कर्नाटक ने भाजपा को दिया गम, उप्र ने किया कम
Karnataka Election Sorrow To Bjp Lessen By Up Nikay Chunav
भाजपा को कर्नाटक का दिया गम यूपी ने किया कम
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने उसे चारों खाने चित कर दिया है। हालांकि, इस हार के जख्मों पर यूपी निकाय चुनाव ने मरहम लगाने का काम किया। राज्य में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन रहा। पहली बार भगवा दल 17 नगर निगमों में पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की।
हाइलाइट्स
1कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार
2-यूपी निकाय चुनाव में भगवा पार्टी ने गाड़ दिए झंडे
3-कर्नाटक की हार पर लगा यूपी निकाय चुनाव का मरहम
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) को कर्नाटक में बड़ा झटका लगा है। राज्य में कांग्रेस ने उसे करारी शिकस्त दी है। पंजे ने आसानी से बहुमत हासिल कर लिया है। इसने कांग्रेसियों में जान फूंक दी है। बीजेपी के लिए नतीजे वाकई निराशाजनक हैं। वह कर्नाटक (Karnataka Election Results 2023) के रास्ते दक्षिण भारत में छा जाने को बेताब थी। हालांकि, कर्नाटक के गम पर उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों ने मरहम का लेप लगाया है। यूपी निकाय चुनावों (UP Nikay Chunav 2023) में बीजेपी ने धमाकेदार प्रदर्शन किया है। पहली बार 17 नगर निगमों में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ विजय हासिल की है। प्रदेश के अंदर 200 नगर पालिका परिषदों में से 199 में चुनाव हुए। 2017 में बीजेपी के सिर 60 नगर पालिकाओं में जीत का सेहरा सजा था। इस साल बीजेपी ने नगर पालिका परिषदों में 2017 के मुकाबले दोगुना से ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस तरह बीजेपी को कर्नाटक में मिला गम यूपी ने कुछ हद तक कम किया।
‘1 वोट भी जिम्मेदार होता है जीत-हार के लिए’ – मतदान न कर पाने वालों का छलका दर्द
इस बार के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में रेकॉर्ड 73.19 फीसदी मतदान हुआ था। ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान जताया गया था। त्रिशंकु विधानसभा की संभावना का संकेत देते हुए कई विश्लेषकों ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर कांग्रेस को बढ़त दी थी। हालांकि, नतीजे आने के बाद कांग्रेस ने अपने बूते ही सरकार बनाने का रास्ता साफ कर लिया। 224 सदस्यीय विधानसभा में उसने 114 का जादुई आंकड़ा आसानी से पार लिया।
कांग्रेस ने की है दमदार वापसी…
इसके साथ ही कर्नाटक में कांग्रेस ने 10 साल बाद अपने दम पर सत्ता में वापसी कर ली है। पार्टी ने बीजेपी के कब्जे वाले एकमात्र दक्षिणी राज्य से उसे बाहर कर दिया है। पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश के बाद बीजेपी की यह दूसरी पराजय है। कर्नाटक चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के अलावा भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया रहा। चुनाव से महीनों पहले बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि यह ‘40 फीसदी कमीशन’ वाली सरकार है। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने बजरंग बली, राज्य सरकार की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मुसलमानों के लिए चार फीसदी आरक्षण को समाप्त करने और हिजाब जैसे मुद्दों को उठाया। हालांकि, ये मुद्दे वोटरों को लुभाने में नाकाम साबित हुए। लोगों ने राज्य में बीजेपी के खराब प्रशासन और कांग्रेस की पांच गारंटी के पक्ष में वोट किया।
सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का नाम काफी नहीं…
