अलीगढ़ विवि में कल्याण सिंह विरोधी पोस्टर से विवाद
नई दिल््ली 2 5 अगस्त।यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताना अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर के लिए परेशानी का सबब बन गया है। यूनिवर्सिटी कैंपस में कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताने की वजह से उनके खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं। इस मुद्दे पर सियासी बवाल शुरू हो गया है। बीजेपी ने कहा है कि कुछ लोग कैंपस से जिन्ना की तस्वीर हटाने नहीं देते, लेकिन एक पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर शोक जताने पर वाइस चांसलर का विरोध कर रहे हैं’
बीजपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के खिलाफ पोस्टर लगाए जाने पर कहा, ‘सीएम योगी आदित्यनाथ को अच्छी तरीके से पता है कि देश विरोधी और समाज विरोधी गतिविधि में शामिल लोगों से कैसे निपटना है। ये लोग पीएम मोदी के विकास योजनाओं को रोकना चाहते हैं, लेकिन कभी सफल नहीं होंगे।’
बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला ने कहा, ‘आखिर वीसी के खिलाफ पोस्टर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों ने ही लगाए हैं। जिन्ना का पोस्टर भी तो वहीं के लोगों ने लगाया और हटाने नहीं दिया।’
सीपीएम नेता सुनीत चोपड़ा ने दिवंगत कल्याण सिंह पर बाबरी मामले का दोषी होने का आरोप लगाया और कहा कि इतिहास उनको कभी माफ नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘हालांकि वीसी को उनके निधन पर शोक जताने पर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।’
‘…तो क्या गोडसे को भी करने लगें नमन?’
एसडीपीआई के तस्लीन रहमानी ने कहा, ‘गोडसे गांधी की हत्या के बाद दिवंगत हो गए, तो क्या उनको नमन करने लगें? इसमें क्या शक है कि कल्याण सिंह अपराधी थे, उन्हें कोर्ट ने एक सजा दी थी।’ रहमानी ने आगे कहा, मुसलमानों के शिक्षण संस्थाओं को योगी सरकार निशाना बना रही है। चाहे वो रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी हो या अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं को टारगेट किया जा रहा है।
एएमयू में लगे विवादित पोस्टर, पूर्व CM कल्याण सिंह को बताया अपराधी, वीसी के श्रद्धांजलि देने पर उठाए सवाल
पोस्टर लगाने वाले की हो रही तलाश
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति तारिक मंसूर ने शोक-संवेदना व्यक्त की थी। यह एएमयू के कुछ छात्रों को नागवार गुजरा। इसके बाद अज्ञात छात्रों ने वाइस चांसलर के श्रंद्धाजलि देने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूनिवर्सिटी कैंपस में दीवारों पर कुलपति के विरोध में आपत्तिजनक पोस्टर चस्पा कर दिए। विश्वविद्यालय प्रबंधन पोस्टर लगाने वाले लोगों की तलाश के लिए परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रहा है।
पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बताया अपराधी
पोस्टर लगाने वाले ने खुद को विश्विद्यालय का छात्र बताया है और पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को अपराधी बताते हुए कुलपति के शोक शब्द के इस्तेमाल को भी शर्मनाक बताया है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए उन्हें बाबरी विध्वंस का अपराधी भी लिखा गया है। ये आपत्तिजनक पोस्टर विश्वविद्यालय परिसर में लगाए गए हैं।
हालांकि मंगलवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के पर्चे हटवा दिए हैं। परिसर में चिपकाए गए पर्चे में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा इस तरह शोक संवेदना व्यक्त करना भावनाओं को आहत करने वाला है। क्योंकि पूर्व में जो हुआ है वह किसी से छिपा हुआ नहीं है।
यह अलीगढ़ बिरादरी की भावनाओं पर चोट करने जैसा है। कुछ लोगों ने इन पर्चों का फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर भी डाल दिया है। एएमयू के छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष हमजा सुफियान ने बताया कि सर सैयद अहमद खान की विचारधारा के खिलाफ जाकर कल्याण सिंह के निधन पर संवेदना व्यक्त की गई।
इसके विरोध में विश्वविद्यालय के विभिन्न स्थानों पर नोटिस लगाए गए हैं। इनमें लिखा है कि अपराधी के लिए प्रार्थना अक्षम्य अपराध है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। अगर नेतागिरी करनी है तो अपना पद छोड़कर किसी अच्छी पार्टी में नेतागिरी करें। उन्होंने बाबरी मस्जिद की शहादत में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के प्रति संवेदना व्यक्त की, जो बेहद गलत है।
इस मामले में विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली कहते हैं कि विश्वविद्यालय परिसर में इस समय छात्र नहीं हैं। कैंपस खाली है। कुछ शरारती तत्वों द्वारा इस तरह के पर्चे दो-तीन जगह चिपकाए गए थे, जिसके विषय में जानकारी होने पर उनको तत्काल हटवा दिया गया। जहां तक सोशल मीडिया का संबंध है उस पर कोई भी व्यक्ति टिप्पणी कर सकता है। अगर वह कानून उल्लंघन के दायरे में आता है तो जांच की जाएगी।
एएमयू वीसी तारिक मंसूर द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने पर एएमयू में पोस्टर लगाकर निंदा के मामले को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि देश तोड़ने की मानसिकता वाली एक विचारधारा अलीगढ़ सहित पूरे देश में कार्य कर रही है।
देश तोड़ने की मानसिकता वाली विचारधारा मोदी के दौड़ते विकास रथ को रोकने का प्रयास कर रही है लेकिन देश और देश की जनता इस प्रकार की मानसिकता को कभी स्वीकार नहीं करेगी। ऐसी मानसिकता वाले लोग बेनकाब होंगे।
भाजपा का सपा और कांग्रेस पर निशाना
वहीं, कल्याण सिंह के निधन पर सपा और कांग्रेस के नेताओं द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि नहीं देने पर भी सियासत शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अंतिम विदाई देने के लिए कांग्रेस और सपा नेताओं के नहीं आने पर भाजपा ने दोनों ही दलों पर निशाना साधा है। पिछड़े वर्ग के कद्दावर नेता कल्याण को श्रद्धांजलि नहीं देने के मुद्दे के जरिये भाजपा पिछड़े वोट बैंक को साधने में भी जुट गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज जैसे पिछड़ी जातियों के बड़े नेताओं ने कांग्रेस और सपा पर तुष्टिकरण और मुस्लिम वोट बैंक के लालच में कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि नहीं देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग का अपमान का किया है, 2022 में प्रदेश की जनता इसका जवाब देगी।
उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने एक वर्ग विशेष के वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की। कल्याण सिंह सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटा था इसलिए कांग्रेस और सपा के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की। ये ओबीसी और दलित वर्ग का अपमान है।
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सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से बरी हुए थे कल्याण सिंह
लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने बीते साल बाबरी विध्वंस मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। इस फैसले में कोर्ट ने बाबरी विध्वंस के सभी 32 आरोपियों को निर्दोष करार दिया था। कोर्ट ने बताया था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त मात्रा में सबूत नहीं हैं। इन आरोपियों में कल्याण सिंह के साथ लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार जैसे लोग शामिल थे।