कन्हैयालाल हत्याकांड में पांच जने थे शामिल, तीन बाहर थे तैयार

कन्हैया हत्याकांड में 5 आतंकी शामिल थे:दो दुकान से 70 मीटर दूर खड़े थे, गौस-रियाज पकड़े जाते तो ये खंजरों से हमला करते
उदयपुर02 जुलाई।उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की बर्बर हत्या के मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस को जांच में पता चला है कि इस हत्याकांड में मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद के अलावा उनके तीन और साथी शामिल थे। इनमें से मोहसिन खान (25 साल) और आसिफ हुसैन (24 साल) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीसरे की तलाश जारी है।

पुलिस के मुताबिक, मोहसिन और आसिफ अलग-अलग बाइक पर रियाज और गौस को मालदास स्ट्रीट लेकर पहुंचे थे। दोनों ने रियाज और गौस को कन्हैयालाल की टेलरिंग शॉप से महज 70 मीटर दूर गली के कोने (हाथीपोल-मोती चौहट्टा मुख्य मार्ग) पर उतारा था। दोनों यही बाइक स्टार्ट करके खड़े थे और करीब से नजर रख रहे थे। हमले के दौरान अगर कोई रियाज और गौस को पकड़ता या शटर गिराता तो ये दोनों उन्हें बचाने या छुड़ाने के लिए तलवार और खंजरों से हमला करने को तैयार थे।…

कन्हैयालाल की हत्या के आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद (बाएं से दाएं)।

हत्या के बाद चारों फरार हो गए

कन्हैया की हत्या कर रियाज और गौस हथियार लहराकर दौड़ते हुए आए और मोहसिन और आसिफ की बाइकों पर बैठकर सिलावटवाड़ी की और फरार हो गए। जहां से रियाज ने अपनी 2611 नंबर की बाइक ली। उस पर गौस के साथ भीम की और रवाना हो गया। जहां पुलिस ने तीनों ओर से घेरकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में रियाज और गौस ने मोहसिन और आशिफ के नाम बताए।

आशिफ इनके साथ ही वेल्डिंग शॉप पर काम करता था। पुलिस को मौके पर एक लावारिस एक्टिवा भी मिली है। यह गौस मोहम्मद के नाम पर रजिस्टर्ड है। ऐसे में पुलिस संभावना जता रही है कि कोई पांचवां साथी भी मौके पर मौजूद था।

हैरानी की बात यह है कि साल 2013 से उदयपुर में चल रही आतंकी संदिग्ध गतिविधियों की चेन राजसमंद, चित्तौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, ब्यावर, अजमेर, कानपुर (यूपी) से लेकर विदेशों तक फैल गई, लेकिन देश और प्रदेश की इंटेलिजेंस को भनक तक नहीं लगी।

यह फुटेज कन्हैयालाल की हत्या के बाद के हैं, जिससे मार्केट में मचे हड़कंप का अंदाजा लगाया जा सकता है

पुलिस से बचने के लिए गलियों से निकले

आतंकियों को पता था कि हाथीपोल चौराहे पर रह-रहकर जाम लगता रहता है। चौकी के कारण पुलिस भी तैनात रहती है, इसलिए उन्होंने सिलावटवाड़ी की पतली गलियों से भागने की योजना बनाई। चारों अपने-अपने वाहनों से सिलावटवाड़ी पहुंचे। यहां रियाज ने अपनी 2611 बाइक खड़ी की और मोहसिन की बाइक पर बैठ गया। गौस आशिफ के साथ बैठा। बाद में यहीं चारों लौटे।

यहां से रियाज और गौस 2611 बाइक से नई पुलिया-अंबावगढ़-फतहसागर-यूआईटी सर्कल-फतहपुरा होते हुए सापेटिया पहुंचे और हत्याकांड का वीडियो जारी किया। इनका प्लान सापेटिया से भीम, भीम से ब्यावर होते हुए अजमेर पहुंचने का था। बाद में कानपुर जाकर छिपने की बात भी सामने आ रही है।