इससे एक और बात सामने आई। वह यह है कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जीता नहीं जा सकता है। यह बात पहले हिमाचल प्रदेश में भी जाहिर हो चुकी है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए लोगों को ‘रियल वर्क’ देखना है। यही वह चीज है जो लोगों को यूपी में दिखाई दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में माफियागिरी पर लगाम लगी। निवेश को आकर्षित करने के लिए कदम उठाए गए। सरकारी स्कीमों का फायदा घर-घर पहुंचाने के लिए सिस्टम ने सारी ताकत झोंक दी। लोगों को सुरक्षा का एहसास हुआ। इसका रिजल्ट निकाय चुनावों में भी देखने को मिला। पहली बार 17 के 17 नगर निगमों में भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत का पताका फहरा दी।
उप्र में अब ट्रिपल इंजन सरकार, शहरों में भाजपा का दबदबा कायम, चुनाव नतीजे एक नजर में
नगर निगम चुनाव में भाजपा ने जहां विपक्षी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया, वहीं सपा ने आधी सीटों पर मुख्य लड़ाई में रहकर अपने वजूद का अहसास भी कराया।
नगर निगम चुनाव में भाजपा ने जहां विपक्षी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया, वहीं सपा ने आधी सीटों पर मुख्य लड़ाई में रहकर अपने वजूद का अहसास भी कराया। वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव के लिहाज से देखें तो इस बार कांग्रेस और भी नीचे चली गई। बसपा भी मात्र चार ही सीटों पर सत्ताधारी दल को सीधे टक्कर दे सकी। अलबत्ता, मेरठ में ओवैसी की पार्टी का प्रदर्शन सपा के लिए जरूर चिंता का सबब है। लेकिन यूपी में अब ट्रिपल इंजन सरकार है और शहरों में भाजपा का दबदबा कायम है।
मेयर के चुनाव में सपा के प्रत्याशी लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और अयोध्या जैसी महत्वपूर्ण सीटों के अलावा अलीगढ़, प्रयागराज, फिरोजाबाद और कानपुर में दूसरे स्थान पर रहे। बरेली में भी सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी ही दूसरे स्थान पर रहे। इस तरह से सपा कुल नौ सीटों पर दूसरे स्थान पर रही, वहीं 2017 के मेयर चुनाव में सपा 5 सीटों लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, बरेली और अयोध्या में दूसरे स्थान पर रही थी।
पिछले चुनाव में बसपा ने मेरठ और अलीगढ़ में मेयर पद कब्जाया था तो सहारनपुर, झांसी और आगरा में दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार सहारनपुर, गाजियाबाद, मथुरा और आगरा में ही वह मुख्य लड़ाई में दिखी। यानी, पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार नगर निगम चुनाव में उसका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा।
मेयर चुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस को लेकर यूपी के मतदाता कोई खास आशांवित नहीं है। हालांकि, मुरादाबाद में उसका प्रत्याशी काफी कम 3589 मतों के अंतर से हारा, पर वहां के अलावा कांग्रेस झांसी और नव गठित नगर निगम शाहजहांपुर में ही दूसरे स्थान पर रहा। जबकि, पिछले चुनाव में कांग्रेस 5 नगर निगम क्षेत्रों गाजियाबाद, मथुरा, कानपुर, वाराणसी और मुरादाबाद में दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार मथुरा में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को सपा ने भी अपना समर्थन दिया था, पर वहां दूसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी रहा। मेरठ में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी के टक्कर में आने के स्पष्ट राजनीतिक संकेत हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का पढ़ा-लिखा मतदाता इस विकल्प पर भी विचार कर रहा है।
मेरठ में भाजपा प्रत्याशी हरिकांत अहलूवालिया ने मेयर पद पर जीत हासिल कर ली है। बताया गया कि हरिकांत ने 107406 वोटों से जीत
गोरखपुर में सपा को छोड़ सभी 11 की जमानत जब्त
गोरखपुर में जीत-हार का अंतर 60 हजार से अधिक मतों का रहा। वहां सपा उम्मीदवार को छोड़ बाकी सभी 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। सहारनपुर नगर निगम में विजयी हुए भाजपा के डॉ. अजय कुमार को पूर्व विधायक इमरान मसूद की भाभी व बसपा प्रत्याशी खतीजा मसूद ने कड़ी टक्कर दी। अजय कुमार 8031 मतों से जीते। गाजियाबाद में भी भाजपा प्रत्याशी के आसपास कोई नहीं दिखा। प्रयागराज, मथुरा और मेरठ में भी हार-जीत का अंतर एक लाख से ज्यादा का रहा। झांसी में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई।
