दो इंजीनियर कुचलने वाले पुणे के किशोर का दादा भी जेल में,फैमिली ड्राइवर बंधक बना रखा था

Pune Porsche Car Crash: नाबालिग आरोपित के फैमिली ड्राइवर ने खोले कई राज, पुलिस ने ड्राइवर को बंधक बनाने में दादा को किया गिरफ्तार
दोषी किशोर के दादा को आज पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। किशोर के दादा पर आरोप है कि उन्होंने फैमिली ड्राइवर को बंधक बना लिया था। पुलिस ने बताया कि इस मामले में किशोर के पिता विशाल अग्रवाल को भी आरोपित बनाया गया है। आरोपित का परिवार यह स्थापित करने की कोशिश में था कि कार को किशोर नहीं, फैमिली ड्राइवर चला रहा था।

Pune Porsche Car Crash पुणे केस में कार्रवाई तेज।

पुणे 25 मई 2024। पुणे में पोर्श कार से दो लोगों को कुचलने वाले 17 वर्षीय किशोर के दादा पुलिस ने पकड़ लिया है। नाबालिग के दादा पर आरोप है कि उन्होंने परिवार के ड्राइवर को बंधक बना लिया था।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल भी आरोपित है।
ड्राइवर ने पुलिस में की शिकायत
एक दिन पहले, पुणे पुलिस प्रमुख अमितेश कुमार ने कहा था कि आरोपित का परिवार यह स्थापित करने का प्रयास कर रहा था कि कार को नाबालिग नहीं चला रहा था। अब किशोर के पारिवारिक ड्राइवर ने भी शिकायत लिखा दी है।

दादा और पिता पर केस दर्ज
यरवदा पुलिस ने किशोर के दादा और पिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (किसी व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) में मुकदमा लिखा है।

दादा ने ले लिया था ड्राइवर का फोन
दुर्घटना बाद,किशोर के दादा और पिता ने ड्राइवर का फोन ले लिया, उसे 19 मई से 20 मई तक अपने बंगले में कैद रखा। हालांकि, ड्राइवर को उसकी पत्नी ने छुड़ा लिया।

आरोपित बाल सुधार गृह भेजा गया
बता दें कि रविवार तड़के शहर के कल्याणी नगर इलाके में एक पोर्श कार से किशोर ने दो मोटरसाइकिल सवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर कुचल दिए थे। पुणे की अदालत ने शुक्रवार को किशोरी के पिता सहित मामले में गिरफ्तार छह आरोपितों को न्यायिक हिरासत भेजा। किशोर पांच जून तक बाल सुधार गृह में रहेगा।

ड्राइवर नहीं नाबालिग आरोपित ही चला रहा था कार, सीपी अमितेश कुमार ने दी महत्वपूर्ण जानकारियां
पुणे में हुए पोर्शे कार दुर्घटना मामले की जांच जारी है। इस बीच पुलिस ने कंफर्म कर दिया है कि दुर्घटना के समय ड्राइवर नहीं बल्कि नाबालिग ही गाड़ी चला रहा था। इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस कमिश्नर ने महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी हैं।

पुणे पोर्शे कार दुर्घटना मामले में सीपी अमितेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शुरुआत में ही मैंने बताया था कि यह घटना रात ढाई बजे की है। उसके बाद सुबह लगभग 8 बजे स्थानीय पुलिस स्टेशन नें धारा 304 में मुकदमा लिखा गया गया। हमने कोर्ट में अपील की कि आरोपित रिमांड होम में रखा जाए, अर्जी निरस्त हुई तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने कहा कि इस मामले में ब्लड सैंपल आवश्यक नहीं है क्योंकि उन्होंने धारा 304 लगाई है। आरोपित ठीक तरह से जानता था कि वह क्या कर रहा है और पुलिस का केस केवल ब्लड रिपोर्ट के आधार पर नहीं टिका होता है।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस मामले में दो ब्लड सैंपल लिए। सुबह 9 बजे पुणे के सुसून अस्पताल में नाबालिग आरोपित भेजा गया और 11 बजे के आस-पास उसका पहला ब्लड सैंपल लिया। शाम को दूसरे अस्पताल में ब्लड सैंपल लिया गया। वह डीएनए प्रक्रिया और अन्य जानकारी इकट्ठा करने को लिया गया है। शाम 7 से 8 बजे के बीच दूसरा सैंपल लिया गया। पुलिस ने माना कि इस दुर्घटना में ड्राइवर का नाम डालने और प्रमाण मिटाने की कोशिश हुई। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी सबूत नष्ट करने की कोशिश की है,उन पर धारा 201 में कार्रवाई होगी। इस मामले में कई घटनाक्रम ऐसे हैं जो सही नहीं थे और पुलिस उन पर जांच कर रही है। ड्राइवर ने शुरुआती जांच में कहा था कि वह गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर ने किसके दबाव में यह बात कही,इसकी जांच जारी है।

