भोजशाला पर 2000 पृष्ठों की रपट में 1700+ प्रमाण, हाईकोर्ट में सुनवाई 22 को

भोजशाला पर 2000 पन्नों की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश: एएसआई ने बताया- 94 से ज्यादा टूटी मूर्तियां, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक मिले

इंदौर 15 जुलाई 2024 । धार भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट से धार्मिक कैरेक्टर पर चल रहा विवाद खत्म हो सकता है।
धार की भोजशाला और कमाल मौलाना मस्जिद परिसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट सोमवार को इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी। रिपोर्ट में है कि मस्जिद का निर्माण पहले के मंदिरों के हिस्सों का उपयोग करके बनाया गया है। 98 दिनों के साइंटिफिक सर्वे में मिले अवशेषों के आधार पर पहले से मौजूद स्ट्रक्चर परमार (राजवंश) काल की हो सकती है। रिपोर्ट 2 हजार पेज की है। इसमें सर्वे और खुदाई में मिले 1700 से ज्यादा प्रमाण/अवशेष शामिल हैं। हाईकोर्ट इस पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा।

हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने दावा किया कि ‘भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट से हिंदू पक्ष का दावा 100% साबित हो रहा है। यहां 94 आर्टिकल्स मिले, इनमें टूटी मूर्तियां, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक हैं। इससे प्रतीत होता है कि यहां मां वाग्देवी मंदिर ही था और धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। अलग-अलग टाइम के करीब 30 सिक्के भी इनमें शामिल हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा- परमारकालीन मूर्तियां भी मिलीं

हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। ASI को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह ये परमारकालीन इमारत है।

अवशेषों से लगभग तय माना जा रहा है कि इसका निर्माण 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का है। एक गर्भगृह के पास ईंटों से बनी 27 फीट लंबी दीवार भी मिली है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण और भी प्राचीन समय में होता था। मोहन जोदड़ो सभ्यता के समय, यानी यह स्थान और भी प्राचीन हो सकता है। स्तंभ और उन पर उकेरी गई वास्तुकला को देखकर लगता है कि ये मंदिरों के अवशेष ही हैं। इनका उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया गया होगा।

फैसला सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर ही होगा
धार के शहर काजी वकार सादिक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि ASI की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट स्तर से कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है। हाईकोर्ट में 22 जुलाई को सुनवाई है, लेकिन फैसला सुप्रीम कोर्ट स्तर से ही होना है।

उन्होंने कहा कि सुनने में आया है कि रिपोर्ट पक्षकारों को दी जा रही है। रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे, ऐसे में पक्षकारों को रिपोर्ट दी जानी थी या नहीं, इस तथ्य पर भी जानकारी ले रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करेगा, ताकि शांति बनी रहे।

वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा को हिंदू पक्ष को भोजशाला में पूरे दिन पूजा और हवन करने की अनुमति है। ये हवन कुंड भोजशाला के बीच में है।
वैज्ञानिक सर्वे में यह 7 प्रमुख तथ्य सामने आए थे

1. गर्भगृह का पिछला हिस्सा : यहां अंदर 27 फीट तक खुदाई की गई है, जहां दीवार का ढांचा मिला है।

2. सीढ़ियों के नीचे का बंद कमरा : यहां से वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी समेत अन्य देवी प्रतिमा, शंख, चक्र सहित 79 अवशेष मिले हैं।

3. उत्तर-पूर्वी कोना व दरगाह का पश्चिमी हिस्सा : यहां से श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है।

4. उत्तर-दक्षिणी कोना : स्तंभ, तलवार, दीवारों के 150 नक्काशी वाले अवशेष मिले हैं।

5. यज्ञशाला के पास : सनातनी आकृतियों वाले पत्थर मिले हैं।

6. दरगाह : अंडरग्राउंड अक्कल कुइया चिह्नित हुई।

7. स्तंभों पर : केमिकल ट्रीटमेंट के बाद सीता-राम, ओम नम: शिवाय की आकृतियां चिह्नित हुई हैं।

मंगलवार को पूजा, शुक्रवार को होती है नमाज

भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति है। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने को दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। दोनों को नि:शुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1 रुपए का टिकट लगता है। हिंदू पक्ष भोजशाला को वाग्देवी सरस्वती का मंदिर मानता है। मुस्लिम इसे कलाम मौला मस्जिद मानता है।