विनोद सबसे कम, सुनीता सबसे ज्यादा वोटों से विजयी
महापौर पद पर मुरादाबाद के विनोद अग्रवाल सबसे कम मतों से विजयी हुए। उन्हें कुल 121475 मत मिले जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के मो. रिजवान रहे। उन्हें 117832 मत मिले। विनोद मात्र 3643 मतों से जीते। उधर गाजियाबा में भाजपा की सबसे बड़ी जीत रही। यहां भाजपा की सुनीता दयाल को 350905 मत मिले। दूसरे नंबर पर रहीं प्रत्याशी बसपा की निसारा खान को 63249 मत मिले। सुनीता 287656 मतों से जीतीं
सबसे ज्यादा अंतर
गाजियाबाद – सुनीता दयाल – 350905 निसारा खान बसपा – 63249 अंतर- 287656
सबसे कम अंतर मुरादाबाद – विनोद अग्रवाल 121475, मो. रिजवान कांग्रेस – 117832 अंतर- 3643
महापौर
सीट विजेता
लखनऊ सुषमा खर्कवाल
गोरखपुर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव
वाराणसी अशोक तिवारी
प्रयागराज गणेश चंद्र उमेश केसरवानी
अयोध्या गिरीश पति त्रिपाठी
कानपुर प्रमिला पांडेय
अलीगढ़ प्रशांत सिंघल
मेरठ हरिकांत अहलूवालिया
झांसी बिहारी लाल आर्य
शाहजहांपुर अर्चना वर्मा
सहारनपुर अजय सिंह
मुरादाबाद विनोद अग्रवाल
मथुरा-वृंदावन विनोद अग्रवाल
गाजियाबाद सुनीता दयाल
बरेली उमेश गौतम
फिरोजाबाद कामिनी राठौर
आगरा हेमलता दिवाकरभाजपा के बागी जीते, बागियों ने बिगाड़ा भाजपा प्रत्याशियों का खेल
नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा के बागियों ने पार्टी प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ दिया। प्रदेश के कई जिलों में नगर पंचायत अध्यक्ष से लेकर पार्षद तक भाजपा के बागी चुनाव चुनाव जीते हैं। बुलंदशहर में अनूपशहर नगर पालिका पर भाजपा के बागी ब्रजेश गोयल ने करीब चार हजार वोट से जीत दर्ज की है। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार ब्रिजेश शर्मा को हराया।
झांसी में एरच नगर पंचायत से अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के बागी जयचंद राजपूत ने जीत दर्ज की। वहीं, मोंठ नगर पंचायत से अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की बागी मीरा देवी विजयी रहीं।
निकाय चुनाव में टूंडला सीट पर सभी दलों के प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी भंवरसिंह ठेकेदार ने नगर पालिका परिषद की सीट पर कब्जा कर लिया। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के दीपक राजौरिया को 321 मतों से पराजित किया।
बागपत की अमीनगर सराय में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बागी हुई निर्दलीय प्रत्याशी सुनीता मलिक को जीत मिली।
नंदी के वार्ड में भाजपा हारी
योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी के वार्ड में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। नंदी के वार्ड संख्या 80 मोहित्समगंज में भाजपा से प्रत्याशी विजय वैश्य तीसरे स्थान पर रहे। निवर्तमान मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने ठाकुरदीन जूनियर हाईस्कूल में मतदान किया और यहां के दोनों ही बूथों पर भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा। यहां भाजपा की बागी कुसुमलता ने चुनाव जीता। कुसुमलता को नंदी खेमे का माना जाता है।
उच्च शिक्षा मंत्री का वार्ड भी हारे
आगरा नगर निगम चुनाव में भाजपा के दिग्गज भी अपनी प्रतिष्ठा नहीं बचा सके। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, नगर निगम चुनाव के संयोजक विधायक डॉ. जीएस धर्मेश, राज्यसभा सांसद हरद्वार दुबे के वार्डों में भी पार्टी के प्रत्याशी हार गए हैं। इसके साथ ही भाजपा जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाहा के पुत्र अमरेश भी चुनाव हार गए।
