लखीमपुर खीरी:अंतिम अरदास में प्रियंका,जयंत, मंच – भाषण नहीं, होर्डिंग से हुआ विरोध
फेल हुई प्रियंका गांधी की लखीमपुर पॉलिटिक्स? अंतिम अरदास में पहुंचने का हुआ विरोध, जगह-जगह लगे होर्डिंग
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी किसान हत्या मामले में सभी अपनी राजनीतिक छवि चमकाने मे लगे हुए हैं। वहीं, मंगलवार को मृतक किसानों की अंतिम अरदास में पहुंचीं प्रियंका गांधी को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।
लखीमपुर-खीरी 12 अक्टूबर।( गोपाल गिरी)
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मृतक किसानों की अंतिम अरदास में शामिल होने पहुंचीं प्रियंका गांधी को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ा। लखनऊ से लेकर लखीमपुर तक जहां एक ओर उनके विरोध में होर्डिंग लगाए गए तो दूसरी ओर लखीमपुर खीरी पहुंचने पर उनके काफिले को काले झंडे और प्रियंका गांधी वापस जाओ के पोस्टर दिखाए गए।
लखीमपुर खीरी में तिकोनिया कांड के बाद मृतक किसानों की अंतिम अरदास के कार्यक्रम का आयोजन था। जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत सहित देश के हर प्रदेश से आए किसान शामिल थे। इसी अरदास कार्यक्रम में पहुंचने को लेकर प्रियंका गांधी की तरफ से भी घोषणा की गई थी। किसानों की मौत के बाद भी जब किसान शव रखकर प्रदर्शन कर रहे थे, तभी प्रियंका गांधी ने लखीमपुर खीरी आने की घोषणा की थी, लेकिन प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के चलते किसानों के अंतिम संस्कार के बाद उनके परिजनों से मिलने पहुंची थीं।
कार्यक्रम में प्रियंका गांधी को बोलने नहीं दिया गया
मंगलवार को फिर अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए जब प्रियंका गांधी लखीमपुर खीरी आ रही थी तो लखनऊ से लेकर लखीमपुर खीरी तक विरोध में होर्डिंग लगाई गई और इतना ही नहीं लखीमपुर खीरी पहुंचने पर लोगों ने प्रियंका गांधी वापस जाओ और काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन भी किया।
लगाए गए हार्डिंग में जिक्र किया गया था कि 1984 के दंगों के जिम्मेदार लोगों की फर्जी सहानुभूति की आवश्यकता नहीं है और 1984 के दंगों में सिखों को मरवाने वाले अब उनके जख्मों पर नमक न डालें। साथ ही अंतिम अरदास के कार्यक्रम में पहुंची प्रियंका गांधी को मंच से बोलने की भी अनुमति नहीं दी गई। यहीं नहीं, रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी को भी सबके बीच नीचे बैठना पड़ा। प्रियंका केवल अरदास के कार्यक्रम में थोड़ी देर बैठकर वापस चली आई।
लखीमपुर खीरी के तिकुनियां जाकर मृत किसानों के अंतिम अरदास संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित की गई इस अंतिम अरदास में मंच पर दीवान हाल सजाया गया और दिवंगत किसानों की आत्मा की शांति के पाठ व प्रार्थना की ।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रियंका गांधी को अपना मंच देने से इन्कार किया, हालांकि मोर्चे ने प्रियंका गांधी का और उनकी पार्टी का आभार जताया। किसान नेताओं ने इसके साथ ही चेतावनी भी दी है कि वह राजनेताओं को अपना मंच साझा नहीं करने देंगे।
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में तीन अक्टूबर को हिंसा में मृत किसानों की अंतिम अरदास में किसानों ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव वाड्रा को वहां मौजूद किसान नेताओं ने मंच से संबोधन करने के रोक दिया। लखीमपुर खीरी में हिंसा में चार किसानों की मृत्यु के बाद मंगलवार को तिकुनिया में अंतिम अरदास में मंच पर किसान नेता राकेश टिकैत के साथ अन्य किसान थे। इस दौरान कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने आम लोगों के बीच में बैठकर अरदास की। उन्होंने जब इसके बाद मंच से किसानों को संबोधित करने की इच्छा जताई तो किसान नेताओं ने साफ इन्कार कर दिया। इससे पहले प्रियंका गांधी ने चारों किसानों को श्रद्धांजलि भी दी।
