2008 में अपहृत युवक भटकते खुद ही पहुंचा घर, पुलिस ने पता ढूंढने में की मदद

16 साल बाद मां को मिला ‘जिगर का टुकड़ा’, खुशी में छलके आंसू, दुलार कर ले गई घर
Dehradun kidnapped Youth 16 साल बाद जब मां अपने बेटे से मिली तो उसकी आंखें डबडबा गई और अपने जिगर के टुकड़े को पाकर उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा. महिला ने बेटे के मिलने पर पुलिस का धन्यवाद किया और बेटे को लेकर घर गई.
पुलिस ने बेटे को मां से मिलाया
देहरादून: 16 सालों से लापता बेटे को उसकी मां से मिलाकर दून पुलिस ने मानवता का फर्ज निभाया है. 5 दिन पहले एक युवक ने पुलिस कार्यालय में आकर लगभग 16 साल पहले 9 साल की आयु में उसका अपहरण कर राजस्थान में किसी अनजान जगह पर ले जाये जाने की जानकारी दी थी. अपने परिजनों के संबंध में युवक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहा था. एएचटीयू (मानव तस्करी विरोधी ईकाई) की टीम ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से युवक के संबंध में जानकारी प्रसारित की थी.

बता दें कि 25 जून को एक व्यक्ति ने पुलिस कार्यालय स्थित एएचटीयू के कार्यालय में आकर बताया कि उसे करीब 16 साल पहले जब उसकी आयु करीब 9 साल थी तो एक व्यक्ति घर के पास से उठाकर राजस्थान में किसी अनजान जगह पर ले गया था. वहां उससे भेड़-बकरी चराने का कार्य करवाया जाता था. किसी व्यक्ति की सहायता से वह देहरादून पहुंचा पर उसे अपने घर का पता और परिजनों के सम्बंध में कुछ याद नहीं है और न ही उसे अपना असली नाम याद है. उसे यह याद था कि उसके पिताजी की परचून की दुकान थी और घर पर उसकी माता सहित 4 बहनें थी. लेकिन किसी का नाम याद नहीं था.
पुलिस ने व्यक्ति के रूकने और खाने की व्यवस्था करते हुए, सोशल मीडिया और पम्पलेट से उसकी जानकारी जनपद के सभी थानों को बताते हुए अपने-अपने थाना क्षेत्रों में युवक के परिजनों की तलाश के निर्देश दिये गए.वहीं आम जनता से भी युवक के परिजनों को ढूंढने में सहयोग करने की अपील भी की थी.वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया है कि आज बंजारावाला निवासी एक महिला आशा शर्मा( पत्नी कपिल देव शर्मा) समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पढ़कर एएचटीयू कार्यालय में आकर जानकारी दी कि उनका बेटा मोनू, साल 2008 में घर से गायब हो गया था.

उन्होंने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य कई स्थानों पर काफी तलाश किया, लेकिन उसके संबंध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई। युवक को महिला से मिलवाया गया, तो महिला की बताई बातें याद करते हुए युवक ने महिला की पहचान अपनी मां के रूप में की.उसने भावुक होकर अपनी मां को गले लगाया.16 सालों बाद अपने खोये हुए बेटे को वापस पाकर महिला ने पुलिसवालों को आशीर्वाद दिया.
अखबारी खबर ने भी की मदद
युवक अपनी परेशानी लेकर अखबार कार्यालय पहुंचा था। अखबार ने युवक की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, जिसे पढ़कर युवक की मां उससे मिलने पहुंची।

करीब 16 सालों से अपनों से अलग होकर गलत नाम लेकर घूम रहे राजू को अमर उजाला के प्रयास से पुरानी पहचान मिल गई है। अमर उजाला के माई सिटी में प्रकाशित खबर पढ़कर युवक की मां पुलिस तक पहुंच गईं। पुलिस जब युवक को उनके सामने लाई तो महिला उसे गले लगाकर फफक पड़ी।

