IMA अध्यक्ष का काला सच, हिंदू-मोदी-भाजपा-आयुर्वेद विरोध,आल इन वन
IMA प्रमुख डॉ. जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल: हिंदुओं को ईसाई बनाने की चाहत, PM मोदी से है सख्त नफरत, जानें उनका ‘काला चिट्ठा’
Akshita Bhadauria | 26 May, 2021
आईएमए प्रमुख डॉक्टर जयलाल
IMA प्रमुख डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल: हिंदुओं को ईसाई बनाने की चाहत, PM मोदी से है सख्त नफरत
पत्र पर पत्र जारी करने के बाद डॉक्टर जॉनरोज ऑस्टिन जयलाल की अध्यक्षता में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने योग गुरु बाबा रामदेव पर एक और तीखा हमला किया, जिसमें एलोपैथी को खारिज करने वाले उनके बयानों पर 1000 करोड़ रुपए का मानहानि का मामला दर्ज किया गया है। बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, स्वास्थ्य कर्मियों की देश की सबसे बड़ी प्रोफेशनल काउंसिल है।
बाबा रामदेव द्वारा आईएमए पर 25 सवाल दागे जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। हालाँकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह पहली बार नहीं है जब बाबा रामदेव आईएमए, विशेष रूप से उनके प्रमुख डॉक्टर जयलाल के निशाने पर आए हैं। डॉक्टर जयलाल न केवल रामदेव की आलोचना कर रहे हैं, बल्कि आदतन आयुर्वेद और भाजपा से नफरत करने वाले भी हैं।
उनके सोशल मीडिया पर एक नजर
लोगों को लगता होगा कि चिकित्सा संगठन का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर का सोशल मीडिया प्रोफाइल उपचार, इलाज और चिकित्सा प्रगति को लेकर भरा होगा, लेकिन डॉ. जयलाल की ट्विटर प्रोफाइल देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा।
जयलाल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए अपनी विचारधारा और मंशा को उजागर करने वाली खबरें (कुछ तो फेक भी), कार्टून और हैशटैग साझा करते रहते हैं।
Image Source: Twitter
जैसा कि देखा जा सकता है कि डॉक्टर जयलाल पीएम पर कटाक्ष करने के लिए अक्सर मोदी विरोधी पोस्ट और कार्टून साझा करते हैं। IMA के प्रमुख के रूप में, उन्होंने अपने राजनीतिक झुकाव को साफ तौर पर स्पष्ट किया है। अब यहाँ सवाल उठता है कि क्या उनका बयान उनके विचारधारा को नहीं दर्शाता है?
Image Source: Twitter
ईसाई डॉक्टर सक्रिय और आक्रामक रूप से बाबा रामदेव और उनकी कंपनी को महामारी की शुरुआत के बाद से परेशान कर रहे हैं। उनको ‘झोलाछाप डॉक्टर’ कहने से लेकर आयुर्वेद को पूरी तरह बदनाम करने तक डॉक्टर जयलाल काफी समय से इस काम पर लगे हुए हैं।
Image Source: Twitter
उन्होंने आयुष मंत्रालय पर भी लगातार हमले किए हैं और उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले केंद्र के खिलाफ विरोध अभियान शुरू किया था। इसे ‘SayNoToMixopathy’ अभियान कहते हुए, उन्होंने महामारी के बीच नए नियम की आड़ में आयुर्वेद की निंदा करने वाले साक्षात्कार, व्याख्यान और सेमिनार देने में महीनों बिताए।
Image Source: Twitter
आईएमए के डॉक्टरों ने नई अधिसूचना के विरोध में भूख हड़ताल की और ‘मीम एवं पोस्टर’ प्रतियोगिता भी आयोजित की, जिसमें विरोध को हवा देने के लिए विजेताओं को ‘उपहार’ बाँटे गए। डॉ. जयलाल द्वारा साझा किए गए एक स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि कैसे इसे कृषि विधेयक बनाने की योजना बनाई जा रही थी क्योंकि ‘इस भूख हड़ताल से कुछ नहीं हो सकता था।’ जयलाल ने सरकार की आलोचना के लिए किसानों के विरोध को भी समर्थन दिया।
Image Source: Twitter
उनके अन्य रीट्वीट भी इसी तरह की मानसिकता दर्शाते हैं।
Image Source: Twitter
पारिवारिक चिकित्सा को बढ़ावा देना चाहते हैं डॉ. जयलाल
