अग्निवीरों के लिए शुभ समाचार, नियमितीकरण को कड़े मानक हुए ढीले
Good News For Agniveer Standards Tougher Than Regular Soldier Army Change Policy
अग्निवीरों के लिए आई बड़ी खुशखबरी! रेगुलर सैनिक से कड़े थे पैमाने, सेना ने बदली नीति
एक अतिरिक्त कड़ा क्राइटेरिया अग्निवीर के हर टेस्ट में जोड़ा गया था। अब भारतीय सेना ने पॉलिसी में बदलाव कर अग्निवीर और रेगुलर सैनिक के आकलन के सभी क्राइटेरिया को एक जैसा कर दिया है और उससे सुपर एक्सिलेंट जैसी कैटिगरी हटा दी गई है। सेना ने अब पॉलिसी में बदलाव किया है।
मुख्य बिंदु
योग्यता के आकलन के लिए सुपर एक्सिलेंट कैटिगरी जोड़ी गई
रेगुलर सैनिकों के लिए सिर्फ एक्सिलेंट कैटिगरी ही थी
हालांकि पुराने पैमाने से अग्निवीर का एक बैच ट्रेनिंग पूरी कर चुका
नई दिल्ली 10 नवंबर: अग्निपथ स्कीम में भारतीय सेना ने जब अग्निवीरों की भर्ती की, तो उनके आकलन का क्राइटेरिया रेगुलर सैनिक से ज्यादा टफ बना दिया गया। पहले साल से लेकर चौथे साल तक आकलन के बाद ही तय किया जाना है कि अग्निवीर में से कौन सेना में स्थायी यानी रेगुलर होगा। सेना ने अब पॉलिसी में बदलाव कर अग्निवीर और रेगुलर सैनिक की योग्यता का आकलन करने का क्राइटेरिया एक जैसा किया है। इस बारे में सेना की AG ब्रांच की तरफ से 31 अक्टूबर को नई पॉलिसी जारी की गई। हालांकि इस बीच अग्निवीर का पहला बैच ट्रेनिंग पूरी कर अपनी यूनिट्स में पहुंच गया है यानी उनके पहले साल की योग्यता का आकलन पुरानी पॉलिसी यानी टफ क्राइटेरिया के हिसाब से ही किया गया है।
अग्निवीर का आकलन पहले साल ट्रेनिंग सेंटर में और फिर तीन साल यूनिट में होना है। इसमें BPET (बैटलफील्ड फिजिकल इफिशंसी टेस्ट), PPT (फिजिकल प्रोफिसिएंसी टेस्ट), फायरिंग और ड्रिल भी देखी जानी है। रेगुलर सैनिक की जब भर्ती होती थी, तब उनका भी इन सब के आधार पर मूल्याकंन किया जाता था और उसके मार्क्स मिलते थे। यूनिटों में भी रेगुलर सैनिकों को ये टेस्ट एक तय अवधि में देने होते हैं।
अग्निवीर के लिए आकलन किस तरह रेगुलर सैनिक से कठिन था, इसे BPET के उदाहरण से समझते हैं। रेगुलर सैनिक के लिए 5000 फीट की ऊंचाई तक में 5 किलो मीटर की दौड़ (पूरे बैटल लोड के साथ) 25 मिनट में पूरी करने का मतलब एक्सिलेंट है, 26.30 मिनट में गुड और 28 मिनट में संतोषजनक है। अग्निवीर के क्राइटेरिया में इन तीन कैटिगरी के अलावा सुपर एक्सिलेंट भी जोड़ दिया गया था। यानी यह दौड़ 23 मिनट में पूरी करने पर वह सुपर एक्सिलेंट क्राइटेरिया में आएगा। वहीं, रेगुलर सैनिक के लिए कोई भी अगर 25 मिनट या उससे कम में दौड़ पूरी करता है तो वे सब एक्सिलेंट ही होंगे।
अग्निवीर पर ज़्यादा दबाव क्यों?
