आईएएस कट्टर इफ्तखारूद्दीन के वीडियो हुए 77, गनर भी हमेशा मुसलमान

IAS इफ्तिखारुद्दीन केस: एसआईटी को धार्मिक कट्टरता के 77 वीडियो मिले, हो सकती है बड़ी कार्रवाई
सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन के विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एसआईटी ने जांच तेज कर दी है. एसआईटी को जांच में अब तक 77 वीडियो मिल चुके हैं, जिसमें धार्मिक कट्टरता के सबूत हैं
अमित गंजू

कानपुर 03 अक्टूबर. सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन (ias iftikharuddin) के विवादित वीडियो (controversial video) सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शासन और प्रशासन में हडकंप मच गया. धर्मांतरण वाले इस वीडियो को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसआईटी गठित की गई है. एसआईटी को 7 दिन के अंदर उसे अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी थी. इसी कड़ी में एसआईटी ने कानपुर में डेरा डाला है.
बताया गया है कि पहले वायरल वीडियो की संख्या 4 और 6 थी वहीं यह संख्या बढ़कर 77 हो गई. नौ ऐसे वीडियो मिले हैं जिसमें धार्मिक कट्टरता के सबूत मिले हैं. ऐसे में एसआईटी अब विधिक राय लेने का विचार कर रही है कि वरिष्ठ आईएएस के खिलाफ क्या आरोप बनेंगे.
मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन कानपुर मंडलायुक्त भी रहे हैं और जो वीडियो हो रहे हैं वह मंडलायुक्त आवास के बताए जा रहे हैं. शुक्रवार को बताया गया कि 50 से ज्यादा वीडियो अब तक मिल चुके हैं, लेकिन अचानक 27 और वीडियो क्लिपिंग मिलीं और इनकी संख्या बढ़कर अब 77 हो गई है. अधिकारियों के मुताबिक वीडियो की संख्या और बढ़ेगी. वीडियो में आईएएस अधिकारी मुस्लिम धर्म को अन्य धर्मों से बेहतर बता रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक पूर्व मंडलायुक्त के खिलाफ वीडियो पर्याप्त सबूत है, लेकिन आरोप और अपराध तय करने से पहले इस प्रकरण में विधिक राय भी ली जाएगी.

आवास बन गया था तकरीर स्थल, अपना साहित्य बांटने का बनाया जाता था दबाव, कई खुलासे

वरिष्ठ आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के वायरल वीडियो मामले की जांच कर रही एसआईटी ने शनिवार को मंडलायुक्त आवास पर तैनात चार और कर्मचारियों के बयान
दर्ज किए। सभी ने यही कहा कि यहां तैनाती के दौरान इफ्तिखारुद्दीन का आवास तकरीर स्थल बन गया था।
बयानों को एसआईटी ने जांच में शामिल कर लिया है। इसी तरह की तमाम अन्य बातें सामने आईं। रविवार को भी एसआईटी के अफसर तफ्तीश करेंगे। एसआईटी ने जिन चार कर्मचारियों के बयान दर्ज किए हैं, उनमें से एक ने बताया कि इफ्तिखारुद्दीन इस्लाम संबंधी साहित्य की किताबें बांटने की जिम्मेदारी उनको देते थे।

दफ्तर का कोई काम हो या न हो, किताबें बांटने की जिम्मेदारी जरूर निभानी पड़ती थी। एक कर्मचारी ने बताया कि एक बार इफ्तिखारुद्दीन ने कुछ किताबें एक अन्य कर्मचारी को बांटने के लिए दीं। बातचीत में उसने गंगा मां बोल दिया। इस पर उन्होंने उससे सभी किताबें छीन ली थीं।

उसके बाद जमकर फटकार लगाई और भगा दिया था। एसआईटी को जो वीडियो मिले हैं, उनको टीम देख रही है। उसमें से उस कंटेंट को अलग कर रही है, जिसको लेकर शक है कि वह आपराधिक कृत्य है। एक-एक कर सभी वीडियो की फॉरेंसिक जांच भी कराई जाएगी। दूसरी तरफ एक-एक कर वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें इस्लाम को सर्वेसर्वा बताया जा रहा है।

IAS मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन

सीनियर आईएएस अफसर मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्मांतरण को लेकर वायरल हो रहे वीडियो के बाद गठित एसआईटी की टीम ने कई अहम खुलासे किये हैं. एसआईटी की टीम कुछ दिन पहले ही वायरल वीडियो की जांच के लिए कानपुर आई पहुंची थी. जिसके बाद जांच करते हुए टीम को 60 से ज्यादा वीडियो मिले हैं जिसमें आईएएस तकरीर देते या सुनते नजर आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि सभी वीडियो मंडलायुक्त के पद पर रहते हुए उनके सरकारी आवास पर बनाए गए हैं.

एसआईटी की अगुवाई कर रहे सीबीसीआईडी के डीजी जीएल मीणा भी कानपुर में मौजूद हैं. संयोग से ये मीणा वही हैं जो इफ्तखारूद्दीन के मंडलायुक्त रहते कानपुर के एस एस पी थे। एसआईटी के कानपुर पहुंचने के बाद कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. जांच में सामने आया है कि चौबेपुर का रहने वाला मोहम्मद अशरफ आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के संपर्क में रहता था. मंडलायुक्त रहते हुए ही अशरफ उनके सरकारी आवास पर नमाज पढ़ाने जाता था. एसआईटी की टीम अशरफ से भी पूछताछ करने में जुट गई है. अशरफ ही आईएएस के आवास पर आने वाले नए-नए लोगों को इस्लाम का महत्त्व बताता था.


इसके अलावा एसआईटी की टीम मंडलायुक्त रहते हुए आईएएस अफसर के आवास पर रहने वाले दो कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है. दोनों कर्मचारियों ने बताया है कि आईएएस कलावा और तिलक लगाकर आने वाले लोगों पर भड़क जाया करते थे. कई बार दाड़ी न रखने वालों से भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की है. कानपुर के लोगों को अब यह भी ध्यान आ रहा है कि इफ्तखारूद्दीन ड्यूटी पर भी टखने से ऊपर का अलीगढी पाजामा न सही लेकिन टखने से ऊपर की पैंट जरूर पहना करते थे।

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