पद ग्रहण के पहले ही सूचना सलाहकार की नियुक्ति रद्द
देहरादून/हल्द्वानी19 मई। इस सरकार में भी शायद सब कुछ ठीक नहीं हो रहा। दो दिन पहले हल्द्वानी के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से एनडीटीवी के प्रतिनिधि और वहां थाल सेवा चलाने वाले दिनेश मानसेरा को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का मीडिया सलाहकार बनाया गया और विरोध होने पर आज हटा दिया गया।
उत्तर उजाला से अपना कैरियर शुरू करने वाले दिनेश पांचजन्य से लेकर स्वतंत्र विचार से भाजपा की आलोचना तक के कारण अलग पहचान रखते हैं। उन्हें वन्य जीवन और पर्यावरण विषयों में महारथ के लिए भी जाना जाता है। हरियाणा में भाजपा महामंत्री (संगठन) रहे और इस समय उत्तराखंड भाजपा के महामंत्री सुरेश भट्ट की पसंद बताये जा रहे थे लेकिन लंबे समय से मीडिया में भाजपा के चेहरा रहे डॉक्टर देवेन्द्र भसीन, राजीव उनियाल और अजेंद्र अजय, सतीश लखेड़ा जैसे दर्जनों नाम छोड़कर बाउंड्री लाइन पर खड़े दिनेश मानसेरा जैसे मनमौजी पेशेवर पत्रकार को सूचना सलाहकार बनाये जाते ही उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइलिंग के आधार पर विरोध शुरू हो गया। किसी ने उन्हें सीधे नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश का आदमी बता कर विरोध कर दिया।
अब यह समझ से बाहर है कि जब आजकल चपरासी नियुक्त करते भी सोशल प्रोफाइलिंग खंगाली जाती है तो इस संवेदनशील मामले में पहले होमवर्क क्यों नहीं किया गया? लांकि भाजपा में ये स्थापित परंपरा है कि इनकी सरकार में समान विचारधारा को छोड़ धुर विरोधी कांग्रेस या कम्यूनिस्ट विचार धारा से जुडे पत्रकारों की सलाह पर ही भरोसा किया जाता है। उदाहरण को मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी के दूसरे कार्यकाल और त्रिवेन्द्र सिंह रावत के एक मात्र कार्यकाल को याद किया जा सकता है। सो, दिनेश मानसेरा प्रकरण को लेकर यही कहा जायेगा कि बनाया तो बुरा किया, हटाया तो और भी ज्यादा बुरा किया। अब इज्जत बचाने को मानसेरा ने फेसबुक पोस्ट लिखी है कि उन्हें सूचना सलाहकार बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री का था लेकिन काम के लिए माहौल अनुकूल न होने से वे इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर रहे हैं लेकिन इस पोस्ट में देर हो चुकी थी। उन्हे हटाये जाने का आदेश तब तक वायरल हो चुका था।
इसकी शर्मिंदगी सरकार में भी दिख ही रही है। संयुक्त सचिव के नियुक्ति आदेश में दिनेश मानसेरा का नाम लिखा गया तो अपर मुख्य सचिव के स्तर से हटाये जाने के आदेश में दिनेश मानसेरा का नाम साफ है। उसमें सिर्फ 17 मई के आदेश की संख्या का जिक्र किया गया है।
इंटरनेट मीडिया पर मानसेरा के भाजपा के खिलाफ किए गए पुराने वायरल हुए ट्वीट भाजपा आलाकमान ने गंभीरता से लिये
इंटरनेट मीडिया पर मानसेरा के भाजपा के खिलाफ किए गए पुराने ट्वीट वायरल होने पर भाजपा आलाकमान ने इसे गंभीरता से लिया। इससे सरकार को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
17 मई को दिनेश मानसेरा की नियुक्ति की थी। मानसेरा के पदभार संभालने से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर उनके पुराने ट्वीट चर्चित हो गए। इन ट्वीट में भाजपा को लेकर उनके पुराने रुख को लेकर चर्चाएं जोर पकड़ गईं। बताया जा रहा है कि उनके मीडिया के एक वर्ग विशेष से जुड़े रहने की शिकायतें भी पार्टी आलाकमान तक पहुंचीं। इंटरनेट मीडिया में उन्हें प्रदेश में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का नजदीकी भी बताया गया। चर्चा यह भी रही कि उनकी नियुक्ति में पार्टी के बड़े नेता की भूमिका रही। हालांकि, इस पद के कई दावेदार पार्टी में थे लेकिन सरकार ने मानसेरा के नाम को तरजीह दी।
इस तरह की चर्चाओं के बाद मीडिया सलाहकार के पद पर मानसेरा की नियुक्ति पर पार्टी के भीतर ही कई तरह के सवाल उठ खडे हुए। आखिरकार बुधवार को सरकार ने उनकी नियुक्ति रद कर दी। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने 17 मई को उनकी नियुक्ति का आदेश निरस्त कर दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इस बारे में कहा कि राजनीतिक निर्णयों में परिवर्तन की गुंजाइश रहती है। मानसेरा के मामले में सरकार ने इसी के अनुरूप निर्णय लिया। सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि किसे सलाहकार नियुक्ति करना है, यह मुख्यमंत्री का अधिकार होता है। इस तरह के निर्णयों में बदलाव सामान्य बात है।
उधर, दिनेश मानसेरा ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने उन्हें अपना मीडिया सलाहकार बनाया। उनके देहरादून पहुंचने से पहले ही इंटरनेट मीडिया पर उनकी नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री के फैसले पर सवाल उठे। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने से पहले उन्हें सभी विषयों पर सोचना पड़ा। ऐसे माहौल में काम करने का कोई औचित्य नहीं है। सबकी गरिमा बनी रहे, इसलिए वह पद को अस्वीकार कर रहे हैं।
अब इस पद के लिए उत्तराखंड के पत्रकारों में आपसी टांग खिंचाई देख उत्तर प्रदेश से किसी आलोक अवस्थी को भेजे जाने की सुगबुगाहट से विरोध में फिर मोर्चा खुलता दिख रहा है।