संसद भवन उद्घाटन पर हेमंत बिस्वा सरमा ने विपक्ष को दिखाया दर्पण
Himanta Biswa Sarma Hits Back At Opposition On Inauguration Of New Parliament Said Why Then No One Called President
‘तब तो किसी ने राष्ट्रपति को नहीं बुलाया’, हिमंत बिस्वा सरमा ने नई संसद के उद्घाटन पर विपक्ष को दिखाया आईना
हिमंता बिस्वा सरमा नई संसद बिल्डिंंग
नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होना है। इसके पहले राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। विपक्ष ने समारोह का बहिष्कार किया है। उसका कहना है कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बजाय राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए। इस पर अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्ष को आईना दिखाया है।
हाइलाइट्स
हिमंत बिस्वा सरमा ने नई संसद के उद्घाटन पर विपक्ष को दिखाया आईना
मुख्यमंत्री ने कहा- 9 साल में 5 राज्यों में एसेंबली का उद्घाटन या शिलान्यास
बोले- किसी एक भी मामले में राष्ट्रपति या गवर्नर को नहीं बुलाया गया
नई दिल्ली 24 मई। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह (New Parliament Inauguration) से पहले राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया है। विपक्ष ने समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। इस रार के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने समूचे विपक्ष को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा है कि गुजरे 9 सालों में 5 गैर-भाजपाई राज्यों में नई विधानसभा का या तो शिलान्यास या फिर उद्घाटन हुआ। इन सभी का उद्घाटन मुख्यमंत्री या फिर पार्टी अध्यक्ष ने किया। कोई एक भी उदाहरण नहीं मिलता है जिसमें राष्ट्रपति या फिर राज्यपाल को बुलाया गया हो। हिमंत ने उनमें से कुछ मामलों का जिक्र भी किया है।
नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। हालांकि, कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि यह संविधान के अनुसार गलत है। उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। एकाध दलों का यह भी तर्क है कि लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा के सभापति भी ऐसा कर सकते थे। कांग्रेस ने केंद्र पर यह भी आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सरकार ने आमंत्रित तक नहीं किया। इस पूरे मसले को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने समारोह के बायकॉट का ऐलान किया है।
हिमंता बिस्वा सरमा ने विपक्ष को लगाई फटकार, उद्घाटन के विरोध को बताया ‘नौटंकी’
नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया है। 19 विपक्षी दलों के समारोह के बहिष्कार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ‘नौटंकी’ करार देते हुए कहा कि इन दलों ने इस परियोजना का कभी समर्थन किया ही नहीं।
हिमंता ने कहा कि बहिष्कार का दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि उद्धाटन ऐसे दिन हो रहा है जो वीर सावरकर से जुड़ा हुआ है।
विपक्ष का क्या है कहना
बता दें कि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के निमंत्रण पर मोदी विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। कांग्रेस, वाम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित 19 विपक्षी दलों ने मोदी के नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार की घोषणा की है। कई दलों ने सुर में सुर मिलाते हुए कहा है कि, जब लोकतंत्र की आत्मा ही निकाल ली गई है तो उन्हें नए भवन का कोई महत्व नहीं दिखता।
विपक्ष पर बरसे हिमंता बिस्वा
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि, बहिष्कार लाज़िमी है। उन्होंने सबसे पहले संसद भवन के निर्माण का विरोध किया था। विपक्ष ने कभी नहीं सोचा था कि नए संसद भवन का निर्माण कार्य इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा और यह उनके लिए ‘बाउंसर’ की तरह आया है। इसलिए केवल अपना मुंह छिपाने के लिए वे बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं, लेकिन असली बात यह है कि उन्होंने पहले दिन से कभी भी इस परियोजना का समर्थन नहीं किया.. हमने उनसे समारोह में शामिल होने की उम्मीद नहीं की थी।
हिमंत बिस्वा सरमा ने पेश की दलील
इसके बाद केंद्र सरकार के बचाव में हिमंत बिस्वा सरमा ने मजबूत दलील पेश की। उन्होंने बुधवार को इस मसले पर ट्वीट कर हंगामा मचा रहे विपक्ष को आईना दिखाया। हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट किया कि पिछले 9 सालों में 5 गैर-भाजपा/विपक्षी राज्य सरकारों ने नए विधानसभा भवन का या तो शिलान्यास किया या उद्घाटन किया। सभी का मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष ने शुभारंभ किया। एक भी उदाहरण नहीं है जिसमें राज्यपाल या राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया हो।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट में 4 मामलों का जिक्र भी किया है जब विधानसभा भवन का शिलान्यास या उद्घाटन हुआ। लेकिन, राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया। पहला मामला 2014 का है। झारखंड और असम में यूपीए के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों ने विधानसभा का उद्घाटन किया। हालांकि, गर्वनर को नहीं बुलाया। फिर 2018 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नई एसेंबली का शिलान्यास किया। लेकिन, गवर्नर को नहीं बुलाया। 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ की विधानसभा के लिए शिलान्यास किया। उसमें भी गवर्नर को आमंत्रित नहीं किया गया। 2023 में मुख्यमंत्री ने तेलंगाना एसेंबली का उद्घाटन किया। हालांकि, गवर्नर को नहीं बुलाया गया था।
In the last 9 years – 5 non-BJP / Opposition state governments either laid foundation stones or inaugurated a new Legislative Assembly building .
All were done by either the Chief Minister or the Party President. In not a single instance was the Governor or President invited. pic.twitter.com/LjP9zjlLGg
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) May 24, 2023
BJP के सम्राट चौधरी की दलील में भी है दम
आरजेडी और जेडीयू के तर्कों को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सिरे से खारिज कर दिया है। सम्राट चौधरी कहते हैं कि जब बिहार विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर सकते हैं तो संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री क्यों नहीं कर सकते? बे सिर-पैर की बातें विपक्ष कर रहा है। उसके बायकॉट के फैसले का कोई मतलब ही नहीं। विरोध सिर्फ विरोध के लिए नहीं होना चाहिए। विरोध के तर्क और आधार भी होने चाहिए।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस समय पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, शिवराज पाटिल स्पीकर हुआ करते थे। वह संसदीय कार्य मंत्री थे। शिवराज ने उनसे कहा था कि 2026 से पहले एक नया और बड़ा संसद भवन बनाया जाना चाहिए। यह अच्छा है कि नए भवन का निर्माण किया जा चुका है। उद्घाटन समारोह में कौन शामिल होगा या कौन बहिष्कार करेगा, इस पर वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।