आईएमए दीक्षांत परेड: अंतरिक्ष और इंटरनेट भी युद्ध के मैदान:जन.डिमरी
IMA POP 2022 Along With Sea Land Sky Now Space Is Also A Battlefield Officers Were Warned समंदर, जमीन, आसमान के साथ अब अंतरिक्ष भी है युद्ध का मैदान, अफसरों को किया गया आगाह
देहरादून 10 दिसंबर। मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने युवा अफसरों को आगाह किया। कहा कि कंप्यूटर पर आभासी युद्ध भी पारंपरिक लड़ाई से कम घातक नहीं है। हर क्षेत्र में पारंगत होकर सभी चुनौतियों से पार पाना होगा।
जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी सलामी लेते हुए
समंदर, जमीन और आसमान के साथ अब अंतरिक्ष भी युद्ध का मैदान है। कंप्यूटर पर आभासी युद्ध पारंपरिक लड़ाई से काफी घातक साबित हो सकता है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, एज कंप्यूटिंग का दौर है। पूरी दुनिया में युद्ध की प्रकृति बदल रही है और समय चुनौतीपूर्ण है। लिहाजा हर क्षेत्र में पारंगत होकर सभी चुनौतियों से पार पाना होगा।
सेना की मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने आईएमए की पासिंग आउट परेड में युवा सैन्य अफसरों को आगाह करते हुए ये बातें कहीं। जनरल डिमरी ने कहा कि अफसर गैर परंपरागत युद्ध के लिए भी तैयार रहें।
याद रहे कि भविष्य का युद्ध क्षेत्र चाहे कितना भी विकसित क्यों न हो, प्रभावी नेतृत्व के लिए व्यक्तिगत क्षमताएं और गुण ही महत्वपूर्ण होते हैं। युवा अफसरों को हर क्षेत्र में पारंगत होकर सामने खड़ी हर चुनौती से पार पाना होगा। उन्होंने कहा कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती है।
वैश्विक स्तर पर भारतीय सेना की अलग पहचान है। इस परंपरा को बनाए रखने की जिम्मेदारी युवा अफसरों की है। कैडेट से सैन्य अधिकारी बने नौजवानों से उन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ देश सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने विदेशी कैडेट्स को प्रशिक्षण पूरा करने पर बधाई दी।
उन्होंने कहा कि यहां उन्होंने न केवल जीवनभर के लिए दोस्त बनाए हैं बल्कि अपने देश का भी अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व किया। आईएमए में विकसित एकजुटता का यह भाव दुनिया के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और उनसे निपटने में कारगर होगा।
IMA POP 2022: सेना को आज मिले 314 युवा अफसर, 11 देशों के 30 कैडेट्स भी अपने देश की सेनाओं का बने हिस्सा
भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड (पीओपी) की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को मल्टी एक्टिविटी डिस्प्ले शो का आयोजन किया गया। इसमें पीओपी के रिव्यू ऑफिसर सेंट्रल कमांड के जीओसी इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी समेत अन्य सैन्य अफसरों ने शिरकत की। जबकि आज शनिवार को 314 कैडेट्स पासआउट होकर देश की सेना में अफसर बने।
आईएमए पासिंग आउट परेड 2022
भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से 314 कैडेट्स पासआउट होकर आज देश की सेना में अफसर बन गए। शनिवार को सुबह नौ बजे बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर सेंट्रल कमांड के जीओसी इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी पासिंग आउट परेड की सलामी ली।
शनिवार सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर मार्कर्स काल के साथ परेड शुरू हुई। भारत माता तेरी कसम तेरे रक्षक बनेंगे हम, आईएमए गीत पर कदमताल करते जेंटलमैन कैडेट ड्रिल स्क्वायर पर पहुंचे तो लगा कि विशाल सागर उमड़ आया है। एक साथ उठते कदम और गर्व से तने सीने दर्शक दीर्घा में बैठे हर एक नागरिक के भीतर ऊर्जा का संचार कर रहे थे। परेड के बाद निजाम पवेलियन में आयोजित पीपिंग व ओथ सेरेमनी में भाग लेने के बाद सभी जेंटलमैन कैडेट सेना में अफसर बन गए हैं।
इन्हें मिला अवार्ड
स्वार्ड आफ आनर- पवन कुमार
