अग्निवीर भर्ती योजना की आलोचना अस्वीकार, सरकार ने हर शंका का दिया जवाब

अग्निपथ योजना में अग्निवीरों के भविष्य पर संदेह, क्या कमजोर हो जाएगी सेना… सरकार ने हरेक सवाल का दिया जवाब

 

सेना के तीनों अंगों- थल, जल और वायु सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से इस पर तरह-तरह के संदेह जताए जा रहे हैं। इस बीच कई राज्य सरकारों ने अग्निवीरों को चार साल की रिटायरमेंट के बाद अपने यहां विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियां देने का ऐलान कर दिया है। बावजूद इसके कई राज्यों में काफी उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच सरकार ने सभी तरह की आशंकाओं पर स्थिति स्पष्ट की है।

हाइलाइट्स
1-सेना भर्ती को अग्निपथ योजना पर आशंका के बादल छांटने की कोशिश
2-सरकार ने सभी तरह के संदेह और सवाल पर स्थिति स्पष्ट कर दी है
3-सरकार का कहना है कि न अग्निवीरों का भविष्य दांव पर लगेगा और न सेना कमजोर होगी

नई दिल्ली 17 जून:अग्निपथ योजना में सेना की रेजिमेंट प्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है और इसके लागू होने के पहले वर्ष में भर्ती कर्मियों की संख्या सशस्त्रों बलों की केवल तीन प्रतिशत होगी। सरकारी सूत्रों ने देश के कई हिस्सों में नई प्रणाली के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच गुरुवार को यह बात कही। सूत्रों ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के अवसर बढ़ाना है। हालांकि, कई विपक्षी राजनीतिक दलों और सैन्य विशेषज्ञों ने इस योजना की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे सशस्त्र बलों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। आइए जानतें हैं अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से उठते सभी बड़े प्रश्नों के जवाब…

संदेह/सवाल/भ्रम तथ्य/जवाब/हकीकत

1-चार वर्ष की अवधि बहुत छोटी है। चार वर्षों तक सैन्य सेवा देने के बाद उनका भविष्य असुरक्षित हो जाएगा।

जो अग्निवीर के रूप में चार वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद बिजनस करना चाहेंगे, उन्हें एकमुश्त मिली रकम से मदद मिलेगी। साथ ही, सरकार उनके लिए सुविधाजनक बैंक लोन की व्यवस्था करेगी। जो रिटायर्ड अग्निवीर आगे पढ़ना चाहेंगे, उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। साथ ही, आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स की व्यवस्था की जाएगी। जो वेतन के लिए नौकरी करना चाहेंगे, उन्हें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) और राज्यों के पुलिस बलों में प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, कई अन्य क्षेत्रों में भी उन्हें नौकरी दिलाने में सरकार मदद करती रहेगी।

2-युवाओं के लिए सेना में नौकरियां घट जाएंगी।

नहीं, ऐसा नहीं है। बल्कि अग्निपथ योजना से सेना में युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर बढ़ेंगे। आने वाले वर्षों में सशस्त्र बलों में अग्निवीरों की भर्तियां मौजूदा संख्या से तीन गुना तक पहुंच जाएगी।

3-हमारी सेना कमजोर हो जाएगी क्योंकि 17.5 से 21 वर्ष की उम्र तो बहुत कम होती है। ऐसे में नवसिखुओं की संख्या ज्यादा हो जाएगी जबकि अनुभवी अफसरों की संख्या कम हो जाएगी।

दुनियाभर में ज्यादातर सेनाएं अपने युवाओं पर निर्भर करती हैं और नई योजना से एक लंबे समय में पर्यवेक्षी रैंक में युवाओं और अनुभवी कर्मियों का मिश्रण ’50 प्रतिशत-50 प्रतिशत’ होगा। अग्निपथ योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि कभी भी युवाओं और अनुभवी सैनिकों/अफसरों का अनुपात आधा-आधा ही रहे। मतलब सेना के तीनों अंगों- आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में कुल संख्या बल का आधा युवा और आधा अनुभवी लोग होंगे।

