जर्मनी ने कमाये कुत्ता कर से 39 अरब रुपए, यहां नहीं होते बेसहारा कुत्ते
कुत्तों पर टैक्स लगाकर कर रहा जर्मनी कर रहा खूब कमाई, यहां सड़कों नहीं घूमते आवारा श्वान
जर्मनी एक ऐसा देश है, जहां हर घर में एक डॉग तो जरूर पाला जाता है. वहां स्ट्रीट डॉ़ग नहीं होते. हर डॉग पालने पर टैक्स भी देना होता है.
मुख्य बिंदु
जर्मनी में कुत्तों के पैदा होने पर भी उसका रजिस्ट्रेशन कराना होता है
अगर कहीं शिफ्ट हो रहे हों या डॉग को शिफ्ट कर रहे हों तो सूचना देनी होती है
जर्मनी में हर घर में डॉग जरूर पाला जाता है
देहरादून 14 अक्टूबर 2024 । जर्मनी में कुत्ता पालने पर टैक्स देना पड़ता है. इसे ‘हुंडेशटॉयर’ कहते हैं. इस टैक्स से जर्मनी को खासी कमाई होती है. भारतीय मुद्रा के हिसाब से 3866 करोड़ रुपए की कमाई. इसके पिछले साल भी इस टैक्स से जर्मनी को करीब इतनी ही मोटी कमाई हुई थी.
दरअसल जर्मनी में अलग अलग नगरपालिकाएं डॉग ओनर्स से टैक्स वसूलती हैं. ये टैक्स कुत्तों के पालने के लिए वसूला जाता है. जर्मनी में लोग खूब कुत्ते पालते हैं. हर घर में एक से दो डॉग जरूर होते हैं. इनकी संख्या बल्कि बढ़ती भी जा रही है. हालांकि अलग अलग ब्रीड के कुत्तों पर लगाए जाने वाले टैक्स की रकम भी अलग अलग होती है.
जर्मनी में डॉग लवर्स के कारण रिकॉर्ड कमाई होती है. (image generated by leonardo ai)
इस टैक्स का कारण क्या है, ये हम आपको बताएंगे. इसमें कुत्तों को टैक्स के बदले टैग या पहचान संख्या जारी की जाती है. हालांकि इस तरह के टैक्स कई अन्य देशों में भी लगाए जाते हैं लेकिन जर्मनी में ये ज्यादा व्यापक भी है और सफलतापूर्वक चलाया भी जा रहा है.
ऑस्ट्रिया में भी कुत्ते के मालिकों को अपने पालतू जानवरों को रजिस्ट्रेशन कराना होता है. स्विट्जरलैंड में भी ये टैक्स होते हैं. नीदरलैंड में नगर पालिकाएं इसके लिए अलग-अलग टैक्स लगाती हैं. जो अलग शहर और नगरपालिकाओं के अनुसार होता है. कुछ जगहों पर नहीं भी होता है. भारत में भी इस तरह के टैक्स की अवधारण जनवरी 2023 में पेश की गई थी, जिसे हरकत में नहीं लाया जा सका.
जर्मनी में कैसे लिया जाता है ये टैक्स
जर्मनी में अगर आप कुत्ता पालना चाहता हैं तो या तो आपको किसी ब्रीडर के पास जाना होगा. या आप किसी एनिमनल शेल्टर से कुत्ता गोद ले सकते हैं. कई लोग विदेश से भी कुत्ता गोद लेकर जर्मनी लाते हैं. इसके लिए काफी कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है.
आप जिस इलाके में रहते हैं, वहां की नगर पालिका एक सालाना टैक्स लेती है. यह टैक्स कुत्ता पालने पर लिया जाता है. हालांकि पालतू बिल्लियां इस टैक्स के दायरे में नहीं आतीं. टैक्स की रकम एक जैसी नहीं है, हर म्युनिसिपैलिटी की अपनी फीस है. ये घर में कुत्तों की संख्या या कुत्ते की ब्रीड के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है.
