पैगम्बर के नाम पर उन्माद,अब भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा को धमकियां
पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी कट्टरपंथियों को बर्दाश्त नहीं: 10 सालों में हत्या, हिंसा की ये है लिस्ट, अब BJP नेता नुपूर शर्मा को धमकी
कट्टरपंथी भीड़
कट्टरपंथी भीड़ की नुपूर शर्मा को धमकी
पैगंबर मोहम्मद का नाम टीवी डिबेट में लेने पर भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता नुपूर शर्मा को इन दिनों कट्टरपंथियों से धमकियाँ खुलेआम आ रही हैं। न उन्हें बख्शा जा रहा है और न ही उनके परिवार के सदस्यों को। उन्होंने पुलिस को दी शिकायत में साफ तौर पर अपने परिवार के लिए चिंता व्यक्त की है। उनकी गलती बस इतनी है कि उन्होंने एक शो में शिवलिंग को फव्वारा बताए जाने पर ये सवाल किया कि क्या जैसे उनके भगवान का मजाक उड़ रहा है वैसे ही वो भी दूसरे मजहब से जुड़ी कहानियों का मजाक उड़ाने लगें।
I've taken some threats&tagged Police Commissioner & Delhi Police. I suspect there'll be harm done to me&my immediate family members. In case there's any harm done to me/my family members Mohd Zubair, who I think is a proprietor of Alt News,is completely responsible: Nupur Sharma pic.twitter.com/m7juquAz5D
— ANI (@ANI) May 27, 2022
उनके द्वारा कही गई यही बात फेक न्यूज फैलाने के लिए कुख्यात ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबेर से बर्दाश्त नहीं हुई और जुबेर ने ये वीडियो अपने ट्विटर पर शेयर करके दावा किया कि नुपूर ने जो कुछ कहा वो दंगे भड़काने वाला है। इसके बाद जैसे कट्टरपंथियों को मौका मिल गया खुलकर नुपूर को धमकाने का। उन लोगों ने नुपूर की वीडियो और उनकी फोटो शेयर कर करके उन्हें मारने की धमकी दी।
Prime Time debates in India have become a platform to encourage hate mongers to speak ill about other religions. @TimesNow's Anchor @navikakumar is encouraging a rabid communal hatemonger & a BJP Spokesperson to speak rubbish which can incite riots.
Shame on you @vineetjaintimes pic.twitter.com/lrUlkHEJp5— Mohammed Zubair (@zoo_bear) May 27, 2022
स्क्रीनशॉट्स में देख सकते हैं कि उनके लिए कितनी अभद्र भाषा का प्रयोग हुआ है। उन्हें निर्ममता से मारने की चर्चा खुलेआम सोशल मीडिया पर चल रही है। ‘सिर तन से जुदा’ के नारे फिर कट्टरपंथी पोस्ट कर रहे हैं।
‘फैक्ट-चेकर’ के झूठे ट्वीट पर भाजपा नेत्री नूपुर को मिल रहीं दुष्कर्म, हत्या की धमकियाँ
भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने जानकारी दी कि फैक्ट-चेकर व ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने कथित तौर पर ज्ञानवापी विवाद पर एक डिबेट में बोलते हुए उनका एक संपादित वीडियो साझा करते हुए उनके विरुद्ध झूठा संदेश देकर लोगों को उकसाया है, जिसके बाद उन्हें दुष्कर्म, हत्या और सिर काटने की धमकियाँ मिल रही हैं।
नूपुर शर्मा ने मिले धमकी भरे संदेशों के कई स्क्रीनशॉट भी साझा किए हैं।
उन्होंने शुक्रवार (27 मई) को दिल्ली पुलिस और कमिश्नर को टैग करते हुए ट्वीट में कहा, “मुझे अपने परिवार और स्वयं के विरुद्ध लगातार हत्या और सिर काटने की धमकियाँ मिल रही हैं, जो कि @जू_बियर द्वारा सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने और एक नकली कहानी बनाकर माहौल को खराब करने के प्रयासों के कारण पैदा हुई हैं।”
कुछ घंटे बाद बाद एक अन्य ट्वीट में भाजपा नेत्री ने कहा, “मेरी बहन, माता-पिता और मुझे दुष्कर्म, हत्या और सिर काटने वाली एक के बाद एक कई धमकियाँ मिल रही हैं।”
उन्होंने ट्वीट किया, “मैंने दिल्ली पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी है।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली पुलिस कृपया ध्यान दे कि अगर मेरे या मेरे परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए पूरी तरह से मोहम्मद जुबैर ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने तथ्यों को जाँचे बिना माहौल को खराब करने, सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने और मेरे और मेरे परिवार के विरुद्ध सांप्रदायिक और लक्षित नफरत पैदा करने के लिए एक झूठी कहानी प्रचारित की है।”
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने कथित तौर पर उस वीडियो का भाग लिया, जिसमें नूपुर शर्मा ने अन्य धर्मों के बारे में इस्लामिक मान्यताओं के बारे में बात की थी और इसे ट्विटर पर साझा कर दिया था।
Extremists are threatening BJP spokesperson Nupur Sharma with beheading on Instagram.