हाईकोर्ट ने 11 मार्च को दिए थे सर्वे के आदेश

धार में भोजशाला ASI संरक्षित इमारत है। 2022 में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नाम से पिटीशन हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस प्लस भोजसेवा संस्थान धार ने दायर की थी। इसमें भोजशाला को मंदिर बताते हुए इसका साइंटिफिक सर्वे GPR और GPS तकनीक से कराने की मांग की गई थी। आधिपत्य सौंपने की भी मांग थी।

इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2024 को इसे स्वीकारते हुए सर्वे के आदेश दिए थे। 15 जुलाई को ASI ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।

जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भोजशाला बताया
जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार भोजशाला राजा भोज ने बनवाई थी। यह यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में देखे जा सकते हैं। यह भोजशाला के कैंपस में है जबकि देवी की प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है।

हिंदू पक्ष का दावा है कि धार की भोजशाला का निर्माण राजा भोज ने करवाया था। यह विश्वविद्यालय हुआ करता था।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम ने भोजशाला में 98 दिन तक सर्वे किया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ज्ञानवापी की तरह धार की भोजशाला का सर्वे कराने के आदेश दिए थे। इस मुद्दे पर कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को 5 एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा। इस टीम को 6 सप्ताह में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी थी। याचिका के बिंदु, जिनके आधार पर मांग स्वीकार की गई

सर्वे के दौरान कुछ नए तथ्यों के सामने आने का दावा हिंदू पक्ष ने किया है। उसका दावा है कि जो नए फैक्ट्स आए हैं, उस लिहाज से यह मंदिर ही है। उनका कहना है कि 15वें दिन गर्भगृह के पिछले हिस्से में तीन सीढ़ियां दिखीं तो 19वें दिन सालों से दीवार में दबा गोमुख भी निकला है। हिंदू पक्ष मंदिर के संकेत बताता है, मुस्लिम पक्ष ने किया खारिज

धार भोजशाला की सर्वे रिपोर्ट एएसआई ने हाईकोर्ट को सौंप दी है. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

धार भोजशाला के तीन महीने तक चले सर्वे के बाद ASI ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न धातुओं के सिक्के और मूर्तियां राजा धार के समय के हैं.

इस रिपोर्ट में कई तरह के खुलासे किए गए हैं. 22 जुलाई को हाईकोर्ट में होगी सुनवाई.

Dhar Bhojshala Survey Report: धार भोजशाला विवाद पर एएसआई ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. इस रिपोर्ट में कई बड़े अनावरण हुए हैं. जिसमें कहा गया है कि विभिन्न धातुओं के सिक्के और मूर्तियां परमार कालीन राजा धार के समय के हैं. हाईकोर्ट की इंदौर बेंच का फैसला 22 जुलाई को आने वाला है. दावा है कि एएसआई की रिपोर्ट लीक हो चुकी है, जिसमें कहा गया है कि विवादित स्थल पर पहले एक हिंदू मंदिर था. इसके बाद अब कोर्ट में सुनवाई किस दिशा में जाती है और मुस्लिम पक्षकार अपने तर्कों से कोर्ट को संतुष्ट कर पाते हैं या नहीं.

धार नगरी की ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वेक्षण के बाद ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में कहा कि परिसर से चांदी, तांबे, एल्यूमीनियम और स्टील के कुल 31 सिक्के, जो इंडो-ससैनियन (10वीं-11वीं सदी), दिल्ली सल्तनत (13वीं-14वीं सदी), मालवा सुल्तान (15वीं-16वीं सदी), मुगल (16वीं-16वीं सदी) के काल के हैं.

(18वीं शताब्दी), धार राज्य (19वीं शताब्दी), ब्रिटिश (19वीं-20वीं शताब्दी), और स्वतंत्र भारत, वर्तमान संरचना में और उसके आसपास जांच के दौरान पाए गए थे. परिसर में पाए गए सबसे पुराने सिक्के इंडो-सासैनियन हैं, जो 10वीं-11वीं शताब्दी के हो सकते हैं. जब परमार राजा धार में अपनी राजधानी के साथ मालवा में शासन कर रहे थे.

जांच के दौरान कुल 94 मूर्तियां, मूर्तिकला के टुकड़े और मूर्तिकला चित्रण के साथ वास्तुशिल्प सदस्य देखे गए. वे बेसाल्ट, संगमरमर, शिस्ट, नरम पत्थर, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बने हैं. खिड़कियों, खंभों और प्रयुक्त बीमों पर चार सशस्त्र देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई थीं. इन पर उकेरी गई छवियों में गणेश, ब्रह्मा अपनी पत्नियों के साथ, नृसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियां शामिल हैं.

हिंदू पक्ष ने सुनवाई की रखी मांग
मध्यप्रदेश भोजशाला मामला हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक के खिलाफ जल्द सुनवाई की मांग- सुप्रीम कोर्ट ने कहा देखेंगे जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की अदालत में इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इस पर शीघ्र सुनवाई के लिए गुहार लगाई गई.

