भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर स्मृति शेष,दो दिन का राष्ट्रीय शोक
नहीं रहीं भारत रत्न लता मंगेशकर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक, तिरंगा आधा झुका रहेगा; शिवाजी पार्क में आज शाम होगा अंतिम संस्कार
4-5 दिन पहले काफी रिकवर किया था, कोरोना और निमोनिया दोनों से लड़ीं
मुम्बई 06 फरवरी। आखिर जिसका डर था वो ही हुआ। भारत ने अपना सबसे अमूल्य रत्न खो दिया। कोरोना की कर्कश आवाज भारत की स्वर कोकिला को लील गई। आज सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर कोरोना से जंग हार कर दुनिया को विदा कह गईं। आज उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। लता जी के निधन पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। इस दौरान तिरंगा आधा झुका रहेगा।
लता जी की पार्थिव देह को दोपहर 12 बजे लताकुंज स्थित घर पर ले जाया जाएगा। बीएमसी के पीआरओ तानाजी कांबले ने बताया कि लता जी का अंतिम संस्कार भी शिवाजी पार्क स्थित श्मशान में किया जाएगा। हालांकि इसका समय अभी कन्फर्म नहीं किया गया है।
92 साल की लता जी की कोरोना रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके भर्ती होने की खबर भी 2 दिन बाद 10 जनवरी को सामने आई थी। उन्होंने कोरोना और निमोनिया दोनों से 29 दिन तक एक साथ जंग लड़ी।
सुबह 8.12 बजे लता जी ने अंतिम सांस ली
उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में रखा गया था। लंबे समय से लता ताई का इलाज कर रहे डॉक्टर प्रतीत समधानी की देखरेख में ही डॉक्टर्स की टीम उनका इलाज कर रही थी। इलाज के दौरान उनकी हेल्थ में सुधार भी देखा जा रहा था। उन्हें लगातार ऑब्जर्वेशन में रखा गया। करीब 5 दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होना भी शुरू हो गया था। ऑक्सीजन निकाल दी गई थी, लेकिन ICU में ही रखा गया, लेकिन रविवार को सुबह 8.12 बजे उनका निधन हो गया। डॉक्टर प्रतीत ने बताया कि मल्टी ऑर्गन फेल्योर उनकी मौत की वजह रही।
स्वर कोकिला, दीदी और ताई जैसे नामों से लोकप्रिय लता जी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। फैंस उनके ठीक होने की दुआएं कर रहे थे, लेकिन आज इस बुरी खबर से करोड़ों संगीत प्रेमियों का दिल टूट गया। सैकड़ों कालजयी गानों को अपनी आवाज देने वाली लता जी आज अनंत यात्रा पर चली गईं।
घर के नौकर के पॉजिटिव आने के बाद आईं कोरोना की चपेट में
लता जी लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं। वे कभी-कभी सोशल मीडिया से अपने फैंस के लिए संदेश देती थीं। बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य के कारण वे अपने कमरे में ही ज्यादा समय गुजारती थीं। उनके घर के एक कर्मचारी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था। 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था।
संगीत की दुनिया के 8 सुरमयी दशक
संगीतकार एसडी बर्मन, गायक किशोर कुमार और फिल्म निर्माता आरबी चोपड़ा के साथ
92 साल की लता जी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था, जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी। सन 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए। उनका आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म ‘डुन्नो वाय’ में था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सपत्नीक लता के घर जाकर उन्हें सम्मानित किया था
करीब 80 साल से संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे। उन्होंने ही लता जी को संगीत की शिक्षा दी थी। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।
युसूफ खान(दिलीप कुमार) और लता मंगेशकर में भाई-बहन का प्यार था
प्रभु कुंज की आभा गुम
लता मंगेशकर अपनी बहन उषा और भाई हृदयनाथ के साथ मुंबई के पेडर रोड स्थित प्रभुकुंज में पहले फ्लोर पर रहती थीं। कई सालों से वे यहां रह रही थीं। बहन आशा भोसले भी यहां से कुछ दूरी पर ही रहती हैं। सालों तक प्रभाकुंज सोसायटी की सुबह लता मंगेशकर के संगीत के अभ्यास से ही शुरू होती रहीं। खराब स्वास्थ्य के कारण करीब 4 साल से उनका अभ्यास लगभग बंद सा ही था। नवंबर 2019 में भी लता जी को निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था। जहां वे 28 दिन भर्ती रही थीं। नवंबर 2019 के बाद से उनका घर से निकलना भी लगभग बंद हो चुका था।
2001 में मिला था भारत रत्न
लता मंगेशकर को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया गया था। इससे पहले भी उन्हें कई सम्मान दिए गए, जिसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान भी शामिल हैं। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी गायिका के साथ संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म “लेकिन” थी, इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं। इसके अलावा भी फिल्म “लेकिन” को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।
जिन लता मंगेशकर के लिए 2 दिन का राष्ट्रीय शोक… उनके निधन पर Ha-Ha रिएक्शन देने वालों को पहचानिए
लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रहीं। वो सिर्फ देश की बेटी नहीं थीं, भारत-रत्न भी थीं। 2 दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया जा चुका है। उनकी याद में देश शोक में डूबा है… सिवाय कुछ ऐसे लोगों के, जिनकी मानसिकता बेहद जहरीली है। ऐसे लोग हँस रहे हैं, खुशियाँ मना रहे हैं।
लता मंगेशकर का नजरिया राष्ट्रवादी रहा था और उन्होंने कभी इसे छिपाया भी नहीं। प्रधानमंत्री मोदी उनके चहेते नेता थे, यह भी समय-समय पर सबको बताया। बस यही वजह है कि उनके निधन पर जहरीले लोग हँस रहे हैं, सोशल मीडिया पर ‘हाहा’ रिएक्शन दे रहे।
बॉलीवुड में काम करने के बावजूद वीर सावरकर को लेकर लता मंगेशकर ने हमेशा खुल कर अपनी बात रखी। अब उनके निधन पर इसे लेकर भी जहर उगला जा रहा है। वीर सावरकर को लता मंगेशकर पिता समान मानती थीं और सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक में यह बात दम-खम के साथ स्वीकारती भी थीं।
लता मंगेशकर ने अपने राष्ट्रवादी नजरिए को लेकर हमेशा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का साथ दिया। आरएसएस की कार्यशैली से वो सदैव अपने आप को जोड़ती थीं। सरसंघचालक के साथ उनकी तस्वीरें भी मीडिया में आती थीं। अब इन्हीं चीजों को लेकर उनके निधन पर जहरीले लोग ‘ऊँ शांति’ या RIP जैसी श्रद्धांजलि देने से लोगों को बचने की सलाह दे रहे हैं।
लता मंगेशकर देश की सम्मान थीं। उन्हें अपने निधन पर चंद जयचंदों से श्रद्धांजलि की जरूरत नहीं। ऐसे जयचंद सोशल मीडिया पर रोते रहें, चिल्लाते रहें… इनके कुनबे के चंद लोगों के सिवाय इनकी कोई सुनता भी नहीं। बस इनकी पहचान जरूरी है, ताकि हम सावधान रहें।