रिप्ड जींस छोड़िए,हर तरह की जींस प्रतिबंधित है यहां
देश में कहां-कहां Jeans पहनने पर बैन है यह भी जान लीजिए!
फटी जींस (Ripped Jeans) को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह की सोच के बारे में आप समझ ही गए होंगे. यह भी जान लीजिए कि हमारे देश में आज भी ऐसी कई जगहें हैं जहां लड़कियों के जींस पहनने पर पाबंदी (jeans ban) है.
फटी जींस (Ripped Jeans) को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह की सोच से आप अवगत हो ही गए होंगे. तो अब यह भी जान लीजिए कि हमारे देश में आज भी ऐसी कई जगहें हैं जहां लड़कियों के जींस पहनने पर पाबंदी (jeans ban) है।
महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारी जींस-टीशर्ट नहीं पहन सकते,शुक्रवार को खादी पहनना अनिवार्य
महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल ही सचिवालय और सरकारी ऑफिसों के कर्मचारियों के ड्रेस कोड तय किया है। इसमें सचिवालय और सरकारी ऑफिसों के कर्मचारियों के टीशर्ट और जींस पहनने पर रोक लग गई। राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ को सही कपड़े पहनने को कहा । “महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ को कहा कि वह अब ऑफिस में टीशर्ट और जींस पहनकर नहीं आए।”
सभी सरकारी कर्मचारियों को कहा कि वह कम से कम एक दिन शुक्रवार को खादी के कपड़े पहनकर आए। राज्य सरकार की तरफ से 8 दिसंबर 2020 को यह आदेश जारी किया गया था।
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, “यह पाया गया है कि कई सरकारी कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले स्टाफ सौम्य कपड़े नहीं पहनकर आते हैं। इससे लोगों के बीच सरकार कर्मचारियों की इमेज खराब होती है।”
इस सर्कुलर में यह भी कहा गया कि लोग सरकारी कर्मचारियों से “अच्छे बर्ताव और पर्सनैलिटी की उम्मीद करते हैं।” सर्कुलर में यह भी कहा गया है, “अगर कर्मचारियों की पोशाक अनसुटेबल या गंदा होगा तो इसका असर उनके कपड़ों पर भी होगा।”
इस ऑर्डर के मुताबिक, महिला कर्मचारी साड़ी, सलवार, चूड़ीदार कुर्ता, ट्राउजर पैंट -शर्ट और जरूरत पड़ने पर दुपट्टा ले सकती हैं। वहीं पुरुष शर्ट-पैंट पहन सकते हैं। “गहरे कलर वाले कपड़े, अजीबोगरीब एम्ब्रायोडरी या तस्वीरों वाले कपड़े पहनकर आने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा जींस और टी-शर्ट पहनने पर रोक होगी।” महिला कर्मचारी चप्पल, सैंडल या शूज और पुरुष शूज या सैंडल पहन सकते हैं।
‘रिबेल विदाउट कॉज’ से पॉपुलर हुई ‘जींस’
लो वेस्ट जींस का फैशन जबसे आया है तब से तो शॉर्ट टॉप और जींस ने समाज के मठाधीशों की नाक में दम कर दिया है। वैसे जींस पर हमेशा लोगों की भौंहें चढ़ती रही हैं। दरअसल जींस ऐसी इकलौती ड्रेस है जो समय के साथ युवाओं की पहली पसंद बन जाती है और पुरातनपंथी बुजुर्गों की आंखों में खटकती रहती है। बात सिर्फ भारत की नहीं है, यहां तो आज भी जींस पश्चिमी सभ्यता का ही प्रतीक मानी जाती है लेकिन पश्चिमी देशों में भी जींस सदैव युवाओं के विदोही स्वभाव का प्रतीक मानी जाती रही है।
जींस का इतिहास ही ऐसा रहा है जिसने उसे हमेशा विद्रोही स्वभाव वाले लोगों की पहली पसंद बना दिया है। आइये जानते हैं जींस का वो अनूठा और अनछुआ राज क्या है-
1. जींस सबसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध के समय प्रचलन में आई। वैसे इसने असली लोकप्रियता द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हासिल की।
2. उस दौरान जींस कारखानों के मजदूर और कामगारों की पोशाक थी। अपने रफ-टफ कपड़े के कारण जींस बेहतर मानी जाती थी।
