जर्मनी में हुई जांच: सभी ब्रांड की शहद में मिला चाइनीज शूगर सीरप
शहद में मिलावट का चौंकाने वाला खुलासा, 77 फीसद में मिलाया जा रहा चाइनीज शुगर सिरप
शहद में मिलावट की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है
नई दिल्ली, 02 दिसंबर । देश के तमाम बड़े-छोटे ब्रांड के शहद में मिलावट की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने पाया है कि ज्यादातर कंपनियों के शहद में चाइनीज शुगर सिरप यानी चीनी का घोल मिलाया जा रहा है। सीएसई ने 13 कंपनियों के शहद के नमूनों की जांच कराई, जिनमें से 77 फीसद में मिलावट पाई गई। सीएसई ने शहद के नमूनों की जांच पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में कराई। यहां सभी बड़ी कंपनियों के नमूने पास हो गए, जबकि कुछ छोटी कंपनियों के नमूने फेल हो गए। जब इन्हीं सैंपल्स को जर्मनी स्थित प्रयोगशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण के लिए भेजा गया तो लगभग सभी बड़े-छोटे ब्रांड्स विफल हो गए।
सीएसई ने 13 छोटे-बड़े ब्रांड के शहद के नमूने लेकर कराई जांच
परीक्षण में शामिल 13 ब्रांड्स में केवल तीन यहां परीक्षण में सफल रहे। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बुधवार को दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में बताया कि शहद की शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिये इस मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता, क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं, जो भारतीय जांच मानकों पर आसानी से खरे उतर जाते हैं। संस्था का दावा है कि चीन में ऐसे कई कारोबारी वेब पोर्टल चल रहे हैं जो जांच में पकड़ में नहीं आने वाला शुगर सिरप बेचने का दावा करते हैं। जो कंपनियां ऐसा दावा कर रही हैं, वही भारत में अपने प्रोडक्ट्स का निर्यात भी कर रही हैं।इस बीच, डाबर और पतंजलि ने सीएसई के दावों का खंडन किया है। कंपनियों का कहना है कि वह प्राकृतिक तरीके से शहद जुटाती हैं। यह रिपोर्ट उनके ब्रांड की छवि खराब करने की सोची-समझी कोशिश लग रही है।
फ्रक्टोज के रूप में आता है शुगर सिरप
बीते वर्ष भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने आयातकों और राज्यों के खाद्य आयुक्तों को बताया था कि देश में आयात किया जा रहे गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इस्तेमाल शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा है। सीएसई की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि एफएसएसआइ ने जिन चीजों की मिलावट की बात कही थी, उस नाम से उत्पाद आयात नहीं किए जाते। चीन की कंपनियां फ्रक्टोज के रूप में इस सिरप को यहां भेजती हैं। इसके कारोबार के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। चीन से रिश्ते बिगड़ने के बाद कंपनियां बड़ी चतुराई से उसे हांगकांग के जरिये भारत भेज रही हैं।
चीनी कंपनियों ने स्वीकारा
सुनीता नारायण ने कहा कि चीन के शुगर सिरप का सच जानने के लिए संस्था ने एक गुप्त ऑपरेशन किया। इस ऑपरेशन के दौरान चीन की कंपनियों ने बताया कि अगर उनके सिरप की 50-80 प्रतिशत तक भी मिलावट शहद में कर दी जाए, तब भी वह शहद सभी परीक्षणों को पास कर जाएगा। एक कंपनी ने संस्था को छद्म नाम से ऐसे सीरप भी भेजे।
मिलावट रोकने को प्रभावी कदम की दरकार
एक अगस्त, 2020 को आयातित शहद की गुणवत्ता जांच के लिए एनएमआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि अभी तक पुणे में ही मशीन लगाई गई है। कंपनियों की मिलीभगत से वहां भी प्रभावी तरीके से जांच नहीं होती। मिलावट के इस खेल को रोकने के लिए एनएमआर जांच को ज्यादा प्रभावी तरीके से अपनाने की जरूरत है।
शहद में मिलावट पर पतंजलि, डाबर का पक्ष
भारत में बिकने वाले कई प्रमुख ब्रांड के शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई है, पर्यावरण नियामक सीएसई ने बुधवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के खाद्य शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले प्रसंस्कृत और कच्चे शहद की शुद्धता की जांच करने को 13 छोटे बड़े ब्रांड का चयन किया।
डाबर,पतंजलि,बैद्यनाथ,झंडू के शहद के नमूने परीक्षण में विफल
इसने पाया कि 77 प्रतिशत नमूनों में चीनी शरबत की मिलावट थी। जांच किए गए 22 नमूनों में से केवल पांच सभी परीक्षण में सफल हुए। अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे। इस का जवाब देते हुए, इमामी (झंडू) के प्रवक्ता ने कहा, ”एक जिम्मेदार संगठन के रूप में इमामी सुनिश्चित करता है कि उसका झंडू शुद्ध शहद भारत सरकार और उसके प्राधिकरण एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित सभी नियम-शर्तों और गुणवत्ता मानदंडों / मानकों के अनुरूप हो और उनका पालन करे।