लखीमपुर खीरी में हिंसा में चार किसानों की मृत्यु के बाद मंगलवार को तिकुनिया में अंतिम अरदास में मंच पर किसान नेता राकेश टिकैत के साथ अन्य किसान थे। इस दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आम लोगों के बीच में बैठकर अरदास की। उन्होंने इससे पहले चारों किसानों को श्रद्धांजलि भी दी।
लखीमपुर खीरी में मंगलवार की सुबह कड़ी सुरक्षा में किसानों की अंतिम अरदास शुरू हो गई। हजारों की संख्या में किसानों का आना भी शुरू हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित की गई इस अंतिम अरदास में मंच पर दीवान हाल सजाया गया और दिवंगत किसानों की आत्मा की शांति के पाठ व प्रार्थना की गई। लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए किसानों के परिवारीजन भी इस अंतिम अरदास में मौजूद रहे।
तिकुनिया में आयोजित इस अंतिम अरदास कार्यक्रम का संचालन संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी डाक्टर दर्शनपाल ने किया।एक तरफ जहां किसान नेता उस घटना पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहे थे वहीं दूसरी ओर अटूट लंगर का आयोजन भी चला। मंच से किसानों नेताओं ने एक बार फिर सरकार को आगाह किया कि तीन अक्टूबर को हुई घटना लोमहर्षक है और इसके सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए बिना संयुक्त मोर्चा नहीं मानेेेेगा। किसान नेताओं ने ये भी कहा कि केंद्रीय मंत्री के बेटे को तो गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन, अभी केंद्रीय मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि किसानों की मांगों में यह दोनों मांगे प्रमुख रूप से शामिल की गई थी।
मंत्री के बेटे की रेड कार्पेट गिरफ्तारी: टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने इस दौरान साफ कहा कि यह अरदास मृत किसानों की आत्मा की शांति के लिए रखी गई है। इसे राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। टिकैत ने कहा कि किसान अपनी मांग पर कायम हैं कि केन्द्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी को पद से बर्खास्त किया जाए। बिना उनकी बर्खास्तगी के उनके पुत्र के खिलाफ जांच सही से नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी एक ‘रेड कार्पेट’ गिरफ्तारी है। अगर मंत्री को तुरंत नहीं हटाया जाता है तो यह आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। टिकैत ने कहा कि हम आतंकी हमले में शहीद जवानों के घर भी जाएंगे। किसानों के साथ-साथ सभी को जवानों के घर भी जाना चाहिए और हम पहले भी जाते रहे हैं। जवान भी किसानों के ही बेटे हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मंगलवार को नई दिल्ली से लखनऊ के एयरपोर्ट पर उतरने के बाद सड़क मार्ग से सीतापुर होते हुए लखीमपुर खीरी पहुंची । उनके साथ वाहनों के बड़े काफिला के कुछ वाहनों को सीतापुर में ही रोका गया। उनके साथ गाड़ी में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तथा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा हैं। इनके साथ ही राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर, लखीमपुर से डॉ रवि शंकर त्रिवेदी, प्रदेश सचिव गुरमीत सिंह भुल्लर, सिद्धार्थ त्रिवेदी, संजय गोस्वामी व रामपाल शाक्य भी तिकुनियां पहुंचे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने 18 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक पूरे देश में रेल रोको विरोध और 26 अक्टूबर को लखनऊ में एक महापंचायत का आह्वान किया है।