‘पतंजलि’ फंसाने में फंसा IMA,SC पर की थी टिप्पणी
‘पतंजलि’ को फँसाते-फँसाते सुप्रीम कोर्ट में खुद फँसा IMA, अध्यक्ष के बयान से उखड़ा न्यायाधीशों का पीठ: कहा- ये बेहद गंभीर, मानहानि का केस कीजिए
‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दर्ज होगा मानहानि का केस
नई दिल्ली 30 अप्रैल 2024. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष डॉक्टर RV अशोकन की टिप्पणी पर कठोरता दिखाई। सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण की ‘पतंजलि आयुर्वेद’ एवं ‘दिव्य फार्मेसी’ पर भ्रामक विज्ञापन का मामला चल रहा है। इसी सिलसिले में ये टिप्पणी आई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली ने बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी के ध्यान दिलाए जाने के बाद इस टिप्पणी पर नाराज़गी जताई।
IMA अध्यक्ष ने एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान ये विवादित बयान दिया था। मुकुल रोहतगी ने बताया कि 1 दिन का पहले उन्होंने एक परेशान करने वाले इंटरव्यू को देखा, जिसमें IMA अध्यक्ष डॉक्टर RV अशोकन कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट उन पर उँगली उठा रहा है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप करार देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को IMA अध्यक्ष डॉक्टर अशोकन ने दुर्भाग्यपूर्ण और अस्पष्ट करार दिया है, उन्होंने कहा कि ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के स्तर की नहीं है।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस पर कहा कि इसे रिकॉर्ड पर लेकर आइए, अब तक जो भी हो रहा है ये इससे अधिक गंभीर है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने वाले गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। IMA ने ही बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। इससे पहले 23 अप्रैल, 2024 को भी सुप्रीम कोर्ट ने संस्था से कहा था कि वो पहले अपने घर को व्यवस्थित करे। आधुनिक दवाओं को लेकर अनैतिक कारोबार और अस्पतालों द्वारा महँगी और गैर-ज़रूरी दवाएँ लिखने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी।
इसके बाद IMA अध्यक्ष ने इस टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था। उन्होंने इसे अस्पष्ट और सामान्यीकृत बयान भी बताया था। उनका दावा था कि इससे प्राइवेट डॉक्टर हतोत्साह हुए हैं।
Be Prepared For Serious Consequences Says Supreme Court On Ima Chief Ashokan Comments
‘आप कैसे तय करेंगे अदालत क्या करेगी, नतीजों के लिए तैयार रहिए…’, सुप्रीम कोर्ट ने IMA प्रमुख को क्यों फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष आर. वी. अशोकन की कुछ टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया है। अशोकन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का आईएमए की आलोचना करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
मुख्य बिंदु
सुप्रीम कोर्ट ने एक इंटरव्यू में की गईं आईएमए अध्यक्ष की टिप्पणियों पर जताया ऐतराज
पतंजलि का प्रतिनिधित्व कर रहे मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया मुद्दा
आईएमए अध्यक्ष ने आईएमए और निजी डॉक्टरों पर SC की टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया था
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने अपने माफीनामे में सह-संस्थापक बाबा रामदेव का नाम लेकर “सुधार” किया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से जारी किए गए सार्वजनिक माफीनामे की जांच के बाद कहा, ‘एक उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पहले सिर्फ पतंजलि का नाम था, अब नाम हैं। हम इसकी सराहना करते हैं। उन्होंने समझ लिया है।’ इस दौरान कोर्ट ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर आर. वी. अशोकन के पीटीआई को दिए इंटरव्यू में दिए गए बयानों पर सख्त टिप्पणियां भी की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को उन अखबारों के मूल पन्ने को दाखिल करने के लिए कहा है, जिनमें सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित हुआ था।
बेंच ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर आर.वी. अशोकन के न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में की गई टिप्पणियों पर भी कड़ी आपत्ति जताई। पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर ऐडवोकेट मुकुल रोहतगी ने इंटरव्यू में की गईं अशोकन की टिप्पणियों को अदालत में उठाया। रोहतगी ने कहा, ‘वह (आईएमए अध्यक्ष) कहते हैं कि अदालत ने हम पर उंगली क्यों उठाई, अदालत की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि यह अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने यह भी कहा कि वह आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की मांग करते हुए एक आवेदन दायर करेंगे।
