बांग्लादेश में हिंदुओं पर धावा, दो पार्षदों की हत्या, मंदिर जलाये
Anti Hindu Riots In Bangladesh Minorities Houses Vandalized And Temples Being Set On Fire
घरों में तोड़फोड़, आग के हवाले मंदिर… उग्र प्रदर्शन के बीच बांग्लादेश में हिंदू खतरे में क्यों?
बांग्लादेश से शेख हसीना के भागने के बाद हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें आ रही हैं। हिंदू मंदिरों और घरों को निशाना बनाया जा रहा है। ISKCON और काली मंदिर पर हमले हुए हैं, जिससे हिन्दुओं को अपनी जान बचाने को छिपने पर मजबूर होना पड़ा है।
बांग्लादेश से शेख हसीना के भागने के बाद हिंदुओं पर अत्याचार, घरों और मंदिरों पर हमले,दो पार्षदों की हत्या
नई दिल्ली 07 अगस्त 2024: प्रधानमंत्री शेख हसीना पद छोड़ आनन-फानन देश छोड़कर भले भाग गई हों लेकिन बांग्लादेश के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण सिस्टम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देशभर में भयंकर लूटपाट और दंगों में बदल गया है। दंगों में प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यक हिंदुओं को प्रदर्शनकारी निशाना बना रहे हैं। शेख हसीना के भारत भागने और अंतरिम सरकार नहीं बनने से प्रदर्शनकारी उग्र हैं। वे अब मंदिरों को जलाने और हिंदुओं के घरों-दुकानों में तोड़फोड़ कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर छाए हैं। कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है।
न्यूज एजेंसी PTI रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में कई जगहों पर हिंदू महिलाओं पर हमले हुए। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग से जुड़े दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई है।
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद नेता काजोल देबनाथ ने बताया कि उनके देश के विभिन्न हिस्सों में बर्बर घटनाओं से हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय चिंतित है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के दो हिंदू नेताओं की उत्तर-पश्चिमी सिराजगंज और रंगपुर में हत्या कर दी गयी है।
बांग्लादेश के 20 जिलों में स्थिति गंभीर
परिषद के नेताओं के अनुसार, जिन जिलों में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके घरों या व्यवसायों पर हमला किया गया,उनमें पंचगढ़,दिनाजपुर,रंगपुर,बोगुरा,सिराजगंज,शेरपुर, किशोरगंज, पश्चिम जशोर, मगुरा, नरैल, दक्षिण पश्चिम खुलना, पटुआखली, सतखीरा, मध्य नरसिंगडी, तंगैल, उत्तर पश्चिम लक्खीपुर, फेनी, चटगांव और हबीगंज शामिल हैं।
संगठन के महासचिव राणा दासगुप्ता ने बयान में कहा, “स्थिति गंभीर है और पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। हम सेना से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर हमलावरों को तुरंत सजा दिलाने का आग्रह करते हैं।”
पहले भी हिंदुओं पर होते रहे हैं अत्याचार
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार कोई नई बात नहीं है। 1951 में, बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 22% थी जो अब घटकर मात्र 8% रह गई है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, 1964 और 2013 के बीच 1.1 करोड़ से ज्यादा हिंदू धार्मिक प्रताड़ना से बांग्लादेश छोड़कर भाग गए। हाल ही में शेख हसीना सरकार के कमजोर होने से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के मजबूत होने की संभावना बढ़ गई है। इन दोनों ही दलों का झुकाव कट्टरपंथी इस्लाम की ओर है, जिससे हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ने की आशंका है। हिंदुओं को बांग्लादेश में सॉफ्ट टारगेट समझा जाते हैं।
हिंदुओं के घरों और दुकानों पर लूटपाट
बांग्लादेश के अखबार डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को कम से कम 27 जिलों में भीड़ ने हिंदुओं के घरों और दुकानों पर हमला कर उनकी कीमती चीजें लूट लीं। बांग्लादेश के खुलना डिवीजन में स्थित मेहेरपुर में इस्कॉन मंदिर और एक काली मंदिर में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। इस्कॉन के प्रवक्ता युधिष्ठिर गोविंद दास ने ट्वीट किया, ‘मेहेरपुर में हमारा एक इस्कॉन केंद्र (किराए का) जला दिया गया, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा देवी की मूर्तियां भी शामिल हैं। केंद्र से तीन भक्त किसी तरह भागने और बचने में कामयाब रहे।’
