भड़के प्रशांत किशोर का करन थापर को चैलेंज,दिखाओ HP पर मेरा दावा
Social Media Discusses Hot Talks Between Prashant Kishor And Karan Thapar During Interview On Lok Sabha Election Result Forecast
आप जैसे चार से अकेले निपट सकता हूं… करन थापर पर भड़के प्रशांत किशोर, सोशल मीडिया पर गहमागहमी
पत्रकार करन थापर और चुनाव विश्लेषक प्रशांत किशोर के बीच जबर्दस्त बहस हो गई। करन ने 2022 के एक अनुमान को लेकर प्रशांत को घेरा तो उन्होंने सबूत मांग लिए। करन थापर जब आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे तो प्रशांत किशोर सबूत दिखाने की मांग पर अड़ गए। उन्होंने साफ कहा कि अगर सबूत नहीं है तो करन को माफी मांगनी चाहिए।
पत्रकार करन थापर और प्रशांत किशोर के बीच बहस पर जोरदार चर्चा
सोशल मीडिया पर कोई करन को तो कोई प्रशांत को बता रहे सही
करन ने 2022 के अनुमान की बात की तो प्रशांत ने मांग लिया सबूत
नई दिल्ली: 4 जून को जब लोकसभा चुनावों के परिणाम आएंगे तो क्या होगा? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। विश्लेषक इसका जवाब दे भी रहे हैं। यह अलग बात है कि जब तक रिजल्ट नहीं आ जाए, तब तक अनुमान और अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। इस दौर में चुनावी विश्लेषक प्रशांत किशोर को भी लोग गौर से सुन रहे हैं। यही वजह है कि उनकी हर मीडिया संस्थानों में डिमांड है। प्रशांत किशोर बड़े-बड़े पत्रकारों को इंटरव्यू दे रहे हैं। ऐसे ही एक इंटरव्यू के दौरान द वायर के पत्रकार करन थापर के साथ उनकी बहस अलग मोड़ ले लेती है। दोनों के बीच हुई नोंक-झोंक का वीडियो क्लिप अब सोशल मीडिया पर वायरल है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर लोग वीडियो के साथ अपनी राय भी साझा कर रहे हैं। कुछ लोग जहां करन थापर की प्रशंसा कर रहे हैं तो कोई प्रशांत किशोर की पीठ थपथपाने में जुटे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर करन थापर और प्रशांत किशोर के बीच हुआ क्या और किस बात को लेकर दोनों के बीच बहस अब चर्चा का विषय बन गई है।
करन थापर की एक टिप्पणी और बिफर पड़े प्रशांत किशोर
दरअसल, करन थापर एक सवाल करते हैं और प्रशांत किशोर जैसे ही जवाब देना शुरू करते हैं, करन बीच में ही एक टिप्पणी कर देते हैं। इसी पर प्रशांत किशोर उनसे सबूत मांगने लगते हैं। प्रशांत जब कहते हैं कि उनकी समझ से इस बार के चुनाव में बीजेपी की कुल सीटों की संख्या घटती नहीं दिखती है। वो कहते हैं कि देश का उत्तर-पश्चिमी हिस्से के प्रदेश बीजेपी के गढ़ हैं, वहां पार्टी को कोई बड़ा नुकसान होता नहीं दिख रहा है। और जो थोड़ा-बहुत नुकसान होगा, उसकी भरपाई दक्षिण-पूर्वी राज्यों से हो जाएगी। इस पर करन पूछते हैं कि यह अनुमान लगाते हुए वो (प्रशांत) कितने आश्वस्त हैं। प्रशांत कहते हैं- बहुत ज्यादा। मैं जितना हुआ करता हूं। इस पर करन थापर उनसे कहते हैं कि वो दरअसल यह सवाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि प्रशांत किशोर ने ऐसी ही एक अनुमान हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों के वक्त लगाया था और कहा था कि कांग्रेस पार्टी वहां जड़ से उखड़ जाएगी। हालांकि नतीजे आए तो हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की सरकार बन गई।
वीडियो दिखाने की मांग पर लंबी चली बहस
