टोक्यो पैरालंपिक में रचा इतिहास: एक दिन में अवनि व सुमित को स्वर्ण, योगेश, देवेन्द्र रजत,सुंदर कांस्य
टोक्यो पैरालिंपिक में गोल्डन डे:भारत को एक दिन में 2 गोल्ड समेत 5 पदक, ये अब तक किसी भी पैरालिंपिक में जीते मेडल से भी ज्यादा
टोक्यो 30 अगस्त।टोक्यो पैरालिंपिक में सोमवार को भारतीय एथलीट्स ने धमाल मचा दिया। भारत ने इस दिन 2 गोल्ड समेत कुल 5 मेडल जीते। अवनि लेखरा ने शूटिंग में और सुमित अंतिल ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके अलावा देवेंद्र झाझरिया ने जेवलिन में और योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता। सुंदर सिंह गुर्जर को ब्रॉन्ज मेडल हासिल हुआ।
भारत ने सोमवार को इतने मेडल जीते, जितने उसने किसी एक पैरालिंपिक में कभी नहीं जीते। अब तक टोक्यो पैरालिंपिक गेम्स में भारत कुल 7 मेडल जीत चुका है। यह भारत का अब तक का सबसे सफल पैरालिंपिक बन गया है। मेडल्स टैली में भारत 26वें स्थान पर है। इससे पहले 2016 रियो ओलिंपिक और 1984 ओलिंपिक में भारत ने 4-4 मेडल जीते थे।
सुमित ने F64 कैटेगरी में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में 68.55 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ मेडल जीता। वहीं 19 साल की अवनि ने पैरालिंपिक के इतिहास में भारत को शूटिंग का पहला गोल्ड मेडल दिलाया। अब तक ओलिंपिक में भी किसी महिला शूटर ने गोल्ड नहीं जीता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी एथलीट्स को बधाई दी है।
कठिनाइयों से भरा रहा है सुमित का सफर
सोनीपत के सुमित का सफर कठिनाइयों भरा रहा है। 6 साल पहले हुए सड़क हादसे में एक पैर गंवाने के बाद भी सुमित ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी और बुलंद हौसले से हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। पैरालिंपिक 2020 में जेवलिन थ्रो में भारत का यह तीसरा मेडल है।
सुमित ने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ डाला
सुमित ने पैरालिंपिक में अपने ही वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा है। उन्होंने पहले प्रयास में 66.95 मीटर का थ्रो किया, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इसके बाद दूसरे थ्रो में उन्होंने 68.08 मीटर दूर भाला फेंका। सुमित ने अपने प्रदर्शन में और सुधार किया और 5वें प्रयास में 68.55 मीटर का थ्रो किया, जो कि नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। उनका तीसरा और चौथा थ्रो 65.27 मीटर और 66.71 मीटर का रहा था। जबकि छठा थ्रो फाउल रहा।
अवनि ने गोल्ड के साथ रचा इतिहास
राजस्थान के जयपुर की रहने वाली अवनि पैरालिंपिक गेम्स में गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट बन गई हैं। पैरालिंपिक के इतिहास में भारत का शूटिंग में यह पहला गोल्ड मेडल भी है। उन्होंने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 के फाइनल में 249.6 पॉइंट स्कोर कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इससे पहले उन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में 7वें स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी।
बचपन से दिव्यांग नहीं थीं अवनि लेखरा
अवनि बचपन से ही दिव्यांग नहीं थीं, बल्कि उनका और उनके पिता प्रवीण लेखरा का 2012 में जयपुर से धौलपुर जाने के दौरान एक्सीडेंट हो गया था। इसमें दोनों घायल हो गए थे। कुछ समय बाद उनके पिता स्वस्थ हो गए, लेकिन अवनि को 3 महीने अस्पताल में बिताने पड़े, फिर भी रीढ़ की हड्डी में चोट की वजह से वह खड़े और चलने में असमर्थ हो गईं। तब से व्हीलचेयर पर ही हैं।