हिंदुओं की निर्मम हत्या
बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान भयानक हिंसा भड़क उठी, जिसमें रविवार को 100 से ज्यादा लोग मारे गए। प्रदर्शनकारी शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे और उनकी पुलिस से झड़प हुई। इस हिंसा में रंगपुर नगर निगम के हिंदू पार्षदों हरधन रॉय और काजल रॉय की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने हरधन रॉय की हत्या का मुद्दा उठाया।
डरा रहे सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर हिंदू समुदाय से शेयर एक वीडियो में पिरोजपुर जिले में एक लड़की मदद की गुहार लगाती दिख रही है। एक अन्य वीडियो में चटगांव के नवग्रह बाड़ी में एक मंदिर को उग्र भीड़ जला रही है। बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने एक्स पर एक पोस्ट में, हिंदू समुदाय के मंदिरों, घरों और प्रतिष्ठानों पर 54 हमलों की सूची दी है। इनमें इंदिरा गांधी सांस्कृतिक केंद्र भी शामिल है, जो भारत और बांग्लादेश में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर यह हमले 2021 के बाद से सबसे गंभीर हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। उस दौरान हुई हिंसा में कई हिंदू मंदिरों पर हमले हुए थे।
विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 500 हुई
बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 500 हो गई। स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के बाद हुई हिंसक घटनाओं में 100 से ज्यादा की मौत हुई है। हिंसा प्रभावित देश में सेना स्थिति नियंत्रित करने में जुटी है। ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ समाचार पोर्टल ने कहा कि मृतकों की संख्या बढ़ने के बावजूद स्थिति सामान्य होने के संकेत मिले और सेना सड़कों पर गश्त कर रही है।
भारत की बढ़ रही है टेंशन
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की खबरों से भारत में चिंता बढ़ गई है। बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घटकर 8% रह गई है और 1964 से 2013 के बीच 1.1 करोड़ से ज्यादा हिंदू धार्मिक प्रताड़ना से देश छोड़कर भाग चुके हैं। यह स्थिति देख पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार को चेताया है कि अगर बांग्लादेश से हिन्दू शरणार्थी आते हैं तो उन्हें शरण देने को तैयार रहें।
हिंदू युवा हर हाल बांग्लादेश छोड़ना चाह रहे:यहां हिंदू होना सजा, हिंदू लड़की होना उससे बड़ी सजा
ढाका के काजीपारा में एक ब्राह्मण परिवार रहता है। पीढ़ियों से यहीं है। 14 सदस्य हैं। सिर्फ 700 स्क्वेयर फीट के इस दो मंजिला मकान तक पहुंचने के लिए मेन रोड से 30 मीटर लंबी तंग गली है, जिसमें 3 जगह बीफ टंगा रहता है। सुबह काम पर निकलने से पहले सभी लोग घर के अंदर कोने में बने छोटे से मंदिर में तिलक लगाते हैं।
घर के 67 साल के मुखिया संस्कृत में मंत्रोच्चार भी करते हैं, जिसकी लय करीब-करीब बांग्ला जैसी ही है। घर में सबसे बड़ी 27 वर्षीय बेटी सृष्टि एक कंपनी में जूनियर एचआर एग्जिक्यूटिव है। घर से निकलते ही सबसे पहले तिलक मिटाती है। बिंदी तो लगाती ही नहीं। मेन रोड पर आते ही रिक्शेवाले को भाईजान संबोधित करती है।
पूरा दिन बस इसी कोशिश में लगी रहती है कि अजनबी लोगों को पता न चले कि वह हिंदू है। कहती है- ‘यहां हिंदू होना ही स्वयं में सजा है। हिंदू लड़की होना, उससे भी ज्यादा बड़ी सजा।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी 22% से घटकर 7.9% बची है। इसकी वजह राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक हैं। ये तीन कहानियां हिंदुओं के हालात बताने के लिए काफी हैं…
सृष्टि कहती हैं अभी घर से पूजा करके निकली हूं। बीफ की दुर्गंध वाली उस गली में किसी ने नाक सिकोड़ते हुए भी देख लिया तो आफत आ जाएगी।’
तो क्या सारी जिंदगी ऐसे ही डरकर जिओगी…?
