जुमे की नमाज को छुट्टी का फैसला किया था हरीश रावत ने कैबिनेट में

देहरादून 01 अगस्त। हरीश रावत ने कांग्रेस सरकार के आखिरी दिनों में अपनी सरकार बचाने की छटपटाहट में सैंकड़ों ऐसे काम किये जिनकी अब उन्हें याद तक नहीं है। ऐसा ही एक फैसला ‘जुमे की नमाज को अल्पकालिक अवकाश’का था जिसके विपरीत राजनीतिक परिणामों के कारण अब वे इसकी बदनामी से पीछा छुड़ाने की कोशिश में है। हरीश रावत ने यह फैसला 17दिसंबर 2016 की कैबिनेट बैठक में किया था जिस पर विवाद हुआ तो मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने निर्णय का बचाव ही नहीं किया बल्कि यहां तक कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकारी निर्णय से आच्छादित न होने वाले निजी संस्थान भी मुसलमानों को यह सुविधा देते रहेंगे।        तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने तो अपनी सरकार के इस निर्णय को भाजपा की राम जन्मभूमि मंदिर की बैंकिंग से जोड़ दिया था। सचिवालय सामान्य प्रशासन और अल्पसंख्यक विभाग में इस अल्पकालिक अवकाश की अवधि को लेकर विवाद भी हुआ कि यह 90 मिनट होगा,100 मिनट होगा कि 150 मिनट। यह सुविधा मिली भी जिसे त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार ने समाप्त किया था।

उत्तराखंड: कांग्रेस सरकार ने दी नमाज के लिए ‘छुट्टी’

टीम डिजिटल/ अमर उजाला, देहरादून Mon, 19 Dec 2016 06:42 PM IST
विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार ने ‌वोट बैंक के लिए नया दांव खेला है। उत्तराखंड कैबिनेट ने सरकारी संस्‍थानों में काम करने वाले मुस्लिम समुदाय के कर्मचारियों को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए शुक्रवार को अल्पकालीन अवकाश देने का ऐलान किया है।

कैबिनेट के इस फैसले के बाद देशभर में हलचल मच गई है। चर्चा है कि भाजपा इसे आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

राज्य सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह की पोस्ट और कमेंट्स किए जा रहे हैं। जिनमें लोग अन्य धर्मों के विशेष दिनों पर भी अल्पकालीन छुट्टियां देने की मांग कर रहे हैं।

भाजपा के किसी नेता ने इस बात पर खुलकर मीडिया में कोई बयान तो जारी नहीं किया है, लेकिन अंदर खाने इस फैसले के विरोध की रणनीति बनाए जाने की जानकारी मिल रही है। उधर सोशल मीडिया पर भी इस पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई है।

बीते ‌शनिवार को कै‌बिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जुमा की नमाज पढ़ने को सरकारी सेवा में कार्यरत अल्पसंख्यक कर्मियों को हर शुक्रवार को 12.30 से 2 बजे तक अल्पकालिक अवकाश देने का ऐलान किया था।

प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी।
चुनाव से ठीक पहले हुई इस कैबिनेट की बैठक में सरकार की ओर से अल्पसंख्यकों को लुभाने की कोशिश की गई है। बता दें कि प्रदेश में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक कर्मचारी हैंं।

नमाज की जिस छुट्टी का देश में मचा हल्ला वह मिली ही नहीं

ब्यूरो/ अमर उजाला, देहरादून Updated Sat, 24 Dec 2016 10:33

उत्तराखंड में जुमे की नमाज पढ़ने के लिए दी जाने वाली जिस छुट्टी का हल्ला पूरे देश में मचा, वह जुमे पर यानी शुक्रवार को मुस्लिम कर्मचारियों को मिल ही नहीं पाई।

जुमे की नमाज के कुछ देर पहले तक कर्मचारी छुट्टी मिलने के आदेश का इंतजार करते रहे, लेकिन अवकाश की अवधि स्पष्ट न होने से सचिवालय के अल्पसंख्यक और सामान्य प्रशासन विभाग के बीच मामला अटका रहा। इससे कार्मिक विभाग अन्य विभागों को इस संबंध में कोई आदेश दे नहीं पाया।

17 दिसंबर को हुई कैबिनेट बैठक में मुसलिम कर्मचारियों को अल्पकालिक अवकाश दिए जाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन जब कैबिनेट के फैसले से संबंधित पत्रावली सामान्य विभाग के पास पहुंची तो इसमें सिर्फ अल्पकालिक अवकाश दर्ज था।

छुट्टी की अवधि को लेकर फंस गया पेंच

मामला यह फंसा कि अल्पकालिक अवकाश आखिर कितनी अवधि का होगा। इस प्रस्ताव के संबंध में अल्पसंख्यक विभाग ने अपना मत दिया था उसमें अवधि डेढ़ सौ मिनट की थी यानी दोपहर 12.30 बजे से दो बजे तक की।

सामान्य प्रशासन विभाग इस बात पर अड़ा रहा कि आदेश उसे जारी करना है। कैबिनेट के फैसले में अवधि का जिक्र ही नहीं है।

अगर अल्पसंख्यक विभाग का मत माना जाता है तो यह आदेश वही जारी करे। इस संबंध में दोनों विभागों के बीच कई बार वार्ता हुई। इसके साथ ही आला अधिकारियों से मशविरा लिया गया।

छुट्टी का टाइम कम करने की हुई बात

वार्ता में यह बात भी आई कि जुमे की नमाज में दिए जाने वाले अल्पकालिक अवकाश की अवधि डेढ़ सौ के स्थान पर 90 मिनट कर दी जाए।

इस पर भी ऊहापोह की स्थिति बनी रही। सामान्य विभाग विभाग अपनी बात पर अटल था कि कैबिनेट ने अल्पकालिक अवकाश कहा है, आदेश में भी यही लिखा जाएगा।