इससे ज्यादा विडंबना कुछ भी नहीं हो सकती है कि वह एक ‘समग्र चिकित्सा’ पद्धति को बढ़ावा देकर एक ‘समग्र चिकित्सा उपचार’ का विरोध करना चाहते हैं। डॉ.जयलाल ने क्रिश्चियनिटी टुडे के साथ अपने साक्षात्कार में बिल्कुल चौंकाने वाले और विचित्र बयान दिए, जब उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को और अधिक ईसाई डॉक्टरों को लगाने की अपनी योजना के बारे में बात की।
इस इंटरव्यू में डॉक्टर जयलाल द्वारा की गई कुछ चौंकाने वाली टिप्पणियों में शामिल हैं:
‘वास्तविक विज्ञान’ की वकालत करने के लिए एक अभियान चलाने वाले डॉक्टर ने कहा, “यह केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा है जो हमें संकट से उबरने और सुरक्षित रहने में मदद करती है और यह उनकी कृपा थी जिसने हमारी रक्षा की।”
उन्होंने क्रिश्चियनिटी टुडे को बताया, “मैं देख सकता हूँ, उत्पीड़न के बीच, कठिनाइयों के बीच, यहाँ तक कि सरकार के नियंत्रण के बीच, खुले तौर पर अपने संदेश की घोषणा करने में हमारे सामने आने वाले प्रतिबंधों के बीच भी ईसाई धर्म बढ़ रहा है।” क्रिश्चियनिटी टुडे ने बाद में इस हिस्से को एडिट किया।
आयुर्वेद के लिए तिरस्कार
जयलाल ने कहा कि सरकार आयुर्वेद में आस्था रखती है क्योंकि उसका सांस्कृतिक मूल्य और हिंदुत्व में पारंपरिक विश्वास है। डॉक्टर जयलाल ने कहा, “भारत सरकार, हिंदुत्व में अपने सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक विश्वास के कारण, आयुर्वेद नामक एक प्रणाली में विश्वास करती है। पिछले तीन-चार सालों से उन्होंने आधुनिक चिकित्सा को इससे बदलने की कोशिश की है। अब 2030 से आपको आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ इसका अध्ययन करना होगा।”
जयलाल का तर्क है कि संस्कृत भाषा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से सरकार हिंदुत्व की भाषा को लोगों के दिमाग में लाना चाहती है। डॉ. जयलाल ने क्रिश्चियनिटी टुडे को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, “यह (आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग आदि) भी संस्कृत भाषा पर आधारित है, जो हमेशा पारंपरिक रूप से हिंदू सिद्धांतों पर आधारित होती है। यह सरकार के लिए लोगों के मन में संस्कृत की भाषा और हिंदुत्व की भाषा को पेश करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है।”
भारत को ‘गॉड’ द्वारा महामारी से बचाने का दावा :
उन्होंने दावा किया, “मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि ‘गॉड’ अमेरिका से विचलित हो गए होंगे और अब वह भारत पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वह भारत में हम पर कुछ कृपा कर रहे हैं (हँसते हुए)। इसलिए हम यह संदेश देना चाहते हैं कि यह गॉड की कृपा है और यह हमारी शक्ति से नहीं, बल्कि गॉड की कृपा से अच्छी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की वजह से हमें वह सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।”
IMA प्रमुख का लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों को ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए तैयार करना है :
डॉक्टर जयलाल ने खुलासा किया था, “इस लॉकडाउन के बाद, भगवान की कृपा, अधिक से अधिक लोगों को चर्च में उनके लिए आशीर्वाद के स्थान के रूप में देखने के लिए प्रेरित करे… भारतीय ईसाई सर्वशक्तिमान ईश्वर की भलाई के संदेश और अपने जीवन में मोक्ष की आशा में भरोसा कर सकते हैं।”
एक इंटरव्यू में, जब पूछा गया कि ईसाई समुदाय का हिंदू राष्ट्रवादियों के साथ क्या संबंध है, तो डॉ. जयलाल ने सुझाव दिया कि हिंदुओं को यीशु और मुहम्मद को अपने भगवान के रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि उनका धर्म बहुदेववाद पर आधारित है। चूँकि हिंदू कई भगवानों में विश्वास करते हैं, इसलिए डॉ. जयलाल का मानना है कि उनके लिए सहिष्णुता प्रदर्शित करना और ईसाई एवं इस्लामी प्रथाओं को आत्मसात करना मुश्किल नहीं है।