धाकरान वार्ड 76 में निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव जीता है। यह उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का वार्ड है। राज्यसभा सांसद हरद्वार दुबे के वार्ड 24 में भी भाजपा की हार हुई है। नगर निगम के चुनाव संयोजक डॉ. जीएस धर्मेश के वार्ड 19, भाजयुमो ब्रज क्षेत्र के महामंत्री गौरव राजावत के वार्ड में भी पार्टी प्रत्याशी की हार हुई है। यहां तक कि जिलाध्यक्ष गिर्राज सिंह कुशवाह के पुत्र अमरेश ने नगला पदी वार्ड नंबर 73 से चुनाव लड़ा था। वह भी चुनाव हार गए। यहां बसपा प्रत्याशी जीता है। लखीमपुर खीरी में भाजपा की बागी निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. इरा श्रीवास्तव ने भाजपा की पुष्पा सिंह को हरा दिया।
छोटे दलों के चुनाव परिणाम
सुभासपा
बड़ी संख्या में जीत का दावा कर रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) सिर्फ बलिया की रतसड़ नगर पंचायत की अध्यक्ष की ही सीट जीत पाई है। हालांकि पार्टी ने 7 नगर निगम में मेयर और नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के अध्यक्ष के 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे , लेकिन जीत सिर्फ एक ही नगर पंचायत सीट पर मिली है। जबकि 12 नगर पंचायत में दूसरे स्थान पर रही है। इसके अलावा बलिया, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, अंबेडकरनगर, कुशीनगर देवरिया आदि जिलों में पार्टी के 30 से अधिक पार्षद जीते हैं।
आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी (आप) ने पहली बार निकाय चुनाव में अपना खाता खोलते हुए रामनगर, स्योहर (बिजनौर) और खैर (अलीगढ़) नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के अलावा 7 नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा गाजियाबाद, कानपुर, अयोध्या और झांसी नगर निगम समेत कई निकायों में बड़ी संख्या में पार्टी द्वारा उतारे गए पार्षद भी चुनाव जीते हैं।
आजाद समाज पार्टी
निकाय चुनाव में पहली बार उतरे आजाद समाज पार्टी (आसपा) ने मेयर या अध्यक्ष के पद पर चुनाव नहीं लड़ा था, लेकिन मथुरा, सहारनपुर नगर निगम समेत कई निकायों में पार्षद के पदों पर उम्मीदवार उतारे थे। आसपा के दो दर्जन से अधिक पार्षदों ने चुनाव जीतकर निकाय चुनाव में खाता खोला है।
अपना दल (एस)
निकाय चुनाव में अपना दल (एस) को समझौते में कुल चार सीटें मिली थीं। इनमें दो नगर पालिका परिषद और दो नगर पंचायतें शामिल हैं। इनमें से पार्टी ने स्वार (रामपुर) नगर पालिका परिषद और मंधाता (प्रतापगढ़) नगर पंचायत में अध्यक्ष की सीट पर जीत दर्ज की है। जबकि मऊरानीपुर (झांसी) नगर पालिका परिषद और कटरा गुलाब सिंह (प्रतापगढ़) सीट पर पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है। पार्टी ने पार्षद सीट पर चुनाव नहीं लड़ाया था।
भाजपा के पांच मुस्लिम प्रत्याशी नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित
नगर निकाय चुनाव में भाजपा के पांच मुस्लिम प्रत्याशी नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुवर बासिल अली ने बताया कि पार्टी ने नगरी निकाय चुनाव में 395 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। शनिवार देर शाम तक आए नतीजों में पांच मुस्लिम प्रत्याशी नगर पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।
कुंवर बासित अली ने कहा कि कांग्रेस-सपा-बसपा जैसे दलों ने मुसलमानों के मन में भाजपा के प्रति तमाम तरह की शंकाएं पैदा की थीं। लेकिन मुसलमानों ने 2014 से लेकर अब तक यही देखा कि उसके साथ कोई भेदभाव नहीं हो रहा है। बल्कि सभी कल्याणकारी योजनाओं में वह आबादी में अपने अनुपात से ज्यादा हिस्सा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम बहुल सीटों पर भी भाजपा की जीत इस बात का संकेत है कि अल्पसंख्यकों के मन में भाजपा को लेकर तमाम आशंकाएं समाप्त हो गई हैं। अब वे अपने विकास के लिए भाजपा को वोट कर रहे हैं। भाजपा के प्रति उसके मन में अफवाह फैलाने वालों की राजनीतिक दुकान बंद हो गई है।