इस सवाल पर कहती है- ‘नहीं। मेरे पास डिग्री है। विदेश जाऊंगी। रिसर्चर बनूंगी। इसीलिए रकम जोड़ रही हूं। शाम को दो शिफ्ट में ट्यूशन भी पढ़ाती हूं। एक-डेढ़ साल में निकल जाऊंगी।
’सृष्टि उन 0.5% हिंदू लड़कियों में है,जो पोस्ट ग्रेजुएशन कर पाईं। इसलिए विदेश जाने का सपना बुन सकती है। लेकिन, उनका क्या,जो स्कूल से आगे नहीं बढ़ पाईं? मां-बाप जल्द से जल्द उनकी शादी करा देना चाहते हैं। ताकि वो धर्मांतरण,दुष्कर्म या जबरन बीफ खिलाने जैसी घटनाओं से बच जाएं।
2023 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देशभर में 66 हिंदू लड़कियों से दुष्कर्म हुआ और 333 महिलाओं को जबरन बीफ खिलाया गया। ये सिर्फ दर्ज मामले हैं। बांग्लादेश माइनॉरिटी कमीशन की स्टडी के अनुसार,अल्पसंख्यकों पर धर्म के नाम पर होने वाले अपराध के 80% से ज्यादा मामले पुलिस तक पहुंच नहीं पाते। पहुंच भी जाएं तो कोर्ट के बाहर ही निपटा दिए जाते हैं।
गांवों का हाल छोड़िए… ढाका यूनिवर्सिटी में भी अल्पसंख्यक अलग ही रखे जाते हैंं
ढाका यूनिवर्सिटी में एक जगह है- जगन्नाथ हॉल। यहां हॉस्टल है,जो सिर्फ गैर-मुस्लिम छात्रों को अलॉट होता है। आंगन में 40 फीट ऊंचा शिव मंदिर है। तालाब है। एक छोटे से कमरे में इस्कॉन मंदिर है। यह जगह बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह मानी जाती है। यहां उन सौ महान लोगों की प्रतिमाएं हैं,जो 1971 में पाकिस्तानी फौज के अत्याचार के खिलाफ आजादी के संघर्ष में कूद गए थे।
इनमें हिंदू, ईसाई और बौद्ध थे। लेकिन, आज 52 साल बाद भी ये सिर्फ बुत बनकर रह गए हैं। बांग्लादेश आजाद कराने को इन्होंने जो कुर्बानियां दीं,उनका इतना भी असर नहीं कि यहां रहने वाले अल्पसंख्यक छात्र निर्भय पूजा कर पाएं। 2021 में छात्रों ने मिलकर यहां सरस्वती पूजा आयोजित की थी।
अच्छी बात ये है कि इसमें मुस्लिम छात्र भी शामिल थे। लेकिन, इसी यूनिवर्सिटी के मुस्लिम छात्रों के एक धड़े ने हमला कर दिया। इन घटनाओं पर यहां के एक छात्र निलॉय कुमार बिस्वास कहते हैं-‘इनके पीछे राजनीतिक मंशा थी। अब भी जो घटनाएं हो रही हैं, उनके कारण भी राजनीतिक हैं।’ डिग्री पूरी करने के बाद निलॉय क्या करेंगे? कहते हैं- ‘उच्च शिक्षा को विदेश की कई यूनिवर्सिटीज में स्कॉलरशिप को प्रयास कर रहा हूं।’दरअसल, हिंदुओं पर होने वाले हमलों की वजह सिर्फ धर्म नहीं है। बल्कि,धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति है। दूसरी वजह पूरी तरह से आर्थिक है, जिसमें धर्म को आड़ बनाया जाता है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए बरसों से काम कर रहे रिसर्च एंड एम्पावरमेंट ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन प्रोफेसर चंदन सरकार कहते हैं- ‘बांग्लादेश में हिंदुओं की आर्थिक स्थिति अच्छी है,लेकिन सामाजिक स्थिति खराब है। असुरक्षा की भावना चरम पर है। हर कदम पर संघर्ष है।’
शेख़ हसीना के पलायन बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू किस हाल में?
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद पदत्याग देश छोड़ जाने के कुछ ही घंटों बाद, राजधानी ढाका में एक जन को उनकी रिश्तेदार ने घबराकर फ़ोन किया.
अविरूप सरकार बांग्लादेशी हिंदू हैं, जो 90% मुसलमान आबादी वाले बांग्लादेश में रहते हैं.अविरूप की बहन के पति का निधन हो चुका है और वह एक बड़े संयुक्त परिवार में ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दूर नदियों से घिरे ज़िले नेत्रोकोना में रहती है.
अविरूप सरकार ने फ़ोन कॉल के बारे में बताया, “बहन डरी हुई सुनाई पड़ रही थीं. उसने कहा कि उनके घर भीड़ ने हमला कर लूटपाट की है.” बहन ने बताया कि लाठी-डंडों के साथ 100 लोगों की भीड़ घर में घुसी और फर्नीचर, टीवी के साथ ही बाथरूम फ़िटिंग्स तक तोड़ दीं. घर के दरवाज़े तोड़ दिए.ये घर में रखा सारा पैसा और गहने लूटकर गए. हालांकि भीड़ ने वहां 18 लोगों में से किसी से भी मारपीट नहीं की. इन 18 लोगों में से 6 बच्चे भी थे.
