अधूरा न्याय: उत्तराखंड विधानसभा के निलंबित सचिव मुकेश सिंघल

Uttarakhand Assembly Bharti Scam: विस अध्‍यक्ष ऋतु खंडूड़ी की बड़ी कार्रवाई, मुकेश सिंघल को दो पदावनतियां

Uttarakhand Assembly Bharti Scam: विधानसभा अध्‍यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सिंघल को पदावनत करने के आदेश दिए हैं।;
उत्‍तराखंड विधानसभा के भर्ती प्रकरण में विधानसभा अध्‍यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्‍होंने रविवार को सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को सयुक्‍त सचिव के पद पर वापस भेज दिया हैं।

देहरादून 01 जनवरी: उत्‍तराखंड विधानसभा के बैकडोर भर्ती मामले में निलंबित चल रहे सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल दो रैंक रिवर्ट कर दिया गया है।

विधानसभा अध्‍यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सिंघल को पदावनत करने के आदेश दिए हैं। सिंघल पर विधानसभा में 32 पदों की सीधी भर्ती के लिए विवादित एजेंसी का चयन करने और तीन दिन में उसे 59 लाख रुपये का भुगतान करने का आरोप भी है। बैकडोर भर्ती में विधानसभा सचिवालय के 228 कर्मचारी कार्यमुक्त कर दिए गए थे।

सिंघल को पांच साल में तीन पदोन्नति दी गई थीं

बता दें कि उप सचिव शोध से सचिव विधानसभा बने सिंघल को पांच साल में तीन पदोन्नति दी गई थीं। इसके लिए नियमों के विपरीत उनका कैडर भी बदला गया। इसे लेकर विपक्ष ने अंगुली उठाई थी। विधानसभा के भर्ती प्रकरण की जांच के दायरे में मुकेश सिंघल भी हैं।

शोध अधिकारी के पद पर हुई थी नियुक्ति

विधानसभा में मुकेश सिंघल की नियुक्ति शोध अधिकारी के पद पर हुई थी। बाद में उन्हें वरिष्ठ शोध अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया था। इसके बाद सिंघल को उप सचिव शोध बनाया गया था।

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Uttarakhand: विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का अनोखा प्रदर्शन,गले में फांसी का फंदा डालकर जताया विरोध

विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का प्रदर्शन

उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों ने आज नए साल पर भी अनिश्चितकालीन धरना जारी रखा। कर्मचारियों ने विधानसभा के बाहर अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने गले में फांसी का फंदा डालकर विरोध जताया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।

वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि न्याय न मिला तो वे आत्मदाह करने के लिए मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष एवं सरकार की होगी। शनिवार को भी कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को सामूहिक हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी।

विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का प्रदर्शन

बता दें कि बीते साल अगस्त महीने में घोटाले को लेकर सियासत गरमाई। सोशल मीडिया पर बैकडोर से भर्ती पर लगे कर्मचारियों और उनकी सिफारिश करने वाले नेताओं के नाम वायरल हुए। सरकार, भाजपा और आरएसएस के नेताओं पर सवाल उठे।

विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का प्रदर्शन

तत्कालीन स्पीकर व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल निशाने पर आ गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से बैकडोर भर्ती की जांच का अनुरोध किया। तीन सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ने डीके कोटिया की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई। 22 सितंबर को जांच समिति ने अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी, भर्ती में धांधली पाई

23 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ने 2016 से 2021 के बीच हुई 229 बैकडोर भर्तियों को रद्द करने की घोषणा की। सरकार ने बैकडोर भर्ती रद्द करने की मंजूरी दी। निकाले गए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एकल बैंच ने बर्खास्तगी आदेश पर स्थगनादेश दिया।

प्रदर्शन करते विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारी।

विधानसभा ने डबल बैंच में अपील की। डबल बैंच स्पीकर आदेश को सही बताया। हटाये गये कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका निरस्त कर दी। हटाये गये कर्मचारियों ने विधानसभा के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे विधानसभा में 2016 से पहले हुई भर्तियों पर भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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