अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठा रही है मानव उत्थान सेवा समिति
स्वामी सत्यबोधानंद शमशान घाट में
विषम परिस्थितियों में भी मिसाल कायम कर रहे हैं मानव उत्थान सेवा समिति के कार्यकर्ता
बेसहारा महिला के स्वर्गीय पति का दाह संस्कार कराया समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता अमर सिंह तथा जगदीश चंद्र ने
(हल्द्वानी से अजय उप्रेती की रिपोर्ट)
हल्द्वानी 17 मई। बेरहम कोरोना का सितम थमने का नाम नहीं ले रहा है तथा इसके शिकंजे में आकर कई जिंदगी असमय ही इस दुनिया से कूच कर रही है। भय का माहौल इस कदर है कि मानवीय रिश्ते भी इस दुख की घड़ी में तार-तार हो रहे हैं । लेकिन इन सबसे अलग हटकर मानव उत्थान सेवा समिति मानवता की जीती जागती मिसाल बना हुआ है। मानव धर्म के प्रणेता सदगुरुदेव सतपाल महाराज के अनुयाई कार्यकर्ता ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा’ का दिव्यघोष अपने जीवन में उतारते हुए इसे सार्थक कर रहे हैं। मानव उत्थान सेवा समिति के कार्यकर्ता मौजूदा विषम परिस्थितियों में कोरोना वॉरियर्स की अग्रणीय भूमिका निभा रहे हैं और जहां भी उन्हें असहाय बेबस या लाचार दिखाई देता है तो उसकी मदद को खुद व खुद आगे बढ़ जाते हैं। सदगुरुदेव सतपाल महाराज के शिष्य महात्मा सत्यबोधानंद की आज्ञा से यह तमाम कार्यकर्ता महात्मा सत्यबोधानंद के नेतृत्व में समाज सेवा एवं परमार्थ के कार्यों को कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ा रहे हैं । अभी हाल ही में रेलवे बाजार में सुरेश राठौर नामक व्यक्ति का निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी वृद्ध पत्नी के अलावा कोई नहीं था। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार कराना बहुत बड़ी चुनौती एवं जिम्मेदारी थी जिसे महात्मा सत्यबोधानंद की आज्ञा से मानव उत्थान सेवा समिति के कार्यकर्ता काठगोदाम निवासी अमर सिंह तथा तल्ली हल्द्वानी निवासी जगदीश चंद्र ने बखूबी निभाते हुए सुरेश राठोर का अंत्येष्टि संस्कार संपन्न कराया ।इसके अलावा भी समिति में कई अन्य कार्यकर्ता है जो रात दिन असहाय एवं जरूरतमंदों की सेवा में पूरे मनोयोग के साथ जुटे हुए हैं।
महात्मा सत्यबोधानंद ने लाशों के ढेर से अंतिम संस्कार के लिए ढूंढा शव
कोविड संक्रमण में जब अपनों ने मदद नहीं की तो मानव उत्थान सेवा समिति आश्रम के महात्मा सत्यबोधानंद ने मानवता की मिसाल पेश की.
कोविड संक्रमण की लोगों में इतनी दहशत हो चुकी है कि लोग स्वजन को इलाज कराने और मृत्यु हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार करने से भी किनारा कर रहे हैं. ऐसा ही मामला हल्द्वानी में देखने को मिला. मानव उत्थान सेवा समिति आश्रम के पास रहने वाले 54 वर्षीय विमल वर्मा की तबीयत अचानक खराब हो गई.
मुश्किल परिस्थति में छोड़ा अपनों ने साथउनकी पत्नी ने कई लोगों से इलाज के लिए मदद मांगी, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. बहुत देर बाद आश्रम के महात्मा सत्यबोधानंद महाराज ने अपनी गाड़ी में विमल वर्मा को लेकर शहर के कई अस्पतालों में इलाज के लिए चक्कर काटे. आखिरकार उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया, जहां बुधवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.पढ़ें: कोरोना: भीड़ को लेकर पुलिस और जिला प्रशासन ने व्यापारियों को दिए दिशा-निर्देशमहात्मा सत्यबोधानंद ने कराया अंतिम संस्कारपति की मौत के बाद से महिला अपने पति के शव के लिए लोगों से गुहार लगाती रही, लेकिन महिला का कोई रिश्तेदार और परिजन सामने नहीं आया. महात्मा सत्यबोधानंद ने शव के अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाते हुए पीपीई किट पहन मोर्चरी जाकर लाशों के बीच से विमल वर्मा का शव को ढूंढ निकाला. एंबुलेंस की मदद से गौलापार श्मशान घाट पहुंचे. विमल वर्मा के छोटे भाई को रामनगर से बुलाकर महात्मा सत्यबोधानंद ने पीपीई किट पहन शव का अंतिम संस्कार करवाया. महात्मा सत्यबोधानंद ने मानवता की मिसाल देते हुए लोगों से अपील की है कि इस संकट की घड़ी में इंसान ही इंसान के काम आ सकता है.