बच्ची ने जना शिशु,आरोप पर भाई ने दी जान,दोषी निकला जीजा,अब 20 साल की कैद
नाबालिग ने जन्मा बच्चा, चचरे भाई को बताया गुनाहगार; शर्म के मारे उसने कर लिया सुसाइड तो अपराधी निकला कोई और
नैनीताल की ही 15 वर्षीय एक किशोरी ने इस बच्चे को जन्म दिया था। चार साल पहले यह मामला नैनीताल में खासा चर्चा में रहा था। पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती नवजात की मां को तलाशने की थी। पूरे मामले में डीएनए रिपोर्ट अहम साबित हुई जिसने बताया कि नाबालिग संग दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने वाला चचेरा भाई नहीं बल्कि जीजा था।
Haldwani Crime: नैनीताल से जुड़े चार साल पुराने मामले में न्यायालय का निर्णय
हल्द्वानी 17 मई 2024: Haldwani Crime: रिश्तों को कलंकित करने के एक मामले में आखिरकार दोषी को सजा मिल ही गई। पूरे मामले में डीएनए रिपोर्ट अहम साबित हुई, जिसने बताया कि नाबालिग संग दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने वाला चचेरा भाई नहीं, बल्कि जीजा था।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश पाक्सो नंदन सिंह राणा की अदालत ने 20 साल की सजा सुना दी। हालांकि, इस मामले को लेकर पहले जिस किशोर पर आरोप लगा था। उसने आहत होकर आत्महत्या कर ली थी।
कलयुगी जीजा की काली करतूत जानकर रह जाएंगे हैरान
नैनीताल में दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने जीजा को दोषी ठहराकर 20 साल की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया है। जीजा के अपनी नाबालिग साली से अवैध संबंध थे।
नैनीताल में दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने जीजा को दोषी ठहराकर 20 साल की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया है। जीजा के अपनी नाबालिग साली से अवैध संबंध थे। मामले में अवैध संबंध से पैदा बच्ची को नाली में फेंककर पीड़िता ने अपने चचेरे भाई को फंसा दिया था। इसके बाद अवसाद में भाई ने जान भी दे दी थी।
मामले में पीड़िता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि छह फरवरी 2020 को सात नंबर क्षेत्र मल्लीताल नैनीताल में एक नवजात बच्ची नाली में पड़ी मिली थी। इसके बाद लोगों ने बच्ची को बीडी पांडे अस्पताल में भर्ती कराया था। इस दौरान 15 वर्षीय नाबालिग की तबीयत बिगड़ने पर उसे सुशीला तिवारी अस्पताल भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसके प्रसव की बात सामने आई और पीड़िता ने कबूल किया कि नाली में मिली बच्ची उसकी है। उसने ही बच्ची को नाली में फेंका था। साथ ही बताया कि बच्ची का पिता उसका चचेरा भाई है। युवक के खिलाफ मल्लीताल थाने में केस दर्ज हुआ और स्पेशल जज पॉक्सो नंदन सिंह की कोर्ट में मुकदमा चला। 17 अप्रैल 2020 को आरोपी युवक ने आत्महत्या कर ली। मृत्यु से पहले युवक और नवजात बच्ची के रक्त का नमूना लेकर जांच के लिए भेज दिया था।
आठवें महीने में जब एफएसएल की रिपोर्ट आई तो पता चला कि युवक बच्ची का जैविक पिता नहीं है। इसके बाद राहुल के पिता ने पुलिस के उच्चाधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर दोबारा जांच की मांग की। बताया कि पीड़िता के घर उसके जीजा सात नंबर वार्ड एक मल्लीताल निवासी युवक और अन्य दो लोगों का आना-जाना है। इसके बाद पुलिस ने आरोपी सहित तीन लोगों का खून एफएसएल जांच के लिए भेजा। एफएसएल रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि जीजा ही बच्ची का जैविक पिता है। इसके बाद लड़की ने भी माना कि सगे जीजा के साथ उसके अवैध संबंध थे। इस मामले में अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने 10 गवाह परीक्षित कराए। इस आधार पर कोर्ट ने दोषी जीजा को 20 साल का कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
फरवरी 2020 में नैनीताल के मल्लीताल थानाक्षेत्र में एक नाली में नवजात शिशु के नजर आने पर स्थानीय लोग उसे बीडी पांडे अस्पताल लेकर पहुंच गए थे। प्राथमिक उपचार के बाद उसे हल्द्वानी रेफर कर दिया गया था। गनीमत रही कि नवजात की जान बच गई।
नाबालिग चचेरे भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था
वहीं, पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी, जिसके बाद पता चला कि नैनीताल की ही 15 वर्षीय एक किशोरी ने इस बच्चे को जन्म दिया था। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में अपने नाबालिग चचेरे भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस पर पुलिस ने किशोर को पकड़कर बाल सुधार गृह भेज दिया था। साथ ही डीएनए सैंपल भी ले लिया था।
इधर, कुछ दिन बाद बाल सुधार गृह से बाहर आने पर किशोर ने आहत होकर आत्महत्या कर ली थी। इस बीच किशोर की डीएनए सैंपल की रिपोर्ट भी आ गई, जिससे पता चला कि किशोर और नवजात का डीएनए अलग-अलग है। यानी बच्चा किसी और का था। इस स्थिति पुलिस भी असमंजस में पड़ गई। इसके बाद मृतक के स्वजन ने शक के आधार पर पीड़िता के जीजा समेत चार लोगों का सैंपल लेने की मांग की।
