आतंकी खुर्रम से सांठगांठ:आईपीएस नेगी भी न्यायिक हिरासत में
टेरर फंडिंग में आइपीएस नेगी, खुर्रम परवेज को न्यायिक हिरासत में भेजा, लश्कर वर्कर को गोपनीय दस्तावेज लीक कराने का मामला
दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में आइपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। नेगी को गत सप्ताह आतंकी संगठन लश्कर के एक ओवर ग्राउंड वर्कर को गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था
टेरर फंडिंग में आइपीएस नेगी, खुर्रम परवेज को न्यायिक हिरासत में भेजा।
नई दिल्ली/शिमला 25 फरवरी। दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) अदालत ने टेरर फंडिंग मामले में आइपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। नेगी को गत सप्ताह आतंकी संगठन लश्कर के एक ओवर ग्राउंड वर्कर को गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसे सात दिनों की रिमांड में भेजा गया था।
विशेष एनआइए अदालत के न्यायाधीश परवीन सिंह ने नेगी के साथ ही कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज और अन्य दो लोगों को भी न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इन लोगों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आतंकवाद और टेरर फंडिंग से संबंधित मामले भी शामिल हैं।बता दें कि रिमांड की अवधि समाप्त हो जाने के बाद नेगी को विशेष अदालत के सामने पेश किया गया।
एजेंसी ने नए आवेदन में आरोपित मुनीर अहमद चौधरी, अरशिद अहमद तथा खुर्रम परवेज को भी हिरासत में भेजने का अनुरोध किया। एनआइए ने आरोप लगाया कि आरोपित लश्कर के ओवर ग्राउंड वर्कर के साथ काम कर रहे थे। पूरे भारत में आतंकी संगठन के लिए लोगों की भर्ती की। एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर तथा बंगाल के कई स्थानों पर छापा मारा गया और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए। इन दस्तावेजों की पड़ताल और नेगी के साथ-साथ अन्य आरोपितों के साथ पूछताछ लिए इनकी न्यायिक हिरासत आवश्यक है।
किन्नौर में है घर, PMT स्कैम से लेकर जहरीली शराब कांड की जांच में भी थे शामिल
IPS Negi Arrest: हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी गिरफ्तार हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी गिरफ्तार.
IPS Arvind Negi Arrested by NIA: एनआईए के रडार पर होनेसे आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को जयराम सरकार ने भी बड़ी जिम्मेवारी नहीं दी थी. हाल ही में वह केंद्र से हिमाचल लौटे थे. वह प्रदेश में नई नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे. बाद में पिछले हफ्ते ही नेगी को एसडीआरएफ जुन्गा में कमांडेंट लगाया गया था
नेशनल इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी सगंठन लश्कर-ए-तयबा को गोपनीय जानकारी लीक करने के आरोप में हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. बीते साल नंवबर में नेगी के शिमला के कलस्टन में घर छापा पड़ा था. नेगी के खिलाफ बीते साल नवंबर में मुकदमा किया था और एनआईए मामले की जांच कर रही थी.
जानकारी के अनुसार, अरविंद नेगी एनआईए में 11 साल तक सेवाएं दे चुके हैं और उन्हें तेज तर्रार अफसरों में गिना जाता है, लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी से कई सवाल उठे हैं. हिमाचल के डीजीपी और गृह सचिव ने मामले पर बोलने से इंकार किया है.
अरविंद दिग्विजय नेगी हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के कल्पा की डुनी गांव से हैं. शिमला में भी उनका घर है. हाल ही में मंडी जिले में सुंदरनगर में जहरीली शराब पीने से 7 लोगों की मौत हो गई थी. मामले की जांच करने वाली एसआईटी टीम में भी नेगी शामिल थे. बीते साल 27 नवंबर को एनआईए की टीम ने कल्पा के डुनी गांव में उनके घर की तलाशी ली थी. नेगी के पिता भी हिमाचल पुलिस में अफसर रह चुके हैं. हिमाचल में साल 2006 में मेडिकल कॉलेजों में दाखिले को लेकर पीएमटी स्कैम के लिए गठित जांच टीम में नेगी शामिल रहे हैं. वह शिमला के डीएसपी के पद भी तैनात रहे हैं. उन्हें सख्त और योग्य अफसर के रूप में जाना जाता है. शिमला में इशिता तेजाब कांड की जांच टीम में भी नेगी शामिल रहे थेे।
गिरफ्तारी से पहले हिमाचल पुलिस में एनआईए के रडार पर होने से केंद्र से हिमाचल लौटे अरविंद दिग्विजय नेगी को जयराम सरकार ने बड़ी जिम्मेवारी नहीं दी थी. पिछले हफ्ते ही नेगी एसडीआरएफ जुन्गा में एसपी बनें थे. नेगी की गिरफ्तारी की सूचना सोशल मीडिया पर फैली तो इससे हिमाचल प्रदेश और राज्य पुलिस में हड़कंप मच गया . बता दें कि आरोपों के संबंध में अपना पक्ष रखने को नेगी की पहले ही दो बार एनआईए में पेशी हो चुकी है. जांच एजेंसियां नेगी की संपत्ति की जांच कर रही है.