3. जींस ने अपनी असली लोकप्रियता एक मूवी के कारण हासिल की। इस मूवी का निर्माण जेम्स डीन ने वर्ष 1950 में किया था।
4. ‘रिबेल विदाउट कॉज’ नाम की इस मूवी ने जींस को युवाओं और टीनेजर्स की पहली पसंद बना दिया।
5. इसके बाद जींस को बहुत सी जगहों पर विशेषकर रेस्टोरेंट, थियेटर और स्कूल पर प्रतिबंधित भी कर दिया गया।
6. एक दशक बीत जाने के बाद जींस को ज्यादातर जगहों पर औपचारिक मान्यता मिल गई। 1960 का दशक जींस का था।
7. 1960 के दौर में जींस एक ढीली-ढाली और मस्तमौला पोशाक मानी जाती थी। पैंट से अलग फैशनेबल जींस सबकी पसंद थी।
8. इस दौर में पुरुषों की जींस में आज की ही तरह फ्रंट साइड पर चेन लगे होते थे लेकिन महिलाओं की जींस अलग होती थी।
9. महिलाओं की जींस में तब चेन आगे की ओर नहीं बल्कि दाहिनी ओर लगी होती थी लेकिन समय के साथ जींस बदल गई।
भारत की जिन जगहों पर लड़कियों का जींस पहनना है बैन
आपने ऐसी कई फिल्में देखी होंगी जहां जींस पहनने वाली लड़की को बदमाश और सूट व साड़ी पहनने वाली लड़की को आदर्श और संस्कारी दिखाया गया होगा. भला कपड़ों से संस्कार का पैमाना कैसे मापा जा सकता है? फिल्म में जब हीरोइन शरमाते हुए कहती है कि हमारे यहां लड़कियां जींस नहीं पहनती तो लोग बड़ा खुश होते हैं, वाह इसे कहते हैं संस्कार.
जब कोई महिला ट्रेन में सफर करती है तो वह जितना कंफर्टेबल जींस और कुर्ते में होगी उतना शायद साड़ी में नहीं, लेकिन शादी के बाद अक्सर जींस पहनने वाली लड़कियां साड़ी में आ जाती हैं. उदाहरण के लिए जब लड़की को मायके से ससुराल जाना होता है तो भले ही सफर कितना लंबा क्यों ना हो, उसकी हिम्मत नहीं होती कि वह जींस-कुर्ता पहन लें, क्योंकि उसे पता है कि ससुराल पहुंचते ही सबसे पहले उसके पहनावे के आधार पर ही उसे जज किया जाएगा.
हमारे देश में बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. कहने को तो हम आजाद हैं और स्मार्ट इंडिया में जीते हैं लेकिन आज भी कई घरोे में लड़कियों की जिंदगी दूसरों के बनाए गए फैसलों पर ही चलती है. अब ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में आपको बता रहे हैं जहां लड़कियों के जींस पहनने पर बैन है.
1- हरियाणा का आदर्श कन्या महाविद्यालय का मानना है कि छोटे कपड़े पहनने से छेड़खानी के मामले सामने आते हैं, इसलिए लड़कियों को पूरा तन ढकना जरूरी है. यहां जींस और स्कर्ट पहनना सख्त कर दिया गया है. किसी ने इस नियम को तोड़ा तो उसे 100 रुपए का जुर्माना भी देना पड़ेगा.
2- चेन्नई के श्री साईराम कॉलेज में लड़कियां बाल भी खुले नहीं रख सकतीं. लड़कियों को क्या पहनना है और क्या नहीं इसके लिए नियम बनाए गए हैं. जींस, टॉप और एयर टाइट पैंट भी नहीं पहन सकतीं.
3- तिरुवल्लुवर के इंजीनियरिंग कॉलेज में भी छात्राओं को पहनावे से संबंधित नियमों का पालन करना पड़ता है. सिर्फ छात्राओं को नहीं बल्कि फीमेल लेक्चरर को भी इन नियमों का पालन करना पड़ता है.
4- राजस्थान के बाड़मेर में भी सिर्फ जींस ही नहीं बल्कि लड़कियों को फोन पर बात करने पर भी पाबंदी है. पंचायत ने यह फरमान लड़कियों की सुरक्षा के लिहाज से बनाया था.
5- कश्मीर व श्रीगर में स्थानीय महिलाओं के साथ-साथ महिला पर्यटकों को भी साधारण कपड़ें पहनने के लिए नियम हैं. ऐसा सुझाव जमात-ए-इस्लामी कश्मिर इस स्थानिय धार्मिक संघठनों ने दिया था.
6- हरियाणा के महिला व बाल विभाग में फील्ड में काम करते समय महिलाओं को सादगीपूर्ण कपड़े पहनने का आदेश दिया गया. जींस को कथित तौर पर सभ्य नहीं माना जाता इसलिए इसे पहनने पर पाबंदी है.
7- मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मंदिरों में जींस और और छोटे कपड़े पहनने पर पाबंदी लगाई थी।