस्तार थाने में गायत्री, उनके बेटे अनिल और रेप पीड़िता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी। इसमें बृजभुवन ने आरोप लगाया कि पीड़िता को अपना बयान बदलने और फिर चुप रहने के लिये गायत्री ने उनकी जमीन जबरन पीड़िता के नाम कराने को कही।
करीब 85 लाख रुपये का प्लाट पीड़िता के नाम कर दिया गया। इस प्लाट की कीमत गायत्री ने बाद में बृजभुवन को देने की बात कही थी लेकिन बाद में उन्हें कोई रकम नहीं दी गई। हालांकि बाद में पीड़िता ने अपना बयान बदल लिया था लेकिन उसकी बेटी अड़ गई कि वह अपने बयान नहीं बदलेगी। वह कहती रही कि गायत्री को सजा दिलाकर रहेगी। बताया जाता है कि बाद में रेप पीड़िता की बेटी भी समझौता करने के लिये राजी हो गई थी लेकिन तब तक कोर्ट गायत्री के खिलाफ कई सुबूत पा चुका था।
पूरा मामला फिर पलट गया था
पीड़िता के समझौता करने पर गायत्री को लगने लगा था कि अब यह मामला उसके पक्ष में हो जायेगा। पर, कुछ समय बाद ही बृजभुवन चौबे के कई राज खोलने से पूरा मामला फिर पलट गया। बृजभुवन ने उनके कई राज सामने रख दिये। उन्होंने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर गायत्री पर कई आरोप लगाये। इसके बाद ही गायत्री ने कई और चाले चली। बृजभुवन के खिलाफ एफआईआर लिखाने की कोशिश की पर बाद में उनकी कुछ नहीं चली।