ज्ञान: क्या है जजमेंट डे, डूम्सडे/महाप्रलय? कितनी दूर है ये सर्वनाश?
Judgement Day Predictions In Hindu Mythology
चार प्रकार से आता है ‘प्रलय’ का दिन…. सनातन धर्म में छिपा है इस गुत्थी का हल
कैसा होगा प्रलय का दिन… अक्सर ये सवाल हम सभी के मस्तिष्क में उठता है। इस सवाल का सही जवाब हिंदू धर्म ग्रंथों में मौजूद हैं।
हम जजमेंट डे के विषय में सुनते हैं, प्रलय से जुड़ी कहानियां और किस्से हमें बड़े दिलचस्प लगते हैं। जब से हॉलिवुड फिल्मों का चलन भारतीय समाज में बढ़ा है तब से तो यही देखा जा रहा है कि जेन ज़ी इन सब विषयों को लेकर काफी उत्सुक रहती हैं, इनके विषय में जानना और पढ़ना चाहती है। अगर इन सभी चीजों पर गौर करें तो दिमाग कहीं न कहीं यह सोचने लगता है कि आखिर क्या वाकई प्रलय की अवधारणा का कोई अस्तित्व है? क्या वाकई प्रलय आ सकती है? जिस जजमेंट डे पर हजारों फिल्में और उपन्यास लिखे गए हैं क्या उसका कोई अस्तित्व है?
ये सब सोचते-सोचते दिमाग यह कल्पना भी करने लगा कि आखिर वह प्रलय का दिन कैसा होगा? क्या होगा जब प्रलय आएगी? हालांकि यह भी एक सच है कि प्रलय के जिस स्वरूप को हमने पढ़ा है या फिल्मों में देखा है, उसे कुछ समय पहले कोरोना काल में भी जीवंत रूप में देख चुके हैं।
बिना किसी अपराध के जहां हजारों लोगों ने अपनी जान गंवा दी… ना जाने कितने ही बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिए और कितने अभिभावकों ने अपने बच्चों को अलविदा कहा… कितने जीवन पूरी तरह बर्बाद हो गए इसका आंकड़ा तो शायद किसी के पास नहीं है…..तो क्या ऐसा ही होता है प्रलय का स्वरूप या इससे भी भयंकर या हटकर कुछ है?
प्रलय का अगर व्यवहारिक रूप देखा जाए तो इसका सीधा संबंध अंत से है। सनातन धर्म में प्रलय के इस स्वरूप को विभिन्न तरीकों से गढ़ा भी गया है। जिसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगें। लेख पढ़ने कर आप शायद स्वयं यह बात समझ पाएंगे कि आखिर जिस ‘महाप्रलय’ को लेकर हम भयभीत रहते हैं वास्तविक रूप में वो है क्या?
चार प्रकार से आता है ‘प्रलय’, सनातन धर्म में छिपा है इस रहस्य का ज्ञान
एक होती है नित्य प्रलय… जब हम रात को सोते हैं तब हमारे लिये संसार समाप्त खत्म हो जाता है, यह एक अंत जैसा है…..सनातन धर्म में यह भाव नित्य प्रलय कहलाता हैं। इस प्रलय का संबंध जन्म और मृत्यु से भी है। मृत्यु ही नित्य प्रलय दर्शाती है।
दूसरी होती है आत्यंतिक प्रलय, यह प्रलय का वो प्रकार है जब जीव के भीतर की माया समाप्त हो जाती है। जब कोई व्यक्ति माया से पूरी तरह दूर हो जाये, जब उसके भीतर की माया समाप्त हो जाये तब वैयक्तिक रूप से वह आयंतिक प्रलय का सामना कर रहा होता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार जब मनुष्य परम तथा पूर्ण ज्ञान की प्राप्त कर लेता है, योग साधना में लीन हो वह अपनी आत्मा शुद्ध कर लेता है तब वह ब्रह्म रूप में लीन हो जाता है। इस अवस्था में वह जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से स्वयं को मुक्त कर लेता है। यही अवस्था आत्यंतिक प्रलय होती है।
