केजरी ने नाम लिया आतिशी व सौरभ का,आतिशी ने बताई चार और गिरफ्तारियां

संजय सिंह को ज़मानत और आतिशी के दावों के बाद दिल्ली की राजनीति गरमाई, भाजपा ने कहा-केजरीवाल के नाम लेने से आआपा नेता घबराओ

दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में तेज़ी से बदलते घटनाक्रम और आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है.

नई दिल्ली 02 अप्रैल 2024. सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को जमानत दे दी और दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने दावा किया कि “भाजपा आने वाले दो महीनों में आप के चार नेताओं को गिरफ्तार करने वाली है.”

केजरीवाल सरकार की मंत्री आतिशी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि भाजपा ने उनके करीबी से संपर्क किया था और पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया था.

आतिशी ने कहा कि उन्हें कहा गया कि अगर वो भाजपा में शामिल नहीं हुईं तो उन्हें एक महीने में गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.

उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने मेरे एक व्यक्तिगत करीबी के माध्यम से मुझे भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन करने को अप्रोच किया. कहा गया कि या तो मैं भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर अपना पॉलिटिकल करियर बचा  पॉलिटिकल करियर बढ़ा लूं. भारतीय जनता पार्टी नहीं ज्वॉइन करी तो आने वाले एक महीने में ईडी मुझे गिरफ़्तार कर लेगी.”

आतिशी ने कहा, ” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  और भारतीय जनता पार्टी ने मन बना लिया है कि आम आदमी पार्टी और उसके सभी नेताओं को अब वो कुचल कर ख़त्म करना चाहते हैं.”

“पहले उन्होंने आम आदमी पार्टी के सारे शीर्ष नेतृत्व को अरेस्ट कर जेल में डाल दिया. पहले सत्येंद्र जी की गिरफ्तारी हुई, फिर संजय सिंह और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया.”

“अब भारतीय जनता पार्टी का ये इरादा है कि अगले दो महीनों में लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के चार और नेताओं को गिरफ्तार करने वाले हैं. वो मुझे गिरफ्तार करेंगे, सौरभ भारद्वाज को गिरफ्तार करेंगे, दुर्गेश पाठक को गिरफ्तार करेंगे और राघव चड्ढा को गिरफ्तार करेंगे.”

“भारतीय जनता पार्टी ने ये उम्मीद करी थी कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी बिखर जाएगी, पार्टी टूट जाएगी,  पार्टी का मोराल डाउन हो जाएगा क्योंकि आम आदमी पार्टी की पूरी सीनियर लीडरशिप जेल में है, हिरासत में है लेकिन संडे की रामलीला मैदान रैली में दिल्ली भर और पूरे देश भर से लाखों लोग आए.”

संजय सिंह को बेल

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई .ईडी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की।

संजय सिंह दिल्ली की शराब नीति  घोटाले में गिरफ़्तार किए गए थे. उन्हें दिनेश अरोड़ा की गवाही पर ईडी ने पिछले साल अक्टूबर में गिरफ़्तार किया था.

इस घोटाले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले से जेल में हैं. हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इसी मामले में गिरफ़्तार हुए थे.

भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी के आरोपों पर  प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “भाजपा न कोई आपॅरेशन लोटस चलाती है न चलाएगी, आम आदमी पार्टी के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं तो उसका कारण है कि वो केजरीवाल के झूठ का खेल समझ रहे हैं.”

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, ” आम आदमी पार्टी बौखलाई और घबराई हुई है, उनके नेता आतिशी या सौरभ भारद्वाज, के चहरे उनकी आवाज़ दोनों दिखा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल  अपने बयान में उन दोनों का नाम ले रहे हैं तो वे निराश हैं, घबराए हैं.”

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “हम मुख्यमंत्री पद के पीछे नहीं हैं. सौरभ भारद्वाज,आतिशी और उनके अन्य नेता मुख्यमंत्री बनना चाहते थे. केजरीवाल ने कल इनका नाम लिया.आतिशी ने राघव चड्ढा और दुर्गेश का भी नाम ले लिया,यह लंबी कड़ी चलने वाली है.”