करन की इस टिप्पणी पर प्रशांत किशोर ने पूछा कि क्या ये उन्होंने कभी कहा? अगर कहा तो उन्हें वह वीडियो दिखाया जाए। करन कहते हैं कि मई, 2022 में आपने हिमाचल में कांग्रेस के खात्मे का अनुमान लगाया था। इस पर प्रशांत उनसे इस बयान का वीडियो दिखाने की मांग करते हैं और अड़ जाते हैं। वो कहते हैं कि अगर आप मुझे यह वीडियो दिखा दें तो मैं इस पेशे से निकल जाऊंगा और अगर आप गलत हैं तो तुरंत माफिए मांगिए। दोनों के बीच लंबी नोंक-झोंक होती है। एक वक्त पर प्रशांत किशोर यहां तक कहते हैं कि करन, आप मुझे डरा-धमका नहीं सकते। फिर आप क्या, कोई भी पत्रकार या कोई और व्यक्ति मुझे नहीं डरा सकता है। उन्होंने कहा कि करन, आपको लगता है कि इंटरव्यू में कड़े सवाल से असहज करके लोगों को भागने पर मजबूर करना आपकी यूएसपी है, लेकिन मैं आप जैसे चार लोगों से अकेले निपट सकता हूं। इस तरह, थोड़ी देर तक चली गरमा-गरम बहस के बात इंटरव्यू आगे बढ़ता है और फिर से सवाल-जवाब का सिलसिला चल पड़ता है।
लोग मानते हैं कि प्रशांत किशोर ने ही करन थापर की बखिया उधेड़ डाली। अरुण पुदुर लिखते हैं, ‘करन थापर को बढ़िया सबक मिल गया। हर कोई जानता है कि वो कैसे झूठ बोलकर अपने गेस्ट को डराते हैं.
वहीं, दर्शन पाठक लिखते हैं, ‘मैं आप जैसे चार लोगों से निपट सकता हूं… जब करन थापर उन्हें धमकाने की कोशिश करते हैं तो प्रशांत किशोर ने ये कहा। करन इस बार भी आधा सच छिपाकर चालाकी करना चाह रहे थे, जैसा वो करते रहते हैं। पूरे इंटरव्यू में वो हमेशा एजेंडे के शब्द चुनते हैं, अपनी मर्जी से व्याख्या करते हैं और कोशिश करते हैं कि उनकी ही बात सामने वाला भी बोल दे।’
4 जून तक यूं चलता रहेगा अटकलों का दौर
चुनावों को लेकर भविष्यवाणी के इस दौर में विश्लेषकों के बीच भी खेमेबंदी दिख रही है। एक वर्ग ऐसा है जो बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत भी हासिल नहीं होने की भविष्यवाणी कर रहा है तो प्रशांत किशोर कहते हैं कि बीजेपी इस बार भी 2019 के बराबर ही सीटें लाएगी या थोड़ा ज्यादा भी। विभिन्न सर्वे हाउस, मीडिया हाउस और स्वतंत्र पत्रकार जमीन पर जाकर सर्वे कर रहे हैं। 1 जून को जब सातवें चरण का मतदान खत्म होगा तो शाम में सर्वे के परिणाम दिखाए जाएंगे और 4 जून तक उन्हीं सर्वे रिपोर्ट्स पर चर्चा होगी। तब तक विश्लेषकों के इंटरव्यू हो रहे हैं और तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। आखिरी फैसला तो 4 जून को ही आएगा।
Prashant Kishor Track Record As Political Strategist For Different Parties In Lok Sabha And Assembly Elections
प्रशांत किशोर का काम बोलता है या सिर्फ जुबान चलती है? चुनावी समझ का ट्रैक रिकॉर्ड देख लीजिए
प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीतिकार के रूप में अच्छी प्रतिष्ठा है। लेकिन इस लोकसभा चुनावों में उनकी भविष्यवाणियों पर भाजपा विरोधी नाराज़ हैं। जिन्हें प्रशांत का अनुमान जंच नहीं रहा,वो उन्हें भाजपा प्रवक्ता तक ठहरा रहे हैं। लेकिन उनका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है? आइए देखते हैं।
प्रशांत किशोर ने की है भाजपा सरकार के तीसरे टर्म की भविष्यवाणी
किशोर ने कहा कि भाजपा को इस चुनाव में बड़ा डेंट नहीं लग रहा
प्रशांत के इस दावे पर एक इंटरव्यू में होस्ट के साथ तीखी बहस हो गई