तीसरा है नैमित्तिक प्रलय, वेदांत के अनुसार प्रत्येक कल्प समापन के बाद तीनों लोकों का नाश / क्षय हो जाता है जिसे नैमित्तिक प्रलय कहा जाता है। पुराणों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है जब ब्रह्मा जी का दिन समाप्त होता है तब भी प्रलय आती है और सृष्टि का विनाश होता है। ब्रह्मा जी का एक दिन 4 अरब 32 करोड़ वर्षों का होता है।
चौथा और सबसे अंतिम है ‘महाप्रलय‘, यह वो दिन है जब ब्रह्मा जी के पूरे जीवन के बीत जाने पर आता है। सनातन धर्म में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मा जी की आयु 10-0 वर्ष है….अब आप सोचेंगें, अगर ब्रह्मा जी का एक दिन इतना बड़ा है तो उनका पूरा जीवन कितना विस्तारित होगा। ब्रह्मा जी का पूरा जीवन 31 नील, 11 खरब और 40 अरबों का होता है और इस समायवधि के पूर्ण होने के बाद आती है ‘महाप्रलय’। वह सृष्टि के संपूर्ण संहार और पुन: नवनिर्माण दर्शाती है।
लेखक तमन्ना जटवानी के बारे में
तमन्ना जटवानी 12 वर्षों से सक्रिय लेखन से जुड़ी हैं। ऑल इण्डिया रेडियो में प्रोडक्शन असिस्टेंट से शुरू कर उन्होंने डिजिटल मीडिया अपनाया। शुरु में राजनीति, समाज,लाइफस्टाइल के साथ ज्वलंत मुद्दों पर तार्किक और बेहतरीन लेख लिखे। नए-नए विषय समझ उन पर रिसर्च में भी गहरी रुचि है। घूम-फिर मौज-मस्ती की शौकीन, फैमिली के साथ आउटिंग बहुत पसंद । म्यूजिक और रीडिंग का भी क्रेज। स्पीकिंग ट्री से पिछले 9 वर्षों से जुड़ उन्होंने लेखन की नई शैली विकसित की।
वैज्ञानिकों का अनुमान: ऐसे होगी छठी महाप्रलय, जानिए अब तक आई महाप्रलय के बारे में…
वैज्ञानिकों का कहना है कि छठी प्रलय की शुरुआत पानी से ही होगी। इसका असर हवा में पहुंचेगा। धीरे-धीरे बहुत सारी प्रजातियां एक साथ खत्म होंगी। वातावरण में गर्मी और जहरीली हवा बढ़ रही है।
डूम्स डे यानी महाविनाश को तबाही,दुनिया का अंत,प्रलय, धरती का अंत,मानवजाति का सफाया और कयामत जैसे नामों से जाना जाता है। हर महाप्रलय में जीव जन्तुओं की अनेक प्रजातियां सहित धरती से बहुत कुछ नष्ट होता है। बताते हैं, पहला प्रलय 443 मिलियन साल पहले आया जिसे एंड-ऑर्डोविसियन कहा गया। वैज्ञानिकों के अनुसार पहली प्रलय में धरती पर पानी बर्फ में बदल गया। इससे समुद्र और उससे बाहर ठंड से असंख्य जीव मर गए। लगभग 86 प्रजातियां खत्म हो गई। जिन्होंने क्लाइमेट के अनुसार खुद को बदल लिया वहीं प्रजातियां बच सकी थी। आइए जाने अब तक आई महाप्रलय के बारे में…
दूसरी प्रलय
लगभग 359 से 380 मिलियन साल पहले दूसरा प्रलय एंड डेवोनियन आया। इसमें धरती पर ज्वालामुखी अचानक एक्टिव हुए, ऑक्सीजन का स्तर कम होने से 75 प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां खत्म हो गई। कहा जाता है कि इसमें टेट्रापॉड जैसे छोटे कद और वजन वाली स्पीशीज बचे थे।
तीसरी प्रलय
तीसरी प्रलय को एंड पर्मिअन नाम दिया गया । यह 251 मिलियन साल पहले आया था। साइबेरिया के ज्वालामुखी फट गये थे। समुद्र और हवा में जहर और एसिड फैल गया। ओजोन परत भी फट गई। इससे खतरनाक यूवी किरणें निकलीं। रेडिएशन से जंगल के जंगल जलकर खत्म हो गए। फंगस के अलावा ज्यादातर प्रजातियों का सफाया हो गया था।
