कानपुर दंगे में दो पुलिस अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध,

एसीपी अनवरगंज के संपर्क में था हयात जफर, एसआइटी को जांच में मिले चौंकाने वाले तथ्य

कानपुर में परेड नई सड़क पर हुए उपद्रव की जांच में एसआइटी को चौंकाने वाले सुराग मिले हैं। उपद्रव की पटकथा एक सप्ताह पहले से तैयार की जा रही थी और एसओ व एसीपी को जानकारी थी लेकिन रोकने के लिए उपाय न किया जाना सवाल खड़े कर रहा है

कानपुर में बवाल में एसओ और एसीपी की भूमिका पर उठे सवाल

Kanpur Violence Update : कानपुर में धारा 144 लागू, कल जुमे की नमाज को लेकर हाई अलर्ट पर पुलिस
कानपुर में तीन जून को उपद्रव तथा हिंसा के बाद शहर को दंगों की आग में झोंकने के प्रयास में असफल लोगों पर नियंत्रण करने के क्रम में शुक्रवार यानी दस जून को पुलिस ने धारा 144 लागू लगाने का फैसला किया है।

कानपुर में धारा 144 लागू, कल जुमे की नमाज को लेकर हाई अलर्ट पर पुलिस

कानपुर09 जून । उत्तर प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक नगरी कानपुर को जुमे की नमाज के बाद झुलसाने के षड्यंत्र के बाद गृह विभाग अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। कानपुर में गुरुवार शाम से धारा 144 लागू कर दी गई है। इस दौरान पुलिस की टीमें हाई अलर्ट पर भी रहेंगी।

कानपुर में तीन जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में उपद्रव तथा हिंसा के बाद शहर को दंगों की आग में झोंकने के प्रयास में असफल लोगों पर नियंत्रण करने के क्रम में शुक्रवार यानी दस जून को पुलिस ने धारा 144 लागू लगाने का फैसला किया है। शहर में त्यौहार आदि देखते हुए धारा 144 लागू की गई है। इस दौरान शहर में सभी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। जेपीसी आनंद प्रकाश तिवारी ने इसका आदेश जारी किया है।

कानपुर में बवाल और हिंसा के आरोपितों की रिमांड पर आज सुनवाई हुई। मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी सहित अन्य की रिमांड पर आज कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट हयात और उसके साथियों की रिमांड पर कल फिर से बहस के बाद फैसला देगा। कोर्ट ने शुक्रवार को चारों आरोपितों को तलब किया है।

संपत्तियों की भी हो रही जांच

कानपुर के नई सड़क क्षेत्र में उपद्रव तथा हिंसा के मास्टर माइंड हयात जफर हाशमी के कई बैंक खातों के लेन-देन का सच सामने आने के बाद विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने अब उसकी संपत्तियों की जांच शुरू की है। बुधवार को एसआईटी के मुख्य विवेचक त्रिपुरारी पांडेय ने उससे जेल में पूछताछ की थी, जिसमें पता लगा कि उसका एक हॉस्टल काकादेव में है जिसकी कीमत लाखों में है। इसके अलावा उसकी संपत्ति उसके पैतृक निवास स्थान भदोही में भी है। एसआईटी इसकी भी जांच कर रही है कि क्या हयात जफर हाशमी के पास कोई बेनामी संपत्तियां भी थी। इन सब की जानकारी को पुलिस बैंक खातों के लेनदेन और राजस्व विभाग से संपर्क में है।

नई सड़क पर हुआ उपद्रव यकायक प्रतिक्रिया का परिणाम नहीं था, बल्कि इसकी पटकथा हफ्तेभर से लिखी जा रही थी। पूरे शहर को हिंसा की आग में झुलसाने की योजना थी तो दूसरी ओर बेकनगंज थाना प्रभारी नवाब अहमद और एसीपी अनवरगंज अकमल खां सब जानते हुए भी मौन थे। उपद्रव की शुरुआती जांच में एसआईटी को चौंकाने वाली जानकारियां हाथ लगी हैं। आरोपितों के मोबाइल फोन की सीडीआर (काल डिटेल रिपोर्ट) से एसआईटी को जानकारी हुई कि उपद्रव की शुरुआत होने तक हयात जफर हाशमी एसीपी अनवरगंज के संपर्क में था। बावजूद इसके मामले में अब तक कोई कार्रवाई न होना भी चौंकाने वाला है।

नूपुर शर्मा ने विवादास्पद बयान 26 मई को दिया और 27 मई को एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी ने थाने में शिकायती पत्र दिया, जिसमें कहा गया कि नूपुर शर्मा ने गलत बयानबाजी की है और इसके खिलाफ वे तीन जून को बाजार बंद और पांच जून को जेल भरो आंदोलन करेंगे। संगठन पदाधिकारियों ने बाकायदा प्रेस कान्फ्रेंस कर बताया कि मुस्लिम बहुल इलाकों में अभूतपूर्व बाजार बंदी के प्रयास होंगे। बाजार बंदी की तैयारी के बीच स्थानीय खुफिया इकाई ने पुलिस अधिकारियों और थाना पुलिस को रिपोर्ट भेजकर आशंका जताई थी कि बाजार बंदी में शहर में हिंसा हो सकती है।