दुर्घटना वाली रात विधायक पहुंचे थे थाने
केस की जांच कर रहे सीपी अमितेश कुमार ने कहा कि दुर्घटना वाली रात अजीत पवार गुट के विधायक सुनील टिंगरे पुलिस स्टेशन आए थे। इसमें कोई दो राय नहीं है। यह रिकॉर्ड पर है। लेकिन पुलिस ने क्या कार्रवाई की, किस प्रकार की, फिलहाल उस पर कुछ भी कहना ठीक नहीं। इस पूरे मामले में दो एफआईआर दी गई। सुबह जब एफआईआर की गई तो आईपीसी की धारा 304 ए में अंकित हुई। उसके कुछ घंटे बाद उसमें धारा 304 जोड़ी गई। दूसरी एफआईआर उनके पिता और अन्य लोगों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में गई।

दुर्घटना के समय कार में थे 4 लोग
उन्होंने कहा कि आरोपित के नाम से वीडियो वायरल करने की कोशिश हुई, उस पर पुलिस जांच कर रही है। वह वीडियो आरोपित ने नहीं बनाया था। पुलिस इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि वीडियो किसने बनाया। उस पर किन धाराओं में कार्रवाई हो, यह प्रक्रिया शुरु हो गई है। जांच में पता लगा है कि उस दिन गाड़ी में कुल 4 लोग थे। एक नाबालिग आरोपित, दो अन्य लोग और उसके अलावा ड्राइवर भी था। अन्य लोग जो उस पब में मौजूद थे,उन्हें पुलिस चश्मदीद बनाएगी और ड्राइवर का बयान भी इसमें महत्वपूर्ण होगा।

नाबालिग आरोपित ही चला रहा था गाड़ी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि प्राथमिक रूप से देखने पर लगता है कि उस दिन येरवडा पुलिस स्टेशन में अधिकारियों ने कुछ गलतियां की जिस पर जल्द से जल्द सभी दोषियों पर कार्रवाई होगी। हमारी मांग थी कि आरोपित पर एडल्ट की तरह कोर्ट में ट्रायल चले, इसकी लंबी प्रक्रिया है जिसमें चार्जशीट दायर करना होता है, हमारे पास 90 दिनों का समय है। हम जल्द से जल्द कोर्ट में चार्जशीट दायर करेंगे। उसके बाद आरोपित जुवेनाइल कोर्ट में ट्रायल को ले जाया जाएगा या सामान्य कोर्ट में यह चार्जशीट पर निर्भर है। पुलिस ने यह साफ किया है कि किशोर ही गाड़ी चला रहा था।

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मध्य प्रदेश के दो इंजीनियरों की मौत पुणे पोर्शे कांड में हो गई । उनकी अस्थियां पिता ने नर्मदा नदी में विसर्जित की। दोनों के पिता ने अपने बच्चों के लिए न्याय की मांग की है। अनीश अवधिया के पिता ने मांग कि पुणे पोर्शे केस एमपी में ट्रांसफर हो।

पुणे पोर्शे कांड में एमपी के दो इंजीनियरों ने गंवाई है जान
अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया के पिता ने न्याय की मांग की
मृतक अश्विनी कोष्टा का जून में था जन्मदिन, पहली थी उसकी नौकरी
अनीश अवधिया के पिता ने केस एमपी ट्रांसफर करने की मांग की

पुणे पोर्शे हिट-एंड-रन में मारे गए सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया की अस्थियां नर्मदा नदी में विसर्जित कर दी गई। लेकिन दोनों परिवारों में गुस्सा है, जिन्होंने दोषी किशोर और उसके माता-पिता को न्याय के कटघरे में लाने की कसम खाई है। अनीश के पिता ओमप्रकाश अवधिया कहते हैं कि यह दुर्घटना नहीं, हत्या थी, उन्होंने मुकदमा मध्य प्रदेश की अदालत लाने की मांग की। अश्विनी के पिता सुरेश कुमार कोष्टा ने ऐसे मामलों से निपटने को कानूनी सुधार की मांग की ताकि ऐसे मामलों में रोकथाम को उचित सजा हो।

आरोपित के साथ नाबालिग जैसा व्यवहार क्यों?