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “आप का आधार ही झूठ पर बना है. जिस रामलीला मैदान में इन्होंने कभी भ्रष्टाचार विरोधी रैली की थी, वहां सभी भ्रष्टाचारियों को इकट्ठा करके रैली की है. ये वही केजरीवाल हैं जो कहते थे कि जो भी इस कुर्सी पर बैठता है वो भ्रष्ट हो जाता है. उन्होंने इसे सच करके दिखा, वे भ्रष्ट हो गए.”

आप विधायक ऋतराज झा का दावा 

दिल्ली में ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाने से वीरेंद्र सचदेवा के इनकार की वजह आम आदमी पार्टी का ये आरोप है कि भाजपा उसके विधायकों को बहला-फुसला कर उसकी पार्टी को तोड़ना चाहती है.आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि ऐसा करके भाजपा दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहती है.

किरारी विधानसभा क्षेत्र से आप विधायक ऋतुराज झा ने दावा किया कि उन्हें भाजपा में शामिल होने को 25 करोड़ रुपये देने की पेशकश की गई.

ऋतुराज झा के आरोपों पर जवाब देते हुए भाजपा ने कहा कि उन्हें ऐसी पेशकश करने वाले का नाम सार्वजनिक करना चाहिए नहीं तो क़ानूनी कार्रवाई का सामना करने को तैयार रहें.

ईडी की रिमांड रिपोर्ट

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की एक अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक्साइज पॉलिसी केस में पूछताछ में ‘गुमराह करने वाले जवाब’ दे ‘जानकारी छुपा रहे’ हैं.

अरविंद केजरावील केस में 21 मार्च को गिरफ्तार हुए. वे ईडी की हिरासत में थे लेकिन प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में गठित स्पेशल कोर्ट की जज कावेरी बावेजा ने उन्हें 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

ईडी ने अदालत को बताया कि केजरीवाल ने जांच एजेंसी को बताया कि आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन सेल के प्रमुख विजय नायर से ‘सीमित’ संपर्क था. ईडी ने केजरीवाल के हवाले से दावा किया कि विजय नायर उनके बजाय कैबिनेट सहयोगी आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करते थे.

ईडी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट में कहा है कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने उन्हें ‘कन्फ्यूज्ड’ कहा है. ईडी का कहना है कि “केजरीवाल ने गलत और आम आदमी पार्टी के अन्य सदस्यों के दिए साक्ष्यों के विरोधाभासी सबूत दिए हैं.”

ईडी के अनुसार, केजरीवाल ने पहले कहा कि पार्टी के राज्य सभा सदस्य एनडी गुप्ता सक्रिय सदस्य हैं और उन्हें पार्टी के कामकाज की जानकारी है लेकिन जब उन्हें एनडी गुप्ता का बयान बताया गया कि राष्ट्रीय संयोजक महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं तो मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ‘कन्फ्यूज्ड’ हैं.

दिल्ली की शराब नीति

दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई आबकारी नीति लागू की जिसे लागू करने से दिल्ली का शराब कारोबार निजी हाथों में आ गया. शराब की सभी दुकानें निजी हाथों में चली गई. दिल्ली सरकार का तर्क था कि इससे इस कारोबार से राजस्व में वृद्धि होगी. नीति शुरू से ही विवादित रही. विवाद बढ़ा तो नई नीति समाप्त कर सरकार ने जुलाई, 2022 में  फिर पुरानी नीति लागू कर दी.

विवाद की शुरुआत दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, आर्थिक अपराध शाखा नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को 8 जुलाई, 2022 को भेजी रिपोर्ट से हुई.

इसमें एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंज़ूरी बिना नई आबकारी नीति से फ़र्ज़ी तरीक़े से राजस्व कमाने के आरोप थे.

अधिकारियों के मुताबिक़, लागू हो चुकी नीति में किसी भी बदलाव से पूर्व आबकारी विभाग को पहले कैबिनेट और फिर उप-राज्यपाल की अनुमति को भेजना होता है. कैबिनेट और उप-राज्यपाल की अनुमति के बिना किया गया कोई भी बदलाव ग़ैर-क़ानूनी कहलाएगा.

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