अगर पपी पैदा हो तो भी रजिस्ट्रेशन कराना होता है
जर्मन पेट सर्विस वेबसाइटों के अनुसार, अगर किसी कुत्ते को घर लाते हैं तो उसका रजिस्ट्रेशन कराना होता है. यहां तक अगर डॉग के बच्चा हो रहा तो भी तीन महीने के भीतर उसका रजिस्ट्रेशन कराना होता है. अगर कोई बच्चा डॉग लाते हैं तो भी उसका रजिस्ट्रेशन तीन महीने के भीतर कराना होता है.
अगर कुत्ता वयस्क है, तो उसे लेने के तीन से चार हफ्ते के बीच पंजीकरण कराना होता है. आमतौर पर स्थानीय नगर पालिका के दफ्तर, या टाउन हॉल जाकर रजिस्ट्रेशन करवाया जाता है. कुछ शहरों और नगर पालिकाओं में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की भी सुविधा है.
तो फिर इसको अपराध माना जाता है
अगर आपने कुत्ता पाला है और उसे रजिस्टर नहीं कराया और टैक्स नहीं देते, तो यह अपराध है. जैसे ही आप टैक्स ऑफिस में अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराते हैं, आपको एक ‘डॉग टैग’ मिलता है. अपने घर या बाड़ लगे परिसर के बाहर होने पर कुत्ते का वो टैग दिखना चाहिए.
शिफ्ट हो रहे हैं तो भी बताइए
अगर आप किसी नए जगह शिफ्ट हो रहे हैं तो भी आपको अपने रजिस्टर कराए कुत्ते की सूचना संबंधित विभाग को देगी होगी. कुत्ते के गुम हो जाने या उसकी मौत होने पर भी विभाग को सूचना देना जरूरी है. जरूरी नहीं कि टैक्स से मिली रकम खास पालतू जीवों से जुड़ी सर्विस में खर्च हो. इसे नगर पालिका कई तरह के मद में, जैसे कि सामुदायिक सेवाओं पर खर्च कर सकती है.
क्यों लिया जाता है ये टैक्स
कुत्तों की वॉक उनकी एक जरूरी दिनचर्या है. को भी कु्त्ता सुबह शाम बाहर घूमे बगैर नहीं मानता. मल भी वो बाहर ही करते हैं. लिहाजा जब सुबह शाम वो वाक करने जाते हैं तो सार्वजनिक स्थानों पर ही मल करते हैं. इस मल को डॉग ओनर को थैलियों में भरकर उनके लिए बने कूड़ेदानों में फेंकना होता है. जो जर्मनी में सड़क किनारे, नदियों के पास बने रास्तों पर या पार्कों में खास कूड़ेदान लगाए जाते हैं.
आवारा नहीं घूमता कोई कुत्ता
नगर पालिका इससे संबंधित जो सफाई करती है, उसकी भरपाई वो टैक्स से करती है. जर्मनी में कुत्ते आमतौर पर पालतू ही होते हैं. वो घरों में रहते हैं या फिर शेल्टर होम में. वहां स्ट्रीट डॉग नहीं होते. अगर कोई कुत्ता सार्वजनिक तौर पर लावारिस घूमता नजर आ जाता है तो उसको शेल्टर होम पहुंचा दिया जाता है. इसकी वजह से सड़क पर आवारा कुत्तों की मौजूदगी नहीं रहती. टैक्स के कारण प्रशासन को कुत्तों की संख्या कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
किस देश में सबसे ज्यादा पालतू कुत्ते
सबसे ज़्यादा पालतू कुत्तों वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका है, जहां अनुमानित 9 करोड़ पालतू कुत्ते हैं. यहां कुत्तों को परिवार का हिस्सा माना जाता है.
ब्राज़ील – यहां करीब 5.5 करोड़ पालतू कुत्ते
चीन – लगभग 5.4 करोड़ पालतू कुत्ते, यहां पालतू जानवरों के स्वामित्व में तेज़ी से रुचि बढ़ रही है
रूस – करीब 1.7 करोड़ पालतू कुत्ते. इसके अलावा आवारा या यार्ड कुत्ते भी यहां हैं.
जापान – लगभग 2 करोड़ पालतू कुत्ते, यहां पालतू जानवरों के लिए एक मज़बूत सांस्कृतिक लगाव है.
मेक्सिको – लगभग 1.8 करोड़ पालतू कुत्ते, जो इन्हें पालने के बढ़ते रुझान को दिखाते हैं.