कोष्टा ने बेटी की अस्थियां विसर्जित करने के बाद कहा कि जो व्यक्ति पब में शराब पर हजारों रुपए उड़ाता है और महंगी कारों में घूमता है, उससे नाबालिग जैसा व्यवहार कैसे किया जा सकता है । उसे ऐसे अपराध से कैसे बचने का मौका मिले, जिसमें दो युवा, प्रतिभाशाली इंजीनियरों की बिना किसी गलती प्राणांत हो गया? उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए, ताकि किसी और को ऐसी त्रासदी का सामना न करना पड़े। किशोर के माता-पिता भी अपराध को समान जिम्मेदार हैं जिन्होंने उसे कार चलाने दी ।

जून में था अश्विनी का जन्मदिन

पिता सुरेश कुमार कोष्टा ने बताया कि अश्विनी का जन्मदिन जून में था। कोस्टा ने बताया कि मैं उसी महीने रिटायर हूंगा। हम दोनों ही मौके मनाने को उत्सुक थे और वह हमारे लिए होटल बुक करने वाली थी। दुखी पिता ने कहा कि जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट या बॉम्बे हाई कोर्ट से होनी चाहिए। तभी निष्पक्ष जांच संभव है। आंसुओं और पीड़ा ने उन्हें कई बार बीच में ही रुकने पर मजबूर किया, लेकिन उन्होंने खुद को संभाल लिया। उन्होंने कसम खाई कि मैं अपनी आखिरी सांस तक न्याय के लिए लड़ूंगा।

निष्पक्ष जांच की मांग की

उन्होंने मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बात कर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आग्रह किया। कोष्टा ने कहा कि घटना में मारे गए दोनों युवा इंजीनियर मध्य प्रदेश के थे और राज्य सरकार को न्याय सुनिश्चित करने को कदम उठाने चाहिए।

10वीं-12वीं में आए थे 99 % मार्क्स

कोष्टा ने अश्विनी का बचपन याद करते हुए बताया कि उसके कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में 99% अंक आये थे। फिर, वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पुणे चली गई, जहां उसे 90% अंक मिले। वह हमेशा उज्ज्वल भविष्य को कड़ी मेहनत करती थी। पढ़ाई में बाधा न आए, इसके लिए वह घूमने भी नहीं जाती थी। पहली नौकरी मिली तो वह बहुत खुश थी, लेकिन वह इसका भी आनंद नहीं ले पाई।

एमपी में होनी चाहिए मामले की सुनवाई

अनीश के पिता ओमप्रकाश अवधिया ने कहा कि मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश में हो, पुणे में नहीं। तभी न्याय होगा। नाबालिग आरोपित  थाने में मेहमान की तरह  रहा। उसके पास लाइसेंस भी नहीं था, इसलिए यह दुर्घटना नहीं, हत्या है। अनीश का परिवार उमरिया जिले के पाली निवासी है।

एडल्ट की तरह केस चले

दोनों परिवार चाहते हैं कि किशोर, जो अपने 18वें जन्मदिन से चार महीने दूर है, पर वयस्क की तरह मुकदमा चले। अवधिया ने कहा कि हम अपनी आखिरी सांस तक न्याय को लड़ेंगें। उन्होंने कहा कि वह संयुक्त कानूनी लड़ाई को अभी अश्विनी के परिवार से बात नहीं कर पाए हैं।

अनीश हाल ही में गया था दुबई

पिता ने बताया कि अनीश के सपने बड़े थे। वह अभी दुबई गया था और फिर कुछ दिनों को पाली अपने घर आया। 14 मई को पुणे लौटा और पांच दिन बाद ही वह पुणे की एक सड़क पर मृत मिला।

हायर एजुकेशन को जाना था लंदन

अनीश ने कहा था कि वह परिवार के सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएगा। उसे उच्च शिक्षा को लंदन जाना था।  प्रिंटिंग प्रेस से अपनी मामूली कमाई से मैं अपने बच्चे पढ़ा पाया। उसकी मौत से हमारे सारे सपने टूट गए।

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