धार भोजशाला के अंदर की तस्वीरें.
जानवरों की छवियां उकेरी
विभिन्न माध्यमों में जानवरों की छवियों में शामिल हैं – शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, सांप, कछुआ, हंस और पक्षी. पौराणिक और मिश्रित आकृतियों में विभिन्न प्रकार के कीर्तिमुख मानव चेहरा, सिंह चेहरा, मिश्रित चेहरा शामिल हैं. विभिन्न आकृतियों का व्याला, आदि. चूंकि कई स्थानों पर मस्जिदों में मानव और जानवरों की आकृतियों की अनुमति नहीं है, इसलिए ऐसी छवियों को तराशा गया है या विकृत कर दिया गया है.

इस तरह के प्रयास पश्चिमी और पूर्वी स्तंभों में स्तंभों और भित्तिस्तंभों पर देखे जा सकते हैं; पश्चिमी उपनिवेश में लिंटेल पर; दक्षिण-पूर्व कक्ष का प्रवेश द्वार, आदि. पश्चिमी स्तंभों में कई स्तंभों पर उकेरे गए मानव, पशु और मिश्रित चेहरों वाले कीर्तिमुख को नष्ट नहीं किया गया था. पश्चिमी स्तंभ की उत्तर और दक्षिण की दीवारों में लगी खिड़कियों के फ्रेम पर उकेरी गई देवताओं की छोटी आकृतियां भी तुलनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में हैं.

धार भोजशाला की रिपोर्ट एएसआई ने सौंप दिया है.
शिलालेख से पता चलता है बड़े शिक्षा केंद्र का
वर्तमान संरचना में और उसके आस-पास पाए गए कई टुकड़ों में समान पाठ शामिल है. और पद्य संख्याएं, जो सैकड़ों की संख्या में हैं, सुझाव देती हैं कि ये रचनाएं लंबी साहित्यिक रचनाएं थीं. पश्चिमी स्तंभ में दो अलग-अलग स्तंभों पर उत्कीर्ण दो नागकामिका शिलालेख व्याकरणिक और शैक्षिक रुचि के हैं. ये दो शिलालेख एक शिक्षा केंद्र के अस्तित्व की परंपरा की ओर संकेत करते हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना राजा भोज ने की थी. एक शिलालेख के शुरुआती छंदों में परमार वंश के उदयादित्य के पुत्र राजा नरवर्मन (1094-1133 ई. के बीच शासन किया) का उल्लेख है.

संस्कृत और प्राकृत शिलालेख पहले के
सभी संस्कृत और प्राकृत शिलालेख अरबी और फारसी शिलालेखों से पहले के हैं, जो दर्शाता है कि संस्कृत और प्राकृत शिलालेखों के उपयोगकर्ताओं या उत्कीर्णकों ने पहले इस स्थान पर कब्जा कर लिया था. खिलजी राजा महमूद शाह के शिलालेख के छंद 17-18, जो एएच 859 (1455 ई.पू.) का है और धार में अब्दुल्ला शाह चांगल के मकबरे के प्रवेश द्वार पर लगा हुआ है (एपिग्राफिया इंडो-मोस्लेमिका 1909-10) में उल्लेख है “(17) ) यह वीर व्यक्ति धर्म के केंद्र से इस पुराने मठ में लोगों की भीड़ के साथ पहुंचा (18) हिंसक तरीके से मूर्तियों के पुतलों को नष्ट कर दिया और इस मंदिर को मस्जिद में बदल दिया.”

धार भोजशाला की रिपोर्ट में बताया गया है कि दीवारों पर भगवानों की तस्वीरें उकेरी गई हैं.
पुरातात्विक अवशेष परमार कालीन
स्वभाव एवं आयु प्राप्त वास्तुशिल्प अवशेष, मूर्तिकला के टुकड़े, साहित्यिक ग्रंथों वाले शिलालेखों के बड़े स्लैब, स्तंभों पर नागकर्णिका शिलालेख आदि से पता चलता है कि साइट पर साहित्यिक और शैक्षिक गतिविधियों से जुड़ी एक बड़ी संरचना मौजूद थी. वैज्ञानिक जांच और जांच के समय मिले पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर, पहले से मौजूद संरचना  परमार कालीन बताई जा सकती है. प्राप्त खोजों के अध्ययन और विश्लेषण, स्थापत्य अवशेषों, मूर्तियों और शिलालेखों, कला और मूर्तियों के अध्ययन से कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई थी.

 

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