लूट के सामान के साथ निकलने से पहले भीड़ इन पर चिल्लाई, “तुम लोग आवामी लीग के वंशज हो! तुम्हारे कारण देश की हालत खराब है. तुम्हें देश छोड़ देना चाहिए.”
अविरूप सरकार ने मुझे बताया कि उन्हें धक्का ज़रूर लगा लेकिन इस घटना से वह इतने भी हैरान नहीं हैं.वह कहते हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को शेख़ हसीना की पार्टी आवामी लीग समर्थक माना जाता है।उन पर इस्लामिक देश में अक्सर विरोधियों के हमले होते रहते हैं.
शेख़ हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद सोशल मीडिया में हिंदुओं की संपत्ति और मंदिरों पर हमले से जुड़ी ख़बरों की बाढ़ आ गई.
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बताया, “जो बात सबसे अधिक परेशान करती है वो अल्पसंख्यक हैं. उनकी दुकानों और मंदिरों पर हमलों की जानकारी है. हालांकि, अभी पूरी जानकारी नहीं है.”
हालांकि, कई युवा मुस्लिम बर्बरता रोकने हिंदुओं के घरों और मंदिरों की रक्षा को आगे आ रहे हैं.
अविरूप सरकार ने बताया, “बांग्लादेशी हिंदू आसानी से निशाना बनते हैं. जब-जब आवामी लीग सत्ता खोती है, उन पर हमले होते हैं.”
ये पहली बार नहीं है जब अविरूप की बहन के घर हमला हुआ है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों में साल 1992 में भी हमले हुए थे जब अयोध्या बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ. तब भी अविरूप की बहन के घर भीड़ ने तोड़फोड़ की थी. बाद के दशकों में भी हिंदुओं पर हमले हुए.
मुसलमान कर रहे हिंदुओं की रक्षा
बांग्लादेश के एक मानवाधिकार समूह एन ओ सलिश केंद्र के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2013 से लेकर सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर 3,679 हमले हुए. इसमें तोड़फोड़, आगजनी और निशाना बनाकर की गई हिंसा शामिल है.
साल 2021 में हिंदू अल्पसंख्यकों के घरों और मंदिरों पर दुर्गा पूजा के दौरान हुए हमले के बाद मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था, “बांग्लादेश में पिछले कई सालों से हिंदुओं पर लगातार हमले, सांप्रदायिक हिंसा और उनके घरों-पूजास्थलों को बर्बाद करना दिखाता है कि ये देश अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का अपना दायित्व पूरा करने में विफल रहा है.”
सोमवार को अविरूप सरकार के परिवार के दूसरे सदस्यों को भी हिंसा का सामना करना पड़ा.
ढाका से करीब 120 किलोमीटर दूर किशोरगंज में उनके माता-पिता का घर हिंसा से बचा लिया गया. इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं, “क्योंकि हमारा परिवार वहां जाना-माना है और पड़ोस में हम सभी को जानते हैं.उनकी मां एक स्कूल चलाती हैं. उन्हें अपने बिज़नेस पार्टनर का फ़ोन आया जिसने कहा कि लोग उन संपत्तियों की सूची बना रहे हैं, जिन पर हमला होगा. आपका नाम उस सूची में नहीं है लेकिन आप थोड़ा ध्यान रखिए.”
बाद में अविरूप के पिता ने देखा कि एक छोटी सी भीड़ उनके घर के बाहर लोहे के गेट के पास जमा हो रही थी. उन्होंने परिवार को अंदर बंद कर दिया था.
अविरूप कहते हैं, “मेरे पिता ने किसी को कहते सुना कि वहां मत जाओ, वहां कुछ नहीं करना है.” इसके बाद भीड़ छिटक गई.लेकिन कुछ दूरी पर किशोरगंज के नोगुआ इलाक़े में हिंदुओं के घरों में लूटपाट की ख़बरें आईं.
सरकार कहते हैं, “मैंने सुना है कि वहां करीब 20-25 घरों पर हमला हुआ. मेरे हिंदू दोस्त की सोने की दुकान का दरवाज़ा तोड़कर लोग घुसे और सभी गहने लूट ले गए. वे तिजोरी तोड़ या लूटकर ले जा नहीं सके.”