हरदोई जिले की गोपामऊ हरदोई नगर पंचायत अध्यक्ष पर वली मोहम्मद, सहारनपुर की चिल्लकाना नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर फूल बानो, संभल की सिरसी नगर पंचायत में अध्यक्ष कौसर अब्बास, बरेली की धौरा टांडा नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर नदीमुल हसन और मुरादाबाद की भोजपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर फ़र्ख़न्दा ज़बी जीती है। गोरखपुर नगर निगम से भाजपा की पार्षद प्रत्याशी हकीकुन निशा ने चुनाव जीता है। अमेठी से वार्ड पार्षद के लिए भाजपा उम्मीदवार जैबा खातून ने भी विजय हासिल की। नगर पंचायत सिवालखास के वार्ड 5 से भाजपा की मुस्लिम प्रत्याशी शहजाद, नगर पंचायत सिवालखास के वार्ड 3 से भाजपा प्रत्याशी रुखसाना ने चुनाव जीता।
नगर विकास मंत्री अपने ही जिले में नहीं जिता पाए पालिकाध्यक्ष, 36 हजार से हारा भाजपा प्रत्याशी
नगरीय निकाय चुनाव में नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के गृह जिले में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। मऊ नगर पालिका परिषद में बहुजन समाज पार्टी के अरशद जमाल ने भाजपा के प्रत्याशी को हराया। योगी सरकार के कई मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र में नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
मऊ नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद लंबे अर्से बाद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ था। स्थानीय भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता किसी ब्राह्मण, ठाकुर या भूमिहार को प्रत्याशी बनाने के पक्षधर थे। लेकिन अरविंद कुमार शर्मा की पैरवी से जाटव समाज अजय कुमार के प्रत्याशी बनवाया। अजय कुमार पहले बसपा के कोऑर्डिनेटर रहे हैं। शर्मा ने अजय कुमार के समर्थन में चुनाव प्रचार के लिए मऊ में डेरा भी डाला था। लेकिन शनिवार को आए नतीजो में बसपा के अरशद जमाल ने भाजपा प्रत्याशी को 36 हजार से अधिक मतों से हराया है।
पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के निर्वाचन क्षेत्र बरेली जिले की आंवला नगर पालिका परिषद में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। आंवला में सपा के आबिद अली ने भाजपा के संजीव सक्सेना को चुनाव हराया।
उद्यान राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह के गृह जिले रायबरेली में भी भाजपा की हार हुई है। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के शत्रोहनलाल सोनकर चुनाव जीते हैं। चिकित्सा राज्यमंत्री मंयकेश्वर शरण सिंह के निर्वाचन क्षेत्र तिलोई की नगर पालिका जायस में भी भाजपा की हार हुई है। मयंकेश्वर सिंह ने जायस में कई दिनों तक प्रचार भी किया था।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गुलाब देवी के गृह जिले संभल की तीन में से दो नगर पालिका में भाजपा की हार हुई है। गुलाब देवी के संसदीय क्षेत्र की चंदौसी नगर पालिका में निर्दलीय प्रत्याशी लता ने चुनाव जीता है। संभल नगर पालिका परिषद में एआईएमआईएम ने चुनाव जीता है। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण के निर्वाचन क्षेत्र कन्नौज, राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख के रामपुर नगर पालिका परिषद में भी भाजपा की हार हुई है।
चौधरी के जिले में खिला कमल
मुरादाबाद नगर निगम में कांटे का मुकाबला माना जा रहा था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का गृह जिला होने के कारण मुरादाबाद के परिणाम पर सभी की नजर थी। मतगणना के दौरान कई बार उतार चढ़ाव आए। लेकिन अंत में भाजपा के विनोद अग्रवाल लगातार दूसरी बार महापौर निर्वाचित हुए।
मंत्रियों ने दिखाया दम