चुनाव विश्लेषक प्रशांत किशोर लोकसभा चुनावों के परिणाम को लेकर अपने अनुमान के लिए लगातार चर्चा में हैं। देश के बड़े-बड़े मीडिया हाउस के साथ नामी-गिरामी स्वतंत्र पत्रकार भी प्रशांत किशोर से पूछ रहे हैं कि 4 जून को क्या होने वाला है। वो अपने हरेक इंटरव्यू में यही दावा कर रहे हैं कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) फिर से केंद्रीय सत्ता में आ रही है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उनका कहना है कि जमीन पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कोई गुस्सा नहीं दिख रहा, हल्की-फुल्की नाराजगी है भी तो भाजपा को सीटों के रूप में कहीं बड़ा नुकसान होता नहीं दिख रहा है। वो कहते हैं कि अगर भाजपा उत्तर-पश्चिम भारत के अपने गढ़ में कुछ सीटें गंवा सकती है तो उसे दक्षिण-पूरब में कुछ सीटों का फायदा हो सकता है। इस तरह भाजपा को 2019 या उससे भी बड़ी जीत मिल सकती है।
प्रशांत के अनुमानों से भाजपा विरोधी असहमत
इस पर भाजपा विरोधियों की त्योरियां चढ़ गई हैं। मीडिया हाउस द वायर के लिए इंटरव्यू कर रहे पत्रकार करन थापर के साथ प्रशांत किशोर की नोक-झोंक भी हो गई। करन ने प्रशांत के विश्लेषण पर पूछ लिया कि वो अपने अनुमानों को लेकर कितना आश्वस्त हैं? उन्होंने कहा कि मई, 2022 में प्रशांत किशोर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सफाये की बात कही थी जो पूरी तरह गलत निकली, इसलिए वो पूछ रहे हैं कि इस बार उनके अनुमान कितने विश्वसनीय हो सकते हैं। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि प्रशांत किशोर के अनुमान और उनकी विश्लेषण क्षमता पर कितना भरोसा किया जा सकता है। इसको अतीत की उनके अनुमानों से लेकर विभिन्न दलों के लिए प्रमुख रणनीतिकार के रूप में उनकी चुनावी उपलबधियों पर एक नजर …
चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर के खाते में आई उपलब्धियां
1. 2014 भारतीय लोकसभा चुनाव
पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
नेता: नरेंद्र मोदी
भूमिका: मोदी के अभियान के लिए मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: भाजपा ने लोकसभा में 543 में से 282 सीटें हासिल करके ऐतिहासिक जीत हासिल की। 1984 के बाद पहली बार किसी एक पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया।
सफलता के कारक: विकासोन्मुख नेता के रूप में मोदी की छवि पर ध्यान केंद्रित किया, ‘चाय पर चर्चा’ और ‘3डी रैलियों’ सहित चुनाव प्रचार के अनोखे तरीकों का उपयोग किया।
2. 2015 बिहार विधान सभा चुनाव
पार्टी: जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस का महागठबंधन
नेता: नीतीश कुमार
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: महागठबंधन ने 243 में से 178 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त नैरेटिव तैयार किया। सामाजिक न्याय और नीतीश कुमार के गवर्नेंस रिकॉर्ड पर ध्यान केंद्रित किया।
3. 2017 पंजाब विधानसभा चुनाव
पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
नेता: अमरिंदर सिंह
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: कांग्रेस ने 117 में से 77 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाया, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और बेरोजगारी के मुद्दों को उजागर किया और अमरिंदर सिंह को एक मजबूत नेता के रूप में पेश किया।
4. 2019 आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव
पार्टी: युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP)
नेता: वाईएस जगन मोहन रेड्डी
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: YSRCP ने 175 में से 151 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: जगन मोहन रेड्डी की ‘पदयात्रा’ और कल्याणकारी योजनाओं के वादों पर ध्यान केंद्रित किया।
5. 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव
पार्टी: आम आदमी पार्टी (आप)
नेता: अरविंद केजरीवाल