अविरूप सरकार ने बताया कि भीड़ उनकी बिल्डिंग पर भी हमला करने आई थी लेकिन दरवाज़ा अच्छे से बंद होने से उन्हें जाना पड़ा
आगे क्या?
ढाका से करीब 200 किलोमीटर उत्तर में शेरपुर ज़िले के एक मोहल्ले में अविरूप सरकार की पत्नी का घर भी ख़तरे में था.उनके घर हमला नहीं हुआ, लेकिन भीड़ ने पड़ोस में एक हिंदू का घर लूट लिया. अच्छी बात ये रही कि जैसे ही हिंसा की ख़बर फैली, स्थानीय मुसलमानों ने हिंदू घरों और मंदिरों के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया.
वह कहते हैं, “पूरे बांग्लादेश में ये हो रहा है. मुसलमानों ने हिंदुओं की संपत्ति की रक्षा की है.”
लेकिन चीज़ें यहीं ख़त्म नहीं हुईं. सोमवार रात होते-होते ढाका में अविरूप सरकार के 10 मंज़िला अपार्टमेंट के बाहर भी भीड़ जुटनी शुरू हो गई.
अविरूप अपनी पत्नी और बच्ची के साथ रहते हैं. अविरूप को लगा कि ये लोग उन्हीं की बिल्डिंग में रहते आवामी लीग के एक काउंसलर को ढूंढने आए थे.
अविरूप सरकार ने कहा, “मैंने छठे फ्लोर की बालकनी में आकर देखा कि भीड़ बिल्डिंग पर पत्थर फेंक रही है और दरवाज़े तोड़ने की कोशिश में है. दरवाज़े अच्छे से बंद थे, इसलिए लोग अंदर घुस नहीं पाए. पार्किंग में गाड़ियों और खिड़कियों के शीशों को नुक़सान पहुंचा.”
अविरूप सरकार की बहन ने उन्हें बताया कि परिवार को डर है कि और हमले हो सकते हैं.
उन्होंने सेना में अपने एक दोस्त को फ़ोन किया और अपील की कि सैन्य वाहन उनके पड़ोस में लगातार गश्त करता रहे.
वह कहते हैं, “ये बहुत पीड़ादायक समय है. यहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं है और हमें फिर से निशाना बनाया जा रहा है.”
हिंदू चाहते हैं कि भारत भी हस्तक्षेप करे…
बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के प्रेसीडेंट और सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट रबिंद्र घोष कहते हैं- ‘जब हम 1971 से पहले आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे,तब भी पाकिस्तानी फौज ने सबसे ज्यादा 20 लाख हिंदुओं का नरसंहार किया। आजाद हो गए,लेकिन हिंदुओं की हत्याएं आज भी जारी हैं। हम चाहते हैं कि भारत को भी इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।’
जहां हिंसा हुई, वहां के पुलिस चीफ हिंदू थे; ताकि उन्हें नाकारा साबित कर सके
ढाका से 100 किलोमीटर दूर एक जिला कुमिला। यहां 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान 10 हजार की भीड़ ने हिंदुओं के घरों,दुकानों और मंदिरों को निशाना बनाया। 6 लोग मार डाले। सैकड़ों लोग घर छोड़कर भाग गए। हालात ऐसे हुए कि केंद्रीय बल तैनात करना पड़े। यहां के टॉप पुलिस अफसरों को हटा दिया गया। फिर 2022 में नॉरियाल जिले में दुर्गा पूजा के दौरान इसी पैटर्न पर हिंसा हुई।
सैकड़ों लोगों को घर छोड़ना पड़ा। बाद में यहां के पुलिस चीफ को भी हटा दिया गया। बांग्लादेश के मीडिया में हिंसा की खबरें छपीं। लेकिन, ये बात नहीं बताई गई कि इन दोनों जिलों के पुलिस चीफ हिंदू थे। उनके कार्यकाल पर सांप्रदायिक हिंसा के सबसे ज्यादा मामलों का धब्बा लगा।
ढाका में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया- ‘कट्टरपंथी यही चाहते हैं कि लोगों में समय-समय पर कोई ऐसा संदेश जाए,जिससे लगे कि हिंदू अफसर प्रशासन चलाने में अच्छे नहीं होते।
कुमिला व नॉरियाल में हुई घटनाओं में ये गौर करने वाली बात है कि हिंसा उकसाने से पहले हिंदुओं पर ईशनिंदा के आरोप लगाए गए। पुलिस अफसरों पर हिंदुओं का साथ देने के आरोप लगाए। इसलिए इन जिलों में चरमपंथी अपने मंसूबों में सफल रहे।