डॉ. जयलाल ने कहा, “हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हिंदू धर्म या हिंदुत्व, बहुदेववाद के कारण अन्य धर्मों से अलग है। वे विभिन्न देवताओं को स्वीकार करते हैं। उन्हें यह स्वीकार करने या घोषित करने में कोई कठिनाई नहीं है कि यीशु देवताओं में से एक हैं या मुहम्मद देवताओं में से एक हैं। इसलिए अन्य देशों की प्रणालियों के साथ तुलना करने पर धार्मिक प्रतिबंध कम होते हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि भारत में यह उतना मुश्किल नहीं है।”
‘पारिवारिक चिकित्सा’ को बढ़ावा देने पर जोर :
उन्होंने आगे कहा, “एक ईसाई के रूप में, एक अवसर जिसे मैं चिकित्सा संघ में शामिल करने में सक्षम था, वह है पारिवारिक चिकित्सा की अवधारणा। मुझे लगता है कि सर्विस के सिद्धांतों के तहत ईसाई धर्म के उदाहरण के साथ देश का नेतृत्व करने का यह एक अच्छा अवसर है। हालाँकि इस देश में ईसाइयों की आबादी 2.5 से 3 प्रतिशत से भी कम है। एक ईसाई डॉक्टर के रूप में, मुझे इस संगठन का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे इस देश को चिकित्सा पेशे में नेतृत्व करने के लिए ज्ञान और साहस प्रदान करें।”
हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करें :
जयलाल ने दावा किया था कि ईसाई डॉक्टरों को ‘समग्र उपचार’ प्रदान करने की एक विशेष क्षमता प्राप्त है जिसमें आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक उपचार शामिल हैं। उन्होंने कहा था, “आम तौर पर चिकित्सा पेशे में हम शारीरिक इलाज के बारे में बात करते हैं। लेकिन एक ईसाई के रूप में, मेरा मानना है कि हम यहाँ केवल शारीरिक रूप से ठीक होने के लिए नहीं हैं, बल्कि सर्वशक्तिमान ईश्वर ने हमें समग्र उपचार देने के लिए बुलाया है, जिसमें आध्यात्मिक उपचार, मानसिक उपचार और सामाजिक उपचार शामिल हैं।”
डॉ. जयलाल यहाँ जो कह रहे हैं, वह यह है कि ईसाई डॉक्टरों को उनके विश्वास के आधार पर न केवल शारीरिक इलाज बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उपचार करने की असाधारण क्षमता का उपहार दिया जाता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष संस्थानों, मिशनरी संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में अधिक ईसाई डॉक्टरों को काम करने की आवश्यकता है, जो रोगियों को ‘ईसाई उपचार’ प्रदान कर सकते हैं।
यदि डॉक्टर जेए जयलाल के कथनों पर विश्वास किया जाए, तो वे ‘धर्मनिरपेक्ष संगठनों’ में कमजोर और लाचार लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए मिशनरी उत्साह को बरकरार रखते हैं और हिंदू राष्ट्रवाद और भारत सरकार की अवमानना करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने ‘उन लोगों को ईसाई सिद्धांतों की घोषणा की तत्काल आवश्यकता प्रदान की है जो वायरस से पीड़ित हैं, हमें धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में भी इन ईसाई सिद्धांतों को साझा करने की अनुमति दी है।’
कार्यप्रणाली :
इंटरव्यू में डॉक्टर जयलाल ने कहा, “हमें धर्मनिरपेक्ष संस्थानों, मिशनरी संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में अधिक काम करने के लिए और अधिक ईसाई डॉक्टरों की आवश्यकता है। मैं एक मेडिकल कॉलेज में सर्जरी के प्रोफेसर के रूप में काम कर रहा हूँ, इसलिए मेरे लिए यह एक अच्छा अवसर है कि मैं वहाँ समग्र चिकित्सा के सिद्धांतों को आगे बढ़ा सकूँ। मुझे ग्रेजुएट और इंटर्न को सलाह देने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।” डॉक्टर जयलाल अपनी वेबसाइट के अनुसार क्रिश्चियन मेडिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, गुड सेमेरिटन क्लब और रेड क्रॉस सोसाइटी ऑफ इंडिया के भी सदस्य हैं।