कुछ दिनों बाद आई रिपोर्ट से जीजा के ही जैविक पिता होने की पुष्टि हुई। वहीं, शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि दोष साबित करने के लिए दस गवाहों का परीक्षण करवाया गया। इसके बाद पीड़िता के जीजा को 20 साल की सजा सुनाने के साथ 20 हजार अर्थदंड भी लगाया गया।
मां का पता बताने पर जिलाधिकारी ने की थी इनाम की घोषणा
चार साल पहले यह मामला नैनीताल में खासा चर्चा में रहा था। पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती नवजात की मां को तलाशने की थी। मां के बारे में जानकारी देने पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने बकायदा 10 हजार इनाम की घोषणा भी की थी।
खबर ये थी, चार साल पहले
सात नंबर के समीप नाले में मिली नवजात बच्ची
नवजात शिशु (बालिका) को उसकी मां जनने के कुछ देर बाद ही नाले में छोड़ गई। मुश्किल से चंद मिनट हुए होंगे उसे दुनिया में आए हुए। ठीक से आंखें भी नहीं खुली थी लेकिन जन्म दात्री पाषाण हृदय मां उसे नाले में छोड़कर चली गई। वह रोती रही… शायद इस उम्मीद में कि जन्मदात्री की ममता जाग जाए क्योंकि वह तो निर्दोष थी। वह दुनिया के जीवन संघर्षों से अनजान थी। ममता तो जागी नहीं मागी मगर मानवता ने उसकी प्राणरक्षा जरूर की। दो परिवारों ने न सिर्फ उस बच्ची पर प्यार लुटाया बल्कि उसे अस्पताल भर्ती भी कराया। जहां से उसे सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर किया गया, वहां उसकी हालत गंभीर बनी रही। उसे एसएनसीयू में रखा गया ।
बृहस्पतिवार सुबह साढ़े सात बजे नैनीताल के सात नंबर क्षेत्र निवासी राशिद अली को बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। लगा कि पड़ोस में किसी के मेहमान का बच्चा रो रहा होगा लेकिन देर तक बच्चा रोता रहा तो राशिद घर से बाहर निकले। उन्हें सामने नाले में रोती नवजात दिखी। नाले में उतरकर उन्होंने नवजात को उठा लिया और पड़ोसी शांति देवी के घर ले गए। वहां उसे कपड़े में लपेटकर हीटर की गर्मी दे बीडी पांडे अस्पताल पहुंचाया गया।
अस्पताल में डॉक्टर रश्मि त्रिपाठी ने नवजात का स्वास्थ्य परीक्षण कर उसे ऑक्सीजन लगाई। फिर संजीव खर्कवाल ने उसका इलाज किया। डॉक्टर खर्कवाल के अनुसार नवजात प्री-मैच्योर पैदा हुई और ठंड में नग्न पड़े रहने से उसे हाईपोथर्मिया हो गया। मामले की गंभीरता देखते हुए उसे इलाज को हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर किया गया।
दूध तक पीने की स्थिति में नहीं थी
घंटों अस्पताल में बच्ची के साथ रही सामाजिक कार्यकर्ता काजल राजपूत के अनुसार बच्ची के होंठ पूरी तरह नीले और टाइट थे जिससे वह दूध पीने तक की स्थिति में नहीं थी यद्यपि अस्पताल में नवप्रसूता महिला नवजात को अपना दूध पिलाने को तैयार थी। तब बच्ची ग्लूकोज पर रखी गई।
रोगियों के संबंधियों और नर्सों की मदद
नवजात देख अस्पताल में मौजूद रोगियों,उनकी देखभाल करने वालों, ड्यूटी नर्सों की भी आंखें भर आई। अस्पताल कर्मचारी नीरज जोशी ने घर से कपड़े मंगा बच्ची को पहनवाए। रोगियों के साथ के लोग और नर्सें भी बच्ची के इलाज और सेवा में जुटी रहीं।
हर कोई हैरान, कौन हैं राक्षस
नवजात को नाले में फेंकने की सूचना से शहर में हर कोई हैरान था। लोगों ने नवजात को नाले में फेंकने वालों को पिशाच कहा ।
प्रसव तुरंत फेंकी गई बच्ची
नवजात को मरने को नाले में फेंक दिया गया था लेकिन यहां जाको राखे साईंया मार सके न कोय कहावत चरितार्थ हुई। कड़ाके की ठंड में भी नवजात की सांसें चलती रहीं। उसे प्रसव तुरंत बाद नाले में फेंका गया था, नाल तक नहीं कटी थी। शरीर रक्तरंजित था और फेंके जाने ऐ शरीर में खरोंचें भी थी। सात नंबर क्षेत्रवासी शांति देवी के पति होटल कर्मी रमेश चंद्र के अनुसार जब वह सुबह 6:52 बजे घर से ड्यूटी निकले, तब नाले में नवजात नहीं थी।
गोद लेने वाले भी पहुचे अस्पताल
नवजात मिलने की खबर शहर में फैली तो बच्ची गोद लेने के इच्छुक भी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों से बच्ची को गोद दिलाने को कहा लेकिन उसके अपने नियम हैं ।
बच्ची फेंकने वालों का पता बता दस हजार का इनाम पाओ
जिलाधिकारी सविन बंसल ने नवजात के नाले में मिलने को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि ऐसा घिनौना कृत्य करने वालों को पकड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी बच्ची फेंकने वालों की सूचना देगा उसे दस हजार का पुरस्कार देंगें और बताने वाले का नाम गोपनीय रखेंगे। जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योमा जैन ने भी अस्पताल पहुंचकर नवजात की सुध ली। जिलाधिकारी ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में नवजात के पूरी तरह स्वस्थ होने पर उसे अल्मोड़ा शिशु सदन में रखेंगे। उसे नियमानुसार ही किसी दंपती को गोद दिया जाएगा। बच्ची कोई गोद नहीं लेता तो पालन,भरण-पोषण,शिक्षा और विवाह तक खर्च जिला प्रशासन उठायेगा।