सोशल मीडिया:सरकार ही नहीं,भारत की जनता भी खड़ी है रूस के साथ
रूस सच्चा दोस्त है इसीलिए नहीं, इन कारणों से भी पुतिन के साथ खड़े हो रहे भारतीय, ट्विटर पर #IStandWithPutin टॉप ट्रेंड
Why Indians Supporting Russia in Ukraine War : भले ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया हो, लेकिन भारत में एक बड़ा तबका रूस की पारंपरिक दोस्ती का हवाला देकर उसका खुला समर्थन कर रहा है। लोगों का कहना है कि अमेरिका और पश्चिमी देश मौकापरस्त हैं जबकि रूस हमारा युगों युगों का साथी है।
हाइलाइट्स
भारत में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस के प्रति बड़ा जनसमर्थन उमड़ रहा है
लोग अमेरिका को धोखेबाज और स्वार्थी बताते हुए रूस को सच्चा दोस्त बता रहे हैं
ट्विटर पर रूस के समर्थन में हैशटैग चल रहे हैं जहां कई दलीलें दी जा रही हैंं
नई दिल्ली 04 मार्च: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के छह दिन हो गए हैं। चूंकि इस युद्ध में रूस ने हमलावर की भूमिका निभाई है, इस कारण यूक्रेन पीड़ित जान पड़ता है और ज्यादातर लोगों की सहानुभूति उसके साथ दिख रही है। हालांकि, भारत में एक बड़ा वर्ग रूस का खुला समर्थन कर रहा है। यह वर्ग रूस-यूक्रेन वॉर का असली विलेन अमेरिका और नाटो गठबंधन को मान रहा है। रूस समर्थक तरह-तरह की दलीलें पेश कर रहे हैं। सोशल मीडिया ट्विटर पर तो #IStandWithPutin टॉप ट्रेंडिंग है। लोग इस हैशटैग के साथ फैक्ट, कार्टून, मीम आदि पेश कर रहे हैं। आइए कुछ दिलचस्प ट्वीट्स का जायजा लें…
यूक्रेन ने की गलती तो अब भुगते
ट्विटर हैंडल @akashrusty का कहना है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति के पास रूसियों के खिलाफ अमेरिकियों का प्रॉक्सी बनने की जगह निष्पक्ष रहते हुए युद्ध टालने का बेहतर विकल्प था, लेकिन वो अमेरिकी चालबाजी का शिकार हो गए। उन्हें 100% ज्यादा मजबूत सैन्य शक्ति से लोहा लेने को लिए धकेल दिया गया।
रूस को उकसा रहा था यूक्रेन?
ट्विटर हैंडल @the_rahulyadav7 ने एक ट्वीट में कार्टून शेयर किया है और लिखा है, ‘जब अमेरिका यही काम मध्य पूर्व में करता है तो किसी को चिंता नहीं होती है, लेकिन जब यूरोप की सीमा से सटा एक देश करता है तो सब चीखने लगते हैं। पश्चिमी देश खतरा महसूस कर रहे हैं और हथियारों से मदद कर रहे हैं लेकिन उन्होंने सीरिया, इराक, लीबिया और फिलिस्तीन में ऐसा नहीं किया। सच्चाई तो हमेशा सामने आती है।’ कार्टून में दिखाया गया है कि कैसे यह नैरेटिव गढ़ा गया है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है और यूक्रेन कितना भोला है जबकि हकीकत यह है कि अमेरिका, नाटो, ब्रिटेन की शह पर यूक्रेन रूस को उकसा रहा था।
दूध का धुला नहीं है यूक्रेन
ट्विटर हैंडल @D_I_W_Mindset का मानना है कि यूक्रेन कोई दूध का धुला नहीं है। उसने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘मीडिया यह आपको नहीं दिखाएगा। पुतिन को यूक्रेन पर पश्चिमी देशों का प्रभाव खत्म करना ही होगा।’ उसने जो ट्वीट रीट्वीट किया है, उसमें एक तस्वीर के साथ लिखा है, ‘2014 से यूक्रेनियनों ने 15 हजार से ज्यादा नागरिकों को मार दिया, कुछ को तो जिंदा जला दिया गया। यह युद्ध रूसी आक्रमण नहीं बल्कि स्वजनों की मुक्ति का अभियान है।’ तस्वीर में तीन बच्चों के हाथों में दो पोस्टर हैं। एक में अंग्रेजी में लिखा है- डोनबास को यूक्रेन आर्मी से बचाइए।
आत्मघाती होगा रूस का विरोध
