हरक सिंह मंत्री मंडल से बर्खास्त, भाजपा से भी छह साल को बाहर

उत्तराखंड में भाजपा का राजनीतिक संकट:हरक सिंह रावत पार्टी की सदस्यता से बर्खास्त, मंत्रिमंडल से भी बाहर; आज कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल

देहरादून 16 जनवरी। उत्तराखंड में भाजपा के अंदर की खींचतान लगातार जारी है। कुछ दिन पहले कैबिनेट मीटिंग में इस्तीफा देने के बाद मना लिए गए वरिष्ठ मंत्री हरक सिंह रावत रविवार को अचानक भाजपा की सदस्यता से बर्खास्त कर दिए गए। सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह रावत को 6 साल के लिए भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त किया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया है और इसकी जानकारी राज्यपाल को भी भेज दी है।

रिश्तेदारों के लिए मांग रहे थे टिकट

सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह अपने परिवार के लिए विधानसभा चुनावों में तीन सीटों पर अपने रिश्तेदारों व खुद के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले पर ही अड़ी थी। हरक सिंह इसके खिलाफ राज्य में टिकट वितरण के लिए चल रही मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए। इसके चलते उनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। हालांकि एक मीडिया चैनल से बातचीत में हरक सिंह रावत ने कहा कि उन्हें अभी तक पार्टी की तरफ से अपनी बर्खास्तगी की कोई जानकारी नहीं दी गई है।

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उत्तराखंड
भाजपा को झटका दे सकते हैं हरक सिंह रावत! तीन दिन में दूसरी बार दिल्ली गए कैबिनेट मंत्री
देहरादून। मुख्य संवाददाता Published By: Dinesh Rathour
Last Modified: Sun, 16 Jan 2022 11:22 PM

harak singh rawat minister in uttarakhand government resigned

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत तीन दिन में दूसरी बार दिल्ली दिल्ली जाने से राजनीतिक तापमान अचानक गरमा गया। हरक सिंह अपने साथ ही बहू अनुकृति गुसाईं के लिए भी टिकट का दबाव बना रहे थे। चर्चा है कि मनमाफिक मुराद पूरी न होने पर वे भाजपा को बड़ा झटका भी दे सकते थे। उनके दिल्ली रवाना होने से भाजपा समेत कांग्रेस में भी खलबली मची रही। कैबिनेट मंत्री हरक रविवार शाम दिल्ली के लिए अचानक रवाना हुए। इससे पहले वे शनिवार को ही दिल्ली से देहरादून पहुंचे थे। वे भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। इसे उनके दबाव बनाने की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा था। ऐसे में उनके दोबारा दिल्ली रवाना होने से साफ हो गया है कि सब कुछ सामान्य नहीं है। कहा जा रहा था कि इस बार वे अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से टिकट दिलाने को किसी भी हद तक जाने को तैयार थे और प्लान बी भी तैयार था।

ये प्लान बी क्या है, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ था। उनसे जुड़े लोगों की माने तो वे कांग्रेस के भी संपर्क में हैं। कांग्रेस का एक बड़ा गुट हरक की कांग्रेसी में वापसी को लेकर लंबे समय से लगा हुआ है। हरक सिंह की पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से हुई लगातार कई मुलाकातों को इसी से जोड़कर देखा जा रहा था। हरक सिंह के करीबी लोगों ने स्वीकारा भी यदि कांग्रेस अनुकृति को लैंसडौन और हरक को डोईवाला से प्रत्याशी बनाने को तैयार हो जाये, तो हरक की घर वापसी भी हो सकती है। हालांकि हरक अंत तक भाजपा पर ही दबाव बनाए रहे। उनकी पहली प्राथमिकता अपने लिए केदारनाथ और बहू के लिए लैंसडोन है। यदि भाजपा अनुकृति के लिए तैयार हो जाती, तो हरक दोबारा कोटद्वार से लड़ने को भी तैयार थे। हालांकि भाजपा अनुकृति को लेकर असमंजस में रहीं क्योंकि वहां से दिलीप रावत सीटिंग विधायक हैं। यही असमंजस हरक की दिल्ली दौड़ का बड़ा कारण माना जा रहा है।

केदारनाथ में विरोध करने वालों को दिया जवाब

केदारनाथ सीट पर शैला रानी रावत के बाहरी प्रत्याशी बता विरोध करने से भी हरक नाराज हैं। उनका कहना है कि शैला रानी को राजनीति में वही लेकर आए। पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। फिर विधायक का टिकट दिलवाया। इसके बाद भी यदि उनका विरोध कर रही है, तो ये उनकी समझ से परे है।

