जैराम रमेश ‘उडा’कर भागे, नहीं दे पाए शाह के फोन का सबूत,अब आयोग करेगा कार्रवाई?
150 डीएम को धमकाने के मामले में सबूत नहीं दे सके जयराम रमेश, अब होगी चुनाव आयोग की कार्रवाई ! –
150 डीएम धमकाने के मामले में चुनाव आयोग ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से सोमवार तक सबूत देने को कहा था, लेकिन वह मामले में कोई जानकारी नहीं दे सके.
नई दिल्ली 03 जून 2024 : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मतगणना से पहले 150 जिला अधिकारियों (DM) को कॉल किए. इतना ही नहीं उन्होंने अमित शाह पर अधिकारियों को धमकाने का आरोप भी लगाया. कांग्रेस नेता के आरोपों के बाद आयोग ने उनसे आज शाम 7 बजे तक अपने आरोप के सपोर्ट में डिटेल मांगी थी, ताकि वह मामले में कार्रवाई कर सके.इस मामले में चुनाव आयोग (EC) ने रविवार को कहा था कि किसी भी अधिकारी ने किसी भी तरह के अनुचित दबाव बनाए जाने की सूचना नहीं दी है. अगर जयराम रमेश के बाद इससे संबधित कोई जानकारी है तो वह सोमवार शाम 7 बजे तक आयोग को इसकी डिटेल दें. हालांकि, कांग्रेस महासचिव ने आयोग को अब तक मामले में कोई जानकारी नहीं दी है.
जयराम रमेश ने मांगा समय
चुनाव आयोग के नोटिस पर जयराम रमेश ने मामले में इलेक्शन कमीशन से एक हफ्ता मांगा था, लेकिन चुनाव आयोग ने इससे इनकार कर दिया. सीईसी ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें(जयराम रमेश) मतगणना से पहले चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करने वालों के बारे में जानकारी देनी चाहिए.आयोग के अनुसार अगर जवाब नहीं मिला तो माना जाएगा कि मामले में कहने को आपके पास कुछ ठोस नहीं है और आयोग उपयुक्त एक्शन लेने को आगे की कार्रवाई करेगा.
अमित शाह पर लगाए आरोप
बता दें कि जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि गृह मंत्री आज सुबह से जिला अधिकारियों से फोन पर बात कर रहे हैं. वह अब तक 150 अफसरों से बात कर चुके हैं. अफसरों को इस तरह से खुल्लमखुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है और इसे किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता. याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि 4 जून को जनादेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता से बाहर हो जाएगी. इतना ही नहीं उन्होंने इंडिया ब्लॉक के जीतने का भी दावा किया. जयराम रमेश ने कहा कि अफसरों को किसी भी तरह के दबाव में नहीं आना चाहिए और संविधान की रक्षा करनी चाहिए.चुनाव आयोग ने कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी के जिम्मेदार, अनुभवी और वरिष्ठ नेता होने के नाते आपको वोटिंग की काउंटिग से पहले फैक्ट/सूचनाओं के आधार पर ऐसा सार्वजनिक बयान देना चाहिए जिसमें सच्चाई हो. आपसे अनुरोध है कि आप उन अधिकारियों का ब्यौरा दें, जिनको गृहमंत्री ने धमकाया है.
The outgoing Home Minister has been calling up DMs/Collectors. So far he has spoken to 150 of them. This is blatant and brazen intimidation, showing how desperate the BJP is. Let it be very clear: the will of the people shall prevail, and on June 4th, Mr. Modi, Mr. Shah, and the…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 1, 2024
‘अमित शाह के 150 जिलाधिकारियों को फोन…’ जयराम रमेश का आरोप, चुनाव आयोग ने मांगे सबूत तो गायब
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर लगाए. उन्होंने दावा किया गृह मंत्री ने 150 जिला अधिकारियों से फोन करके बात की है. हालांकि चुनाव आयोग ने जब रमेश को प्रमाण देने को कहा तो वह गायब हो गए.
चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से अमित शाह पर लगाए आरोपों पर डिटेल देने को कहा. (फाइल फोटो- PTI)
नई दिल्ली 03 जून 2024. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर लगाए. उन्होंने दावा किया कि गृह मंत्री शाह ने 150 जिला अधिकारियों से फोन करके बात की है. चुनाव आयोग ने भी उनके आरोप गंभीरता से लेते हुए रमेश से इसके प्रमाण मांगे. आयोग ने उन्हें रविवार शाम 7 बजे तक डिटेल देने को कहा था, लेकिन इसके बाद कांग्रेस महासचिव ने इसका कोई जवाब ही नहीं दिया.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए दावा किया था कि ‘निवर्तमान गृह मंत्री जिला अधिकारियों/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं. अब तक उन्होंने इनमें से 150 से बात की है. यह खुलेआम और बेशर्म तरीके से धमकी देना है, जो दिखाता है कि बीजेपी कितनी हताश है….’
चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को दिये निर्देश
चुनाव आयोग ने रमेश के इस पोस्ट को बेहद गंभीरता से लेते हुए उनसे कहा कि वोटों की गिनती की प्रक्रिया हर चुनाव अधिकारी का एक पवित्र कर्तव्य है और ऐसे सार्वजनिक बयान ‘संदेह पैदा करते हैं तथा इसलिए बयान व्यापक सार्वजनिक हित में दिए जाने चाहिए’.
आयोग ने कांग्रेस नेता से यह भी कहा कि जब आदर्श आचार संहिता लागू होती है तो सभी अधिकारी चुनाव आयोग के अधीन होते हैं और वे किसी भी निर्देश के को सीधे निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट करते हैं. आयोग ने रमेश को लिखे पत्र में कहा है, ‘हालांकि, किसी जिलाधिकारी ने ऐसे किसी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है जैसा कि आपने आरोप लगाया है…’
इसने कांग्रेस नेता से कहा, ‘अनुरोध है कि जिन 150 जिलाधिकारियों को कथित तौर पर गृह मंत्री द्वारा ऐसा फोन किया गया है, उनका विवरण आपकी जानकारी के तथ्यात्मक आधार के साथ आज शाम सात बजे – 2 जून, 2024 तक साझा किया जाए, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके.’
इस पत्र में कहा गया कि एक राष्ट्रीय पार्टी के जिम्मेदार, अनुभवी और बहुत वरिष्ठ नेता होने के नाते जयराम रमेश ने वोट काउंटिंग के दिन से पहले उन तथ्यों या जानकारी के आधार पर ऐसा सार्वजनिक बयान दिया होगा जिन्हें वह सच मानते हैं.
चुनाव आयोग बनाम जयराम रमेश, ‘ठोस सबूत नहीं मिला तो कार्रवाई होगी’
मतगणना प्रक्रिया को प्रभावित करने के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को नोटिस भेजकर सोमवार, 3 जून की शाम सात बजे से पहले जवाब देने को कहा है.
जयराम रमेश ने एक जून को आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मतगणना से पहले जिलाधिकारियों को फोन कर धमका रहे हैं.
इसपर आयोग ने उन्हें रविवार को नोटिस भेजते हुए कहा था, “आचार संहिता के दौरान सभी अधिकारियों को चुनाव आयोग को रिपोर्ट करना होता है और वो सिर्फ चुनाव आयोग के आदेश पर काम करते हैं. जो आरोप आपने लगाए हैं वैसी कोई रिपोर्ट किसी भी जिलाधिकारी ने नहीं की है. मतगणना की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है और पब्लिक में दिए गए आपके बयान संदेह पैदा कर रहे हैं. पब्लिक के हित के लिए इन पर संज्ञान लेना ज़रूरी है.”
नोटिस के जवाब में जयराम रमेश ने एक हफ़्ते का समय मांगा था.
लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश की इस अपील को सोमवार को ख़ारिज करते हुए कहा कि ‘वो अपने आरोपों के पक्ष में सबूत या आंकड़े पेश करें और आज यानी तीन जून की शाम सात बजे तक जवाब दें.’
आयोग के अनुसार, “अगर जवाब नहीं मिला तो माना जाएगा कि मामले में कहने को आपके पास कुछ ठोस नहीं है और आयोग उपयुक्त एक्शन लेने को आगे की कार्रवाई करेगा.”
इसमें चुनाव आयोग ने जयराम रमेश के आरोप पूरी तरह ख़ारिज़ किये हैं और कहा है कि किसी भी डीएम पर ग़लत दबाव डालने की कोई कोशिश प्रकाश में नहीं आई है.
जयराम रमेश ने शनिवार शाम को एक्स पोस्ट में दावा किया था, “निवर्तमान गृह मंत्री आज सुबह से ज़िला कलेक्टर्स से फ़ोन पर बात कर रहे हैं. अब तक 150 अफ़सरों से बात हो चुकी है. अफ़सरों को इस तरह से खुल्लम खुल्ला धमकाने की कोशिश निहायत ही शर्मनाक है एवं अस्वीकार्य है.”
उन्होंने लिखा, “याद रखिए कि लोकतंत्र जनादेश से चलता है, धमकियों से नहीं. जून 4 को जनादेश के अनुसार श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह व भाजपा सत्ता से बाहर होंगे एवं इंडिया गठबंधन विजयी होगा. अफ़सरों को किसी प्रकार के दबाव में नहीं आना चाहिए व संविधान की रक्षा करनी चाहिए. वे निगरानी में हैं.”
रविवार, 2 जून को इंडिया गठबंधन के नेताओं ने चुनाव आयोग से मुलाकात की है.
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, डीएमके के टीआर बालू, वाम दल की तरफ से सीताराम येचुरी, डी राजा के अलावा कई नेता शामिल थे.
विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग के सामने ईवीएम काउंटिंग, पोस्टल बैलेट और चुनाव नतीजों से जुड़े विषय सामने रखे.
चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “पहला विषय- पोस्टल बैलेट का है, जो एक जानी-मानी प्रक्रिया है. पोस्टल बैलेट परिणाम में निर्णायक साबित होते हैं, इसलिए चुनाव आयोग का एक प्रावधान है जिसके अंतर्गत कहा है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पहले की जाएगी.”
