दून कलेक्ट्रेट में जगह नहीं मिल पा रही एकीकृत हरित भवन को, दफ्तर नहीं हो रहे खाली
कलेक्ट्रेट परिसर खाली करने को कार्यालयों को अंतिम नोटिस
प्रदेश की पहली इंटीग्रेटेड (एकीकृत) ग्रीन बिल्डिंग की निर्माण की राह आसान नहीं हो पा रही है।
कलेक्ट्रेट परिसर खाली करने को कार्यालयों को अंतिम नोटिस
देहरादून 06 नवंबर: प्रदेश की पहली इंटीग्रेटेड (एकीकृत) ग्रीन बिल्डिंग की निर्माण की राह आसान नहीं हो पा रही है। पहले बिल्डिंग का निर्माण अक्टूबर में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था, मगर तमाम कार्यालयों की शिफ्टिंग न हो पाने के चलते मामला लटक गया। अब जिला प्रशासन ने विभिन्न कार्यालयों को कलेक्ट्रेट परिसर खाली करने के लिए अंतिम नोटिस जारी कर दिया है।
स्मार्ट सिटी परियोजना में कलेक्ट्रेट परिसर में ग्राउंड फ्लोर के अलावा आठ फ्लोर (तल) की बिल्डिंग का निर्माण किया जाना है। सभी जिला स्तरीय प्रमुख कार्यालयों को एक छत के नीचे लाने की मंशा के तहत ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण किया जाना है। जनता की सहूलियत के लिहाज से परियोजना बेहद अहम है। मगर, जिस तरह के निर्माण में निरंतर विलंब हो रहा है, उससे देखते हुए देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी के साथ ही जिला प्रशासन की चिंता भी बढ़ गई है।
प्रशासन के निरंतर प्रयास के बाद भी अब तक सिर्फ जिला आबकारी कार्यालय व जिला सूचना कार्यालय को ही शिफ्ट किया जा सका है। करीब एक दर्जन कार्यालय अभी भी कलेक्ट्रेट परिसर से संचालित किए जा रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि संबंधित कार्यालयों को अन्यत्र भवन नहीं मिल पा रहा। इनमें मुख्य कोषाधिकारी कार्यालय समेत सब रजिस्ट्रार जैसे कार्यालय भी यहीं पर हैं। आनलाइन रूप में संचालित होने वाली सेवाओं के चलते भी कार्यालयों की शिफ्टिंग में पेच फंस रहा है। कार्यालयों की शिफ्टिंग की जिम्मेदारी देख रहे अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) केके मिश्रा ने बताया कि दीपावली व विभिन्न वीआइपी मूवमेंट को देखते हुए कार्यालयों को अतिरिक्त समय दिया गया। अब दीपावली के बाद अंतिम नोटिस के सापेक्ष की जा रही कार्रवाई की समीक्षा की जाएगी। देखा जाएगा कि किस कार्यालय प्रमुख ने शिफ्टिंग के लिए अब तक क्या प्रयास किए हैं।
चुनाव तक लटक सकता है मामला
निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और जनवरी माह में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। ऐसे में पूरी मशीनरी चुनावी मोड में आ जाएगी। तमाम रिटर्निंग अधिकारियों के कार्यालय भी कलेक्ट्रेट परिसर से ही संचालित किए जाते हैं। इस लिहाज से भी ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण में विलंब होता दिख रहा है। जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उससे संकेत मिल रहे हैं कि कार्यालयों की शिफ्टिंग चुनाव से पहले कर पाना आसान नहीं और इसके चलते कई तरह की तकनीकी अड़चन भी आ सकती है। क्योंकि चुनाव संचालन करने वाला जिला निर्वाचन कार्यालय भी कलेक्ट्रेट परिसर में ही है।
46 हजार वर्गमीटर में बननी है ग्रीन बिल्डंग, पार्किंग की समस्या होगी हल
ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कलेक्ट्रेट परिसर में 46 हजार 126 वर्गमीटर क्षेत्रफल में किया जाना है। कलेक्ट्रेट परिसर में पार्किंग की समस्या हर समय बनी रहती है। ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के बाद यह समस्या हल हो पाएगी और इस पूरे क्षेत्र में लगने वाले जाम से भी जनता को निजात मिल पाएगी। इस लिहाज से भी देखें तो पूरी परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है।
हरिद्वार रोड नहीं, कलेक्ट्रेट में बनेगा हरित भवन, 25 विभाग होंगे शिफ्ट,सौर ऊर्जा होगी प्रयोग
देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से ग्रीन बिल्डिंग कलेक्ट्रेट में ही बनेगी। इसमें 25 विभाग शिफ्ट होंगे। इस पर इसी महीने टेंडर कराकर जल्द काम शुरू होगा। कंपनी की 24 महीने में ग्रीन बिल्डिंग तैयार करने की योजना है।
राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हाईटेक इंटीग्रेटेड ग्रीन बिल्डिंग का काम जल्द शुरू होने जा रहा है। कलेक्ट्रेट परिसर में बनने वाली इस बिल्डिंग में कलेक्ट्रेट के सभी 25 विभाग शिफ्ट किए जाएंगे। यह बिल्डिंग अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होने के साथ ही ईको-फ्रेंडली भी होगी।
इस बिल्डिंग के निर्माण में करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें वाहनों की पार्किंग, हाईटेक बॉयोमेट्रिक सिस्टम, सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम, सोलर पावर प्रोडक्शन जैसी सुविधाएं भी होंगी। बिल्डिंग को भूकंपरोधी तकनीक से तैयार किया जाएगा।
पहले हरिद्वार रोड वर्कशॉप में बननी थी बिल्डिंग
स्मार्ट सिटी में पहले हरिद्वार रोड स्थित रोडवेज वर्कशॉप की जमीन पर इंटीग्रेटेड ग्रीन बिल्डिंग बनाई जानी थी लेकिन रोडवेज कर्मचारी यूनियन की ओर से हाईकोर्ट में जमीन के बदले आईएसबीटी का स्वामित्व तथा 100 करोड़ रुपये की डिमांड ले अपील की गई। हाईकोर्ट ने जमीन ट्रांसफर करने पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी जिसके बाद ग्रीन बिल्डिंग कलेक्ट्रेट परिसर में ही बनाने का निर्णय लिया गया है।
इंटीग्रेटेड बिल्डिंग की खासियत
– भूकंपरोधी तकनीक से युक्त
– बिल्डिंग के बाहर इनफॉरमेशन डिस्प्ले बोर्ड
– ओपन स्पेस
– नेचुरल वेंटिलेशन
– नेचुरल लाइटिंग
– पूरी तरह से सीसीटीवी सर्विलांस
– सोलर एनर्जी कंजप्शन
यह है इंटीग्रेटेड ग्रीन बिल्डिंग
ग्रीन बिल्डिंग का मतलब ईको फ्रेंडली बिल्डिंग से है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन ऐसे नॉन-टॉक्सिक और टिकाऊ मैटेरियल से किया जाता है, जिसमें नेचुरल लाइट और वेंटिलेशन की सुविधा हो। पावर कंजप्शन कम से कम हो। वहीं, सोलर एनर्जी का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो। इसके साथ ही चारों ओर हरियाली हो।
डिस्ट्रिक्ट सेक्रेट्रिएट होगा नाम
कलेक्ट्रेट में इंटीग्रेटेड ग्रीन बिल्डिंग बनने के बाद उसका नाम बदलकर डिस्ट्रिक्ट सेक्रेट्रिएट यानी जिला सचिवालय रखा जाएगा। इसकी घोषणा पिछले साल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की थी।