अग्निवीर के आकलन में एक और कड़ी कैटिगरी जोड़ने से उन पर रेगुलर सैनिकों के मुकाबले ज्यादा दबाव पड़ने की आशंका थी। अग्निवीर का एक बैच सुपर एक्सिलेंट जैसे क्राइटेरिया से ही गुजरकर यूनिट तक पहुंचा है। यानी एक साल की उनकी मार्किंग हो चुकी है। हालांकि सेना के एक अधिकारी ने कहा कि फाइनल मार्किंग में इसे ठीक कर लिया जाएगा। अग्निपथ स्कीम लागू होते वक्त भी यह सवाल उठाए गए थे कि इसे अचानक से क्यों लागू किया गया है। तब कहा गया था कि आगे बढ़ते रहने पर जो बदलाव की जरूरत महसूस होगी, वे किए जाते रहेंगे।
Agniveer Army News Screening Board Will Sit Two Times For Assessment
सेना में अग्निवीर के असेसमेंट के लिए दो बार बैठेगा स्क्रीनिंग बोर्ड, नई पॉलिसी की बड़ी बातें जान लीजिए
सेना में अग्निवीरों की भर्ती पर एक बड़ा अपडेट है। इनके आकलन के लिए नई पॉलिसी के मुताबिक सबका असेसमेंट होगा। जी हां, जो अग्निवीर रेगुलर सैनिक बनने के इच्छुक नहीं हैं उन्हें भी इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। इसी तरह कई नई चीजें अग्निवीर की भर्ती पर सामने आई हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
भारतीय सेना में अग्निवीरों के असेसमेंट (आकलन) के लिए दो बार स्क्रीनिंग बोर्ड बैठेगा। एक बार भर्ती के पहले साल यानी ट्रेनिंग सेंटर में और दूसरी बार चौथे साल यानी यूनिट में। हालांकि उनका असेसमेंट हर साल होगा। अग्निवीर के असेसमेंट की नई पॉलिसी में कहा गया है कि सभी अग्निवीरों को चार साल की सेवा (टर्म ऑफ इंगेजमेंट) पूरी होने से पहले असेसमेंट और स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह सभी अग्निवीरों को जरूरी होगा चाहे वह रेगुलर सैनिक के तौर पर भर्ती होने के इच्छुक ना हों या फिर उन्हें किसी वजह से भर्ती नहीं किया जा सके, तो भी उनका असेसमेंट होगा।
अग्निवीर पॉलिसी में क्या है
पॉलिसी में कहा गया है कि अग्निवीर के तौर पर भर्ती होने के 180 दिन बाद से लेकर चार साल पूरे होने में 60 दिन पहले तक अग्निवीर एक फॉर्म भरकर बता सकते हैं कि वह रेगुलर सैनिक के तौर पर भर्ती होने के इच्छुक हैं या नहीं।
पॉलिसी के मुताबिक स्क्रीनिंग बोर्ड तीन पॉइंट्स पर मार्क्स देगा। पहले साल कॉमन मिलिट्री नॉलेज के लिए 20 नंबर रखे गए हैं और चौथे साल भी 20 नंबर।
ट्रेड प्रॉफिसिएंसी के लिए पहले और चौथे साल 40 – 40 नंबर, वेपन इक्विपमेंट हैंडलिंग के पहले साल 20 नंबर और चौथे साल 30 नंबर रखे गए हैं।
इस तरह स्क्रीनिंग बोर्ड अग्निवीर को पहले साल 120 नंबर और चौथे साल 130 नंबर में से उनकी योग्यता के हिसाब से मार्क्स देगा। इस आधार पर ही मेरिट बनेगी।
जिन अग्निवीरों को गैलेट्री अवॉर्ड मिलेगा उनका रेगुलर सैनिक के तौर पर भर्ती होना सुनिश्चित है, अगर वे बाकी क्राइटीरिया पूरा करते हैं तो।
मेंशन इन डिस्पेच के लिए अतिरिक्त 25 नंबर, डिस्टिंग्विस्ड (distingused) सर्विस अवॉर्ड के लिए 20 नंबर, सीडीएस या आर्मी चीफ का कमेंडेशन कार्ड (प्रशस्ति पत्र) मिलने पर 15 नंबर और वाइस चीफ या जीओसी इन कमांड का कमेंडेशन कार्ड मिलने पर 10 नंबर अतिरिक्त मिलेंगे।
इसी तरह स्पोर्ट्स के लिए अतिरिक्त नंबर मिलेंगे।
किसी अग्निवीर ने मान्यता प्राप्त अंतराष्ट्रीय इवेंट में हिस्सा लिया है तो उनका रेगुलर सैनिक बनना सुनिश्चित है। नैशनल लेवल पर हिस्सा लिया है तो अतिरिक्त 10 नंबर मिलेंगे और सर्विस लेवल पर खेला है तो 6 नंबर अतिरिक्त मिलेंगे।