चमोली STP दुर्घटना जांच: अनियमितता और भ्रष्टाचार ने ली 16 की जान

Chamoli STP Incident: एसटीपी का अप्रशिक्षित कर्मचारी कर रहे थे संचालन, मानक से 18 गुना मिली थी अर्थिंग
चमोली के जिस एसटीपी में 16 व्यक्तियों की जान गई वहां सुरक्षा मानकों की ही अनदेखी नहीं हुई बल्कि इससे इतर भी खामियां पाई गईं। प्लांट में विद्युत के झटकों और खतरों से सुरक्षा हेतु की गई अर्थिंग व्यवस्था भी मानकों पर खरी नहीं थी। इसका संचालन अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे था तो नमामि गंगे परियोजना के उद्देश्यों को पलीता और सरकारी खजाने को चपत भी लगाई जा रही थी।

एसटीपी का अप्रशिक्षित कर्मचारी कर रहे थे संचालन

देहरादून 29 जुलाई। चमोली के जिस एसटीपी में 16 व्यक्तियों की जान गई, वहां सुरक्षा मानकों की ही अनदेखी नहीं हुई, बल्कि इससे इतर भी खामियां पाई गईं। प्लांट में विद्युत के झटकों और खतरों से सुरक्षा हेतु की गई अर्थिंग व्यवस्था भी मानकों पर खरी नहीं थी।

प्लांट का संचालन अप्रशिक्षित कर्मचारियों के भरोसे था तो नमामि गंगे परियोजना के उद्देश्यों को पलीता और सरकारी खजाने को चपत भी लगाई जा रही थी। अब मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष और संस्तुतियां भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

सामान्य से अधिक पाई गई अर्थिंग
इस प्लांट में बीती 19 जुलाई को करंट फैलने से मौतें होने पर सबसे पहले विद्युत सुरक्षा मानकों को लेकर सवाल खड़े हुए। इस पर ऊर्जा निगम की तकनीकी टीम ने जांच की तो प्लांट में तीन अलग-अलग स्थानों पर अर्थिंग क्रमश: 14, 15 और 18 ओम (विद्युत प्रतिरोध की इकाई) पाई गई। जबकि, सामान्य तौर पर अर्थिंग एक ओम या इससे कम होनी चाहिए। अर्थिंग से करंट जमीन में उतर जाता है।

प्रतिरोध अधिक होने के कारण ही विद्युत केबल से लीक हुई बिजली सीधे धरती में जाने की बजाय टिन व लोहे के ढांचे में दौड़ती रही। प्लांट में एमसीबी भी नहीं थी। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर इसका उल्लेख किया गया है।

दो से ढाई यूनिट बिजली का खर्च

25 किलोवाट भार क्षमता वाले इस प्लांट में बिजली खपत की बात करें तो पिछले छह माह में प्रतिदिन दो से ढाई यूनिट बिजली ही खर्च हुई, जो सामान्य घरों के बिजली खर्च के बराबर भी नहीं है। ऐसे में प्लांट में सीवेज का शोधन किए बगैर ही उसे अलकनंदा नदी में बहाए जाने की आशंका भी बेवजह नहीं है।

अप्रशिक्षित गणेश के जिम्मे था एसटीपी का संचालन
कर्मचारियों की बात करें तो प्लांट के संचालन को आइटीआइ से इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग में सर्टिफिकेट प्राप्त आपरेटर होना चाहिए। लेकिन, एसटीपी का संचालन अप्रशिक्षित गणेश के जिम्मे था। वहीं प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था भी संभालता था। प्लांट में करंट फैलने पर सबसे पहले उसी की मौत हुई।

प्लांट की निगरानी को एक सुपरवाइजर होना चाहिए, जिसने आइटीआइ से इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग में सर्टिफिकेट कोर्स किया हो। लेकिन, कंपनी की ओर से संचालित सभी 18 एसटीपी की जिम्मेदारी सुपरवाइजर पवन चमोला के पास थी। इन्हीं हालात को देखते हुए मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट में एसटीपी के संचालन और रखरखाव के लिए प्रस्तुत बिलों को संदिग्ध माना गया है।

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