स्वर्ण पदक – पवन कुमार
रजत पदक- जगजीत सिंह
रजत पदक टीजीसी – अभिषेक शर्मा
कांस्य पदक – प्रापु लिखित
चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर- जोजिला कंपनी
IMA POP 2022: मां भारती की सेवा में सबसे अधिक जांबाज देने में उत्तराखंड का नाम, इस बार 29 वीर हुए शामिल
अपना सर्वस्व न्योछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है।
पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हो जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की संख्या अधिक न हो। आइएमए से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होने वाले जेंटलमैन कैडेट की संख्या भी इस सच्चाई को बयां करती है।
बात जब भी देश की सीमाओं की सुरक्षा की हो है तो इसमें उत्तराखंड का नाम सबसे पहले आता है।
मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करना देवभूमि की पुरानी परंपरा रही है। सेना में सिपाही हो या फिर अधिकारी, उत्तराखंड का दबदबा कायम है।
भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर पास आउट होने वाले जेंटलमैन कैडेट की संख्या भी इस सच्चाई को बयां करती है। जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड देश को सबसे अधिक जांबाज देने वाले राज्यों में शुमार है। दशकों पूर्व से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है।
उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा
इस बात में भी कोई अतिश्योक्ति नहीं कि उत्तराखंडी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है। सैन्य अकादमी में साल में दो बार यानी जून और दिसंबर में आयोजित होने वाली पासिंग आउट परेड में इसकी झलक देखने को मिलती है।
पिछले एक दशक के दौरान शायद ही ऐसी कोई पासिंग आउट परेड हो, जिसमें कदमताल करने वाले युवाओं में उत्तराखंडियों की संख्या अधिक न रही हो।
यहां यह बात गौर करने वाली है कि राज्य की आबादी देश की कुल आबादी का महज 0.84 प्रतिशत है। यदि इसकी तुलना सैन्य अकादमी से शनिवार को पासआउट होने वाले 314 भारतीय कैडेटों से करें तो इसमें राज्य के सहयोग का स्तर 29 कैडेटों के साथ नौ प्रतिशत है। इस मुकाबले अधिक जनसंख्या वाले राज्य भी उत्तराखंड के सामने कहीं ठहरते नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या सबसे अधिक 51
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कैडेटों की संख्या भले ही सबसे अधिक 51 है, मगर इसकी तुलना वहां की आबादी के हिसाब से करें तो भारतीय सेना को जांबाज देने में अपना उत्तराखंड ही अव्वल नजर आता है, क्योंकि उप्र की आबादी का प्रतिशत देश की कुल आबादी का 16 प्रतिशत है, जो उत्तराखंड से कई गुणा अधिक है। बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र जैसे राज्य भी संख्या बल (पासिंग आउट कैडेट) में उत्तराखंड से पीछे हैं
प्रधानमंत्री के गृह राज्य से पांच कैडेट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात से सेना को इस बार पांच युवा अफसर मिलेंगे। अकादमी में इससे पहले हुई पीओपी के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात से बहुत कम संख्या में ही युवा फौज ज्वाइन करते हैं
पिछले दो साल से तो गुजरात का खाता तक नहीं खुल रहा था। पर इस बार यह सूखा टूट गया है। गोवा, मेघालय, सिक्किम, पुडु्चेरी व अंडमान निकोबार ऐसे राज्य हैं जहां से इस बार कोई कैडेट पास आउट नहीं हो रहा है।
किस राज्य से कितने कैडेट
राज्य-कैडेट
उत्तर प्रदेश-51
हरियाणा-30
उत्तराखंड-29
बिहार-24
महाराष्ट्र-21
पंजाब-21
हिमाचल प्रदेश-17
राजस्थान-16
मध्य प्रदेश-15
दिल्ली-13
केरल-10
कर्नाटक-09
जम्मू-कश्मीर-09
बंगाल- 08
तमिलनाड-ु07
गुजरात-05
छत्तीसगढ़-04
आंध्र प्रदेश-04
असम-04
मिजोरम-03
चंडीगढ़-02
तेलंगाना-02
छत्तीसगढ़-02
झारखंड-02
मणिपुर-02
उड़ीसा-01
अरुणाचल-01
लद्दाख-01
त्रिपुरा-01
नगालैंड -01
नेपाली मूल के भारतीय कैडेट-01