Open calls for violence are being made, with no fear of law whatsoever.@DelhiPolice Act now!
Link: https://t.co/eujyTRywbw pic.twitter.com/Gj9I6rBOYU
— Dibakar Dutta (দিবাকর দত্ত) (@dibakardutta_) May 27, 2022
मालूम हो कि ये पहली दफा नहीं हो रहा कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी भर कर देने से किसी हिंदू की जान पर बन आई हो। इससे पहले कई बार हिंदुओं की निर्मम हत्या या उनके विरुद्ध भड़की हिंसा इन्हीं कारणों से हुई कि उन्होंने आखिर क्यों पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की। कुछ घटनाओं के उदाहरण हाल के हैं और कुछ के सालों पुराने। आइए एक बार सब पर नजर मारें ताकि याद रहे कि जो लोग आपके देवताओं को खंडित करके फव्वारा बना देने में यकीन रखते हैं उनके लिए उनका मजहब कितना संवेदनशील मुद्दा है।
2022 में गुजरात में किशन भरवाड की हत्या
इसी साल की बात है जब गुजरात में किशन भरवाड नाम के हिंदू युवक को गोली मार कर मौत के घाट उतारा गया था। 25 जनवरी 2022 को अहमदाबाद के धंधुका शहर के मोढवाड़ा-सुंदकुवा इलाके में किशन भरवाड की हत्या की गई थी। किशन पर आरोप था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था जिसने मजहबी भावनाओं को आहत किया और उसके बदले उन्हें पहले धमकियाँ मिलनी शुरू हई और बाद में उन्हें एक दिन सुनियोजित साजिश में मौत के घाट उतार दिया गया। जाँच में सामने आया कि इस हत्या को अंजाम देने के लिए एक मौलवी ने भीड़ को भड़काया था
2021 में महाराष्ट्र के यवतमाल में हिंसा और आगजनी
17 दिसंबर 2021 को सोशल मीडिया पर पैगंबर मुहम्मद को लेकर की गई एक टिप्पणी पर महाराष्ट्र के यवतमाल जिला स्थिथ उमरखेड़ में हिंसा भड़की थी और जगह-जगह आगजनी की घटना सामने आई थी। इलाके में उस दौरान इतना उपद्रव मचा था कि घरों, दुकानों और गाड़ियों सबको तबाह कर दिया गया था। पत्थरबाजी घरों में घुसकर हुई थी। हिंसा फैलाने वालों का आरोप था कि इस्लाम मजहब के संस्थापक के ‘अपमान’ के आरोप में इस घटना को अंजाम दिया गया।
श्रीलंकाई मैनेजर को जिंदा जलाकर मारा
2021 के अंत में पाकिस्तान से एक दिल दहलाने वाली खबर आई थी। वहाँ सियालकोट में एक श्रीलंकाई मैनेजन प्रियांथा कुमारा को उग्र इस्लामी भीड़ ने जलाकर मार डाला था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के पोस्टर को फाड़ दिया था और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया था। इसके बाद इस्लामी भीड़ ने उन पर हमला किया और उनकी हत्या करके उनके शरीर को जला दिया
2020 में कट्टरपंथी भीड़ ने जलाया बेंगलुरु
कर्नाटक के बेंगलुरु में साल 2020 में हिंसा और आगजनी की खबरों ने पूरे देश को चौंका दिया था। लोग हैरान थे कि इतनी भीड़ अचानक से कैसे सड़क पर आ सकती है। घटना में थाने से लेकर सड़कों पर खड़े कम से कम 57 वाहन जलाए गए थे। वीडियो में सैंकड़ों की भीड़ उपद्रव मचाती दिखी थी। और ये सब हुआ क्यों था? क्योंकि एक कॉन्ग्रेस नेता के भतीजे पी नवीन ने सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी कर दी थी और हिंसा फैलाने की ताक में बैठी भीड़ को मौका मिल गया था। नवीन ने अपनी गलती की माफी भी माँगी थी मगर ये कट्टरपंथियों को शांत करने के लिए काफी नहीं था।
2019 में लखनऊ का कमलेश तिवारी हत्याकांड
18 अक्टूबर 2019 को हिंदू महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की उनके आवास स्थित कार्यालय में बर्बरता से हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद मालूम चला था कि इसके पीछे कट्टरपंथियों का हाथ है, जो बहुत पहले से तिवारी के खिलाफ़ साजिश रच रहे थे। कमलेश तिवारी का अपराध केवल यह था कि उन्होंने साल 2015 में पैगंबर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद से ही उन्हें मारने के प्रयास और ऐलान किए जा रहे थे।
