आईआईटी रुड़की छात्राओं को शकुंतला फेलोशिप से पीएचडी में देगा सीधा प्रवेश
आईआईटी रुड़की छात्राओं को शकुंतला फैलोशिप में फुल टाइम पीएचडी प्रोग्राम में देगा डायरेक्ट प्रवेश
रुड़की,21 अप्रैल, 2022: शकुंतला (स्कीम फॉर एस्पीरेंट्स ऑफ नॉलेज अंडर टैलेंट एडवांसमेंट) फैलोशिप भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) की सीनेट द्वारा अनुमोदित संस्थान की एक अनूठी योजना है। शकुंतला फैलोशिप इंजीनियरिंग छात्राओं को आईआईटी रुड़की में उच्च शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए की गई पहल है। इस कार्यक्रम के तहत छात्राओं को अपने चुने हुए क्षेत्र में प्रतिभा को निखारने और कैंपस में शोध कार्य में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इस फेलोशिप कार्यक्रम के माध्यम से, केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों (सीएफटीआई) की छात्राएं जो अभी इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम कर रही हैं, या पहले ही कर चुकी हैं, वे आईआईटी रुड़की के पीचएडी प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकती हैं। यह पोग्राम 2022 के पहले एडमिशन साइकल (ऑटम सेमेस्टर ) से शुरू होगा।
इस फेलोशिप में प्रवेश लेने वाले छात्राओं को संस्थान से रेगुलर एसीस्टेंटशीप स्कीम में पीएचडी करने वाले छात्रों के समान फेलोशिप राशि और अन्य सुविधा प्रदान की जाएगी।
30 नवंबर, 2021 को आयोजित संस्थान अनुसंधान समिति की 52वीं बैठक में फेलोशिप योजना का प्रस्ताव रखा गया था जिसे 9 दिसंबर, 2021 को संस्थान की 89वीं सीनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था। इस योजना में किसी भी सीएफटीआई से बी.टेक./बी.ई./बी.ऑर्क./बी.डीजाइन की डिग्री न्यूनतम 8.5 सीजीपीए(क्यूमिलेटिव ग्रेड प्वाइंट एवरेज) स्कोर या आईओ प्वाइंट स्केल पर इससे ज्यादा अंक वाली छात्रा को पीएचडी प्रोग्राम डायरेक्ट एडमिशन के लिए पात्र होंगी।
शकुंतला योजना के तहत उच्च शिक्षा के उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी छूट यह है कि उम्मीदवारों को पीएचडी प्रोग्राम में आवेदन करने के लिए गेट/सीड/राष्ट्रीय स्तर के परीक्षा स्कोर की आवश्यकता नहीं है। प्रवेश के लिए चयन संबंधित विभागों या अन्य शैक्षणिक इकाइयों द्वारा साक्षात्कार के माध्यम से किया जाएगा। संस्थान ने सीटों की संख्या में बिना किसी प्रतिबंध के पात्र उम्मीदवारों के प्रवेश की भी अनुमति दी है।
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इस पहल को संस्थान में छात्राओं की संख्या बढ़ाने के अपने निरंतर प्रयासों में महत्वपूर्ण परिणामों में से एक माना गया है। वर्तमान में, संस्थान के इंजीनियरिंग विषयों में छात्राओं की संख्या विज्ञान या प्रबंधन विषयों की तुलना में कम है। अकादमिक बिरादरी इस योजना की सराहना करते हुए कहती है कि नई पहल लिंग अनुपात में असमानता को कम करने में योगदान देगी। संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने हाल ही में हुई अपनी बैठक में इस योजना को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को ध्यान में रखकर उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक कहा।
इस पहल के बारे में बात करते हुए, आईआईटी रुड़की के अकादमिक मामलों के डीन, प्रोफेसर अपूर्भा कुमार शर्मा ने कहा, “महिलाओं के इंजीनियरिंग करियर को आगे बढ़ाने के लिए आईआईटी रुड़की द्वारा दी जाने वाली शकुंतला फैलोशिप भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में महत्वाकांक्षी व अनूठी पहल है। इस पहल से CFTI की कई योग्य और प्रतिभाशाली महिला स्नातकों को लाभ होगा जो GATE/CEED आदि में उपस्थित नहीं हो पाईं थी। इस तरह की फेलोशिप संस्थान को जेंडर गैप को कम करने में मदद मिलेगी।”
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि, “आईटी रुड़की ने इंजीनियरिंग विभागों में महिला शोधार्थियों की संख्या में सुधार के लिए यह पहल की है। हम उम्मीद करते हैं कि इसके व्यापक प्रभाव नजर आएंगे, इसके साथ ही हमें उम्मीद है कि कई अन्य संस्थान इंजीनियरिंग में जेंडर गैप को कम करने के लिए इस योजना का पालन करेंगे।###
छात्राओं की कमी को पूरा करने के लिए ये पहल महत्वपूर्ण है. प्रतिभावान छात्राओं के लिए नए सत्र से शकुंतला फेलोशिप के जरिये मात्र इंटरव्यू पास करना होगा और आसानी से एडमिशन प्राप्त कर सकेंगी.
शकुंतला फेलोशिप नामक इस पहल के चलते छात्राओं को सिर्फ इंटरव्यू पास करने के बाद एडमिशन मिल सकेगा. छात्राओं की कमी को पूरा करने के लिए ये पहल महत्वपूर्ण है. प्रतिभावान छात्राओं के लिए नए सत्र से शकुंतला फेलोशिप के जरिये मात्र इंटरव्यू पास करना होगा और आसानी से एडमिशन प्राप्त कर सकेंगी.
जानकारी के मुताबिक, आईआईटी रुड़की ने इंजीनियरिंग और शोध कार्यों में प्रतिभावान छात्राओं को आगे बढ़ाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है. जिसमें संस्थान नए सत्र से छात्राओं के लिए शकुंतला फेलोशिप शुरू करने जा रहा है. इस फेलोशिप के माध्यम से छात्राएं इंजीनियरिंग में स्नातक योग्यता परीक्षा (Graduate Aptitude Test in Engineering-GATE) पास किये बगैर भी आईआईटी रुड़की में पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन ले सकेंगी.
संस्थान की सीनेट ने इस निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है. वहीं, गेट परीक्षा पास करके आने वाले विद्यार्थियों की भांति ही शकुंतला फेलोशिप के माध्यम से दाखिला (Admission through Shakuntala Fellowship) लेने वाली छात्राओं को भी सभी सुविधाएं प्राप्त होंगी. दरअसल, आईआईटी रुड़की में पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में काफी अंतर है.
बता दें कि, मौजूदा समय में संस्थान में इंजीनियरिंग कोर्स में जहां पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या 1,237 है, तो वहीं छात्राओं की संख्या मात्र 436 है. जबकि गैर इंजीनियरिंग कोर्सेज में पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या 615 और छात्राओं की संख्या 401 है. ऐसे में पीएचडी के छात्र-छात्राओं के बीच के इस अंतर को कम करने को आईआईटी रुड़की पीएचडी में दाखिला लेने की इच्छुक प्रतिभावान छात्राओं को इस सत्र से शकुंतला फेलोशिप शुरू कर रहा है.