प्रयागराज नगर निगम में भाजपा की जीत का सेहरा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सिर बंधेगा। वहीं लखनऊ में भाजपा की सुषमा खर्कवाल की रिकार्ड जीत में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को बड़ा श्रेय मिलेगा। शाहजहांपुर नगर निगम में पहली बार हुए चुनाव में भाजपा ने परचम फहराया है। शाहजहांपुर में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने राजनीतिक कौशल दिखाया है। आगरा नगर निगम में भाजपा की जीत से उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, महिला कल्याण मंत्री बेबीरानी मौर्य और धर्मवीर प्रजापति का कद बढ़ा है।
नगर पंचायत में भाजपा को7 % सीटों का फायदा, सपा को उतना ही नुकसान
नगर पंचायत चुनाव में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिली है। भाजपा को करीब7% अधिक सीटें मिली हैं, जबकि सपा को7% और बसपा को 5% का नुकसान हुआ है। नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा 22.83% सीट से बढ़कर 30.51% सीट पर पहुंच गई है। रालोद 0.68 % से बढ़कर 1.29 % पर पहुंच गई है। सपा18.95 फीसदी से घटकर 11.4 फीसदी, काग्रेस 3.88 फीसदी से घटकर 1.84 फीसदी और बसपा 10.27 फीसदी से घटकर 5.33 फीसदी पर पहुंच गई है। निर्दलीय 41.55 फीसदी से घटकर 31.07 फीसदी पर पहुच गए हैं।
वर्ष 2017 में नगर पंचायत अध्यक्ष के 438 पद पर चुनाव हुए थे। इस बार नगर पंचायत अध्यक्ष की संख्या बढ़कर 544 हो गई। नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर वर्ष 2017 में भाजपा ने 100 सीटें जीतें थी। यह कुल सीटों का 22.83 फीसदी था। इस बार 166 यानी 30.51 फीसदी सीट पर विजय मिली है। इसी तरह सपा 83 यानी 18.95 फीसदी से घटकर 62 यानी 11.4 फीसदी पर पहुंच गई। रालोद 34 यानी 0.63 फीसदी से बढ़कर 7 यानी 1.29 फीसदी सीट पर पहुंच गई। बसपा पिछली बार 45 यानी 10.27 फीसदी से घटकर 29 यानी 5.33 फीसदी पर पहुंच गई। कांग्रेस 17 यानी 3.88 फीसदी से घटकर 10 यानी 1.84 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह आम आदमी पार्टी दो सीट से बढ़कर छह सीट पर पहुंच गई। आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिम और फारवर्ड ब्लॉक एक-एक सीट पर और राष्ट्रीय जनता दल दो पर बरकरार रही।
नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी हुई कम
वर्ष 2017 में नगर पंचायत सदस्यों की संख्या 5434 थी, जबकि इस बार बढ़कर 7178 हो गई है। चुनाव आयोग की रात आठ बजे की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के पिछली बार के सदस्य 664 सदस्य यानी 12.22 फीसदी सदस्य थे। इस बार इनकी संख्या बढ़कर 1247 यानी 17.37 फीसदी रह गई है। इस तरह करीब पांच फीसदी की बढ़त हुई है। इसी तरह सपा के 453 यानी 8.34 फीसदी से घटकर 422 यानी 5.88 फीसदी, बसपा के 218 यानी 4.01 फीसदी से घटकर 185 यानी 2.58 फीसदी, कांग्रेस के 126 यानी 2.32 फीसदी से घटकर 76 यानी 1.06 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह आम आदमी पार्टी के 19 से बढ़कर 58, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के 6 से बढ़कर 11, फारवर्ड ब्लाक के 13 से घटकर चार पर पहुंच गई। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी एक सीट पर इस बार भी बरकार रही। पिछली बार माकपा एक सीट पर थी और इस बार भाकपा ने तीन सीट जीत ली है। राष्ट्रीय जनता दल के छह से घटकर तीन पर पर पहुंच गई है। शिवसेना का पिछली बार एक सदस्य था, इस बार कोई सदस्य नहीं है। इसी तरह निर्दलियों की संख्या 71 फीसदी से घटकर 59 फीसदी पर पहुंच गई है।
निर्दलीय भी खूब जीते
इस चुनाव में भले ही एक भी महापौर निर्दलीय न जीत पाया हो पर अन्य पदों पर निर्दलियों ने खूब जीत की पताका फहराई। पार्षद पद पर 206 निर्दलीय जीत गए। 40 नगर पालिका अध्यक्ष तथा 3081 नगर पलिका परिषद सदस्य निर्दलीय जीते। इसी तरह से 191 नगर पंचायत अध्यक्ष निर्दलीय जीते और 4752 नगर पंचायत सदस्य निर्दलीय सब पर भारी पड़े। पिछले चुनाव में नगर पालिका अध्यक्ष 43, नगर पंचायत अध्यक्ष 182 था 181 सदस्य निर्दलीय जीते थे।
नगर पालिका परिषद में भी भाजपा ने सुधारा प्रदर्शन