यूनाइटेड किंगडम – लगभग 12 मिलियन पालतू कुत्ते, जो कुत्तों के स्वामित्व की एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा को दिखाते हैं.
फिलीपींस – लगभग 11 मिलियन पालतू कुत्ते, रेबीज़ प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों के बावजूद.
जर्मनी– करीब 1.5 करोड़ पालूत कुत्ते.
भारत – करीब 1 करोड़ पालतू कुत्ते,शहरी क्षेत्रों में डॉग पालने की प्रवृत्ति बढ़ रही है लेकिन भारत में स्ट्रीट डॉग्स भी खासी बड़ी संख्या में हैं.
भारत में कुछ नगर पालिकाएं ,निगम ले रही हैं डॉग टैक्स
भारत में भी कुछ नगर निगमों ने यह नियम शुरू किया है.
लुधियाना नगर निगम ने यह टैक्स नौ साल से है। आप कुत्ता पालने के शौकीन हैं तो अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन नगर निगम के पास करवाना जरूरी होगा। ऐसा न करने की सूरत में निगम नोटिस देकर जुर्माना करने के साथ साथ कार्रवाई भी करेगा। कुत्ते की फोटो के साथ खुद की पूरी डिटेल निगम हेल्थ ब्रांच के पास देकर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। यह रजिस्ट्रेशन एक साल के लिए होगा। अगले साल आपको रजिस्ट्रेशन को रिन्यू भी करवाना होगा।
अगर तय डेट से चूके, तो निगम 250 रुपये की जगह 350 रुपये, यानी 100 अतिरिक्त चार्ज भी वसूलेगा। वहीं, कुत्तों के सेल-परचेज से जुड़े लोगों को रजिस्ट्रेशन के लिए 2000 रुपये निगम को देने होंगे। रजिस्ट्रेशन के बाद आपकी अपने कुत्ते के प्रति जिम्मेदारी और भी बढ़ जाएगी। अगर इसमें थोड़ी सी भी चूक रही, तो निगम को जुर्माना देना पड़ेगा।
देनी होगी जानकारी
अपने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए अपने एरिया के साथ लगने वाले निगम के जोन दफ्तर में जाना होगा। वहां पर हेल्थ ब्रांच क्लर्क से एप्लीकेशन फॉर्म लेकर भरना होगा। इसके साथ कुत्ते की दो फोटो भी देनी होगी। फॉर्म में एप्लीकेंट का नाम, पिता का नाम, रिहायशी एड्रेस, हाउस नंबर, वार्ड नंबर, लोकेलिटी, परमानेंट एड्रेस, कैटेगरी ऑफ डॉग, टाइप ऑफ डॉग, डॉग का इम्युनाइजेशन करवाया गया है या नहीं। इस एप्लीकेशन के साथ 250 रुपये देने होंगे। पूरी जानकारी लेने बाद निगम की तरफ से एक टोकन जारी किया जाएगा। जिसे हर समय कुत्ते के गले में डालकर रखना जरूरी होगा।
टैक्स चुकाने के साथ ही अब इन बातों का भी रखना होगा ध्यान
> 2 साल की उम्र होते ही कुत्ते का स्टरलाइजेशन करवाना होगा।
> पड़ोसी के घर में घुसकर अगर नुकसान हुआ, तो मालिक की होगी जिम्मेदारी
> गली में घूमते पाए जाने वाले कुत्ते को निगम कर सकेगा जब्त
> पड़ोसी की शिकायत मिलने पर कुत्ते के मालिक को निगम देगा नोटिस, कंट्रोल न करने पर 10 रुपये प्रतिदिन का होगा जुर्माना
> जांच के दौरान अगर घर में पागल कुत्ता मिला, तो निगम नोटिस देकर करेगा कार्रवाई
कुत्तों का गेम लाइसेंस लेना होगा
अगर निगम एरिया में कुत्तों की कोई गेम करवाई जाती है, तो उसके लिए भी लाइसेंस निगम से जारी होगा। इसके लिए गेम लाइसेंस का फॉर्म भर कर अप्लाई करना होगा। इसमें एप्लीकेंट का नाम, पिता का नाम, रेजिडेंशियल एड्रेस, नंबर ऑफ डॉग्स, जेंडर ऑफ डॉग्स, ब्रीड ऑफ डॉग्स व क्या डॉग्स का इम्युनाइजेशन करवाया है या नहीं। इसमें हर डॉग के लिए 100 रुपये देने होंगे।
पालतु कुत्तों का रजिस्ट्रेशन के लिए अगले सप्ताह निगम नोटिफिकेशन जारी करेगा। अगस्त के अंत तक सभी जोन में कुत्तों के रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे। रजिस्ट्रेशन के फॉर्म, कुत्तों को देने वाले टोकन तैयार कराने का काम चल रहा है। इसके बाद अगर कोई कुत्ता बिना रजिस्ट्रेशन के मिला तो उसके मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
–डॉ. वाईपी सिंह, हेल्थ ब्रांच निगम
सागर में तीन साल के 1000 रूपए
पिछले साल मध्य प्रदेश के सागर शहर में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने कुत्ता पालने वाले लोगों पर टैक्स लगाने का फैसला लिया. शहर की सफाई और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना इसकी वजह बताई गई. इससे पहले वडोदरा नगर निगम ने भी ‘डॉग टैक्स’ लगाया था.
