वायनाड भी हार गये राहुल गांधी तो..? अमेठी है ना!!!
राहुल गांधी को वायनाड से हराने में जुटा लेफ्ट, यहां क्यों बुरी तरह घिर गई है कांग्रेस
इस बार के लोकसभा चुनावों में सीपीआई ने शुरू से ही कांग्रेस को केरल में एंटी मुस्लिम बनाकर पेश किया है. राहुल गांधी की मुश्किल ये है कि इस बार भाजपा ने बहुत तगड़ा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. इस बार हिंदू और मुस्लि्म वोट दोनों बंट रहे हैं. यही कारण है कि एनी राजा की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है.
राहुल गांधी को एनी राजा दे रही हैं तगड़ी फाइट
नई दिल्ली,05 अप्रैल 2024। वायनाड का चुनावी गणित कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए एक सिक्योर सीट बनाता है. शायद यही कारण है कि इस बार के लोकसभा चुनावों में उन्होंने अमेठी को छोड़कर वायनाड पर भरोसा जताया. पर इंडिया गठबंधन में शामिल सीपीआई ने उनके खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार उतारकर राहुल के संसद पहुंचने के मार्ग में रोड़े बिछा दिए हैं. यही नहीं, भाजपा ने भी वायनाड के लिए दमदार प्रत्याशी उतारा है. सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा वायनाड से उम्मीदवार हैं, वे सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति सदस्य हैं. तो भाजपा के उम्मीदवार प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन हैं. मतलब साफ है कि दोनों ही पार्टियां वायनाड सीट निकालने को चुनाव लड़ रही हैं. वर्ना आमतौर पर मजबूत प्रत्याशियों के खिलाफ विरोधी पार्टियां ऐसे उम्मीदवार खड़ी करती है जो केवल नाम के होते हैं. वायनाड में राहुल गांधी का मुकाबला सिर्फ मजबूत उम्मीदवारों से ही नहीं है. सीपीआई ने उन्हें कई मोर्चे पर घेर लिया है.यही कारण है कि राहुल गांधी के लिए वायनाड भी इस बार मुश्किल लग रहा है.
1-सीपीआई का दमदार उम्मीदवार
आम तौर पर यह समझा जा रहा था कि इंडिया गठबंधन में शामिल होने के चलते सीपीआई वायनाड से किसी हल्के प्रत्याशी को खड़ा करेगी. पर सीपीआई ने जिस तरह एनी राजा जैसी वरिष्ठ नेता को वायनाड से टिकट दिया है उससे यह लग गया था कि इस बार पार्टी वायनाड जीतने के मूड में है. प्रदेश के मुख्यमंत्री और सीपीआई के सबसे बड़े नेता विजयन लगातार वायनाड भ्रमण कर रहे हैं. यही नहीं, वे लगातार कई विषयों पर राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमलावर हैं।
सीपीआई महासचिव डी राजा की पत्नी और पार्टी नेता एनी राजा फिलहाल भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) की महासचिव हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनी राजा कन्नूर के इरिट्टी निवासी हैं और उनका जन्म वामपंथी पृष्ठभूमि वाले ईसाई परिवार में हुआ था.
एनी राजा स्कूल के दिनों में ही सीपीआई ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन में सदस्य के रूप में जुड़ गई थीं. फिर वो 22 साल की उम्र में ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन में शामिल हुईं.
2-CAA पर राहुल की चुप्पी को लेफ्ट बना रहा मुद्दा
मुस्लिम समुदाय के समर्थन के बिना वायनाड जीतना असंभव है. शायद यही कारण है कि केरल की लेफ्ट सरकार के मुख्यमंत्री विजयन लगातार CAA को टारगेट कर रहे हैं. केरल की वामपंथी सरकार ने सीएए कानून को चुनौती देने को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है. इतना ही नहीं, सीपीआई ने संविधान संरक्षण समिति के बैनर पर 22 मार्च को कोझिकोड में एक रैली भी की. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन इस तरह की तमान रैलियां संबोधित कर रहे हैं. यही नहीं, केरल सरकार एक कदम और आगे बढ़ते हुए 2019 के सीएए विरोध प्रदर्शन के संबंध में दर्ज सभी मामलों को वापस लेने फैसला लिया है. जाहिर है कि सीएए लोकसभा चुनावों में मुद्दा बनाकर सीपीआई बड़े लाभ की तैयारी में है.