टोक्यो में फिर सुनने को मिला राष्ट्रगान
टोक्यो पैरालिंपिक्स में एक बार फिर राष्ट्रगान सुनने को मिला। पैरा शूटर अवनि लेखरा को पोडियम पर जब गोल्ड मेडल दिया गया, तब राष्ट्रगान से भारत का हर एक नागरिक गर्व से भर गया। इससे पहले टोक्यो ओलिंपिक्स में जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को गोल्ड मेडल मिलने के वक्त भी ऐसा ही माहौल था।
देवेंद्र झाझरिया ने सिल्वर मेडल जीता
दो बार के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया ने टोक्यो में एक और मेडल अपने नाम किया। उन्होंने F46 कैटेगरी में 64.35 मीटर दूर भाला फेंका। जबकि सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर का थ्रो किया। राजस्थान के चुरु जिले के देवेंद्र झाझरिया ने इससे पहले रियो पैरालिंपिक 2016 और एथेंस पैरालिंपिक 2004 में गोल्ड मेडल जीता था। उनके नाम भारत की ओर से पैरालिंपिक में 2 बार गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड है। देवेंद्र के पास अब कुल 3 पैरालिंपिक मेडल हो गए हैं।
योगेश ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर जीता
योगेश कथुनिया ने F56 कैटेगरी में डिस्कस थ्रो में भारत के लिए सिल्वर जीता। दिल्ली के 24 साल के योगेश ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर का अपना बेस्ट थ्रो किया। यह उनका सीजन बेस्ट भी है। ब्राजील के बतिस्ता डॉस सैंटोस क्लॉडनी ने 45.25 मीटर के थ्रो के साथ इस इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। क्यूबा के डियाज अल्दाना लियोनार्डो ने ब्रॉन्ज अपने नाम किया।
भारत को सिल्वर दिलाने के बाद जश्न मनाते डिस्कस थ्रोअर योगेश (बीच में)।
विनोद कुमार से छीना गया ब्रॉन्ज मेडल
रविवार को डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज जीतने वाले विनोद कुमार से सोमवार को मेडल छीन लिया गया। रविवार को रिजल्ट को होल्ड पर रखा गया था। कुछ देशों ने उनकी क्लासिफिकेशन कैटेगरी को लेकर आपत्ति जताई थी। भारत के मिशन प्रमुख (Chef de Mission) गुरशरन सिंह ने कहा कि ऑर्गेनाइजर्स ने विनोद को उनकी क्लासिफिकेशन कैटेगरी में योग्य नहीं पाया।
विनोद ने F52 कैटेगरी में हिस्सा लिया था
41 साल के विनोद ने F52 कैटेगरी में पैरालिंपिक में हिस्सा लिया था। इस कैटेगरी में उन एथलीट्स को शामिल किया जाता है, जिनकी मांसपेशियों में कमजोरी होती है। अंग की कमी, पैर की लंबाई असमान होती है। ऐसे खिलाड़ी व्हीलचेयर पर बैठकर कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेते हैं।
विनोद का शरीर इस कैटेगरी से ज्यादा मजबूत
गुरशरन ने कहा कि ऑर्गेनाइजर्स ने मेडल वापस लेते हुए कहा कि विनोद का शरीर इस कैटेगरी से ज्यादा मजबूत है। टेक्नीकल कमेटी ने उन्हें ”क्लासिफिकेशन नॉट कम्प्लीटेड” (CNC) कैटेगरी में रखा है। इस वजह से विनोद का परफॉर्मेंस फाइनल से हटा दिया गया है।
इससे पहले 22 अगस्त को भी उनकी जांच हुई थी। हालांकि,तब ऑर्गेनाइजर्स ने कहा था कि इवेंट के दौरान ही उनकी विशेष तौर पर जांच की जाएगी। तब विनोद को खेलने की इजाजत मिल गई थी। विनोद ने फाइनल में 19.91 मीटर के बेस्ट थ्रो के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
PM मोदी ने सभी एथलीट्स को बधाई दी
PM मोदी ने अवनि को बधाई देते हुए कहा कि यह वास्तव में भारतीय खेलों के लिए यह विशेष क्षण है। अवनि ने अपनी कड़ी मेहनत की वजह से मेडल जीता। शूटिंग के लिए आपके पैशन ने आपको मेडल के लिए प्रेरित किया। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