आहिया खान लिखती हैं, ‘हम रूस के खिलाफ गए तो हर मोर्चे पर बड़ी कीमत चुकानी होगी। रूस ने कठिन घड़ियों में हमारी मदद की है। यूरोप, अमेरिका तब हमारा विरोध किया था। इसलिए हमें अपने पुराने दोस्त का समर्थन करना चाहिए।’
अमेरिकी दादागीरी से तंग आ रही दुनिया
राहुल यादव दुनिया के कई देशों में अमेरिकी आक्रमण का हवाला देकर लिखते हैं, ‘मैं पुतिन के समर्थन इसलिए करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि इन सबके पीछे अमेरिका है। इसने अपने फायदों के लिए कई अच्छे देशों में अस्थिरता पैदा की। अब वक्त आ गया है कि उन्हें अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी (America First Policy) पर दोबारा से विचार करें। राहुल ने अपने ट्वीट के साथ ओबामा, जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन की तस्वीर भी साझा की है। इस तस्वीर पर लिखा है, ‘इन तीन लोगों ने 23 वर्षों में 9 इस्लामी देशों पर आक्रमण किया, 1.10 करोड़ मुसलमानों को मारा, फिर भी किसी ने उन्हें आतंकवादी नहीं कहा।’
अमेरिका के मुंह में राम, बगल में छूरी
सन्नी राजपूत ने एक कार्टून शेयर करते हुए बताया है कि कैसे पश्चिमी देश दुनियाभर में खूनी खेल करते रहते हैं। उन्होंने लिखा है, ‘हाथ में खंजर लिया हुआ व्यक्ति कहता है कि उसे शांति से बहुत प्यार है। यह सच में इस वक्त का सबसे बड़ा मजाक है।’ वो पूछते हैं कि जब पश्चिमी देश किसी देश को मिलकर तबाह करते हैं तब दुनिया में कोई भी उस वक्त उनके साथ खड़ा क्यों नहीं होता? क्या वो इंसान नहीं हैं? क्या वो इस समूह में महिलाएं और बच्चे नहीं हैं? इस ट्वीट के साथ शेयर की गई तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के साथ मास्क पहने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो दिख रहे हैं। सबके हाथ से खून की बूंदें टपक रही हैं। जॉनसन के हाथ में तो खून से भरी ग्लास ही है और बाइडेन एक हाथ उठाकर रूस की तरफ उंगलियां करते हुए कह रहे हैं कि रूसी खराब हैं।
पुतिन को किया गया मजबूर
अनुराग बंसल लिखते हैं, ‘मैं इस बात से सहमत हूं कि पुतिन अमेरिका से अपनी सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। हमने देखा है कि इन देशों के साथ क्या हुआ है। इराक, ईरान, अफगानिस्तान, सीरिया, लीबिया अमेरिकी आतंकवाद के उदाहरण हैं। उन्होंने सभी शहरों का विनाश कर दिया।’
पुदीना नहीं, परमाणु बम हैं पुतिन
लोग हाल ही में मशहूर हुई तेलुगू फिल्म पुष्पा के डायलॉग के जरिए भी रूस का समर्थन कर रहे हैं। एक मीम में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यह कहते हुए दिखाया गया है कि पुतिन नाम सुनके पुदीना समझा क्या, पुदीना नहीं परमाणु बम है मैं। दरअसल, फिल्म में नायक पुष्पा कहता है कि पुष्पा को फ्लावर समझा क्या, फ्लावर नहीं फायर है मैं।
अमेरिका पर रूस को तवज्जो देते हैं ज्यादातर भारतीय?
ध्यान रहे कि रूस, भारत का परांपरिक मित्र रहा है। युद्ध हो या वैश्विक कूटनीति का तकाजा, रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया जबकि अमेरिका एवं पश्चिमी देश का रवैया अक्सर भारत विरोधी रहा है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका भी भारत के साथ पींगे बढ़ाने को मजबूर हो रहा है। हालांकि, भारत की आम जनता में रूस के मुकाबले अमेरिका पर बहुत कम भरोसा देखा जाता है। यही रूस-यूक्रेन युद्ध में भी सामने आ रहा है। बहरहाल, इस युद्ध को लेकर भारतीयों की सोच का अंदाजा ऊपर दिए गए पोल में भी साफ-साफ लगाया जा सकता है।