गोपेश्वर आपदा: दूसरे दिन 26 शव मिले,197 लापता, इनमें 35 एनटीपीसी टनल में फंसे
उत्तराखंड में आपदा:तपोवन में 26 शव मिले; 197 लोग लापता, इनमें से 35 NTPC की टनल में फंसे; रातभर रेस्क्यू चलेगा
देहरादूून 08 फरवरी ।चमोली जिले के तपोवन में रविवार को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा का जल स्तर बढ़ गया था
रफ्तार से आए पानी और पत्थरों ने ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC के प्रोजेक्ट को तबाह कर दिया था
उत्तराखंड के चमोली में रविवार को हुए हादसे के बाद दूसरे दिन सोमवार को फोकस रेस्क्यू मिशन पर रहा। रविवार को ग्लेशियर टूटकर झील में गिरने के बाद ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में उफान आ गया था। पानी के साथ बड़े-बड़े पत्थर भी काफी रफ्तार से बढ़े। इससे तपोवन इलाके में स्थित निजी कंपनी के ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC प्रोजेक्ट साइट को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा था। NTPC पर दो टनल में लोग फंसे थे। पहली टनल से 16 लोगों को रविवार को ही रेस्क्यू कर लिया।
दूसरे दिन यानी सोमवार को करीब ढाई किलोमीटर लंबी दूसरी सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन रातभर चलेगा। अधिकारियों ने यहां करीब 35 मजदूरों के फंसे होने की बात कही है। सोमवार रात 8 बजे जारी ब्रीफिंग के मुताबिक, रेस्क्यू टीम ने तपोवन इलाके से 26 शव और 5 मानव अंग निकाले हैं। यहां से 2 पुलिसकर्मियों समेत 171 लोगों के लापता होने की जानकारी मिली है, जिनमें दूसरी टनल में फंसे 35 लोग भी शामिल हैं। वहीं, उत्तराखंड पुलिस ने बताया कि पूरे चमोली की बात करें तो हादसे के बाद 197 लोग लापता हैं।
#WATCH Rescue work underway at Tapovan tunnel, Joshimath in Uttarakhand. ITBP team will work overnight at the site. The work to take out debris and slush from the tunnel to continue overnight pic.twitter.com/2wF7sb1DnY
— ANI (@ANI) February 8, 2021
जगह कितने लोग लापतारैणी गांव 5
तपोवन ऋत्विक कंपनी 121
करछौ 2
रिंगी गांव 2
ऋषिगंगा कंपनी 46
ओम मैटल 21
HCC 3
तपोवन गांव 2
* इस टेबल के मुताबिक कुल 202 लोग लापता थे। इनमें से 5 को रेस्क्यू कर लिया गया है। हालांकि, अब तक यह पता नहीं लग पाया है कि रेस्क्यू किए गए लोग किस इलाके के हैं।
टनल के 130 मीटर हिस्से से मलबा हटाया
NTPC की ढाई किलोमीटर लंबी दूसरी टनल में रविवार रात पानी बढ़ जाने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा था। NDRF की टीम ने सोमवार सुबह जलस्तर घटने के बाद ऑपरेशन फिर शुरू कर दिया था। देर शाम तक इस टनल के 130 मीटर हिस्से से मलबा हटा दिया गया है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दोबारा प्रभावित इलाके में पहुंच गये हैं। वे सोमवार की रात में भी यहीं रुकेंगे।
सेना और BRO बनाएंगे चीन बॉर्डर को जाने वाला पुल
उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सरहद को जोड़ने वाला पक्का पुल भी टूट गया था। यह पुल बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन यानी BRO ने बनाया था। सेना की इंजीनियरिंग कोर और BRO मिलकर यहां पर जल्द ही एक लोहे का वैली पुल बनाएंगे ताकि सेना की गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो सके।
मुख्यमंत्री रावत ने आपदा के दूसरे दिन चौंकाने वाला बयान दिया
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हादसे के बारे में जानकारी देते वक्त एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि कल तक यानी रविवार तक उन्हें तपोवन में किसी सहयोगी कंपनी के प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी ही नहीं थी।
चमोली हादसा: दूसरे दिन के अपडेट्स..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के सांसदों से राहत-बचाव कार्य और आगे की रणनीति पर चर्चा की।