उन्होंने कहा, “हमारी शिकायत थी कि चुनाव आयोग ने 2019 की गाइडलाइन से इसे हटा दिया है, इसका परिणाम यह है कि ईवीएम की पूरी गणना हो जाए उसके बाद अंत तक भी पोस्टल बैलेट की गिनती की घोषणा करना अनिवार्य नहीं रहा है. यह जरूरी है कि पोस्टल बैलेट जो निर्णायक साबित होता है उसकी गिनती पहले करना अनिवार्य है.”
इसके अलावा नेताओं ने वोटों की गिनती के समय सख्त निगरानी रखने की मांग भी की है.
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग के बारे में लोगों के मन में बहुत शंकाएं हैं. चुनाव आयोग एक न्यूट्रल बॉडी है. संवैधानिक संस्था है, लेकिन जिस तरह से बार बार विपक्षी दलों को चुनाव आयोग के सामने जाकर हाथ जोड़ना पड़ता है, कुछ बातें सामने लानी पड़ती हैं और चुनाव आयोग भी सुना अनसुना करता है. ये निष्पक्ष संस्था के लक्षण नहीं हैं.”
संजय राउत ने कहा, “पीएम चुनाव के दिन ध्यान के लिए बैठते हैं और चैनलों का पूरा फोकस उनके पास आता है. एक प्रकार से यह चुनाव संहिता का उल्लंघन है. जयराम रमेश जी ने कहा कि देश के गृह मंत्री देश के 150 कलेक्टर्स और डीएम को फोन करके जो सूचना देते हैं, यह कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है. पोलिंग एजेंट्स को जिस तरह से रोका गया, ये भी ठीक नहीं है. ये पहले नहीं हुआ.”
उन्होंने कहा, “इस देश में चुनाव आयोग को कहना पड़ता है कि आप एक स्वतंत्र संस्था हैं. आप समझ लीजिए. आप किसी के गुलाम नहीं हैं. चाहे बीजेपी हो या फिर कोई दूसरी सत्ताधारी पार्टी हो…चुनाव आयोग बीजेपी की शाखा की तरह का काम कर रही है. इसलिए इस देश का लोकतंत्र दस सालों से खतरे में आया है.”
आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष संस्था की तरह काम नहीं कर रहा है.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग कोई व्यंग रचनाकार नहीं है. वह कोई कवि सम्मेलन का मंच नहीं है. वह एक गंभीर संस्था है. उसकी एक गंभीर जिम्मेदारी है. उन्हें कुछ प्रश्नों का जवाब देना चाहिए. पूरे देश का चुनाव आप संपन्न करा रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों के प्रति आपकी जवाबदेही है…आपको एक निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए तनख्वाह मिलती है. अगर आपसे कोई प्रश्न पूछ रहा है तो आप व्यंग क्यों मार रहे हैं. उसका समाधान करिए ना.”
उन्होंने कहा, “आप समाधान करने बैठे हैं या कवि सम्मेलन चलाने के लिए बैठे हैं. व्यंग कर रहे हैं. हास्य कर रहे हैं. आपकी जिम्मेदारी है. आपने खुद 2009 में नियम बनाए. उनमें क्यों बदलाव किया जा रहा है. संभवत इस बार हम लोगों को चार प्रतिशत पोस्टल बैलेट हैं. उनकी गिनती अंतिम राउंड की ईवीएम से पहले घोषित होनी चाहिए. इतनी सी बात है.”
संजय सिंह ने कहा, “एक राजनीतिक पार्टी के नेता की तरह बात नहीं करनी चाहिए चुनाव आयोग को. वो किसी राजनीतिक पार्टी के नेता नहीं है. उनकी जिम्मेदारी है चुनाव को निष्पक्ष संपन्न कराना.”
संजय सिंह के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जवाब देते हुए कहा, “पोस्टल बैलेट की जो स्कीम है. उसका रूल है… यह 1964 में लागू हुआ. उस समय में बहुत सारे पोस्टर पैलेट नहीं थे. उस समय में सीनियर सिटीजन, पीडब्ल्यूडी नहीं थे. धीरे धीरे यह संख्या बढ़ रही है…जरूरी सेवाओं वालों को मिलनी चाहिए, जो हमने किया भी.”
उन्होंने कहा, “रूल साफ कहता है कि पोस्टल बैलेट की गिनती पहले शुरू होगी. देश के सभी सेंटर पर यह सबसे पहली शुरू होगी. इसमें कोई शक नहीं है. इसके आधे घंटे के बाद ईवीएम की काउंटिंग शुरू होती है. एक साथ तीन तरह की काउंटिंग चलती है. ये 2019 में हुआ. ये 2022 के चुनावों में भी हुआ. ये कल अरुणाचल और सिक्किम में हुआ. हम बीच में इसे नहीं बदल सकते हैं.”
राजीव कुमार ने कहा, “रूल कहता है कि तीनों काउंटिंग शुरू होगी और निर्विरोध रूप से आखिर तक चलती रहेंगी.”
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