जांच एजेंसियों को एक महिला की भी तलाश

इन खुलासों के बाद SIT-NIA कड़ी से कड़ी जोड़ने में जुट गई है। कन्हैयालाल की रैकी करने वाले 7 अन्य संदिग्धों से पूछताछ चल रही है, जिनमें 3 चित्तौड़गढ़ के हैं। उदयपुर और राजसमंद के 5 अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। इनमें 24 जून को दुकान पर जाकर कन्हैयालाल को धमकाने वाली महिला भी शामिल है।

कन्हैया का गला काटने वाला खंजर हैवी मेटल का था:फैक्ट्री में पत्थर काटने वाले कटर रिंग से बनाया, मर्डर के बाद चारे में छिपाया

उदयपुर से करीब 20 किमी दूर सापेटिया गांव। शहरी इलाके से लगे होने के कारण यहां कई फैक्ट्रियां चल रही हैं। इन्हीं में से एक है एसके इंजीनियरिंग फैक्ट्री। इस फैक्ट्री में पत्थर काटने के कटर तैयार किए जाते हैं, लेकिन ये सुनकर आपका कलेजा कांप सकता है कि पत्थर काटने वाले इन्हीं हैवी मेटल से 28 जून को उदयपुर में कन्हैयालाल का गला काटा गया।

हत्यारे रियाज मोहम्मद और गौस मोहम्मद ने इसी फैक्ट्री में हथियार क्यों बनाया? पत्थर काटने वाले मेटल से ही खंजर क्यों तैयार किया? इस फैक्ट्री से उनका क्या संबंध है?

फैक्ट्री में हथियार और वीडियो बनाने की बात सामने आने के बाद पुलिस तैनात कर दी गई है। फैक्ट्री में अब भी वो हैवी मेटल पड़ा है, जिससे हथियार बनाए गए।

वह फैक्ट्री जहां दोनों हत्यारों ने हथियार तैयार किए।

फैक्ट्री रियाज के दोस्त की है। बताया जा रहा है कि पत्थर काटने के लिए कटर का रॉ-मटेरियल फैक्ट्री में था।

हथियार किसने और इसी फैक्ट्री में क्यों बनाए?

ATS जांच में सामने आया है कि यह फैक्ट्री कन्हैयालाल के दो हत्यारों में से एक रियाज जब्बार के दोस्त शोएब की है। शोएब इस फैक्ट्री में पत्थर काटने वाली मशीनों के औजार और कटर बनाता है। यह बात रियाज अच्छे से जानता था। कन्हैयालाल की हत्या की प्लानिंग करने पर उसने सोच लिया था कि वह गला काटकर उसे मौत देगा, इसलिए वह सीधा इस फैक्ट्री में पहुंचा।

वहीं दूसरा हत्यारा गौस मोहम्मद वेल्डर है और इसी फैक्ट्री में काम करता था। उसे मेटल की अच्छी परख है और मशीनों के लिए हथियार सहित इंडस्ट्री के कई औजार बनाना जानता है। रियाज भी फैक्ट्री में आता-जाता था। काम के दौरान ही गौस मोहम्मद ने इस फैक्ट्री में आकर हथियार तैयार किए।

ATS के मुताबिक अभी इन सवालों का जवाब नहीं मिला है कि जब इस फैक्ट्री में हथियार तैयार हो रहे थे तो क्या शोएब को इस बात की जानकारी नहीं थी या शोएब ने ही फैक्ट्री में हथियार बनाने की मंजूरी दी थी?

अधिकारियों के मुताबिक आगे की जांच में यह बातें सामने आएगी। फैक्ट्री के आस-पड़ोस में मौजूद लोगों ने बताया कि शोएब के एक एक्सीडेंट में दोनों पैर फ्रेक्चर हो गए थे, इसलिए वह यहां कम ही आता था। ATS शोएब से भी पूछताछ करेगी।

हथियार बनाने के लिए कौन सा मेटल और क्यों?

