ज्ञान: आपको पता नहीं कि फोन में कब घुस गया स्पाई शेयर जो करने लगा डाटा चोरी
42 करोड़ फोन में स्पाइवेयर, 105 ऐप के जरिए फैला:इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम ने किया सावधान; केंद्र ने एडवाइजरी जारी की
देहरादून 19 जून । हम अकसर गूगल प्ले स्टोर से कई तरह के ऐप डाउनलोड करते रहते हैं। ऐसा करना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा आपको इस खबर को पढ़कर हो जाएगा। इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (सर्ट-इन) ने एक ऐसे स्पाइवेयर को खोज निकाला है, जो न सिर्फ फोन में मौजूद ईमेल आदि से जानकारियां चुराता है, बल्कि फोन के कैमरे का इस्तेमाल कर रिकॉर्डिंग भी करता है।
जहां घर में फोन रखा हो, उसके आसपास होने वाली बातें सुनता है। यह स्पाइवेयर देश के 42 करोड़ एंड्रॉयड फोन में पहुंच चुका है। इसका नाम है ‘स्पिन ओके’, जो गूगल प्ले स्टोर में मौजूद 105 ऐप के जरिए फोन तक पहुंचा है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों के स्टाफ को अपने मोबाइल फोन से संदिग्ध ऐप हटाने के निर्देश दिए हैं, ताकि राष्ट्रीय हित से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं लीक न हों।
डिलीट किया गया कंटेंट भी खुद ही हासिल कर लेता है
बैंक बिंगो स्लॉट, जैकपॉट किंग, लक्की जैकपॉट, बबल कनेक्ट, पिक प्रो, इंस्टाकैश, गोल्ड माइनर कॉइन्स, मैच फन 3डी, स्टेप काउंटर: कीप फिट, टीटी टयूब शार्ट वीडियो, कॉइन वाइब, कैसीनो रॉयल, लकी वर्ल्ड कप, ओह कैश, कैंडी गैस, मेम गुरू, पिक्स मेनिया जैसे कुल 105 ऐप संदिग्ध हैं।
आईटी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, ‘स्पिन ओके’ बेहद खतरनाक है। यह बहुत कम समय में ही 42 करोड़ फोन तक पहुंचा है। यह ऐप के जरिए फोन में आता है और फिर जावा स्क्रिप्ट कोड के जरिए धीरे-धीरे कैपेसिटी बढ़ाता है। फोन में मौजूद डेटा की कॉपी कर उसे अज्ञात रिमोट सर्वर रूम तक पहुंचाता है। इतना ही नहीं, यह फोन से डिलीट कर दी गई फाइलों को भी हासिल कर लेता है। यह फोन में मौजूद फाइलों में बदलाव भी कर सकता है। फोन के कैमरे का अपने आप ही इस्तेमाल करता है।
कैसे पता करें कि फोन में स्पाइवेयर है या नहीं?
अलग-अलग विशेषज्ञों ने इस स्पाइवेयर से बचने के कुछ तरीके सुझाए हैं। कई बार हम महसूस करते हैं कि फोन में बार-बार विज्ञापन बिना किसी वजह के खुल जाते हैं। ऐसे में पूरी आशंका है कि आपके फोन में स्पाइवेयर हो सकता है। इसलिए पिछले कुछ महीनों में डाउनलोड किए गए ऐप को अनइंस्टॉल करना ही बेहतर होगा।
बचने के लिए क्या करें?
सबसे पहले एंड्राएड फोन में एंटीवायरस और एंटी स्पाइवेयर डाउनलोन करें।
किसी भी वेबसाइट या ऐप पर खुलने वाले विज्ञापनों पर क्लिक न करें।
ई-मेल या अन्य माध्यमों से आने वाले अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
गूगल प्ले स्टोर से कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले उसका रिव्यू जरूर पढ़ें।
ऐप के बारे में अतिरिक्त सूचनाएं सर्च करें और कमेंट भी पढ़ें।
जो वेबसाइट भरोसेमंद न हो, उससे कोई भी ऐप डाउनलोड न करे।
एंड्रायड फोन को समय-समय पर अपडेट करते रहें।
इन एप्स में स्पाइवेयर हैं
जिन ऐप के जरिए यह स्पाइवेयर फोन में पहुंचता है, उनमें ज्यादातर ऑनलाइन कैश रिवॉर्ड, गेम्स, फिटनेस, वीडियो एडिटिंग, वीडियो मेकिंग, निवेश जैसी सेवाएं देने का दावा करते हैं। इनमें 10 प्रमुख एप नॉइस वीडियो एडिटर, जापया, बियूगो एमवी बिट, क्रेजी ड्राॅप्स, टिक, वी फ्लाई, कैश जाॅइन, कैश ईएम और फिज्जो नोवेल शामिल हैं। जापया और नॉइस वीडियो एडिटर के 10 करोड़ यूजर्स हैं। बियूगो, एमवी बिट और वी फ्लाई के भी 5 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं।
Google Identifies Malicious App On Play Store Checklist
गूगल के खतरनाक ऐप की पहचान, कहीं आपने तो नहीं किया डाउनलोड, पढ़ें पूरी लिस्ट
Dangerous App on Google play Store: अगर आप भी एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर हैं और गूगल प्ले स्टोर से ऐप्स डाउनलोड करते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि गूगल प्ले स्टोर पर खतरनाक ऐप्स की पहचान हुई है।
गूगल प्ले स्टोर पर कई खतरनाक ऐप्स की पहचान हुई है, जो यूजर्स की सुरक्षा के लिहाज से काफी खतरनाक है। वैसे तो गूगल प्ले स्टोर सुरक्षित ऐप स्टोर माना जाता है। लेकिन कुछ खतरनाक ऐप्स गूगल की सुरक्षा को बायपास करके गूगल प्ले स्टोर पर एंट्री कर जाते हैं, जिसे आम यूजर्स डाउनलोड कर लेते हैं। ऐसे में वो मैलवेयर ऐप्स मोबाइल में एंट्री कर जाते हैं, जो बैंकिंग फ्रॉड की वजह बनते हैं।
गूगल प्ले स्टोर पर लिस्ट खतरनाक ऐप्स की हुई पहचान
सिक्योरिटी कंपनी Cyfirma की तरफ से संदिग्ध ऐप को खोज निकाला है। इन्हें SecurlTY इंडस्ट्री अकाउंट नाम से प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराया गया है। यह इसलिए खतरनाक है, क्योंकि यह सभी DoNot थ्रेट ग्रुप से कनेक्टेड हैं। इस तरह के मोबाइल ऐप्स एशिया के कई देशों में एक्टिव हैं, इसमें पाकिस्तान के साथ कश्मीर शामिल है। SecurlTY इंडस्ट्री अकाउंट रिपोर्ट के मुताबिक गूगल प्ले स्टोर पर लिस्टेड खतरनाक ऐप्स की पहचान हुई है, जिसके डिवाइस बेसिक प्लस, एनस्योर चैट और iKHfaa वीपीएन शामिल हैं। जांच में पाया गया है कि एनस्योर और iKHfaa VPN में मैलिशियस कैरेक्टर दिखते हैं।
कैसे करें बचाव
गूगल प्ले स्टोर पर किसी भी ऐप्स को डाउलनोड करने से पहले उसकी रेटिंग जरूर देखें। साथ ही ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके रिव्यू को पढ़ें। ऐप डाउनलोड करने से पहले उसके नाम की स्पेलिंग पर ध्यान दें और कभी भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड न करें।