कल्याण सिंह दिवंगत, उप्र में तीन दिन का शोक
कल्याण सिंह नहीं रहे:89 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, 30 साल पहले CM बनने के बाद मंत्रिमंडल के साथ अयोध्या जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी
48 दिन से लखनऊ PGI में थे भर्ती; PM मोदी और शाह लगातार ले रहे थे अपडेट, CM योगी 6 बार पहुंचे
कल्याण सिंह (बाबू जी) नहीं रहे। उन्होंने 89 साल की उम्र में SGPGI में आखिरी सांस ली। यूपी के पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह 48 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। 7 दिनों से वेंटिलेटर पर थे। 21 जून को उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य में सुधार न होने पर 4 जुलाई को उन्हें PGI शिफ्ट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि सोमवार को उनकी कर्मभूमि अतरौली में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यूपी में 3 दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है।
कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम थे। उन्होंने पहली बार सीएम बनने के बाद मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी।
कल्याण सिंह की राजनीतिक जीवन यात्रा को जानिए-
5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ के मढ़ौली गांव में पैदा हुए
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।
एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी।
यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने
कल्याण सिंह 2 बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। वह भाजपा के यूपी में पहले सीएम भी थे। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक मुख्यमंत्री रहे।
30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था।
ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी।
मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली
कल्याण सिंह ने एक साल के अंदर ही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने।
सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी।
कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था।
हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।
कल्याण ने बाबरी मस्जिद गिराने की नैतिक जिम्मेदारी ली
सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दी। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली।
लिब्राहन आयोग ने कल्याण की आलोचना की थी
बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की।
कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था। लेकिन बाद में बरी कर दिया।
राम मंदिर आंदोलन में कल्याण की झलक।
कल्याण सिंह को कब कौन देखने गया-
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दो बार कल्याण सिंह को देखने PGI पहुंचे।
मुख्यमंत्री योगी 6 बार कल्याण सिंह को देखने PGI गए।
तस्वीरों में देखें… कल्याण की राजनीतिक यात्रा:जिस अतरौली विधानसभा से कल्याण सिंह लगातार 8 बार जीते थे, वहीं से उनकी बहू चुनाव हारीं और जमानत भी जब्त हो गई
लखनऊ
कल्याण सिंह अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा से लगातार 8 बार विधायक रहे थे। इस दौरान वह जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा से विधायक रहे। लेकिन एक ऐसा दौर भी आया, जब वह अपने ही गढ़ में कमजोर हो गए। 2012 में जब उनकी बहू प्रेमलता उनकी जनक्रांति पार्टी से अतरौली से चुनाव लड़ीं, तो उनकी जमानत भी जब्त हो गई। हालांकि, भाजपा में वापसी के बाद उसी अतरौली विधानसभा से जब उनके पोते संदीप सिंह ने चुनाव लड़ा तो वह सबसे कम उम्र के विधायक भी बने।
तस्वीरों के जरिए देखिए कल्याण सिंह की राजनीतिक यात्रा-
1967 से 1980 के बीच अतरौली विधानसभा कल्याण सिंह की कर्मभूमि रही है। यह तस्वीर भी उनके चुनावी सभा के दौरान की ही है। अतरौली से कल्याण लगातार 8 बार विधायक रहे। यहीं से निकल कर वे दो बार यूपी के सीएम भी बने।
यूपी में जो भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठता है, वह अपने कार्यकाल में एक बार मलीहाबाद आम की दावत करने जरूर जाता है। यह फोटो भी मलीहाबाद का है। साल 1991 में कल्याण सिंह यूपी सीएम थे। तब वह अपने मंत्रियों के साथ पद्मश्री कलीमुल्लाह खान के बाग पहुंचे थे। जहां सिर्फ तरह-तरह के आम की दावत हुई थी। इस दौरान राजनाथ सिंह और ओम प्रकाश सिंह भी मौजूद थे।
1986 से शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह नायक बनकर उभरे थे। बाबरी विध्वंस मामले में CBI ने कोर्ट में पत्रकार शीतला सिंह को बतौर गवाह पेश किया था। शीतला सिंह ने बताया कि उन्हें पता चला था कि जिस दिन मस्जिद गिराई गयी, उस दिन लालकृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह फोन पर लंबी बात कर रहे थे। कल्याण सिंह इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन आडवाणी ने कहा, पूरी मस्जिद गिर जाने दो फिर इस्तीफा देना।
तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के प्रमुख सचिव रहे योगेंद्र नारायण के अनुसार 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में मस्जिद गिर रही थी, तब तत्कालीन डीजीपी एस एम त्रिपाठी उनके पास पहुंचे और कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति मांगी। हालांकि, कल्याण सिंह ने इसकी अनुमति नही दी। इसके बाद कल्याण ने अपना इस्तीफा लिखा और राज्यपाल के यहां पहुंच गए।
मायावती पहली बार जून 1995 में सपा के साथ गठबंधन तोड़कर BJP और अन्य दलों के समर्थन से CM बनीं थीं। पहली बार किसी राज्य में 6-6 महीने मुख्यमंत्री बनने का फार्मूला सामने आया था।
यूपी में जगदंबिका पाल सिर्फ 24 घंटे ही मुख्यमंत्री रह सके थे। उत्तर प्रदेश में 1998 में राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को सीएम पद से बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को सीएम पद की शपथ दिला दी थी। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नेतृत्व में सदन में विधायकों ने प्रदर्शन किया था।
2009 लोकसभा चुनाव से पहले कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ सपा का दामन थाम लिया। जिसके बाद उन्होंने मुलायम के साथ खूब प्रचार भी किया। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद तल्खी के साथ दोनों की दोस्ती टूट गई थी।
कल्याण सिंह दो बार सांसद रहे। 2004 में वह बुलंदशहर से सांसद रहे और दूसरी बार 2009 में एटा से सांसद बने। दिलचस्प बात यह है कि एटा में कल्याण सिंह एटा में अपनी चुनावी रैली के लिए मुलायम सिंह यादव को अपना प्रचार करने ले गए थे। राजनीतिक इतिहास की यह सबसे बड़ी घटना थी जब कल्याण और मुलायम एक साथ मंच पर हाथ पकड़े खड़े थे।
यह फोटो साल 2011 की हैं। वह अक्सर लखनऊ में अलग-अलग जगह में दिख जाते थे। यह फोटो लखनऊ के सदर बाजार की हैं। यह वह क्षेत्र हैं जहां पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रहते हुए वह खरीददारी कर रहे हैं।
2014 आम चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के दौरान कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी भी मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने दोनों का अभिनंदन भी किया था। उसी दौरान तीनों हलके-फुल्के अंदाज में नजर आए थे।
अमित शाह एक बार कल्याण सिंह से मिलने पहुंचे थे। जहां उनको सामने देख वह तुरंत नतमस्तक हो गए थे। यह तस्वीर इंटरनेट पर काफी वायरल हुई थी और दोनों को हिंदुत्व का झंडा ऊंचा रखने वाला बताया गया था।
पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह जोकि राजनीति में गुम हो चुके थे, उन्हें याद किया गया था। 26 अगस्त 2014 को उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। तत्कालीन राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा राजभवन में उनका अभिनंदन किया गया।