कोटद्वार से लड़ने का मन नहीं

कोटद्वार से क्यों नहीं लड़ने के सवाल पर हरक बोले कि वे कोटद्वार के लिए कुछ काम नहीं करवा पाए। इसका उन्हें मलाल है। हालांकि इसके बाद भी वो कोटद्वार से जीत जाएंगे, लेकिन उनका मन नहीं है।

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था, मैं दिल्ली निकल गया हूं। वहां कुछ व्यक्तिगत कार्यों के साथ ही पार्टी नेताओं से भी मुलाकात होगी। चुनाव को लेकर पार्टी जो भी निर्णय करेगी, वो उन्हें स्वीकार है। फिलहाल मुझे इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना।

आज शामिल हो सकते हैं कांग्रेस में

सूत्रों ने यह भी कहा है कि हरक सिंह रावत सोमवार को कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं। कांग्रेस सूत्रों ने भी कहा है कि सोमवार को हरक सिंह रावत दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर पार्टी की सदस्यता लेंगे। इस दौरान उनके साथ भाजपा के 2 से 3 मौजूदा विधायक भी कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह ने कांग्रेस का मंत्री पद छोड़कर ही कई अन्य विधायकों को साथ लेकर भाजपा की सदस्यता ली थी।

रविवार शाम को दिल्ली पहुंचे थे शाह और नड्डा से मिलने

सूत्रों के मुताबिक, अपने रिश्तेदारों को टिकट नहीं मिलने से नाराज हरक सिंह रावत रविवार शाम को दिल्ली पहुंच गए थे। यहां वे पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। उनके साथ रायपुर सीट से विधायक उमेश शर्मा काऊ भी थे, जिन्होंने कुछ दिन पहले हरक सिंह के कैबिनेट से इस्तीफा देने पर अपना विधायक पद छोड़ने की घोषणा कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में उन्हें पार्टी प्रबंधन से कोई खास आश्वासन नहीं मिला था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं से मुलाकात की थी, जिस पर पार्टी प्रबंधन नाराज था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार रात को हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। हरक सिंह पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है।
भाजपा ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर आए हरक सिंह रावत को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया है। उत्तराखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत को पार्टी और मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाए जाने की पुष्टि की है।

प्रदेश की राजनीति में उठापटक के प्रतीक माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बार भाजपा के लिए किरकिरी का सबब बने रहे। नौ कांग्रेसी विधायकों के साथ हरक सिंह रावत 2016 में हरीश रावत का साथ छोड़ भाजपा में आने की वजह से चर्चा में आए थे। भाजपा ने न सिर्फ उन्हें कोटद्वार से टिकट देकर उम्मीदवार बनाया बल्कि कैबिनेट मंत्री से भी पुरस्कृत किया। पूर्व मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके लगभग चार साल के कार्यकाल में हरक का छत्तीस का आंकड़ा बना रहा।

कर्मकार बोर्ड की अनियमितताओं और नियुक्तियों को लेकर वे त्रिवेंद्र से सीधे-सीधे टकराते रहे। भाजपा ने जब त्रिवेंद्र को बदला तो एक बार उनकी महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री पद हासिल करने की भी हो चली थी। तीरथ सिंह रावत और पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया था। उनकी नाराजगी की खबरें लगातार तैरती रहीं। बताया गया है कि एक ओर तो हरक कोटद्वार की सीट बदलने और परिवार के तीन लोगों के लिए टिकट मांग कर वह भाजपा पर लगातार दबाव बना रहे थे तो दूसरी ओर कांग्रेस में अपनी वापसी की राह भी प्रशस्त करने में जुटे थे।

ताजा घटनाक्रम में वह रविवार को दिल्ली रवाना हो गए। जाते वक्त मीडिया से बातचीत में उन्होंने केवल यही कहा था कि कि जिस तरह हरीश भाई ने अपने पत्ते खोलने की बात कही है, वैसे ही अभी मेरे पत्ते भी खुलने बाकी हैं। पिछले तीन दिन में हरक सिंह रावत दूसरी बार दिल्ली गए हैं। उनके अचानक दोबारा दिल्ली रवाना होने की खबर पाते ही एक बार फिर सियासी हलचल शुरू हो गई थी।

हरक सिंह रावत को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। -मदन कौशिक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

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