फेसबुक पोस्ट ने ले ली 4 जान
साल 2019 में ही बांग्लादेश में पैगंबर मोहम्मद पर किए गए एक फेसबुक पोस्ट के कारण चार लोगों की जान गई थी। घटना ढाका से 195 किमी दूर बोरानुद्दीन शहर में घटित हुई थी जहाँ एक हिंदू युवक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप मढ़कर हिंसा को अंजाम दिया गया। इस घटना में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
2018 में महाराजगंज के थाने में हंगामा
पैगंबर मुहम्मद पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में साल 2018 में भी हंगामा हुआ था। ये हंगामा यूपी के महाराजगंज में शिकायत दर्ज कराने पहुँची भीड़ ने किया था। पूर्व बसपा नेता एजाज खान के नेतृत्व में नौतनवा थाने जाकर घंटों हंगामा करने वाली भीड़ की माँग पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की थी। उस दौरान भी सैंकड़ों की संख्या सड़कों पर उतर आई थी। भीड़ इतनी भड़की हुई थी कि जब तक उनके लगाए आरोपों में शिकायत दर्ज करके गिरफ्तारी की बात नहीं हुई, तब तक वह घर नहीं लौटे और थाने में हंगामा चलता रहा।
2017 में पैगंबर मोहम्मद के नाम पर बशीरहाट हिंसा
साल 2017 में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट में दो समुदायों के बीच हुए दंगों के बीचे का कारण एक फेसबुक पोस्ट था। कथतितौर पर उस फेसबुक पोस्ट में पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की गई थी। बताया जाता है कि उस हिंसा में भीड़ इतनी उग्र थी कि करोड़ों का नुकसान कर डाला गया था और एक व्यक्ति की मौत भी हुई थी।
2016 में मालदा में हिंसा
बशीरहाट से पहले पश्चिम बंगाल का मालदा भी 2016 में हिंसा की आग में जला था। उस दौरान भी कारण यही था कि किसी ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी सोशल मीडिया पर कर दी थी। इस टिप्पणी के बाद इलाके में न केवल बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी बल्कि आगजनी को भी व्यापक स्तर पर अंजाम दिया गया था।
2015 में शार्ली ऐब्दो मैग्जीन के कार्यालय पर हमला
शार्ली ऐब्दो नामक मैग्जीन कुछ साल पहले पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छापने के कारण चर्चा में आई थी। इसके बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया। साल 2011 में इसके कार्यालय पर गोलीबारी हुई और बम फेंके गए। फिर 7 जनवरी, 2015 को कट्टरपंथियों ने इसे एक बार दोबारा निशाना बनाया और अल्लाह हू अकबर कहते हुए 12 लोगों को मौत के घाट उतार गए। इनमें तीन पुलिसकर्मी थे।
2014 में फेसबुक पोस्ट ने ली तीन की जान
पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर में इस्लाम के विरुद्ध टिप्पणी करना एक अहमदी समुदाय के व्यक्ति को महंगा पड़ गया। पहले तो उसके विरुद्ध 150 लोग शिकायत करने थाने गए। लेकिन तभी दूसरी भीड़ ने अहमदियों (वे लोग जो पैगंबर मोहम्मद के बाद आए एक और पैगंबर को मानते हैं ) के घर पर हमला करके उनमें तोड़फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। कई लोगों को हल्की चोटें आई और कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके अलावा एक महिला और दो छोटे बच्चों की जान भी इसी हमले में गई।
2013 में हुई थी पैगंबर का अपमान करने वालों की हत्या करने की अनाउंसमेंट
साल 2013 में नूर टीवी पर एक होस्ट ने खुलेआम मुसलमानों को भड़काया था। उस समय टीवी से अनाउंस हुआ था कि अगर कोई पैगंबर मोहम्मद का अपमान करता है तो किसी मुसलमान द्वारा उसकी हत्या को स्वीकार किया जा सकता है। ये मुसलमान का कर्तव्य है कि वो उस व्यक्ति को मारे। इस अनाउंसमेंट के बाद ब्रिटेन के प्रसारण नियामक ऑफकॉम ने इस्लामी टीवी चैनल पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए 85000 यूरो का जुर्माना लगाया था।
