मत: इतिहास बदल नहीं रहे, सुधार रहे हैं: बाल मुकुंद पाण्डेय

इतिहास बदल नहीं रहे, सुधार रहे हैं.. हम सही कर रहे हैं, RSS का इतिहास को चार कालखंडों में संकलित करने की तैयारी

Authored by पूनम पाण्डे |
RSS Affiliate History Wing: आरएसएस की हिस्ट्री विंग चार कालखंडों में इतिहास संकलित की तैयारी कर रहा है। संघ ने कहा कि वह इतिहास बदल नहीं रहे हैं बल्कि उसमें सुधार कर रहे हैं। संघ के संगठन सचिव बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि इतिहास को लेकर लगातार रिसर्च चलती रहती है।

हाइलाइट्स
1-संघ की हिस्ट्री विंग ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ कर रही है इस पर काम
2-वैदिक काल से लेकर 2014 तक इतिहास होगा
3-2024 तक पूरा करने का लक्ष्य, 2025 में हो रहे हैं संघ के 100 साल पूरे
4-चार काल खंडों में बंटा होगा भारत का इतिहास

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इतिहास को चार कालखंड में लिखेगा आरएसएस

नई दिल्ली 11 मई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की हिस्ट्री विंग ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण और उसी कालखंड के हिसाब से संकलित कर रही है। संघ पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वह इतिहास बदलने की कोशिश कर रहा है। इस आरोप का संघ प्रचारक और ‘अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना’ के संगठन सचिव बालमुकुंद पाण्डेय (Balmukund Pandey) ने जवाब दिया।

‘गलत को कर रहे सही’

संघ प्रचारक ने कहा कि इतिहास बदला नहीं जा सकता, इतिहास सुधारा जा सकता है। इतिहास में सतत रिसर्च की प्रक्रिया है। जो नई फाइंडिंग मिलती हैं वह उसमें जुड़नी चाहिए। जैसे अंग्रेजों ने कहा कि ईसा से चार हजार साल पहले कोई जीव नहीं था, कोई इतिहास नहीं था। लेकिन रातीगढ़ी खुदाई में 7200 ईसा पूर्व के अवशेष मिल गए। अंग्रेज परस्तों ने जब इतिहास लिखा तो भगत सिंह को आतंकवादी लिखा, आज के इतिहासकार भगत सिंह तो क्रांतिकारी लिखेंगे। तो इतना ही बदलाव होता है। उन्होंने कहा कि यह बदलने को अगर आप कहते हैं कि आरएसएस इतिहास बदल रहा है, तो हमें गर्व है कि हम गलत को सही कर रहे हैं।

चार कालखंडों में होगा भारत का इतिहास

बालमुकुंद ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहासकार जेम्स मिल (James Mill) ने भारत के इतिहास को तीन भागों में बांटा। हिंदू हिस्ट्री, मुस्लिम हिस्ट्री और ब्रिटिश हिस्ट्री। वहीं से भारत के इतिहास को बिगाड़ने का काम शुरू हुआ। हिंदू हिस्ट्री का काल वेद काल से लेकर 1206 तक है यानी दो हजार साल का इतिहास एक खंड में। 1206 से 1705 तक का एक खंड जिसे मुस्लिम हिस्ट्री कहा। इसके बाद 100 साल का अंग्रेजों के इतिहास को एक खंड में रखा गया। ईसाइयत हिस्ट्री को प्रमोट करने के लिहाज से यह बनाया गया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारतीय इतिहासकार चाहते थे कि भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से लिखा जाए। नेहरू जी ने भी कहा था कि कल का सूर्योदय नया इतिहास लेकर आएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

नेहरू ने इतिहास लिखने का काम कम्युनिस्टों को दे दिया

नेहरू ने इतिहास लिखने का सारा काम कम्युनिस्टों को दे दिया। बदलाव सिर्फ यही हुआ कि हिंदू हिस्ट्री को प्राचीन इतिहास कह दिया गया, मुस्लिम हिस्ट्री को मध्यकालीन इतिहास और ब्रिटिश हिस्ट्री को मॉडर्न हिस्ट्री कह दिया गया। वही ढर्रा आज भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम वैदिक काल के समय से 2014 तक का इतिहास लिख रहे हैं। हम वैदिक काल से शुरू कर हर्षवर्धन के काल तक ( 647 ईस्वी) पहला कालखंड रखेंगे। दूसरा कालखंड सम्राट हर्षवर्धन के अंत काल से 1760 ईसवी तक होगा, जब अंग्रेजों ने छल कपट से कोलकाता पर कब्जा कर लिया था। तीसरा काल पुनर्जागरण का काल 1760 ईस्वी से 1947 तक का होगा। यह भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का काल है। चौथा कालखंड 1947 से मौजूद वक्त तक होगा।

2024 तक तैयार कर लेने का लक्ष्य

बालमुकुंद ने कहा कि भारत के इतिहास लेखन में जो रेफरेंस हैं वही विकृत किए गए हैं। हम उसे पुष्ट करने के लिए लोकल हिस्ट्री, माइक्रो हिस्ट्री को आधार बनाएंगे। चाहे आर्कियोलॉजिकल रेफरेंस हो, मौखिक हो, ट्रेडिशनल हो। लोकपरंपराओं में कई कथाएं हैं। बहुत सारे हस्तलिखित ग्रंथ हैं। उन सबके आधार पर 2024 तक भारत का व्यापक इतिहास तैयार कर लेने का लक्ष्य है। 2025 में संघ की स्थापना को 100 साल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम भारत के मध्यकाल का इतिहास पढ़ते हैं तो वह केवल मुस्लिम हिस्ट्री होता है और दिल्ली केंद्रित होता है। हम उसका विस्तार करेंगे। अहोम राजाओं का बहुत बड़ा योगदान है। अगर अहोम नहीं होते तो साउथ ईस्ट एशिया के जो देश आज बौद्ध हैं वह इस्लामिक हो गए होते। राजा रणजीत सिंह के बारे में भी इतिहास में काफी कम है। हमारी कोशिश है कि ऐसा इतिहास सामने आए जो विकृत ना हो।

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