जगन्नाथ को नहीं शिव को समर्पित हैं अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम मंदिर समूह

उत्तराखंड: जागेश्वर धाम में पुजारी-प्रबंधक से भिड़े बीजेपी सांसद, गाली गलौज का वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश की आंवला संसदीय सीट के सांसद धर्मेंद्र कश्यप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है. वीडियो में सांसद मंदिर के पुजारी, प्रबंधक को भद्दी गालियां दे रहे हैं, साथ ही हाथापाई तक की नौबत भी आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे मुद्दा बना उपवास रखा लेकिन फेसबुक पोस्ट में अल्मोड़ा से सांसद रहे हरीश रावत ने जागेश्वर धाम को भगवान जगन्नाथ को समर्पित बताया जो सामान्य ज्ञान की दृष्टि से शर्मनाक है।

वायरल वीडियो का स्क्रीनग्रैब

बीजेपी सांसद धर्मेंद्र कश्यप का वीडियो वायरल
जागेश्वर धाम के पुजारी से बदसलूकी
उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम (Jageshwar Dham) में दर्शन के लिए पहुंचे उत्तर प्रदेश की आंवला संसदीय सीट के सांसद (MP) धर्मेंद्र कश्यप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है. वीडियो (Viral Video) में सांसद मंदिर के पुजारी, प्रबंधक को भद्दी गालियां दे रहे हैं, साथ ही हाथापाई तक की नौबत भी आ गई है.

क्या था पूरा मामला?

मंदिर समिति के पुजारी का कहना है कि प्रबंधन समिति द्वारा सांसद को कोविड-19 के कारण वक्त पर मंदिर होने की बात कही गई, तो उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया.

वहीं, सांसद वीडियो में कहते हुए नजर आए कि दर्शन और मत्था टेकने के हजार रुपए मांगे जा रहे हैं. लेकिन फिर प्रबंधन समिति के द्वारा वीडियो में कहा जा रहा है कि अगर हमने हजार रुपए मांगे तो आप मंदिर में चल कर हाथ रख कर बोल दीजिए और भगवान भोलेनाथ की कसम खाकर सच बोलिए.

यह ड्रामा फिर भी समाप्त नहीं हुआ, काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा मंदिर परिसर के अंदर चलता रहा. सैकड़ों लोग मंदिर परिसर में इकट्ठा हो गए. जिसके बाद सांसद साहब को वहां के लोगों ने घेर लिया जिसका बीच बचाव करने के लिए स्थानीय पुलिस और सांसद साहब के पुलिसकर्मी मौजूद रहे.

अल्मोड़ा एसडीएम मोनिका के मुताबिक, बीजेपी सांसद धर्मेंद्र कश्यप और उनके साथियों के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज कर ली गई है.

कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

अब जब सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल हुआ तो भाजपा सांसद की इस हरकत पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज़ हो गई है. उत्तराखंड कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने सांसद के इस बर्ताव के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया, उनके साथ मंदिर समिति के सदस्यों ने भी प्रदर्शन किया.

कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मंदिर और हिंदू धर्म की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद अभी तक खुद ही सभ्य नहीं हो पाए हैं. बीजेपी के ऐसे सांसद जो कि मंदिर के अंदर अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, साथ ही पुजारी और प्रबंधन के साथ मारपीट और अभद्र भाषा का प्रयोग और हाथापाई करते हुए नजर आ रहे हैं.

उत्तराखंड का प्रसिद्ध जागेश्वर धाम मेला रद्द

उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल जागेश्वर धाम को लॉकडाउन के बाद जून 2021 में ही खोला गया था, लेकिन महामारी के चलते सावन मेले को मंज़ूरी नहीं मिली हैै।

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा की मनाही को लेकर काफी चर्चा और इंतज़ामों को लेकर सुर्खियां बराबर बनी हुई हैं, इसके बीच राज्य के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान जागेश्वर धाम में हर साल सावन के महीने में लगने वाले मेले का आयोजन इस साल नहीं किया जाएगा. एसडीएम और जागेश्वर धाम कमेटी के बीच एक बैठक के बाद आपसी सहमति के आधार पर यह फैसला लिया गया. कोविड 19 संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए इस सालाना मेले को रद्द किए जाने का निर्णय लिया गया है और अहम बात यह भी है कि पिछले साल 2020 में भी इस मेले के आयोजन को मंज़ूरी नहीं दी गई थी.

