आतंकी हारिश अजमल फारुखी है देहरादून से,साथी अनुराग उर्फ रेहान पानीपत से
असम से पकड़े गए आइएसआइ एजेन्ट हैरिश का देहरादून की शांत वादियों से कनेक्शन, पिता चलाते हैं यूनानी दवाखाना
ISI Agent in Assam असम से पकड़े गए ISIS एजेंट हारिश अजमल फारूकी देहरादून का मूल निवासी है। केंद्रीय एजेंसी कई बार उसके बारे में जानकारी करने देहरादून आ चुकी हैं। स्थानीय इंटेलिजेंस और पुलिस के अनुसार वह 10 साल से देहरादून नहीं आया है। केंद्रीय एजेंसी ने असम में हारिश अजमल फारूकी को उसके दोस्त के साथ गिरफ़्तार किया है।
मुख्य बिंदु
केंद्रीय एजेंसी कई बार आ चुकी हैं देहरादून
स्थानीय पुलिस भी हुई सक्रिय
देहरादून/गुआहाटी 20 मार्च 2024। ISIS के इंडिया चीफ हारीश अजमल फारूकी और उसके साथी को असम STF ने बुधवार को धुबरी सेक्टर के धर्मशाला इलाके से पकडा।
दोनों आरोपित NIA के भी वांटेड लिस्ट में थे। देहरादून का फारूकी भारत में ISIS का प्रमुख है। इसके साथ ही एसटीएफ ने हारिस के सहयोगी अनुराग सिंह उर्फ रेहान को भी गिरफ्तार किया।
असम पुलिस के पीआरओ प्रणबज्योति गोस्वामी ने बताया कि इनके बांग्लादेश सीमा से भारत में आने की जानकारी मिली थी। धर्मशाला इलाके में इंटरनेशनल बॉर्डर पर पुलिस तैनाती थी। सुबह सवा चार बजे आरोपितों का पता चला तो उन्हें गिरफ्तार किया गया। दोनों को गुवाहाटी STF कार्यालय लाया गया।
पुलिस के मुताबिक, अनुराग सिंह पानीपत का है जिसने इस्लाम अपनाया है। उसकी पत्नी बांग्लादेशी है।
दोनों ISIS के ट्रेंड लीडर, फंड जुटाने में माहिर
पुलिस के मुताबिक, दोनों फंड जुटाने और आतंकी गतिविधियों के लिए ट्रेंड हैं। दोनों के खिलाफ दिल्ली, लखनऊ में केस दर्ज हैं। अधिकारी ने कहा कि आगे की कार्रवाई को दोनों को NIA को सौंपा जाएगा।
अब ISIS को भी जान लीजिए
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) मध्य पूर्व के देशों में सक्रिय सुन्नी आतंकवादी संगठन है। इसका गठन 2013-2014 में हुआ। तभी उसने अपने मुखिया अबू बक्र अल-बगदादी को दुनिया के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित कर दिया था। मकसद दुनिया भर में इस्लामी राज्य की स्थापना है। शुरुआत में अलकायदा भी इससे जुड़ा हुआ था, बाद में उसने खुद को इस संगठन से अलग कर लिया।
ISIS अलकायदा से भी अधिक मजबूत और क्रूर संगठन है। यह दुनिया का सबसे धनी आतंकी संगठन है, जिसका बजट दो अरब डॉलर का है। यह रकम फिरौती, डकैती, कच्चे तेल की बिक्री, ऊर्जा संयंत्रों और विदेशी चंदे से जुटाई जाती है। संगठन को हर महीने करोड़ों रुपए का चंदा जाता है। खाड़ी देशों से ही 2013 में इस संगठन को 10 करोड़ का चंदा मिला था।
एक समय ऐसा आया कि इस संगठन ने इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों, इराक और सीरिया की सरकारी फौजों, रूस आदि ने लगातार हमलों और ISIS के दुश्मन कबिलाई सैन्य टुकड़ियों को मदद कर इन्हें वापस खदेड़ा। 2019 में इसका मुखिया अबू बक्र अल-बगदादी मारा गया। यह संगठन अभी मध्य पूर्व के देशों में अशांति का सबसे बड़ा कारण है। इराक और सीरिया में जमीन खोने के बाद यह दूसरे देशों में अपनी जमीन तलाश रहा है।
ISIS को फंडिंग कर रहा था नासिक का इंजीनियर, महाराष्ट्र ATS ने गिरफ्तार किया
महाराष्ट्र ATS ने 24 जनवरी को नासिक से एक इंजीनियर को गिरफ्तार किया था जिस पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक एंड सीरिया (ISIS) का समर्थन और फंडिंग का आरोप था। ATS के मुताबिक 32 साल का यह आरोपित इंपोर्ट-एक्सपोर्ट बिजनेस करता है। जांच में पता चला है कि उसने ISIS को तीन बार पैसा ट्रांसफर किया है। आतंकवाद निरोधी दस्ता अब इंजीनियर के दूसरे राज्यों में सहयोगियों की जानकारी खंगाल रहा है।
नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी (NIA) ने देश के दो राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में कुल 44 ठिकानों पर छापे मारे। छापेमारी में एजेंसी ने महाराष्ट्र से 15 लोगों को अरेस्ट किया । आतंकी संगठन ISIS से जुड़े इस लोगों का सरगना साकिब नचान निकला ।
असम से पकड़े गए आइएसआइएस एजेंट हारिश फारूकी देहरादून के एक यूनानी हकीम का बेटा है।
