हाईकोर्ट का मनीष सिसोदिया की जमानत से ‘ना’, टिप्पणियों से भाग्य पर मुहर
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका निरस्त, HC ने कहा- आरोपी प्रभावशाली, सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को निचली अदालत में जमानत अर्जी लगाने की छूट दी है. कोर्ट को याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि देरी के आधार पर जमानत दी जा सकती है. वहीं ED और सीबीआई ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि केवल यह आधार नहीं हो सकता जमानत का.
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)
नई दिल्ली,21 मई 2024,दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी जमानत की याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब इस पर फैसला सुनाया गया है.
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में जनता का विश्वास तोड़ा. सिसोदिया बहुत प्रभावशाली हैं और जमानत मिलने पर सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. जमानत पर रिहा होने पर सिसोदिया द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से आंख नहीं मूंदी जा सकती है. सिसोदिया उपमुख्यमंत्री थे, उनके पास 18 विभाग थे, इससे पता चलता है कि वह प्रभावशाली और पार्टी के पावर सेंटर थे.
ईडी-सीबीआई के पास भारी-भरकम सबूत: HC
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि वह AAP के वरिष्ठ नेता हैं, वह दिल्ली सरकार के गलियारों में प्रभावशाली हैं. दस्तावेजों की आपूर्ति में अभियोजन पक्ष ने कोई देरी नहीं, ट्रायल कोर्ट ने कोई देरी नहीं की. ईडी, सीबीआई में कोई गलती नहीं पाई जा सकती क्योंकि उनके पास भारी भरकम सबूत हैं. सिसोदिया ने नीति पर सामान्य नागरिकों के विचारों को शामिल करने के बजाय ‘एक योजना बनाई’. इस मामले में भ्रष्टाचार, सिसोदिया की ऐसी नीति बनाने की इच्छा से उत्पन्न हुआ जिससे कुछ व्यक्तियों को लाभ होगा और रिश्वत मिलेगी.
कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से भटकाकर फर्जी जनमत तैयार करने की योजना बनाई. फर्जी ईमेल मंगाए गए और जनता को गुमराह किया गया. उन्हें ट्रिपल टेस्ट और दोहरी शर्तों से गुजरना पड़ा. यह एक स्वीकृत तथ्य है कि सिसोदिया अपने उपयोग के दो फोन देने में विफल रहे.
कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को निचली अदालत में जमानत अर्जी लगाने की छूट दी है. कोर्ट को याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि देरी के आधार पर जमानत दी जा सकती है. वहीं ED और सीबीआई ने इसका विरोध किया था. उन्होंने कहा कि ये केवल आधार नहीं हो सकता जमानत का. सभी पक्षों को सुनने के बाद हमारा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत अर्जी निचली अदालत में दाखिल करने को कहा था.
हाईकोर्ट ने SC के आदेश का दिया था हवाला
हाईकोर्ट ने कहा कि SC ने कहा था कि वो उनकी टिप्पणियों से बिना प्रभावित हुए जमानत पर फैसला करे. SC के आदेश पर सिसोदिया ने जमानत अर्जी दाखिल की थी. कोर्ट ने मनीष के तर्क पढ़े, जिसमें उन्होंने ट्रायल शुरू होने में देरी की बात कही थी. अदालत ने कहा कि सभी आरोपित लीगल राइट्स का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं. अदालत ने कहा कि तर्क में ED और सीबीआई की तरफ से ट्रॉयल कोर्ट में देरी को लेकर कोई फॉल्ट नहीं हुआ.
कोर्ट ने कहा कि ये केस शक्तियों के दुरुपयोग और जनता के भरोसे को तोड़ने वाला है. मनीष के पास आबकारी विभाग के साथ कुल 18 विभाग थे. आबकारी नीति बनाई गई. जिसमें प्री ड्राफ्टेड ईमेल भेजे गए. आबकारी नीति का उद्देश्य ऐसी नीति बनाना था, जो कुछ लोगों को फायदेमंद हो और रिश्वत भी आ सके. आबकारी नीति का उद्देश्य ऐसी नीति बनाना था जिससे कुछ लोगों लाभ हो. भ्रष्टाचार इस मामले में उस समय हुआ जब कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने को नीति बनाई गई, ताकि पैसा आ सके. यह मामला सत्ता के गंभीर दुरुपयोग का है.
ट्रायल कोर्ट ने निरस्त की थी याचिका
ट्रायल कोर्ट ने 2021-22 को दिल्ली शराब नीति के बनाने और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई और ईडी के दर्ज भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका निरस्त कर दी थी. सीबीआई और ईडी के अनुसार, उत्पाद शुल्क नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है. सिसोदिया को घोटाले में उनकी कथित भूमिका में 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया गया था. अब हाईकोर्ट ने भी याचिका को खारिज कर दिया है.