चौथी प्रलय
चौथी प्रलय एंड ट्रिएसिक 210 मिलियन साल पहले आई। तब भी ज्वालामुखी फटे। इस बार ज्वालामुखी धरती की बाकी जगहों पर फटे। इसमें करीब 80 प्रजातियां खत्म हुई । कहा जाता है कि इसमें डायनासोर और क्रोकोडाइल के पूर्वज बचे थे,जिन्हें क्रोकोडिलोमार्फ्स नाम दिया।
पांचवी प्रलय
कहा जाता है कि पांचवी प्रलय में डायनोसोर धरती से नष्ट हुए थे। यह प्रलय 65.5 मिलियन साल पहले आई थी। एक एस्टेरॉयड धरती से टकराने से महाविनाश हुआ था। क्या उसके टकराने-भर से ऑक्सीजन खत्म हो गई जिससे डायनासोर जैसी मजबूत प्रजाति खत्म हो गई? इस पर बहस जारी है। इसमें सबने माना कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ा और ऑक्सीजन का स्तर एकदम नीचे चला गया। तब 76 प्रजातियां मर गई थीं।
अब छठी प्रलय की बारी
अब वैज्ञानिक छठी प्रलय की बात करने लगे हैं। नब्बेआदि की शुरुआत में मशहूर जीवाश्म वैज्ञानिक रिचर्ड लीके ने चेताया कि छठी प्रलय को इंसान ही जिम्मेदार होंगे। पहले पांच प्रलय को प्राकृतिक आपदाएं ही जिम्मेदार थीं। इस बार प्रलय का खतरा इंसानों से है क्योंकि इंसानों की एक्टिविटीज से धरती पर ऑक्सीजन कम हो रही है। इंसानों से धरती पर प्रजातियों के गायब होने की रफ्तार लगभग 100 गुना तेज हो चुकी ।
लगातार गर्म हो रही पृथ्वी
प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में वैज्ञानिक समूह इस बारे में निरंतर स्टडी कर रहा है। वैज्ञानिकों को डर है कि इस प्रलय में बैक्टीरिया,फंगी और पेड़-पौधे ही नहीं,इंसान,रेप्टाइल्स,पक्षी,मछलियां सब खत्म हो जाएंगी। इसकी वजह बनेगा क्लाइमेट चेंज। धरती तेजी से गर्म हो रही है और महासागरों की बर्फ पिघल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पानी इतना गर्म हो जाएगा कि उसमें ऑक्सीजन का स्तर घटने लगेगा। इससे समुद्र में रहने वाले जीव-जंतु मरने लगेंगे।
कब आएगी छठी प्रलय?
हालांकि अब तक ये पता नहीं लग सका कि अगली प्रलय कब आएगी लेकिन कई वैज्ञानिक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। साइंस एडवांसेज में मेसाचुसेट्स प्रौद्योगिक संस्थान के प्लानेटरी साइंसेज विभाग ने अपने शोध के आधार पर कहा कि साल 2100 के करीब ऐसा होगा। साथ में ये भी माना कि जिस हिसाब से धरती गर्म हो रही है,विनाश इसके पहले भी आ सकता है।
आ रही हैं प्राकृतिक आपदाएं
वैज्ञानिकों का कहना है कि छठी प्रलय की शुरुआत पानी से ही होगी। इसके बाद इसका हवा में पहुंचेगा और धीरे-धीरे बहुत सारी प्रजातियां एक साथ खत्म हो जाएंगी। वातावरण में गर्मी और जहरीली हवा बढ़ रही है। बढ़ते तापमान से जंगल आग पकड़ रहे हैं। बीते साल ठंडे यूरोपियन देश भी गर्मी से त्राहि-त्राहि कर उठे थे। कहीं बेमौसम तूफान आ रहे हैं तो कहीं सूखा पड़ता है तो कभी भूकंप आ रहे हैं। यूएन फूड एंड एग्रीक्लचर ऑर्गेनाइजेशन के हिसाब से साल 2015 के बाद से हर साल लगभग 24 मिलियन एकड़ जंगल काटे जा रहे हैं।
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