सख्ती भी, कुछ राहत भी

इस साल 16 जुलाई से शुरू होने जा रहे सावन के महीने से पारंपरिक मेले को शुरू होना था, जो हर साल सावन के महीने से ही शुरू होता रहा है. लेकिन खबरों में कहा गया कि इस बार भी कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र इस बार मेले को लेकर सख्ती बरती गई है. हालांकि श्रद्धालुओं के लिए राहत की बात यह है कि वो पहले से बुकिंग करके और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके तीर्थ स्थान में दर्शन कर सकेंगे. एसडीएम के साथ धाम कमेटी की बैठक में यह तय किया गया कि अगर श्रद्धालु मंदिर में पूजा के लिए पहले से रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, तो सुबह 6 से शाम 6.30 बजे के बीच उन्हें दर्शन की सुविधा दी जाएगी. यही नहीं, उत्तराखंड के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट साथ रखनी होगीी।

जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा

उत्तराखंड के अल्मोड़ा से ३५ किलोमीटर दूर स्थित केंद्र जागेश्वर धाम के प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस क्षेत्र को सदियों से आध्यात्मिक जीवंतता प्रदान कर रहे हैं। यहां लगभग २५० मंदिर हैं जिनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बडे २२४ मंदिर स्थित हैं।

Location of जागेश्वर
जागेश्वर
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश-भारत
राज्य-उत्तराखंड
जनसंख्या-४,७८१ (2001 के अनुसार )
क्षेत्रफल• ऊँचाई• 1,870 मीटर (6,135 फी॰)

इतिहास

उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान हिमालय की पहाडियों के कुमाऊं क्षेत्र में कत्यूरीराजा थे। जागेश्वर मंदिरों का निर्माण भी उसी काल में हुआ। इसी कारण मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलक भी दिखलाई पडती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इन मंदिरों के निर्माण की अवधि को तीन कालों में बांटा गया है। कत्यूरी काल, उत्तर कत्यूरीकाल एवं चंद्र काल। बर्फानी आंचल पर बसे हुए कुमाऊं के इन साहसी राजाओं ने अपनी अनूठी कृतियों से देवदार के घने जंगल के मध्य बसे जागेश्वर में ही नहीं वरन् पूरे अल्मोडा जिले में चार सौ से अधिक मंदिरों का निर्माण किया जिसमें से जागेश्वर में ही लगभग २५० छोटे-बडे मंदिर हैं। मंदिरों का निर्माण लकडी तथा सीमेंट की जगह पत्थर की बडी-बडी shilaon से किया गया है। दरवाजों की चौखटें देवी देवताओं की प्रतिमाओं से अलंकृत हैं। मंदिरों के निर्माण में तांबे की चादरों और देवदार की लकडी का भी प्रयोग किया गया हैै।

जागेश्वर धाम के मंदिर।

जागेश्वर को पुराणों में हाटकेश्वर और भू-राजस्व लेखा में पट्टी पारूणके नाम से जाना जाता है। पतित पावन जटागंगा के तट पर समुद्रतल से लगभग 6200 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र जागेश्वर की नैसर्गिक सुंदरता अतुलनीय है। कुदरत ने इस स्थल पर अपने अनमोल खजाने से खूबसूरती जी भर कर लुटाई है। लोक विश्वास और लिंग पुराण के अनुसार जागेश्वर संसार के पालनहार भगवान विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगोंमें से एक है।

पौराणिक संदर्भ

पुराणों के अनुसार शिवजी तथा सप्तऋषियों ने यहां तपस्या की थी। कहा जाता है कि प्राचीन समय में जागेश्वर मंदिर में मांगी गई मन्नतें उसी रूप में स्वीकार हो जाती थीं जिसका भारी दुरुपयोग हो रहा था। आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य जागेश्वर आए और उन्होंने महामृत्युंजय में स्थापित शिवलिंग को कीलित करके इस दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था की। शंकराचार्य जी द्वारा कीलित किए जाने के बाद से अब यहां दूसरों के लिए बुरी कामना करने वालों की मनोकामनाएंपूरी नहीं होती केवल यज्ञ एवं अनुष्ठान से मंगलकारी मनोकामनाएं ही पूरी हो सकती हैं।

सन्दर्भ
जगेश्वर, “अबोड ऑफ लॉर्ड शिवा, by C. M. Agrawal. Published by Kaveri Books, 2000. ISBN 81-7479-033-0.
History of Kumaun, by B D Pandey.
Kumaon: Kala Shilp AUr Sanskriti’, by Kaushal Kishore Saxena

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