तकनीक और समाज की जटिलतायें सिखा रहा है आईआईटी मंडी का आईएसटीपी अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम

आईआईटी मंडी का आईएसटीपी कार्यक्रम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को तकनीक और समाज की जटिलताओं से करा रहा रूबरू

• कार्यक्रम के अंतर्गत यूएसए के वॉर्सेस्टर पॉलिटेक्निक संस्थान के 18 छात्रों की भी हो रही मेजबानी
• आइएसटीपी के माध्यम से संस्थान की आंतरिक विषयक शैक्षिक संस्कृति को किया जा रहा प्रोत्साहित •कार्यक्रम के द्वारा विभिन्न सामाजिक समस्याओं की हो रही खोज और नवाचार एवं डिजाइन के माध्यम से समाधान प्रस्तुत करने का हो रहा प्रयास

देहरादून, 2 मई 2023: छात्रों को उनके आसपास और समाज की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाने और समाधान प्रदाता बनकर उभरने के साथ उनके अन्दर जिम्मेदारी की भावना विकसित करने के उद्देश्य से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी एक सेमेस्टर का इंटरएक्टिव सोशियो-टेक्निकल प्रैक्टिकम (आईएसटीपी) कोर्स संचालित कर रहा है। यह कोर्स बी.टेक तृतीय वर्ष के डिजाइन और इनोवेशन स्ट्रीम के छात्रों के लिए चलाया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम छात्रों के बीच आंतरिक विषयक शैक्षिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आईएसटीपी पाठ्यक्रम के अंतर्गत इस साल मार्च से मई के बीच संस्थान द्वारा सोशियो टेक्निकल प्रैक्टिकम (आईएसटीपी) के लिए कैंपस में यूएसए के वॉर्सेस्टर पॉलिटेक्निक संस्थान के 18 छात्रों की भी मेजबानी हो रही है जिसमें यूएसए से 5 महिला और 13 पुरुष छात्र शामिल हैं।
इन छात्रों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षा प्राप्त की हुयी है और इनमें से अधिकतर ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, रसायन विज्ञान और रोबोटिक्स जैसे विषयों में शिक्षा हासिल की है। यह कोर्स उनको स्नातक के तृतीय वर्ष में अनिवार्य रूप से करना होता है, जिसके दौरान उनको समुदाय आधारित प्रोजेक्ट पर काम करना होता है और इस दौरान उनको समुदाय के हितधारकों के साथ सीधे जुड़ने का मौका मिलता है साथ ही इस दौरान पर्यावरण, प्रौद्योगिकी और समाज के बीच संबंधों की जांच भी करनी होती है।

आईआईटी मंडी की आईएसटीपी समन्वयक डॉ. राजेश्वरी दत्त ने इस कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा, “आज की वास्तविक जरुरत यह है कि इंजीनियर समाज की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए समाधान तैयार करें। आईएसटीपी कोर्स समुदाय और प्रौद्योगिकी के संगम पर आधारित प्रोजेक्ट पर जोर देता है ताकि हमारे छात्र स्थानीय समुदायों की आवश्यकताओं को जल्द से जल्द पहचान कर उनके लिए नवाचारी समाधान खोज सकें और एक दुरस्थ समाज की दिशा में काम कर सकें। इसलिए यह एक प्रोजेक्ट आधारित पाठ्यक्रम है जिसमें समाज पर वास्तविक और दीर्घकालिक प्रभाव डालने की क्षमता होती है।“

इस कार्यक्रम की विशेषता के बारे में बात करते हुए डब्ल्यूपीआई के प्रभारी फैकल्टी डॉक्टर शॉकी ने कहा, “यह कार्यक्रम छात्रों को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि समुदाय के लोगों को हिमालयी क्षेत्रों में उनके स्वयं के जीवन के अनुभवों के आधार पर एक विशेषज्ञ के रूप में देखा जाए। यह एसटीईएम छात्रों के लिए एक अनूठा अवसर है कि वह जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, कृषि प्रथाओं आदि जैसे मुद्दों के बारे में स्थानीय हितधारकों से सीखें और उसके महत्त्व को समझ सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों, वैज्ञानिकों और समुदायों और संस्थानों के बीच विचारों का आदान-प्रदान आसानी से होता है।“

इस कोर्स की सभी परियोजनाएं वास्तविक दुनिया की समस्याओं पर आधारित होती हैं और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं। 2013 के बाद से लगभग 160 छात्र डब्ल्यूपीआई से आईआईटी मंडी आए हैं जिसमें से कोविड अवधि को छोड़कर प्रत्येक वसंत में लगभग 20 छात्र आते हैं।

आईएसटीपी के माध्यम से यह छात्र समाज के विभिन्न मुद्दों/चुनौतियों का पता लगाने का कार्य करते हैं और समस्याओं के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों को खोजने का प्रयास करते हैं साथ ही सामाजिक, तकनीकी, आर्थिक, पर्यावरण और अन्य पहलुओं से प्रस्तावित समाधानों का मूल्यांकन करते हैं। साथ ही जब भी आवश्यक और संभव हो तो समाधान के लागू कराने के लिए स्थानीय प्रशासन, क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों आदि से मदद भी मांगी जा सकती है।

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