2012 में पैगंबर मोहम्मद पर बनी फिल्म पर अरब देशों का विरोध
साल 2012 में अमेरिका ने एक फिल्म बनाई थी। नाम था इनोसेंस ऑफ मुस्लिम। ये फिल्म मुस्लिमों के लिए विवादित थी क्योंकि उन्हें इसमें दिखाए गए कंटेंट से आपत्ति थी। जिसके कारण मिस्र से लेकर अरब जगत में इसका विरोध हुआ था। कई लोग सड़कों पर आ गए थे। फिल्म बनाने वाले पर आरोप था कि उसने अपने घर के दरवाजे को पैगंबर की फिल्म में दिखाया था। फिल्म के कलाकारों ने भी विरोध देखकर हाथ खड़े कर लिए थे कि उन्हें नहीं मालूम था कि ये फिल्म पैगंबर से जुड़ी है। इस विवाद में मिस्र, लीबिया से लेकर यमन तक में अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ था और प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ मचाई थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि सुरक्षाकर्मियों को गोलियाँ चलाकर हिंसक भीड़ को रोकना पड़ा था। लीबिया के बेनगाजी में तो अमेरिकी राजदूत समेत चार लोगों की मौत भी हुई थी।
हिंसक घटनाओं की शुरुआत और अंत का कुछ नहीं मालूम
गौरतलब है कि पैगंबर मोहम्मद के नाम पर मचाई गई हिंसा की ये चंद घटनाएँ हैं जो पिछले 1 दशक में हर साल घटित हुईं और एक ही पैटर्न के साथ जिसमें हिंसा, मारपीट और आगजनी थी। हम नहीं कह सकते हैं कि इनसे पहले और इनके बाद कितनी घटनाएँ लिस्ट में हैं और जोड़ी जाएँगी। लेकिन जाहिर है कि अगर कट्टरपंथ ऐसे ही बढ़ता रहा तो ये सिलसिला न पहले रुका था और न आगे रुकेगा। कई लोग ऐसे माहौल के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं लेकिन अगर हम देखेंगे तो ये हिंदुओं के प्रति घृणा, नफरत, हिंसा कोई पिछले एक दशक का खेल नहीं है। कुछ पुरानी खबरों से समझिए कि भले ही हिंदू ने आवाज अपनी अब उठानी शुरू की हो लेकिन कट्टरपंथी पहले से जानते थे कि ईशनिंदा पर कैसे उन्हें कानून पर ताक रखकर क्या सजा देनी है।
700 वर्ष पुरानी किताब से कोट लेने पर हुआ हंगामा
साल 2000 में भी न्यू इंडियन एक्सप्रेस नामक समाचार पत्र ने 700 साल पुरानी एक किताब से एक कोट लेकर अपना आर्टिकल लिखा था। जिसके कारण संप्रदाय विशेष की भीड़ भड़क गई थी और बेंगलुरू के इस अखबार ने संप्रदाय विशेष की भीड़ का एक भयानक चेहरा देखा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 1000 की भीड़ ने सिर्फ़ आर्टिकल में पैगंबर का नाम आने से कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था और 20 उलेमाओं ने बाद में अखबार के चीफ रिपोर्टर से मिलकर माँग की कि लेख लिखने वाले अखबार के सम्पादकीय सलाहकार टीजेएस जॉर्ज माफी माँगें।
साल 1986 में दंगा, 17 की गई थी जान
साल 1986 में डेक्कन हेराल्ड को ऐसे आक्रोश का सामना करना पड़ा था, जब एक छोटी से स्टोरी के कारण देश में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क गई और 17 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी। बाद में अखबार ने रेडियो और टेलीविजन के जरिए समुदाय से माफी माँगी। इस घटना में भी संप्रदाय विशेष के लोगों को स्टोरी में यही लगा था कि लिखने वाले ने पैगंबर का अपमान किया है।
पैगंबर मुहम्मद के निकाह वाली किताब के कारण प्रकाशक की ली गई जान
साल 1924 में अनाम लेखक के नाम से रंगीला रसूल नाम की एक किताब प्रकाशित हुई थी। इस किताब में मुहम्मद साहब और एक औरत के परस्पर संबंधों का कथानक था। जिसके कारण संप्रदाय विशेष के लोगों ने इसका काफी विरोध किया और इसके प्रकाशक को वैमनस्यता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन प्रकाशक के रिहा होते ही इल्मुद्दीन नामक कट्टरपंथी ने महाशय राजपाल की हत्या कर दी और इल्मुद्दीन को बचाने के लिए केस फिर मुहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा।
@opindia से साभार