बावजूद इसके, बेकनगंज पुलिस ने उसे संज्ञान में नहीं लिया। बाजार बंदी रोकने को कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की। थाने की जीडी पर इस मामले में कोई सूचना अंकित नहीं है। थाना प्रभारी ने एसीपी को छोड़कर प्रकरण से किसी को भी सूचित नहीं किया और न किसी प्रकार का पत्राचार किया। बाजार बंदी की संभावनाओं को देख अतिरिक्त फोर्स की मांग भी नहीं की। एसीपी अनवरगंज की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है क्योंकि उन्हें भी बाजार बंदी के बारे में जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

..तो बेकनगंज पुलिस ने साक्ष्य भी मिटाए

पुलिस के दर्ज मुकदमें में सरकारी संपत्ति का नुकसान होना अंकित है, लेकिन पुलिस के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिसमें साबित हो सके कि सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है। हालांकि पथराव में थाना पुलिस की जीप का शीशा टूटा था। जीप की न फोटोग्राफी हुई और ना कोई फारेंसिक जांच। जीप का टूटा शीशे बदलवा लिया गये। बेकनगंज पुलिस ने साक्ष्य संकलन में भी लापरवाही दिखाई। सूत्रों का दावा है कि बेकनगंज पुलिस ने उपद्रव के बाद केवल एक बोरा पत्थरों की बरामदगी दर्शाई है जबकि वहां ट्राली भरकर पत्थर-रोडे थे।

सोची समझी साजिश, उपद्रव से बनाना था वैश्विक मुद्दा

एसआइटी उपद्रव के मामले में इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि क्या जो कुछ हुआ उसके पीछे बड़ा षड्यंत्र था। असल में जिस दिन बवाल हुआ उस दिन राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। एसआइटी को मिली शुरुआती जानकारी में उपद्रवियों की मंशा थी कि वीवीआइपी के शहर में रहते उपद्रव होगा तो खबर वैश्विक स्तर तक जाएगी। उसके बाद मुद्दे को भुनाना आसान होगा और वही हुआ। षड्यंत्रकर्ताओं की योजना शहर को दंगे की आग में झोंकने की थी।

-एसआइटी जांच कर रही है। पुलिस कार्यप्रणाली भी जांच परिधि में है। रिपोर्ट मिलने पर जल्द ही कार्रवाई होगी। -आनन्द प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त

हिंदुओं की दुकान से सामान नहीं खरीदना, ये कहने वाला निजाम कुरैशी कौन है?

कानपुर हिंसा के आरोपित पूर्व सपा नेता निजाम कुरैशी की व्हाट्सएप ग्रुप चैट वॉयरल है। इसमें उसने अपील कि है कि हिंदुओं की दुकान से मुस्लिम समाज के लोग माल नहीं खरीदें। चैट वायरल होने के बाद सपा के महानगर अध्यक्ष ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।

हाइलाइट्स
कानपुर हिंसा के बाद फिर शहर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश
निजाम कुरैशी का हिंदुओं की दुकाने को बायकॉट करने का मैसेज वायरल
व्हाट्सएप ग्रुप पर भेजे गए थे मैसेज, सपा के विधायकों ने छोड़ ग्रुप

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कानपुर हिंसा (Kanpur Violence) में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। शहर का माहौल बिगाड़ने को फिर साजिश रची जा रही है। सोशल मीडिया पर पूर्व एसपी नेता निजाम कुरैशी (Nizam Qureshi) के व्हाट्सएप ग्रुप के स्क्रीन शॉट वायरल हैं। इसमें हिंदुओं के दुकान से माल नहीं खरीदने की अपील की गई है। निजाम कुरैशी के व्हाट्सएप ग्रुप से समाजवादी पार्टी के तीनों विधायक समेत महानगर अध्यक्ष डॉक्टर इमरान भी जुड़े थे। पूर्व एसपी नेता निजाम कुरैशी कानपुर हिंसा में आरोपी है, उस पर साजिश रचने का आरोप है। पुलिस ने निजाम कुरैशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है

बेकनगंज थाना क्षेत्र में तीन जून को जुमे की नमाज बाद हिंसा भड़की थी। इसमें दोनों पक्षों में जमकर पथराव, फायरिंग और पेट्रोल बम चले थे। पत्थरबाजों ने पुलिस पर भी पथराव किया था। इसमें शामिल आरोपित किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से हैं। इसका खुलासा आरोपितों के सोशल मीडिया अकाउंट से हुआ। कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड जफर हयात हासमी का कांग्रेस से तो वहीं उसका करीबी निजाम कुरैशी एसपी से है। मास्टरमाइंड का करीबी जावेद खान एआईएमआईएम जिलाध्यक्ष रहा  है। इसके साथ ही निर्दलीय लोकसभा चुनाव भी लड़ा है।

 

कौन है निजाम कुरैशी

 