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: आप ने 70 में से 62 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: केजरीवाल के शासन पर जोर दिया, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में, और जनता को यह समझाया कि आम आदमी पार्टी का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ दिल्ली के विकास पर होगा क्योंकि पार्टी और कहीं है नहीं।
6. 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव
पार्टी: अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)
नेता: ममता बनर्जी
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: टीएमसी ने 294 में से 213 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: ममता बनर्जी के स्थानीय संपर्क, कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया और भाजपा के आक्रामक अभियान का मुकाबला किया। भाजपा के दावे के उलट प्रशांत किशोर ने डंके की चोट पर कहा कि पार्टी को 100 सीटें नहीं मिलेंगी और सच में भाजपा 77 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि, प. बंगाल में भाजपा की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत थी।
7. 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव
पार्टी: आम आदमी पार्टी (आप)
नेता: अरविंद केजरीवाल
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: आप ने 70 में से 67 सीटें जीतीं।
सफलता के कारक: स्थानीय मुद्दों, केजरीवाल की स्वच्छ छवि और शासन के वादों पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, इस चुनाव में प्रशांत किशोर की भागीदारी सीमित थी; आप ने मोटे तौर पर अपनी आंतरिक टीम को बंपर जीत का श्रेय दिया।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कुछ असफलताएं भी हैं
1. 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
पार्टी: कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) का गठबंधन
नेता: राहुल गांधी और अखिलेश यादव
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: गठबंधन ने 403 में से केवल 54 सीटें जीतीं, जिसमें भाजपा ने शानदार जीत हासिल की।
चुनौतियां: भाजपा के नैरेटिव का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में विफलता, गठबंधन के भीतर आंतरिक संघर्ष और व्यापक मतदाता आधार के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थता।
2. 2017 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव
पार्टी: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
नेता: हरीश रावत
भूमिका: मुख्य रणनीतिकार
परिणाम: कांग्रेस ने 70 में से केवल 11 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने 57 सीटें जीतीं।
चुनौतियां: सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर और भाजपा का प्रभावी अभियान रणनीतियां। प्रशांत किशोर का उत्तराखण्ड के स्थान पर उत्तर प्रदेश को ज्यादा महत्व देना।
3. 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
पार्टी: समाजवादी पार्टी (एसपी)
नेता: अखिलेश यादव
भूमिका: राजनीतिक रणनीतिकार
परिणाम: भाजपा ने 312 सीटें जीतकर सरकार बनाई, लेकिन सपा का प्रदर्शन सुधरा और उसने 111 सीटें जीत लीं। 2017 के चुनावों में सपा को सिर्फ 47 सीटें मिली थीं।
चुनौतियां: सपा के लिए ‘काम ही बोलता है’ का चुनावी नारा दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता को यह लुभा नहीं पाया। प्रदेश में भाजपा का बेहद मजबूत संगठन और हिंदुत्व एवं राष्ट्रवाद के नारे के आगे सपा टिक नहीं पाई।