भाजपा ने नगर निगम की ही तरह नगर पालिका परिषद के चुनाव में भी अपना परिणाम दोहराया है। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी परिणाम के अनुसार सबसे ज्यादा अध्यक्ष पद पर भाजपा ने जीत हासिल की है। भाजपा ने 87 अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की है। वहीं सपा, बसपा, कांग्रेस की सीटें पिछले चुनाव की अपेक्षा कम हुई हैं।
2017 में नगर पालिका परिषद अध्यक्ष के लिए 198 पदों पर चुनाव हुआ था। इसमें से भाजपा ने 70, समाजवादी पार्टी ने 45, बहुजन समाज पार्टी ने 29, कांग्रेस ने नौ, निर्दलीय 43 और अन्य दो सीटों पर विजयी रहे थे। वहीं 2023 में 199 अध्यक्ष पदों पर चुनाव हुआ। इसमें भाजपा ने 87, समाजवादी पार्टी ने 35, बहुजन समाज पार्टी ने 15, कांग्रेस ने चार, निर्दलीय 41 और अन्य 14 सीटों पर विजय प्राप्त की है।
इसी तरह 2017 में पालिका परिषद सदस्य के 5261 पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा के 923 सदस्य, समाजवादी पार्टी के 477, बहुजन समाज पार्टी के 262, कांग्रेस के 158, निर्दलीय 3379 जीते थे। वहीं 2023 में सदस्य के 5327 पद हो गए। जिसमें घोषित नतीजों में भाजपा के 1331, सपा के 421, बसपा के 189, कांग्रेस के 91, निर्दलीय 3097 जीते हैं। इस तरह भाजपा ने अपने आंकड़ों में सुधार किया है।
रालोद-आप ने भी खोला खाता
खास यह कि 2017 के चुनाव में लड़ाई से बाहर रही राष्ट्रीय लोक दल और आम आदमी पार्टी ने 2023 में पालिका परिषद अध्यक्ष के चुनाव में भी अपना खाता खोला। वहीं इस बार राष्ट्रीय लोक दल ने सात, आप ने तीन, आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लमीन ने तीन जबकि अपना दल सोनेलाल ने एक पालिका परिषद अध्यक्ष का चुनाव जीता।
नगर पंचायत में भाजपा को 12 फीसदी की बढ़त, सपा को चार तो बसपा को साढ़े तीन फीसदी सीट का नुकसान
नगर पंचायत चुनाव में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिली है। भाजपा को करीब 12 फीसदी अधिक सीटें मिली हैं, जबकि सपा को चार फीसदी और बसपा को साढ़े तीन फीसदी का नुकसान हुआ है।
नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा 22.83 फीसदी सीट से बढ़कर 34.74 फीसदी सीट पर पहुंच गई है। रालोद 0.68 फीसदी से बढ़कर 1.29 फीसदी पर पहुंच गई है। सपा18.95 फीसदी से घटकर 14.34 फीसदी, कांग्रेस 3.88 फीसदी से घटकर 2.39 फीसदी और बसपा 10.27 फीसदी से घटकर 6.62 फीसदी पर पहुंच गई है। निर्दलीय 41.55 फीसदी से घटकर 35.29 फीसदी पर पहुच गए हैं।
वर्ष 2017 में नगर पंचायत अध्यक्ष के 438 पद पर चुनाव हुए थे। इस बार नगर पंचायत अध्यक्ष की संख्या बढ़कर 544 हो गई। नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर वर्ष 2017 में भाजपा ने 100 सीटें जीतें थी। यह कुल सीटों का 22.83 फीसदी था। इस बार 189 यानी 34.74 फीसदी सीट पर विजय मिली है। इसी तरह सपा 83 यानी 18.95 फीसदी से घटकर 78 यानी 14.34 फीसदी पर पहुंच गई। रालोद 3 यानी 0.63 फीसदी से बढ़कर 7 यानी 1.29 फीसदी सीट पर पहुंच गई। बसपा पिछली बार 45 यानी 10.27 फीसदी से घटकर 36 यानी 6.62 फीसदी पर पहुंच गई। कांग्रेस 17 यानी 3.88 फीसदी से घटकर 13 यानी 2.39 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह आम आदमी पार्टी दो सीट से बढ़कर छह सीट पर पहुंच गई। आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिम एक से बढ़कर दो और फारवर्ड ब्लॉक एक और राष्ट्रीय जनता दल दो से बढ़कर तीन हो गई।
नगर पंचायत सदस्यों की संख्या भी हुई कम