PM ने सुमित की तारीफ करते हुए कहा- पैरालिंपिक में हमारे एथलीट चमक रहे हैं। सुमित अंतिल के रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन पर देश को गर्व है। सुमित को गोल्ड मेडल जीतने की बधाई।
PM ने कहा- योगेश ने शानदार परफॉर्मेंस दिया। मैं खुश हूं कि वे सिल्वर जीतकर देश लौटेंगे। उनका सक्सेस कई दूसरे एथलीट्स को प्रेरित करेगा।
PM ने कहा- देवेंद्र झाझरिया ने शानदार प्रदर्शन किया। वे हमारे सबसे अनुभवी एथलीट हैं और उनका सिल्वर जीतकर लाना भारत के लिए गौरव का क्षण है।
PM ने कहा- सुदंर को ब्रॉन्ज जीतने पर बधाई। उन्होंने गजब की निष्ठा दिखाई है।
भाविनाबेन और निषाद ने भी मेडल जीते
इससे पहले भाविनाबेन पटेल ने विमेंस टेबल टेनिस की क्लास-4 कैटेगरी में सिल्वर जीता। वहीं मेंस T47 हाई जंप में निषाद कुमार ने 2.06 मीटर की जंप के साथ एक और सिल्वर भारत के नाम कर दिया।
Tokyo Paralympics: अवनि ने रचा इतिहास, शूटिंग में जीता गोल्ड, योगेश और देवेंद्र के हाथ लगी चांदी, सुंदर गुर्जर ने जीता कांस्य
भारत की अवनि लेखरा ने शूटिंग में गोल्ड मेडल जीत लिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में यह स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का यह पहला स्वर्ण पदक है। जबकि पुरुषों की डिस्कस थ्रो में योगेश कथुनिया ने रजत पदक अपने नाम किया। भाला फेंक स्पर्धा में देवेंद्र झाझरिया सिल्वर मेडल जीतने में सफल रहे। जबकि, सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक पर कब्जा किया।
टोक्यो पैरालंपिक में भारत की अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर स्पर्धा एसएच-1 में यह स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो पैरालंपिक में भारत का यह पहला स्वर्ण पदक है। पुरुषों की एफ-56 डिस्कस थ्रो स्पर्धा में भारत के योगेश कथुनिया ने रजत पदक जीता। जबकि पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में देवेंद्र झाझरिया रजत पदक जीतने में सफल रहे। वहीं सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक पर कब्जा किया। बीता पांचवां दिन भारत के लिए शानदार रहा और तीन भारतीय एथलीट पदक जीतने में सफल हुए।
पहली गोल्ड मेडल विजेता महिला अवनि की कहानी:एक्सीडेंट में दोनों पैर गंवाए, डिप्रेशन में चली गईं, फिर शूटिंग रेंज गईं तो दिलचस्पी जागी, पर पहली बार गन उठा तक नहीं पाईं थीं
जयपुर:राजस्थान की अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया। टोक्यो पैरालिंपिक में अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल में भारत को पहला गोल्ड दिलाया है। फाइनल में 249.6 पॉइंट हासिल कर उन्होंने यूक्रेन की इरिना शेटनिक के रिकॉर्ड की बराबरी की। शूटिंग में गोल्ड जीतने के साथ ही अवनि देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई, जिसने ओलिंपिक या पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीता हो।
जयपुर की रहने वाली अवनि ने 9 साल पहले कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। अवनि व्हीलचेयर पर हैं। उनके मेडल जीतते ही उनके पिता प्रवीण लेखरा ने भास्कर से बातचीत में बताया कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनकी बेटी ने गोल्ड जीत लिया है। मेडल की उम्मीद थी, मगर यह नहीं सोचा था कि गोल्ड आ जाएगा। शब्द नहीं हैं, कैसे बयान करूं।
अवनि के पिता रेवेन्यु अपील अधिकारी हैं, फिलहाल गंगानगर में पोस्टेड हैं। पिता ने बताया कि हमने टीवी पर ही मैच देखा, अब तक उससे बात नहीं हुई है, 2 बजे उससे बात होगी। पिता ने हमें बताई अवनि के संघर्ष की कहानी..