इस पर बेंच ने मुकुल रोहतगी को पीटीआई के साथ आईएमए निदेशक के इंटरव्यू को रिकॉर्ड में लाने को कहा। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा,कि ‘इसे रिकॉर्ड में लाइए। यह अब तक हो रही चीजों से ज्यादा गंभीर होगा। अधिक गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहें।’
बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, ‘आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।’
दरअसल पीटीआई को दिए इंटरव्यू में आईएमए प्रमुख ने कहा था कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और निजी डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘अस्पष्ट और अति सामान्य बयानों’ ने निजी डॉक्टरों को हतोत्साहित किया है।
डॉक्टर अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, ‘हम ईमानदारी से मानते हैं कि उन्हें यह देखने की जरूरत है कि उनके सामने क्या सामग्री रखी गई है। उन्होंने शायद इस बात पर विचार नहीं किया कि यह वह मुद्दा नहीं है जो अदालत में उनके सामने था। कोर्ट ने शायद इस बात पर गौर नहीं किया कि उनका असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे मेडिकल क्षेत्र से।’ आईएमए प्रमुख ने ये भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को पूरे देश के डॉक्टरों की तारीफ करनी चाहिए थी जिन्होंने कोविड के दौरान बहुत त्याग किया। अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, ‘आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं…नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं। देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तीक्षण रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।’
डॉऊ अशोकन 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का जवाब दे रहे थे कि “पतंजलि की तरफ एक उंगली उठाने पर बाकी चार उंगलियां IMA की तरफ इशारा करती हैं।”
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण को मामले में निष्क्रियता के लिए फटकार लगाई। अदालत का कहना था कि ऐसा लगता है कि प्राधिकरण ने सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही कार्रवाई की। बता दें कि अप्रैल 10 को कोर्ट ने लाइसेंसिंग प्राधिकरण को पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई ना करने के लिए पहले ही सख्त निर्देश दिए थे।
इससे पहले, 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को तत्काल “भ्रामक विज्ञापन रोकने का आदेश दिया था।”
मामला पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था जब IMA ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पतंजलि की दवाओं के विज्ञापनों को “गलत और भ्रामक” बताया था।
डॉक्टर अशोकन का विस्फोटक इंटरव्यू
डॉक्टर अशोकन का इंटरव्यू‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित हुआ था। मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो मानहानि के लिए एप्लिकेशन दायर कर रहे हैं, खबर किसी छोटे-मोटे समाचार-पत्र द्वारा नहीं छापी गई है, किसी छोटे-मोटे पदाधिकारी ने ऐसा नहीं बोला है। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आप इसे फाइल कीजिए, जिस पर मुकुल रोहतगी बोले कि वो जो भी ज़रूरी होगा वो करेंगे।
वहीं ‘पतंजलि’ के फिर से दायर किए गए माफीनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार से महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, पिछली बार ये छोटा था और सिर्फ ‘पतंजलि’ का नाम था जबकि इस बार और नाम भी डाले गए हैं। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि माफीनामे की भाषा भी उचित है, इस सुधार की वो प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा कि अब अदालत की अवमानना करने वाले भी समझ गए हैं कि कोर्ट की सहायता करने वाले एक बुद्धिमान वकील का क्या लाभ है।
माफीनामे के पेज नंबरिंग के मुद्दे पर ‘पतंजलि’ के अधिवक्ता शुक्ला को जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “हम सिर्फ आहत थे। इस स्थिति में हर शब्द का महत्व है। कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। आपके दिल में क्या है, ये हम नहीं देख सकते। ब्लैक एन्ड व्हाइट में क्या लिखा है सिर्फ वही मायने रखता है। हम ये नहीं कह रहे कि हम गुस्सा हैं। बार और बेंच के बीच पारदर्शिता होनी चाहिए। अपने जो किया है उसकी जिम्मेदारी लीजिए, माफ़ी माँगिए। कोर्ट पर ये भरोसा रखिए कि आपको निशाना नहीं बनाया जाएगा। हम पक्षपात नहीं करेंगे। अपनी तरफ से हम ये भरोसा देते हैं।
कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे दी है।
TOPICS:Supreme Court Swami Ramdev बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट IMA Dr. R V. Ashokan