वर्ष 2017 में नगर पंचायत सदस्यों की संख्या 5434 थी, जबकि इस बार बढ़कर 7178 हो गई है। चुनाव आयोग की रात 11 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के पिछली बार के 664 सदस्य यानी 12.22 फीसदी सदस्य थे। इस बार इनकी संख्या बढ़कर 1396 यानी 19.45 फीसदी हो गई है। इस तरह करीब सात फीसदी की बढ़त हुई है। इसी तरह सपा के सदस्य 453 से 483 हो गए, लेकिन कुल सदस्य संख्या के अनुसार देखें तो सपा 8.34 फीसदी से घटकर 6.73 फीसदी पर पहुंच गई। बसपा के 218 यानी 4.01 फीसदी से घटकर 213 यानी 2.97 फीसदी, कांग्रेस के 126 यानी 2.32 फीसदी से घटकर 77 यानी 1.07 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह आम आदमी पार्टी के 19 से बढ़कर 61, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के 6 से बढ़कर 22, फारवर्ड ब्लाक के 13 से घटकर आठ पर पहुंच गई। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी एक सीट पर इस बार भी बरकार रही। पिछली बार माकपा एक सीट पर थी और इस बार भाकपा ने तीन सीट जीत ली है। राष्ट्रीय जनता दल के छह से घटकर तीन पर पर पहुंच गई है। शिवसेना का पिछली बार एक सदस्य था, इस बार कोई सदस्य नहीं है। इसी तरह निर्दलीयों की संख्या 71 फीसदी से घटकर 66.92 फीसदी पर पहुंच गई है।
13 नगर पंचायतों और 4 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के अध्यक्ष
प्रदेश की 13 नगर पंचायतों और 4 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के अध्यक्ष पद प्रत्याशी जीते हैं। हालांकि, सभी परिणाम आने के बाद इस संख्या में वृद्धि भी हो सकती है। शनिवार की देर रात तक जितने परिणाम जारी हुए थे, उनमें नगर पंचायतों में कांग्रेस के 77 सदस्य और नगर पालिकाओं में 89 सदस्य जीते हैं। नगर निगम में भी उसके 77 प्रत्याशी पार्षद बने। कांग्रेस के संगठन सचिव अनिल कुमार ने बताया कि इसके अलावा मऊ की कोपागंज और बिजनौर की दो नगर पंचायतों में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी भी जीते हैं। किन्हीं कारणों से इन्हें कांग्रेस का सिंबल नहीं दिया जा सका था, पर कांग्रेस ने चुनाव से पहले ही उन्हें अपना समर्थन दे दिया था।
भय और भ्रष्टाचार की जीत -खाबरी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि नगर निगम चुनाव में भाजपा की नहीं, बल्कि भय और भ्रष्टाचार की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि झांसी और रायबरेली समेत कई जिलों में कांग्रेस प्रत्याशियों को गड़बड़ी करके हरवाया गया।
48 हजार मतदाताओं को पसंद नहीं आए महापौर उम्मीदवार
48115 मतदाताओं को 17 नगर निगमों में महापौर पद पर उतरे उम्मीदवार पसंद नहीं आए। उन्होंने नोटा का बटन दबाकर सारे प्रत्याशियों को खारिज कर दिया।
सबसे ज्यादा नोटा का बटन लखनऊ के वोटरों ने दबाया। यहां 6850 मतदाता ने नोटा विकल्प अपनाया। अयोध्या में सबसे कम 923 वोटरों नोटा का उपयोग किया। मुरादाबाद में हार जीत का अंतर 3643 ही रहा। यहां नोटा का बटन दबाने वाले 2020 रहे। गाजियाबाद में हार जीत का अंतर सबसे ज्यादा रहा पर यहां भी 4950 वोटरों ने नोटा का इस्तेमाल किया।
महापौर : बस 15 उम्मीदवार ही बचा पाए जमानत, 164 की जब्त
17 नगर निगमों में महापौर पद पर चुनावी रण में उतरे 164 ऐसे उम्मीदवार रहे जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। विजेताओं के अलावा केवल 15 धुरंधर ऐसे रहे जिनकी जमानत बच सकी। इनमें केवल मेरठ नगर निगम ऐसा रहा जहां हारे हुए दो उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए। गाजियाबाद, झांसी और मथुरा निगम तो ऐसे रहे जहां हारने वाले सभी उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गई।
इस चुनावी रण में अयोध्या में सात उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो। बस सपा की बची। अलीगढ़ में बसपा को छोड़कर 8 उम्मीदवारों की, कानपुर नगर में सपा को छोड़कर 11 उम्मीदवारों की, गाजियाबाद में सभी 11 की, झांसी में सभी 5 की, प्रयागराज में सपा को छोड़कर 19 की, फिरोजाबाद में सपा को छोड़कर 9 की, बरेली में निर्दलीय सपा समर्थित को छोड़कर 11 की, मथुरा में सभी 7 की, मेरठ में एआईएमआईएम एवं सपा को छोड़कर बाकी 12 की, मुरादाबाद में कांग्रेस को छोड़कर 10 की, लखनऊ में सपा को छोड़कर 11 की, शाहजहांपुर में कांग्रेस को छोड़कर 6 की, सहारनपुर में बसपा को छोड़कर 6 की तथा वाराणसी में सपा को छोड़कर बाकी 9 उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो गई।