4-अग्निपथ स्कीम कई रेजिमेंटों की संरचना को बदल देगी जो विशिष्ट क्षेत्रों के साथ-साथ राजपूतों, जाटों और सिखों जैसी जातियों के युवाओं की भर्ती करती हैं।

रेजीमेंट सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। वास्तव में इसे और तेज किया जाएगा क्योंकि सर्वश्रेष्ठ अग्निवीर का चयन किया जाएगा, जिससे इकाइयों की एकजुटता को और बढ़ावा मिलेगा।

5-अग्निवीर का कम अवधि का कार्यकाल सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को नुकसान पहुंचाएगा।

ऐसी प्रणाली कई देशों में मौजूद है, इसलिए यह पहले से ही जांची परखी है और इसे एक चुस्त सेना के लिए सर्वोत्तम अभ्यास माना जाता है। पहले वर्ष में भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या सशस्त्र बलों की केवल तीन प्रतिशत होगी और चार साल बाद सेना में फिर से शामिल किए जाने से पहले उनके प्रदर्शन का परीक्षण किया जाएगा।

6-सशस्त्र बलों से बाहर निकलने के बाद अग्निवीर समाज के लिए खतरा हो सकते हैं।

यह भारतीय सशस्त्र बलों के लोकाचार और मूल्यों का अपमान है। चार साल तक वर्दी पहनने वाले युवा जीवनभर देश के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे। अब भी हजारों लोग कौशल के साथ सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन उनके राष्ट्र विरोधी ताकतों में शामिल होने का कोई उदाहरण नहीं है।

7-कोई पायलट प्रॉजेक्ट नहीं चलाया गया है। अचानक सेना में आमूल चूल बदलाव का बड़ा खतरा है।

सरकार ने अग्निपथ योजना के लिए काफी विस्तृत संपर्क अभियान चलाया था। पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञों से राय ली थी। सरकार ने सेवारत सैन्य अफसरों से लेकर रिटायर्ड महारथियों से भी बातचीत की गई थी। यह योजना पिछले दो वर्षों में सशस्त्र बलों के अधिकारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद शुरू की गई है। इसका अग्निपथ स्कीम का प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों के विभाग ने तैयार किया है। कई पूर्व सैन्य अफसरों ने योजना की खासियतों को सराहा है।

अग्निपथ के अग्निवीरों पर नाज करेगा भारत

केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया। इसमें बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करने के लिए संविदा के आधार पर अल्पकाल के लिए सैनिकों की भर्ती की जाएगी, जिन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। योजना में साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को सेना के तीनों अंगों में भर्ती किया जाएगा। चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद योजना में नियमित सेवा के लिए 25 प्रतिशत सैनिकों को बनाए रखने का प्रावधान है।

Agnipath Scheme: कैसे होगी भर्ती? जानिए ट्रेनिंग, सैलरी और पेंशन से जुड़े हर सवाल का जवाब
Agneepath Recruitment Scheme 2022: देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना (Agnipath Yojna) शुरू की है.

भारतीय सेनाओं में भर्ती के लिए केंद्र सरकार के रक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने ‘अग्निपथ योजना’ (Agneepath Recruitment Scheme) लॉन्च की है. इस योजना का मुख्य लक्ष्य तीनों सेनाओं में युवाओं को जोड़ना और उन्हें भविष्य को कुशल नागरिक बनाना है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि अग्निपथ योजना (Agnipath Yojna) के ज़रिए सेना को यूथफुल बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस मौके पर तीनों सेनाओं के अध्यक्षों ने भी इस योजना के फायदे गिनाए. आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने कहा कि अग्निवीरों को इंश्योरेंस स्कीम के साथ-साथ भविष्य में नौकरी के अवसर भी भरपूर मिलेंगे.

