हिप्र सरकार खतरे में, छह कांग्रेस विधायक निर्दलीयों के साथ पंचकूला में
Rajya Sabha Election: हिमाचल में सरकार गिरने का खतरा, छह कांग्रेस समेत नौ विधायक पंचकूला पहुंचे; इन पर क्रॉस वोटिंग का शक
राज्यसभा की एक सीट को लेकर हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को वोटिंग हुई। इसी के बीच ये भी अटकलें थी की कांग्रेस विधायकों द्वारा जमकर क्रॉस वोटिंग की गई जिसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार खतरे में आती नजर आई है। बता दें कि हिमाचल कांग्रेस के छह और निर्दलीय में तीन विधायकों द्वारा भाजपा के हक में वोट देने की चर्चा है। अब तो उन्होंने सरकार बचाने को सीधे मुख्यमंत्री सुक्खू को हटाने की मांग रख दी है।
शिमला 27 फरवरी 2024। । हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट के लिए मंगलवार को हुई वोटिंग में कांग्रेसी विधायकों के जमकर क्रॉस वोटिंग (Cross Voting by Congress MLA’s) करने की अटकलों के बाद CM सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) की अगुवाई वाली सरकार खतरे में आ गई है। हिमाचल में कांग्रेस (Himachal Congress) के छह और तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा के हक में क्रॉस वोटिंग करने की चर्चा है।
ये हैं कांग्रेस के विधायक
कांग्रेस विधायकों में सुजानपुर के राजेंद्र राणा, धर्मशाला के सुधीर शर्मा, कुटलैहड़ के देवेंद्र भुट्टो, बड़सर के आईडी लखनपाल शामिल है।
विधानसभा पहुंचे विधायक
लाहौल-स्पीति के रवि ठाकुर और गगरेट के चैतन्य शर्मा का नाम आ रहा है। ये सभी वोटिंग से पहले सुबह एक ही गाड़ी में विधानसभा पहुंचे थे। विधानसभा के बाहर गाड़ी से उतरते ही भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर और राकेश जम्वाल इनसे मिले।
किसी से भी संपर्क में नहीं है विधायक
यहां वोटिंग के बाद ये शिमला से निकल गए और अब पंचकूला के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हैं, जो किसी के संपर्क में नहीं हैं।
हर्ष महाजन को वोट देने की बात की जा रही
तीन निर्दलीय विधायकों में हमीरपुर के आशीष शर्मा, देहरा के होशियार सिंह और नालागढ़ के केएल ठाकुर के भी भाजपा कैंडिडेट हर्ष महाजन को वोट देने की बात कही जा रही है। वहीं इन सभी नौ विधायकों को CRPF की सिक्योरिटी दी गई है।
हिमाचल प्रदेश में गिरने वाली है कांग्रेस सरकार! CM सुक्खू ने कह दिया कि विधायकों ने बेच दिया ईमान
हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुत बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। जिसके बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपना ईमान बेचा है। जब कोई ईमान बेच दे तो हम क्या कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बोले- हमारे पास अब केवल 34 विधायक
हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुत बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। इस चुनाव में भाजपा के हर्ष महाजन की जीत हुई है और कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई है। दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले। लेकिन भाजपा ने टॉस में चुनाव जीत लिया।
जीत हासिल करने वाले भाजपा के हर्ष महाजन ने बड़ा दावा किया और कहा कि एक महीने में हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि भाजपा की इस जीत को देख हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपना पद छोड़ देना चाहिए। मात्र एक साल में ही विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है।
क्यों हो रही कांग्रेस सरकार गिरने की बात? सुक्खू क्या बोले?
दरअसल जैसे ही ये खबर सामने आई कि भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव जीत लिया, उसके बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपना ईमान बेचा है। जब कोई ईमान बेच दे तो हम क्या कर सकते हैं। अब सिर्फ 34 विधायक हमारे साथ हैं। उन्होंने नैतिकता और चरित्र का परिचय दिया है।
कांग्रेस उम्मीदवार ने बताई हार की वजह
राज्यसभा चुनाव में हारने पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि क्रॉस वोटिंग करने वाले 9 विधायक कल रात तक हमारे साथ थे। बता दें कि कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जिसकी वजह से 34-34 का आंकड़ा आया।
क्या महाराष्ट्र की तरह हिमाचल में भी गिरेगी सरकार, अब मुख्यमंत्री सुक्खू के पास क्या विकल्प?