हालांकि, स्थानीय इंटेलिजेंस और पुलिस के अनुसार वह दस साल से देहरादून नहीं आया। केंद्रीय एजेंसी कई बार उसके बारे में जानकारी करने देहरादून आ चुकी। बताया जा रहा है कि उसका पिता भी कई दिनों से ग़ायब है।
हारिश फारूकी के दोस्त अनुराग ने कुछ दिन पहले इस्लाम कबूल किया था। हारिश फारूकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पढ़ा हुआ बताया जाता है।
पिता चलाते हैं यूनानी दवाखाना
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि हारिश के पिता देहरादून में एक यूनानी दवाखाना चलाते हैं। 20 सालों से फारूकी परिवार देहरादून के डालनवाला में रहता है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि स्थानीय पुलिस के पास काफ़ी समय से यह इनपुट था। उसके पिता को भी देहरादून पुलिस ने संपर्क किया था।
उधर, सूत्रों के मुताबिक़ एसटीएफ़ भी काफ़ी लंबे समय से हारिश के पिता के संपर्क में थी और उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था
ISIS Agent Haris Farooqui Was Searching For Places Across The Country For Blast Came To Dehradun In July
Haris Farooqui: धमाकों के लिए देशभर में जगह ढूंढ रहा था हारिस, जुलाई में आया था देहरादून
पुणे पुलिस को हारिस के बारे में पता चला तो वहां उसके खिलाफ यूएपीए की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसकी जांच एनआईए ने शुरू की तो उसके खिलाफ एनआईए ने भी मुकदमा दर्ज किया।
आईएसआईएस एजेंट हारिस फारुकी डेढ़ साल से देशभर में धमाकों को जगह की तलाश कर रहा था। एनआईए की जांच में पता चला था कि उसने पाकिस्तान के एक कैंप में आईईडी धमाकों की ट्रेनिंग भी ली थी। इसके लिए वह जुलाई 2023 में देहरादून भी आया था। उसके कई साथी देश के अलग-अलग हिस्सों में पकड़े गए,जिनसे नई-नई जानकारियां हुई। उसके खिलाफ महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मुकदमे दर्ज हुए। उस पर उत्तर प्रदेश पुलिस से इनाम भी घोषित था।
दरअसल, पुणे पुलिस को हारिस का पता चला तो वहां उसके खिलाफ यूएपीए की धाराओं में मुकदमा हुआ। जांच कर उसके खिलाफ एनआईए ने भी मुकदमा लिखा। उसके बारे में कई जानकारियां मिली। इस बीच पिछले साल दिल्ली की स्पेशल सेल ने आईएस की विचारधारा से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया तो उसमें भी हारिस का नाम सामने आया। इस पर दिल्ली पुलिस ने भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। मगर, वह दिल्ली पुलिस के भी हाथ नहीं लगा। इस बीच दिसंबर 2023 में पुणे पुलिस उसकी जांच करते उत्तर प्रदेश पहुंची।
यहां पर अक्तूबर 2023 में भी पुणे पुलिस ने उसके कई साथी दबोचे। इसके बाद उत्तर प्रदेश एटीएस की जांच के बाद उत्तर प्रदेश में भी हारिस के खिलाफ मुकदमा हुआ। पुलिस सूत्रों के मुताबिक एनआईए को उसकी जांच के बाद सबसे बड़ी चिंता देश में किसी अनहोनी की थी। एनआईए को पता चल चुका था कि वह पाकिस्तानी ट्रेनिंग कैंप में आईईडी धमाकों की ट्रेनिंग ले चुका है। देश में राम मंदिर को लेकर तमाम कार्यक्रम हो रहे थे। इसी को लेकर उसने भी कोई षड्यंत्र रचा था। इसको वह जुलाई 2023 में देहरादून भी आया था। लेकिन, इसकी किसी को भनक नहीं लगी। बताया जा रहा है कि वह देहरादून में भी धमाके करने को जगह की तलाश में ही आया था।
ऊधमसिंहनगर में रहे थे हारिस के साथी
दिल्ली में जब स्पेशल सेल ने हारिस के साथियों को गिरफ्तार किया तो उनका उत्तराखंड कनेक्शन निकला। पता चला कि दोनों साथी 2021 में काफी समय तक ऊधमसिंहनगर में रहे थे। तब ऊधमसिंहनगर में भी एनआइए और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने जांच की थी। हालांकि, यहां से ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई ।
बीवी बच्चों से भी नहीं कर रहा था वर्षों से संपर्क
पढ़ाई के लिए देहरादून से निकले हारिस ने सुरक्षा को कभी अपने परिजनों की सुध नहीं ली। उसने अलीगढ़ में ही रहते सिवान( बिहार) की एक युवती से शादी कर ली। उसके तीन बच्चे भी हैं। पुलिस के अनुसार हारिस कई वर्षों से बीवी बच्चों के भी संपर्क में नहीं था। उसके बीवी बच्चों से भी केंद्रीय एजेंसियों,यूपी एटीएस ने पूछताछ की थी। कई महीनों से उसके देश छोड़ने की बात कही जा रही थी। लेकिन, उसने अपना ठिकाना असम बना लिया था। वहीं पर वह कई तरह के षड्यंत्र रच रहा था। हासिम छह भाई बहनों में दूसरे नंबर का है।