तीनों सेनाओं के अध्यक्षों की उपस्थिति में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने  कल अग्निपथ योजना का ऐलान किया था. राजनाथ सिंह ने कहा कि इस योजना से भारत की सेनाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और युवाओं के भविष्य को भी चार चांद लग जाएंगे. आइए जानते हैं कि यह योजना क्या है और कैसे इसमें युवाओं को फायदा देने के लक्ष्य रखा गया है…

इस योजना में भर्ती किए जाने वालों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना से निकले जवानों को बहुत सारे राज्यों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, मंत्रालयों में नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी. अग्निपथ योजना के लिए देश के ITI और अन्य शिक्षण संस्थानों से युवाओं को भर्ती किया जाएगा.

Agniveer बनने की योग्यता क्या होगी?

बताया गया है कि अग्निपथ योजना में, पुरुष और महिला (सेवा की जरूरत होने पर शामिल की जाएंगी) दोनों को अग्निवीर बनने का मौका दिया जाएगा. 17.5 साल से लेकर 21 साल तक के युवा इस सेवा में शामिल होने के लिए योग्य माने जाएं. वर्तमान में सेना के जो मेडिकल और फिजिकल स्टैंडर्ड हैं वही मान्य होंगे. 10वीं और 12वीं पास कर चुके युवा (सैन्य बलों की नियम और शर्तों के अनुसार) अग्निवीर बन सकते हैं.

Agnipath में भर्ती कैसे होगी?

अग्निपथ योजना में, साढ़े 17 साल से 21 साल के युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा. इन्हें 10 हफ्ते से लेकर छह महीने तक की ट्रेनिंग दी जाएगी. इन जवानों को होलोग्राफिक्स, नाइट, फायर कंट्रोल सिस्टम से लैस किया जाएगा. साथ ही, हैंड हेल्ड टारगेट सिस्टम भी जवानों के हाथ में दिए जाएंगे.

चार साल नौकरी के बाद क्या होगा?

इस तरह चुने गए कैंडिडेट्स, अग्निवीर के तौर पर 4 साल तक सेना में काम करेंगे. चार साल की सेवा के बाद अग्निवीर सेना की नौकरी छोड़ देंगे. इसके बाद वे समाज में एक स्किल्ड नागरिक के तौर पर वे अनुशासित जीवन जी सकेंगे. मेरिट के आधार पर और सेना की जरूरत के हिसाब से 25 फीसदी अग्निवीरों को रेगुलर कैडर में समायोजित कर लिया जाएगा. कहा जा रहा है कि अन्य नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता भी दी जाएगी

अग्निवीरों की सैलरी कितनी होगी?

Agnipath योजना में अग्निवीरों की सालाना सैलरी 4.76 लाख रुपये होगी. चौथे साल में यह सैलरी बढ़कर 6.92 लाख रुपये हो जाएगी. इसके अलावा रिस्क और हार्डशिप पैकेज अलग से दिया जाएगा. सेना में 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद करीब 11.7 लाख रुपये एकमुश्त ब्याज समेत दिया जाएगा. यह पैसा इनकम टैक्स के दायरे से बाहर होगा.

शहीद या हादसे का शिकार होने पर क्या होगा?

आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे ने बताया कि अगर इस सेवा के दौरान कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार को पूरा इंश्योरेंस कवर मिलेगा. इसके अलावा, शहीद के परिवार को सेवा निधि समेत लगभग एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इसके अलावा, शहीद की बची हुई सेवा की पूरी सैलरी भी परिवार को मिलेगी. सेवा के दौरान अगर जवान दिव्यांग हो जाते हैं तो दिव्यांगता के प्रतिशत के हिसाब से करीब 44 लाख रुपये मिलेंगे. सेवा निधि के अलावा बची हुई सेवाकाल की पूरी सैलरी भी जवान को दी जाएगी.

 

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