कानपुर हिंसा आरोपित निजाम कुरैशी सपा का नगर सचिव रहा है। वह ऑल इंडिया जमीअतुल कुरैशी एक्शन कमेटी का जिलाध्यक्ष भी है। यतीमखाना बवाल में नाम आने पर सपा नगर अध्यक्ष डॉक्टर इमरान ने उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। निजाम की सपा समेत मुस्लिम समुदाय में अच्छी पकड़  है। पूर्व सपा नेता का टीम निजाम कुरैशी नाम से व्हाट्सएप ग्रुप की चैट सोशल मीडिया पर वायरल है

हिंदुओं की दुकानों से नहीं खरीदे सामान

कानपुर हिंसा के आरोपित पूर्व एसपी नेता निजाम कुरैशी के व्हाट्सएप ग्रुप से वायरल चैट में है कि परेड चौराहे के आसपास से खाने-पीने या घरेलू इस्तेमाल की सामग्री न खरीदें। हिन्दुओं का बायकॉट करें। खासकर दयाराम स्वीट्स नमकीन हाउस, बंसीलाला जनरल स्टोर, गुप्ता जी घास वाले, गुप्ता जी कूलर वाले, सुमित फल वाला आदि से कुछ नहीं खरीदें।

चैट वायरल होने के बाद सपा विधायकों ने छोड़ा ग्रुप

पूर्व सपा नेता की चैट वायरल पर सपा के तीनों विधायकों और महानगर अध्यक्ष ने ग्रुप छोड़ दिया है। सपा महानगर अध्यक्ष डॉक्टर इमरान सफाई दी कि समाजवादी पार्टी इसका समर्थन नहीं करती। व्हाट्सएप ग्रुप में सुविधा है कि कोई भी ग्रुप एडमिन किसी को भी एडमिन बना सकता है। पार्टी के व्हाट्सएप ग्रुप काफी ज्यादा हैं। सारे ग्रुप देख नहीं पाते। इसका मतलब यह नहीं है कि इसका समर्थन करते हैं। हमने ग्रुप छोड़ दिया है।

कानपुर दंगों के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी से हिंसा में गिरफ्तार PFI कार्यकर्ताओं से भी संबंध थे।

Kanpur Violence में विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल? बैंक अकाउंट्स में हुआ था करोड़ों का ट्रांजैक्शन

3 साल में इन बैंक अकाउंट्स से करोड़ों रुपये की ट्रांजैक्शंस हुई है।इनमें से एक बैंक अकाउंट में अभी भी 1.27 करोड़ रुपये बचे हैं।पुलिस इस मामले में विदेशी फंडिंग की गहराई से जांच कर रही है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में 3 जून को जुमे के दिन दंगे में अब विदेशी फंडिंग का एंगल सामने है।

दंगे के आरोपों में गिरफ्तार हयात जफर हाशमी की संस्था को ये पैसे विदेशों से आए थे और 3 बैंक अकाउंट्स से करोड़ों की लेनदेन हुई थी। तीनों ही अकाउंट्स 2019 में खोले गए और फिर करीब 3 साल में इनसे करोडों रुपये के ट्रांजैक्शन हुए। एक खाते में अभी भी 1.27 करोड़ रुपये बचे हैं, जबकि बाकी के 2 खातों में सिर्फ 11 लाख रुपये बचे हुए हैं।

PFI के 3 सदस्यों के बैंक खातों की होगी जांच, हयात जफर हाशमी के संपर्क में थे आरोपित

कानपुर हिंसा मामले में गिरफ्तार पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ‘PFI’ के 3 सदस्यों के बैंक खातों की भी जांच होगी। गिरफ्तार उमर, नसीम अहमद और सैफुल्लाह के बैंक खातों की जांच करेगी। पुलिस को इस मामले में भी विदेशी फंडिंग का शक है। ये तीनों ही कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी के संपर्क में थे। पुलिस की नजर इस पर है कि क्या इनके खातों में भारत के बाहर से पैसा आता था, आता था तो कहां से आता था। उमर, नसीम अहमद और सैफुल्लाह इससे पहले दिसंबर 2020 में CAA विरोधी हिंसा मामले में भी जेल गए थे।

अब तक 54 आरोपित हो चुके हैं गिरफ्तार

बता दें कि कानपुर हिंसा के मामले में अब तक 54 आरोपित गिरफ्तार हुए हैं। बुधवार को कानपुर दंगे की जांच के लिए SIT और फॉरेन्सिक टीम मौके पर पहुंची थी। टीम ने क्राइम सीन रीक्रिएट किया और फोटोग्राफी के साथ पूरे इलाके का मुआयना किया। फॉरेंसिंक टीम ने दादा मियां, नई सड़क और चंद्रेश्वर हाता का दौरा किया। फॉरेंसिक टीम को अब कुछ इलाकों से टूटे सीसीटीवी कैमरे, पथराव के निशान, पत्थर भी मिले हैं। 3 जून को नई सड़क, यमीमखाना, चंद्रेश्वर हाते के आसपास पथराव हुुआ था।

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