दरअसल, इस फैक्ट्री में पत्थर काटने के लिए विभिन्न मशीनों के जरिए हैवी मेटल की रिंग बनाई जाती है। जब मशीन की मदद से उसे तेजी से घुमाया जाता है तो वह पत्थर काटती है। ATS के अधिकारियों के मुताबिक रिंग बनाने वाले इसी हैवी मेटल से रियाज ने यहां मौजूद मशीनों के जरिए खंजरनुमा हथियार तैयार किए।

ATS जांच में इन्हीं हैवी मेटल से हथियार बनाने के कारणों का भी खुलासा हुआ है। कारण जानकर आप भी अचंभित हो जाएंगे। दरअसल, दोनों हत्यारे चाहते थे कि हथियार इतना खतरनाक हो कि एक वार में ही कन्हैयालाल की गर्दन अलग हो जाए। यह हैवी मेटल कौन सा है, फिलहाल यह पता नहीं चल सका है।

पत्थर काटने की मशीन। इसमें ही मेटल की तैयार रिंग पत्थर को काटने के लिए लगाई जाती है। यह बहुत भारी होती है। ऐसे में इसी मेटल का उपयोग रियाज और गौस मोहम्मद ने खंजर बनाने में काम में लिया।

फैक्ट्री में पहले से कटर बनाने के लिए रॉ-मटेरियल रखा था। इस वजह से भी इन्हीं मैटल से हथियार बनाए गए। गौस मोहम्मद ने कटर रिंग से छुरे का रूप दिया और हथियार तैयार किए।

6 साल पुरानी है फैक्ट्री

शोएब ने एसके इंजीनियरिंग फैक्ट्री 6 साल पहले ही शुरू की थी। हैवी मेटल से माइंस के लिए मशीनें बनाकर वह राजस्थान से लेकर गुजरात में बेचता है। पड़ोस के लोगों ने बताया कि उसका काम काफी अच्छा चल रहा था।

फैक्ट्री के अंदर हैवी मेटल से बनी पत्थर काटने वाली मशीन के औजार है। इसके अलावा कई छोटे-छोटे हैवी मेटल के टुकड़े भी है। उन्हें भी हथियार बनाने के लिए काटा गया था। फैक्ट्री में गैस सिलेंडर से लेकर धार देने वाली मशीन भी रखी थी।

 

रियाज का एसके इंजीनियरिंग फैक्ट्री में आना-जाना था। हत्या के बाद वे इसी फैक्ट्री में आए और वीडियो बना फरार हो गए थे।

ऑफिस के अंदर ही बनाए वीडियो

फैक्ट्री के सामने ही दुकानों में शोएब ने ऑफिस बना रखा था। ऑफिस को किराए पर ले रखा था। रियाज और गौस मोहम्मद ने हथियार बनाने के बाद ऑफिस के अंदर सोफे पर बैठकर वीडियो बनाए थे। हत्या करने के बाद दोनों वापस ऑफिस में आए और एक और वीडियो बनाया। हथियारों को भी पास में ही रखे चारे के अंदर छुपा दिया था।

ATS दोनों को लेकर पहुंची फैक्ट्री

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) व एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) की टीमें गुरुवार सुबह रियाज और गौस मोहम्मद को लेकर फैक्ट्री में पहुंची थीं। दोनों को नकाब पहना रखा था। फैक्ट्री में चार लोग काम करते थे। दोनों को लाने के बाद इन चार लोगों से पूछताछ भी की गई।

अधिकारियों ने ऑफिस से सोफे व हथियार बरामद कर लिए। फैक्ट्री में चौकीदार व आसपास के लोगों से भी पूछताछ की गई। चौकीदार ने बताया कि गौस मोहम्मद फैक्ट्री में आता था।

 

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