इस वजह से शुक्रवार को कोई आदेश नहीं हो पाया। उम्मीद की जा रही है कि सोमवार को इस संबंध में अंतिम निर्णय के बाद शासनादेश जारी हो सकेगा।

शुक्रवार को नमाज के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी पर उत्तराखंड में हो रही सियासत

नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Dec 19, 2016, 12:13 PM
उत्तराखंड के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुसलमानों के लिए अच्छी खबर है। जुमे यानी शुक्रवार के दिन सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुसलमानों को नमाज अदा करने के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी दी जाएगी। सरकार के इस फैसले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। बीजेपी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

देहरादून।उत्तराखंड के सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुसलमानों के लिए अच्छी खबर है। जुमे यानी शुक्रवार के दिन सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुसलमानों को नमाज अदा करने के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी दी जाएगी। शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नमाज के लिए हर शुक्रवार को डेढ़ घंटे की छुट्टी का यह प्रस्ताव पारित किया गया। हरीश रावत सरकार के इस फैसले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। बीजेपी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

रावत सरकार के इस फैसले पर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने आपत्ति जताई है। बीजेपी के नलिन कोहली ने कहा, ‘हरीश रावत सरकार का यह फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वोटों के लिए रावत सरकार किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है, इसमें क्या लॉजिक है?’ इतना ही नहीं, नलिन ने यह भी कहा कि क्या होगा जब हिंदू सोमवार को शिव पूजा के लिए या मंगलवार को हनुमान पूजा के लिए 2 घंटे की छुट्टी मांगने लगें?

वहीं, कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी को जवाब देने के लिए राम मंदिर का सहारा लिया। बीजेपी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर यह चुनावी स्टंट है तो यह भी देखिए कि 1400 करोड़ रुपए और 800 टन सोना खाकर राम मंदिर बन गया।’

मामले पर विपक्ष की ओर से एक और प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी सांसद प्रवेश शर्मा ने कहा, ‘मेरा अनुभव यह कहता है कि मुस्लिम समुदाय बीजेपी को वोट देने से अपनी दूरी बनाकर रखता है।’ वहीं बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने भी इस फैसले को गलत बताते हुए कहा है कि यह मुस्लिमों का तुष्टिकरण है, पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी।

उत्तराखंड में नमाज़ के लिए अलग से छुट्टी

राजेश डोबरियाल
देहरादून से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
18 दिसंबर 2016

उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार ने जुमे यानी शुक्रवार के दिन सरकारी दफ़्तरों में काम करने वाले मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने के लिए डेढ़ घंटे की ख़ास छुट्टी देने की घोषणा की है.

शनिवार देर रात हुई कैबिनेट की बैठक में कई अन्य प्रस्तावों के साथ यह प्रस्ताव भी पारित किया गया.

चुनावी माहौल में हरीश रावत सरकार के इस फ़ैसले से मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने आपत्ति जताई है. प्रदेश बीजेपी के प्रमुख प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने इसे कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति करार दिया है.

उन्होंने कहा, ”किसी भी सरकार में मुसलमानों को नमाज़ अदा करने में कोई दिक्कत नहीं हुई. इसके लिए उन्हें समय मिलता रहा है. कभी इस किस्म की कोई शिकायत नहीं आई. इसके लिए छुट्टी देने की घोषणा करना सिर्फ़ चुनावी हथकंडा है.”

उत्तराखंड बीजेपी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान

चौहान ने कहा कि हम सभी नमाज़ पढ़ने वाले मुसलमानों को सम्मान करते रहे हैं.

दूसरी तरफ़ मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार अग्रवाल इस फ़ैसले को राजनीति से अलग करके देखने की बात कही.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में अधिसूचना भी एक-दो दिन में ही जारी कर दी जाएगी. हालांकि इस आदेश में निजी संस्थाओं में नमाज़ के लिए अल्प अवकाश देने की किसी तरह की कोई बाध्यता नहीं होगी.

सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा, “कुछ संस्थान पहले से भी ऐसा करते रहे हैं और हमारी इच्छा है कि आगे भी करते रहें. कैबिनेट की मंशा सर्वधर्म समभाव की भावना को मजबूत करने की है.”

जुम्मे की नमाज के लिए नहीं मिलेगा ब्रैक

देहरादून13sep.2016। उत्तराखंड की भाजपा सरकार पूर्व सीएम हरीश रावत के उस फैसले को पलटने वाली है। जिसके तहत सरकारी कार्यालयों में अब तक मुस्लिम समाज को जुम्मे की नवाज के लिए डेढ़ घंटे का ब्रेक दिया जाता था। मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत ने इस संबंध में फैसला लेते हुए ब्रेक को खत्म करने का फैसला ले लिया है। इससे पहले तत्कालीन कांग्रेसी सीएम हरीश रावत ने चुनाव से पहले फैसला लेते हुए जुम्मे की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिम कर्मचारियों को डेढ़ घंटे का ब्रेक दिया था। जिसे अब भाजपा सरकार ने बदलने का फैसला कर लिया है। इसके पीछे भाजपा सरकार का यह तर्क है कि मुस्लिम कर्मचारियों को यदि नमाज के लिए ब्रेक दिया जाएगा तो हिंदू कर्मचारी भी पूजा पाठ के लिए छुट्टी मांगेंगे। उस स्थिति में क्या होगा? सीएम रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार का यह फैसला पूरी तरह गलत तरीके से लिया गया था। इस फैसले से से लोगों में नाराजगी थी। यह एक विवादित फैसला था। भाजपा सरकार सबका साथ-सबका विकास एजेंडे पर काम कर रही है। प्रदेश में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।

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