प्रवीण लेखरा ने कहा, “एक्सीडेंट के बाद बेटी पूरी तरह टूट चुकी थी। चुप रहने लग गई थी। किसी से बात नहीं करती थी, पूरी तरह डिप्रेशन में चली गई थी। इतनी कमजोर हो गई थी कि कुछ कर नहीं पाती थी। किस खेल में इसे इन्वॉल्व करूं यही सोचता रहता था, एथलेटिक्स में नहीं भेज सकते थे, क्योंकि जान नहीं बची थी। आर्चरी में कोशिश की, मगर प्रत्यंचा ही नहीं खींच पाई। इसके बाद शूटिंग में कोशिश की, पहली बार तो इससे गन तक नहीं उठी थी, मगर आज इसकी वजह से टोक्यो पैरालिंपिक के पोडियम पर राष्ट्रगान गूंजा।
एक्सीडेंट के बाद मन बहलाने के लिए इसे शूटिंग रेंज लेकर गया था। वहीं से इसमें इंट्रेस्ट डेवलप होने लगा और आज इस मुकाम पर है। काफी समय से अवनि मेहनत कर रही थी, जब तक थककर चूर नहीं हो जाती, रुकती नहीं थी। कोविड के दौरान जब शूटिंग रेंज बंद हो गई, तो उसकी जिद के कारण डिजिटल टारगेट घर लाकर लगाना पड़ा। उस दौर में टारगेट ढूंढने में काफी परेशानी आई। बड़ी मुश्किल से टारगेट ढूंढकर हम घर ला सके।”
लॉकडाउन में शूटिंग रेंज बंद हो गई तो अवनि के पिता ने उसकी जिद पर घर में ही डिजिटल टागरगेट लगवाया।
पिता का दर्द भी बाहर आया : पैरालिंपिक को लोग कॉम्पिटीशन नहीं मानते
पिता को दुख है कि बेटी ने मेडल तो जीत लिया, मगर इसे स्वीकारा नहीं जाता है। पैरालिंपिक के लिए कहते हैं कि वहां कॉम्पिटिशन नहीं होता है। अच्छा खेल लें तो कहते हैं बैठे-बैठे ही तो निशाना लगाना होता है। इसमें क्या खास है, कोई भी कर सकता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। इतनी विपरीत परिस्थितयों के बावजूद मेडल लाना गर्व की बात है।
पैरालिंपिक में महिलाओं का तीसरा मेडल, ओलिंपिक में अब तक 8
पैरालिंपिक इतिहास में भारत के लिए महिलाओं ने तीसरा मेडल जीता है,इससे पहले शॉटपुट में दीपा मलिक और इसी पैरालिंपिक में भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में मेडल जीता है। वहीं ओलिंपिक में महिलाओं ने भारत को अब तक 8 मेडल दिलाए हैं। इनमें पीवी सिंधु ने 2,जबकि कर्णम मल्लेश्वरी, साइन नेहवाल, मैरिकॉम, साक्षी मलिक, मीराबाई चानू, लवलीना भारत को मेडल दिला चुकी हैं। हालांकि कोई भी महिला आज तक भारत को गोल्ड नहीं दिला पाई।