कौन हैं अरविंद दिग्विजय नेगी; खुर्रम परवेज़ से क्या संबंध; NIA ने क्यों गिरफ़्तार किया ?
Who is Arvind Digvijay Negi; Connection with Khurr
शिमला के एसपी अरविंद दिग्विजय नेगी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) नेटवर्क जांच में गिरफ़्तार हुये हैं। अरविंद नेगी एनआईए की स्थापना से इसके टॉप जांचकर्ता रह चुके हैं। अरविंद एनआईए के साथ इसकी स्थापना के समय से ही जुड़े थे।
एनआईए के दावा है कि “ एसपी शिमला एडी नेगी की जांच में पुष्टी हुई और उनके घर की तलाशी ली गई। यह भी पाया गया कि एनआईए के आधिकारिक गुप्त दस्तावेज एडी नेगी ने लश्कर के ओजीडब्ल्यू खुर्रम को लीक किए।”
फ़्म्श्र्र्ता्ा्ली
इनपुट के मुताबिक़ खुफिया जानकारी परवेज़ के ज़रिए एलईटी को पहुंचाई गई थी।
कौन हैं अरविंद दिग्विजय नेगी ?
एनआईए के साथ एजेंसी की स्थापना से काम करने के बाद वो पिछले साल अपने कैडर और गृह राज्य हिमाचल प्रदेश वापस आए थे। अरविंद नेगी ने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी मामलों में हुर्रियत नेताओं की जांच की, बल्कि हिंदुत्व आतंकी मामलों की जांच टीम में एक प्रमुख अधिकारी भी थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्होंने 2007 के अजमेर दरगाह विस्फोट की जांच की जिसमें एनआईए ने हिंदुत्व आतंकी मामलों के दायरे में अपनी पहली और एकमात्र सज़ा हासिल की।
अगस्त 2018 में, आरएसएस के प्रचारक देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को विशेष अदालत ने विस्फोट के लिए दोषी ठहराया था, जिसमें तीन लोग मारे गए थे और 15 घायल हो गए थे।
अरविंद नेगी शुरुआत में 2008 के मालेगांव विस्फोटों की जांच से भी जुड़े लेकिन बाद में उन्हें हटाया गया था। समझौता एक्सप्रेस विस्फोट की भी वो जांच कर रहे थे जिसमें स्वामी असीमानंद आरोपित हैं। इनके अलावा नॉर्थ-ईस्ट में भी उन्होंने कई जांचें की।
एनआईए नवंबर 2020 में दर्ज मामले की जांच कर रही है जिसमें अब तक छह लोगों को गिरफ़्तार किया है। इन्हीं में कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ भी हैं जो 22 नवंबर 2021 को गिरफ़्तार हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ अरविंद नेगी अक्टूबर 2020 में ख़ुद खुर्रम परवेज़ के घर पर छापेमारी कर चुके जब एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में एनजीओ के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था।
एनआईए का दावा है कि नेगी ने परवेज़ को जांच की गोपनीय जानकारी दी थी। नेगी के ख़िलाफ़ आतंक विरोधी अधिनियम UAPA की कई धाराओं में मामले दर्ज हुए हैं।
कौन हैं खुर्रम परवेज़ ?
पत्रकार 44 साल के खुर्रम परवेज़ सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करते हैं। वो अव्यवसायी संस्था Jammu and Kashmir Coalition of Civil Society (JKCCS) के सदस्य हैं जो 20 सालों से जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार के काम का दावा करती है। खुर्रम परवेज़ ज़बरदस्ती ग़ायब किए लोगों के लिए काम करने वाली अंतराष्ट्रीय संस्था Asian Federation against Involuntary Disappearances (AFAD) के अध्यक्ष भी हैं।
परवेज़ विद्यार्थी काल से ही घाटी में मानवाधिकार उल्लंघन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। AFAD के पहले भी खुर्रम श्रीनगर स्थित Association of Parents of Disappeared Persons में थे। उनकी गिरफ़्तारी पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने आवाज़ उठाई और उन्हेंं छोड़ने की मांग की लेकिन वो अभी भी जेल में हैं।