पहले यह शुल्क सालाना 500 रुपया था. लोगों का ठंडा रुख देखते हुए नगर पालिका ने फीस घटाकर तीन साल को 1,000 रुपया करने का फैसला किया. हालांकि भारत में लावारिस घूमते कुत्ते बहुत बड़ी संख्या में हैं और इससे उनके काटने की घटनाएं भी बढ़ती जा रही है. दिल्ली में महापालिका ने कुत्तों पर टैक्स अलग रकम तय की है. लेकिन इस नियम का पालन तरीके से नहीं होता.
प्रयागराज नगर निगम ने लगाया है डॉग टैक्स
संगम नगरी प्रयागराज में नगर निगम ने कुत्ता पालने वालों पर 2022 से टैक्स लगाया है। यानि कि अगर आप प्रयागराज में रहते हैं और कोई कुत्ता पाल रहे हैं तो आपको नगर निगम को इसका टैक्स देना होगा।
630 रुपए देना होगा टैक्स
प्रयागराज नगर निगम का कहना है कि वह कुत्ता पालने वालों से हर साल 630 रुपए ‘कुत्ता टैक्स’ वसूल करेगा। इसके साथ ही नगर निगम का कहना है कि अगर कोई यह सालाना टैक्स नहीं चुकाता है तो फिर उसे जुर्माना भी भरना होगा।
कराना होगा कुत्ते का रजिस्ट्रेशन
नगर निगम प्रयागराज का कहना है कि शहर में रहने वाले वो सभा लोग जो कुत्ता पालते हैं, उन्हें अपने कुत्ते का पशु चिकित्सा और कल्याण अधिकारी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा और वहीं से उन्हें एक टोकन मिलेगा जिसे उन्हें अपने कुत्ते के गले में पहनाना होगा। यह करना सभी कुत्ता मालिकों के लिए आनिवार्य है, जो भी ऐसा नहीं करेगा उसको 5 हजार रुपए तक जुर्माना भरना पड़ सकता है।
गोरखपुर में फीस बढ़ी 50 गुणा
गोरखपुर में भी नगर निगम ने पालतू डॉग्स की रजिस्ट्रेशन फीस 50 गुना बढ़ा दी है। अब तक रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ 2 रुपये रजिस्ट्रेशन फी लगती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया गया है। वहीं नगर निगम में अभी तक सिर्फ 77 पालतू कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है। नगर निगम जल्द ही रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वालों के खिलाफ अभियान चलाएगा। रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वालों पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
पिटबुल की घटना के बाद हुए हैं ये बदलाव
ये सभी बदलाव हमें तब देखने को मिले हैं, जब लखनऊ की एक महिला को उसके ही पालतू कुत्ते पिटबुल ने नोंच-नोंच मार डाला था। इस खबर ने कुत्ता पालने वालों को चौंका दिया था। इसके बाद प्रशासन ने भी तमाम कुत्ता पालने वाले लोगों से गुजारिश की थी कि वह इस तरह का खतरनाक कुत्ता अगर पालते हैं तो सावधानी के साथ उसको रखें और समय-समय पर उसकी ट्रेनिंग कराते रहें।