दिलचस्प बात यह है कि सीएए के खिलाफ विरोध का सीधा असर कांग्रेस पर पड़ रहा है, न कि भाजपा पर. यही कारण है कि कांग्रेस दुविधा में फंस गई है. क्योंकि अब तक केरल में वामपंथियों के बीच में हिंदू पार्टी का तमगा कांग्रेस के नाम रहा है. कांग्रेस को डर है कि सीएए के खिलाफ वामपंथियों के साथ जुड़ने से राज्य में उसके हिंदू वोट बैंक में सेंध लग सकती है. कांग्रेस को यह भी डर है कि वामपंथियों की तरह सीएए के खिलाफ मजबूत रुख नहीं अपनाने से मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव सीपीआई एम की ओर हो जाएगा।
राहुल और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए विजयन वायनाड में कहते हैं कि जब पांच साल पहले संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई थी तो केरल से असहमति की तेज़ आवाज़ केवल एलडीएफ की थी.क्या राहुल ने कुछ कहा? विजयन सवाल उठाते हैं कि इस संबंध में कांग्रेस और भाजपा के रुख में क्या अंतर है?
विजयन सीएए को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर हैं. वो कहते हैं कि विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के कुछ सप्ताह बाद केरल विधानसभा सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित करती है.क्या कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों पर शासन करते हुए ऐसा किया? विजयन पूछते हैं कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी सीएए पर चुप क्यों रहे?
3-मुस्लिम लीग के झंडे न दिखने पर कम्युनिस्ट पार्टी ने राहुल को घेरा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को वायनाड में नामांकन के दौरान रैली निकाली. उनकी रैली से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के झंडे नहीं दिखे. जिसे लेकर लेफ्ट और राइट दोनों ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. IUML केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले UDF गठबंधन का एक प्रमुख हिस्सा है.
राहुल गांधी के रोड शो के दौरान कांग्रेस और उसके सहयोगी आईयूएमएल के झंडे गायब रहे. हालांकि कांग्रेस के भी झंडे रोड शो में नजर नहीं आए. राजनीतिक पार्टियों के बजाय राहुल गांधी का रोड शो भारतीय झंडों और तिरंगे गुब्बारों से भरा रहा।
लेफ्ट ने इसे मुद्दा बना दिया है.भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस की इसके लिए आलोचना की है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस में मुस्लिम लीग के झंडों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की हिम्मत नहीं है. विजयन ने कहा कि कांग्रेस इस स्तर तक गिर गई है कि वह सांप्रदायिक ताकतों से डरती है. उन्होंने कहा कि झंडे के मुद्दे पर कांग्रेस का रुख दिखाता है कि वह आईयूएमएल के वोट तो चाहती है लेकिन उनके झंडे को स्वीकार नहीं करेगी.
भाजपा की स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की रैली में मुस्लिम लीग के झंडे छिपाए गए. यह दिखाता है कि या तो राहुल गांधी को मुस्लिम लीग से समर्थन मिलने पर शर्म आ रही है या जब वह उत्तर भारत के मंदिरों में जाएंगे तो वह मुस्लिम लीग के साथ अपने जुड़ाव को छिपा नहीं पाएंगे.
4-हिंदू वोटों के बंटने का खतरा
दरअसल केरल में जब तक भाजपा मजबूत नहीं थी तब तक हिंदू वोट कांग्रेस को मिलते रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनावों में सीपीआई ने शुरू से ही कांग्रेस को केरल में एंटी मुस्लिम बनाकर पेश किया है. यही कारण रहा कि सीपीआई ने सीएए और मुस्लिम लीग के झंडे को मुद्दा बना दिया. राहुल गांधी की मुश्किल ये है कि इस बार भाजपा ने बहुत तगड़ा उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. सुरेंद्रन केरल में कई बार चुनाव लड़ चुके हैं. पिछली बार मात्र कुछ वोटों से विधायक बनने से वंचित रह गए थे. अगर हिंदू वोट बंटते हैं और मुस्लिम वोट सीपीआई के साथ जाते हैं तो राहुल के हाथ से वायनाड भी निकल जाएगा।
5-जातिगत गणित किसके फेवर में
वायना़ड में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही करीब 40 से 45 प्रतिशत हैं. इंडिया स्टेट इलेक्शन के आंकड़ों के मुताबिक वायनाड लोकसभा सीट पर 40 % मुस्लिम वोटर हैं. वहीं, सीट पर 40 % हिंदू मतदाता हैं. 20 % वोटर ईसाई हैं. इस सीट पर एससी और एसटी मतदाताओं की संख्या क्रमश: 7 % और 9.3 % है. एनी राजा ईसाई हैं. अगर सीपीआई मुस्लिम अपने साथ लाने में सफल होती है तो राहुल गांधी का जादू यहां काम नहीं कर पाएगा. क्योंकि ईसाई और मुस्लिम वोट मिलकर कुल 60 से 65 % तक हो जाते हैं।
अमेठी का टिकट फाइनल करने से क्यों बच रही है कांग्रेस? वायनाड में वोटिंग का है इंतजार
गांधी परिवार का गढ़ रही अमेठी सीट से कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. रॉबर्ट वाड्रा ने भी अमेठी से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर दी है. ऐसे में अब यह सवाल भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस आखिर अपना गढ़ रहे अमेठी में टिकट फाइनल करने से क्यों बच रही है?
उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी से कांग्रेस किसे चुनाव मैदान में उतारेगी, इसे लेकर सस्पेंस के बीच पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का एक बयान आया है कि अमेठी की जनता मुझे अपने सांसद के रूप में देखना चाहती है. मौका मिला तो स्मृति ईरानी को चुनौती देने को तैयार है।
वाड्रा के इस बयान से अमेठी से कांग्रेस के टिकट को लेकर बहस जोर पकड़ गई है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि हम तो चाहते हैं कि अमेठी से राहुल गांधी ही चुनाव लड़ें. वाड्रा की दावेदारी और राहुल की उम्मीदवारी पर सस्पेंस के बीच सवाल यह भी उठ रहे हैं कि अमेठी का टिकट फाइनल करने से कांग्रेस क्यों बच रही है?
अमेठी पर निर्णय से क्यों बच रही कांग्रेस?
रॉबर्ट वाड्रा के बयान ने भी चर्चा की दिशा बदल दी है. अब चर्चा यह शुरू हो गई है कि क्या राहुल की सीट से कांग्रेस इस बार वाड्रा को उतारने के मूड में है? दरअसल, राहुल गांधी 2019 के चुनाव में अमेठी सीट से हार गए थे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की स्मृति ईरानी ने अमेठी में राहुल गांधी को हरा दिया था. राहुल तब केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव मैदान में थे. राहुल वायनाड से जीतने में सफल रहे थे. राहुल गांधी इस बार भी वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जहां इस बार उनका मुकाबला भाजपा उम्मीदवार के सुरेंद्रन और लेफ्ट की एनी राजा से है।
वायनाड में लेफ्ट पार्टियां जमीन पर यह नैरेटिव सेट करने की कोशिश में हैं कि राहुल गांधी अमेठी से भी चुनाव लड़ेंगे और अगर वह वहां से जीत गए तो वायनाड सीट खाली कर देंगे. वायनाड में वोटिंग से पहले कांग्रेस ने अमेठी से राहुल गांधी के उतरने का ऐलान कर दिया तो हो सकता है कि लेफ्ट यह नैरेटिव सेट करने की रणनीति में सफल हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो वायनाड सीट से राहुल गांधी के जीतने की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है. वायनाड सीट पर वोटिंग तक कांग्रेस की रणनीति अमेठी सीट को लेकर सस्पेंस बनाए रखने की हो सकती है.
रॉबर्ट वाड्रा के बयान से कांग्रेस को क्या फायदा?
रॉबर्ट वाड्रा को कांग्रेस कहीं से टिकट दे या न दे, लेकिन अमेठी को लेकर उनके बयान पर शुरू हुई बहस से कांग्रेस को दो फायदे हैं. अमेठी से राहुल गांधी लड़ेंगे, बहस इससे हटकर अब वाड्रा पर शिफ्ट हो गई है. इससे अमेठी से उम्मीदवारी के दावे कर वायनाड में राहुल को घेरने की विपक्षी रणनीति कुंद होगी. इसका उत्तर प्रदेश में यह संदेश जाएगा कि अमेठी सीट से गांधी परिवार मैदान नहीं छोड़ रहा. अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य ही चुनाव मैदान में उतरेगा या फिर किसी रिश्तेदार को टिकट दिया जाएगा.
अमेठी से चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी?
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और दूसरे नेता भी अमेठी सीट से राहुल गांधी के ही चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. कहा यह भी जा रहा है कि अमेठी सीट से राहुल गांधी को उतारना कांग्रेस के लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी. अगर राहुल अमेठी छोड़ते हैं तो इससे उत्तर प्रदेश के साथ ही आसपास के दूसरे राज्यों में भी नकारात्मक संदेश जाएगा. ऐसे में हो सकता है कि वायनाड में मतदान के बाद कांग्रेस अमेठी सीट से राहुल गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान कर दे.
वायनाड सीट पर 26 अप्रैल को दूसरे चरण में वोटिंग होनी है जबकि अमेठी में मतदान पांचवे चरण में होगा. पांचवे चरण की सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया 26 अप्रैल से शुरू होकर 3 मई तक चलेगी. ऐसे में कांग्रेस अमेठी से टिकट फाइनल करने में किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहती.
अमेठी में 20 मई को मतदान
अमेठी सीट से नामांकन की प्रक्रिया 26 अप्रैल से 3 मई तक चलेगी. नामांकन पत्रों की जांच 4 मई को होगी और नामांकन पत्र वापस लेने के लिए अंतिम तारीख 6 मई है. अमेठी में लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में 20 मई को वोटिंग होनी है. चुनाव नतीजों का ऐलान 4 जून को होगा.
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