कई तस्वीरों और कहानियों से जब युवक का मिलान हुआ तो पुलिस ने उसे महिला को सौंप दिया। पता चला कि युवक का नाम राजू नहीं, बल्कि मोनू शर्मा है। शर्मा परिवार ने अपना लाल के लौटने पर अमर उजाला और पुलिस का धन्यवाद दिया। दरअसल, रविवार को एक युवक अमर उजाला कार्यालय पहुंचा था। उसके हाथ में एक ट्रक डाइवर की लिखी चिट्ठी और पुलिस की गश्ती तलाश का कागज था।

युवक ने बताया कि वह करीब 19 साल पहले देहरादून से गायब हो गया था। हालांकि युवक की मां ने बताया कि वह 16 साल पहले गया था। युवक का कहना था कि उसे कुछ लोग उठाकर ले गए थे। वहां इन लोगों ने उससे भेड़-बकरी चरवाने का काम किया। युवक ने यह भी बताया कि इन लोगों ने उसके हाथ पर राजू नाम गुदवाया था। यही नहीं उसे खाने के लिए एक ही रोटी प्रतिदिन दी जाती थी।

वह वहां से निकलने का प्रयास कर रहा था, लेकिन सालों तक उसे मौका नहीं मिला। वे लोग अक्सर उससे मारपीट करते थे, जिससे उसके जबड़े की हड्डी भी टूट गई थी। बीते दिनों वहां एक ट्रक चालक बकरी लेने गया। तभी युवक ने अपनी कहानी उसे बताई। चालक ने उसे ट्रक में छिपाया और
इंस्पेक्टर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रदीप पंत ने उसके रुकने की व्यवस्था घंटाघर के पास एक रैन बसेरे में कराई थी। युवक की इस कहानी पर अमर उजाला ने ‘छल से मिला नाम लेकर राजधानी में अपनी पहचान खोज रहा राजू’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर को ब्राह्मणवाला पटेलनगर के रहने वाले कपिल देव शर्मा के परिवार ने भी पढ़ा। उन्हें समझते देर न लगी कि वह उनका बेटा हो सकता है। कपिल देव शर्मा की पत्नी आशा शर्मा बेटे की तलाश में पहले रैन बसेरा गईं और फिर वहां से एएचटीयू का पता मिला।

यहां उन्होंने कुछ पुरानी तस्वीरें दिखाईं और उस वक्त की कहानियों को पुलिस को सुनाया। उन्होंने पुलिस को बताया कि युवक का नाम मोनू शर्मा है। वह वर्ष 2008 में एक दिन अचानक लापता हो गया था। इसके बाद उसकी कई राज्यों में तलाश की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। सारी बातों की तस्दीक करने के बाद पुलिस ने मोनू को उसकी मां को सौंप दिया। अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगाकर महिला भावुक हो गई।

एक बहन है, मौसी की बेटियों को समझता था सगी बहनें
कपिल देव शर्मा किराना सामान की पैकिंग का काम करते हैं। युवक ने बताया था कि उसकी चार बहनें हैं, लेकिन मोनू की मां ने बताया कि उसकी सगी बहन एक ही है। उस वक्त उनकी बहन की बेटियां यहां रहती थीं, इसी कारण सभी को मिलाकर वह चार बहनें बता रहा था। मोनू शर्मा की मां आशा शर्मा ने अमर उजाला का आभार व्यक्त किया है।

मोनू को कैद की जिंदगी से निकालने वाला गुमनाम
मोनू को कैद की जिंदगी से निकालने वाला ट्रक चालक अगर हिम्मत न करता तो ब्राह्मणवाला के शर्मा परिवार की खुशियां वापस न होतीं। ट्रक चालक ने सारी कहानी पर्चे पर लिख दी, लेकिन अपना नाम नहीं लिखा। ऐसे में इस गुमनाम ट्रक चालक का भी परिवार ने आभार व्यक्त किया। मोनू शर्मा अपने परिवार का नाम, पता, सब भूल चुका था। ऐसे में इस ट्रक चालक की चिट्ठी ने ही उसकी अंधेरी राह में रोशनी दिखाने का काम किया।

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