DRDO के डिफेंस जियो-इंफॉर्मेटिक्स रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट डायरेक्टर डॉ. एलके सिन्हा ने बताया कि हमारी टीम ने चमोली में हादसे वाले इलाके के ग्लेशियर का एरियल सर्वे किया। पहली बार में ऐसा पता चला कि ग्लेशियर का एक टुकड़ा सकरी घाटी में गिरा होगा।
उन्होंने बताया कि घाटी में इससे एक झील बनी, जो बाद में फूट गई। इसी वजह से यह बड़ा हादसा हुआ। वैज्ञानिक डेटा की समीक्षा कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो टीम दोबारा मौके का दौरा करेगी।
NDRF ने कहा कि टनल में मलबा और गाद जमा है और इसे हटाने में काफी मुश्किल आ रही है।
#UttarakhandDisaster केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने चमोली में आपदा प्रभावित तपोवन का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि आपदा से करीब 1500 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। क्षतिग्रस्त प्रोजेक्ट 2023 तक पूरा होना था। @JagranNews pic.twitter.com/KZI4PrinO8
— amit singh (@Join_AmitSingh) February 8, 2021
तपोवन की जिस टनल में 35 लोगों के फंसे होने की आशंका है, वहां ITBP के 300 जवान रेस्क्यू में जुटे हैं। स्नाइफर डॉग स्क्वॉड को भी डिप्लॉय किया गया है।
एयरफोर्स के Mi-17 और ALH हेलिकॉप्टर्स ने सोमवार सुबह देहरादून से जोशीमठ के लिए उड़ान भरी। एरियल रेस्क्यू और रिलीफ मिशन चलाया।
NDRF और ITBP की टीमें तपोवन इलाके में अलग-अलग जगहों पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। ITBP के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने कहा कि जरूरत पड़ने पर और टीमें भेजी जाएंगी।
उत्तराखंड की आपदा कब आई, कैसे आई और कितना नुकसान हुआ, 3 पॉइंट में समझें..
1. ऋषिगंगा और धौलीगंगा में जल स्तर बढ़ा
चमोली के तपोवन इलाके में रविवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिर गया। इससे नदी का जल स्तर बढ़ गया। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है इसीलिए उसका जल स्तर भी बढ़ गया। नदियों के किनारे बसे घर बह गए। इसके बाद आसपास के गांवों को खाली कराया गया।
2. ऋषिगंगा और NTPC का प्रोजेक्ट तबाह
ऋषिगंगा नदी के किनारे स्थित रैणी गांव में ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट बना था। यह प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गया। यहीं पर जोशीमठ मलारिया हाईवे पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी टूट गया। ऋषिगंगा का पानी जहां धौलीगंगा से मिलता है, वहां भी जल स्तर बढ़ गया। पानी NTPC प्रोजेक्ट में घुस गया। इस वजह से गांव को जोड़ने वाले दो झूला ब्रिज बह गए।
3. रेस्क्यू में लगी आर्मी और एयरफोर्स
SDRF, NDRF, ITBP के अलावा आर्मी ने अपने 600 जवान चमोली भेजे हैं। इसके अलावा वायुसेना ने Mi-17 और ध्रुव समेत तीन हेलिकॉप्टर रेस्क्यू मिशन पर भेजे हैं। वायुसेना के C-130 सुपर हरक्यूलस विमान राहत सामग्री लेकर देहरादून पहुंच गए हैं।
#WATCH Uttarakhand: ITBP jawans clearing the tunnel in Tapovan, Joshimath.
(Video Source: Indo-Tibetan Border Police) pic.twitter.com/a0PZknhpvc
— ANI (@ANI) February 8, 2021
जून 2013 में आई आपदा में 4 हजार से ज्यादा की जान गई थी
16-17 जून 2013 को बादल फटने और इसके बाद ग्लेशियर टूटने से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मची थी। इस आपदा में 4,400 से ज्यादा लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोगों की अलग-अलग जगह मौत हुई। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए।
ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 मकानों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा होटल तबाह हो गए। आपदा में 9 नेशनल हाईवे, 35 स्टेट हाईवे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।
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