तीन राज्यों की 15 राज्यसभा सीटों को मतदान कराए गए जिसमें हिमाचल प्रदेश भी हैं। प्रदेश की एक सीट के लिए दो उम्मीदवार थे। इससे यहां मतदान कराना पड़ा। कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को उम्मीदवार बनाया तो भाजपा ने हर्ष महाजन को टिकट दिया। नामांकन के साथ ही राज्य में क्रॉस वोटिंग की आशंकाएं होने लगी थीं जो सच हुई।
इस दौरान सत्ताधारी कांग्रेस के कम से कम छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले। इसके बाद फैसला पर्ची से हुआ। इसमें हर्ष महाजन जीत गए। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के इस्तीफे के मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अल्पमत में है। ऐसे में अब राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। जून 2022 में महाराष्ट्र में भी ऐसे ही कुछ स्थितियां उत्पन्न हुई थीं जब एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार गिर गई थी।
जेपी नड्ढा का कार्यकाल पूरा हुआ तो हुआ चुनाव
दरअसल, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। नड्डा इस बार गुजरात से निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। हिमाचल में इस वक्त कांग्रेस सत्ता में है। कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को अपना उम्मीदवार बनाया। सिंघवी के सामने भाजपा ने हर्ष महाजन को उतारा। हर्ष कांग्रेस से ही भाजपा में आए हैं। 68 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक हैं। भाजपा के 25 विधायक हैं। वहीं,तीन निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार को समर्थन दे रखा है।
राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार की जीत के लिए 35 वोट की जरूरत थी। संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के लिए लड़ाई बहुत आसान थी। इसके बाद भी भाजपा ने यहां पास पलट दिया। मतदान के नतीजे आए तो दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले हैं। यानी कांग्रेस और निर्दलीय समेत कुल नौ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है।
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों का क्या होगा?
क्रॉस वोटिंग के दावे को लेकर राज्य में राजनीतिक उठापटक शुरू हो चुकी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार के अल्पमत में होने का दावा करने वाली भाजपा क्या सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। दूसरी ओर नजर कांग्रेस पर भी होगी जिसने कहा है कि राज्यसभा चुनाव से पहले उसने व्हिप जारी किया था।
हिमाचल सरकार का राजनीतिक भविष्य क्या है? इस पर हमने लोकसभा के पूर्व महासचिव पीटीडी अचारी से बात की। अचारी ने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव के लिए कोई व्हिप नहीं होती है। व्हिप से कोई फायदा नहीं होता। कांग्रेस के विधायकों ने भाजपा के लिए मतदान किया है तो यह मुसीबत है। यदि कांग्रेस के विधायक भाजपा की तरफ चले गए और उसके लिए मतदान किया है तो कांग्रेस का बहुमत कम हो रहा है। यदि ये विधायक भाजपा में शामिल होते हैं तो अयोग्य हो जाएंगे। ऐसे में अभी तो स्थिति अस्थिर है।’
क्या क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक अयोग्य हो सकते हैं?
अचारी ने कहा, ‘यदि नमूने के तौर पर दो-तीन विधायकों को अयोग्य करते हैं तो उसके लिए आधार अलग होता है। जैसे कि विधायक ने अपनी इच्छा से पार्टी छोड़ दी है। इस आधार पर विधायक अयोग्य घोषित किये जा सकते है। दूसरी स्थिति में यदि सभी विधायकों के खिलाफ याचिका दाखिल करें तो ऐसा होगा कि कांग्रेस खुद कह रही है कि उसका बहुमत नहीं है। ऐसा कोई भी दल नहीं करेगा। लेकिन अभी मुसीबत है। उप-चुनाव बाद की बात है।’
...तो क्या हिमाचल में सरकार गिर सकती है?
2022 में हुए एमएलसी चुनाव के दौरान कुछ इसी तरह की स्थिति महाराष्ट्र में बनी थी। दरअसल, जून 2022 में महाराष्ट्र में एमएलसी की 10 सीटों पर चुनाव हुए। इसके लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) यानी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन ने छह उम्मीदवार उतारे थे तो भाजपा ने पांच। खास बात ये है कि शिवसेना गठबंधन के पास सभी छह उम्मीदवार जिताने को पर्याप्त संख्या बल था, लेकिन वह एक सीट हार गई। इन पांच में कांग्रेस को केवल एक सीट मिली और एनसीपी-शिवसेना के खाते में दो-दो सीटें आईं।
वहीं, भाजपा के पास केवल चार सीटें जीतने भर की संख्या बल थी, लेकिन पांचवीं सीट भी निकालने में पार्टी सफल रही। एमएलसी चुनाव में बड़े पैमाने पर क्रॉस वोटिंग हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायक विधायक पहले गुजरात फिर असम चले गए। कई दिन चले राजनीतिक ड्रामे के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। अब यह देखना होगा कि हिमाचल के बागी विधायक क्या करते हैं।