डाबर ने भी किया दावे का खंडन
डाबर ने भी दावे का खंडन करते हुए कहा कि हालिया रिपोर्ट ‘दुर्भावना और हमारे ब्रांड की छवि खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित लगती है। उसने कहा है कि डाबर, शहद के परीक्षण के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा अनिवार्य सभी 22 मानदंडों का अनुपालन करती है। डाबर ने कहा, ”इसके अलावा, एफएसएसएआई द्वारा अनिवार्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं की उपस्थिति के लिए डाबर शहद का भी परीक्षण किया जाता है। डाबर भारत में एकमात्र कंपनी है, जिसके पास अपनी प्रयोगशाला में एनएमआर परीक्षण उपकरण है, और उसी का उपयोग नियमित रूप से शहद का परीक्षण करने के लिए किया जाता है और भारतीय बाजार में बेचा जा रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि डाबर शहद 100 प्रतिशत शुद्ध हो।
पतंजलि ने कहा-प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने का षड्यंत्र
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए, पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”हम केवल प्राकृतिक शहद का निर्माण करते हैं, जो खाद्य नियामक एफएसएसएआई से अनुमोदित है। हमारा उत्पाद एफएसएसएआई से निर्धारित मानक पूरा करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट देश के प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने का षड्यंत्र है। उन्होंने कहा, ”यह जर्मन तकनीक और महंगी मशीनरी बेचने का षड्यंत्र है। यह देश के प्राकृतिक शहद उत्पादकों को बदनाम करने और प्रसंस्कृत शहद को बढ़ावा देने को भी एक षड्यंत्र है। यह वैश्विक शहद बाजार में भारत के योगदान को भी कम करेगा।
बैद्यनाथ और अन्य कंपनियों से तुरंत संपर्क नहीं किया जा सका।
राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के कार्यकारी सदस्य देवव्रत शर्मा ने कहा, ”न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण में इस बात का भी पता मिल सकता है कि कोई खास शहद किस फूल से, कब और किस देश में निकाला गया है। इस परीक्षण में चूक होने की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, ”भारतीय खाद्य नियामक, एफएसएसएआई को अपने शहद के मानकों में एनएमआर परीक्षण को अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि हमारे देशवासियों को भी शुद्ध शहद खाने को मिले।
यहां हुआ परीक्षण
गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) में सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फ़ूड (सीएएलएफ) में पहली बार सीएसई ने इन ब्रांड के शहद के नमूनों का परीक्षण किया । परीक्षणकर्ता, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार, लगभग सभी शीर्ष ब्रांड, शुद्धता के परीक्षणों में सफल हुए, जबकि कुछ छोटे ब्रांडों में सी-4 चीनी का पता लगने से वे परीक्षणों को विफल रहे। सी-4 ऐसी बुनियादी मिलावट का प्रारूप है जिसमें गन्ना चीनी का उपयोग किया जाता है।
13 ब्रांडों के परीक्षणों में से केवल तीन सफल
परीक्षणकर्ता ने कहा, ”लेकिन जब न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) का उपयोग करके उन्हीं ब्रांडों के नमूनों का परीक्षण किया गया – तो लगभग सभी छोटे बड़े ब्रांड परीक्षण में विफल पाए गए। न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण में किसी भी प्रकार की मिलावट का पता लगाया जा सकता है। मिलावट की पक्की जांच को विश्व स्तर पर एनएमआर परीक्षण का उपयोग किया जा रहा है। इस एनएमआर परीक्षण में 13 ब्रांडों के परीक्षणों में से केवल तीन सफल हो पाए। यह परीक्षण, जर्मनी में एक विशेष प्रयोगशाला द्वारा किया गया था।
चीनी के साथ मिलावटी शहद स्वास्थ्य के लिए खतरा
सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि “हम शहद का सेवन कर रहे हैं – महामारी से लड़ने को, लेकिन चीनी के साथ मिलावटी शहद हमें स्वस्थ नहीं बनाएगा। यह वास्तव में, हमें और भी कमजोर बना देगा। दूसरी ओर, हमें इस बात की भी चिंता करनी चाहिए कि मधुमक्खियों के नष्ट होने से हमारी खाद्य प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी क्योंकि पर-परागण को मधुमक्खियाँ महत्वपूर्ण हैं। यदि शहद में मिलावट है, तो न केवल हमारा स्वास्थ प्रभावित होगा बल्कि हमारी कृषि उत्पादकता पर भी असर आयेगा।