लव जिहाद पर विधिक सर्जिकल स्ट्राइक है योगी का नायकत्व

‘लव जिहाद’ के घात पर योगी सरकार का कुठाराघात

‘लव’ के शर्बत में जब ‘जिहाद’ का जहर मिल जाए तो उसका दर्दनाक और जानलेवा हो जाना लाज़मी है। इस ‘लव जिहाद’ के जहर की तासीर कुछ ऐसी होती है कि बेबसी, बदनामी, घुटन, टूटन, तड़पन और आंसुओं के सैलाब में डूबती-उतराती मजबूर जिंदगी आखिरकार मौत की दहलीज़ पर दम तोड़ती है।

राष्ट्रद्रोही और इंसानियत विरोधी इस ‘जिहादी जहर’ से उत्तर प्रदेश को बचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी ने साल 2020 में ही ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ लागू कर दिया था। उसी का परिणाम है कि प्रदेश की 185 पीड़ित महिलाओं को न्यायालय के समक्ष अपने जबरन धर्म परिवर्तन करवाए जाने की बात कहने का अवसर मिल सका। वहीं नाबालिगों के कन्वर्जन के अब तक 65 मामले दर्ज हुए हैं।

दुर्भाग्य है कि ये अवसर, श्रद्धा, निकिता तोमर, नेशनल शूटर तारा सहदेव, आराधना जैसी हज़ारों लड़कियों को नहीं मिल पाया। उन्हें जिहादी जहर ने बड़ी ही बेदर्दी से लील लिया।

मजहबी कट्टरता की कोख से जन्मे ‘लव जिहाद’ की तपिश से कराहती मानवता की दर्दनाक चीख ‘द केरल स्टोरी’ से यह मुद्दा पुनः विमर्श का केंद्र बना है। दरअसल मतांतरण  से राष्ट्रांतरण की कुत्सित चेष्टा आज से नहीं सदियों पुरानी है। लोभ, कपट, झूठ और भय उसके बड़े हथियार हैं।

इस्लामी आंक्राताओं ने छल, बल और जबरन धर्मांतरण से भारत को दारुल इस्लाम बनाने की पूरी कोशिश की। लेकिन जबरदस्त प्रतिरोध के कारण वे अपने मंसूबों में नाकामयाब रहे। उसके बाद इसाई मिशनरियों ने भी यही  किया। उद्देश्य उनका भी भारत को ‘होली लैण्ड’ बनाना था बस शैली इस्लामी आंक्राताओं से थोड़ी जुदा थी। देश और समाज को ‘संस्कृति परिवर्तन’ से अस्थिर करने की कोशिशें आज भी जारी हैं।

हम देख सकते हैं कि रणबांकुरे, योद्धा जनजातियों की भूमि नार्थ ईस्ट आज ‘क्रिस्तान’ बन अलगाव की आग में तप रही है तो दुनिया को इस्लामिक आग को शोलों में जला रहा ‘जिहाद’ का मायावी मारीच ‘लव जिहाद’ का रूप धर देश की बेटियों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है।

जबरन धर्मांतरण का सबसे घृणित, अमानवीय और स्त्री विरोधी स्वरूप है ‘लव जिहाद’। अफसोस कि अब इस वीभत्स कार्य में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल हैं। सार्वजनिक स्थल से लेकर वर्चुअल दुनिया तक पूर्ण नियोजन के साथ शिकार की तलाश होती है। कभी शकील ‘शिवम’ बनकर आता है तो कभी साहिल ‘सेकुलर’ चोले में। केरल से कश्मीर तक और कामरूप से कन्याकुमारी तक यही स्थिति है।

आजाद भारत में यह आग दिन पर दिन फैल ही रही थी कि ‘उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश- 2020’  से अनुचित तरीकों से ‘धर्म परिवर्तन’ से देश और समाज अस्थिर करने की कुचेष्टओं को संचालित करने वाले तंत्र पर योगी सरकार ने ‘विधिक सर्जिकल स्ट्राइक’ कर सबको अंचभित कर दिया। इससे प्रेरित अनेक राज्यों ने अपने यहां अवैधानिक धर्मांतरण कानून लागू किया। यह कानून, धर्म की आड़ में षड़यंत्र करने वालों के मंसूबों पर परिणामदायक प्रहार है। अब मिथ्या निरूपण, बल, असम्यक प्रभाव, प्रलोभन या कपटपूर्ण  धर्मपरिवर्तन का कृत्य संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध है। धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से ही विवाह किया गया था, यह प्रमाणित होने पर विवाह को शून्य मान लिया जाएगा।

सबसे अच्छी बात तो यह है कि ‘उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ पूर्णतः सभी धर्मों पर समान रूप से लागू है, जिससे भारत का पंथनिरपेक्ष स्वरूप और मजबूत होता है। यह कानून मौजूदा हालातों की जरूरत है।

गौरतलब है कि लव जिहाद या रोमियो जिहाद की अवधारणा भारत में साल 2009 में पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक के कैथोलिक ईसाइयों के शोर से राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण का कारण बनी थी। उनका दावा था कि लगभग 4000 बेटियां प्रलोभन देकर या डरा कर मुसलमान बना ली गई हैं। कुछ मामले उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में भी चले थे। केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन ने जबरदस्ती धर्मांतरण की बात  स्वीकार भी की थी। सरकारी जांच एजेन्सियों ने अपनी विवेचना में पाया था कि कुछ इस्लामी संगठन बाकायदा धर्म-परिवर्तन (तगय्युर) मुहिम चलाए हुए हैं। इस मुहिम को एक आंदोलन का रूप देने की कोशिश लगातार हो रही है।

विदित हो कि राम और कृष्ण की पावन धरा पर न तो कभी प्रेम वर्जित था न ही प्रेम विवाह। लेकिन प्रेम की आड़ में धर्म परिवर्तन का षड़यंत्र भला कैसे स्वीकार हो सकता है? ‘रहमान’ के ‘रमेश’ बनकर प्रेम जाल बुनने की घटनाएं तो जब-तब अखबार की सुर्खियां बनती ही रहती हैं। यह एक वृहद सुनियोजित संगठनात्मक षड़यंत्र का हिस्सा है।

दरअसल मुस्लिम शादियां शरीयत के अनुसार होती हैं, जिनमें वर और वधू दोनों का मुस्लिम होना अनिवार्य है, अतः शादी के समय धर्मांतरण स्वाभाविक हो जाता है। लेकिन यदि शादी को मजहब बदलना पड़े तो फिर उसे अंतरधार्मिक विवाह कैसे कह सकते हैं? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि ‘शादी-ब्याह को धर्म-परिवर्तन आवश्यक नहीं है। यह वैध नहीं है।’ कुछ ऐसे ही विचार महात्मा गांधी के भी थे, जब इंदिरा गांधी की शादी फिरोज गांधी से हो रही थी, तब उन्होंने कहा था कि शादी को धर्म परिवर्तन की जरूरत नहीं है।

पीड़ा यहीं से शुरू होती है। जब तक पीड़िता को मालूम होता है कि उसके साथ सुनियोजित छल हुआ है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। तब धर्मांतरण ही एकमात्र विकल्प होता है। उसके बाद भी अपमान, प्रताड़ना और पश्चाताप के अंतहीन अंधेरे पीछा नहीं छोड़ते। यदि पीड़िता ने धर्मांतरण से इंकार कर दिया तो बेरहम कत्ल तोहफे में मिलता है। सारी समस्या, अपने मजहब को सर्वोत्तम मानने के साथ ही उसे दूसरों को भी मनवाने की जिद और जद्दोजहद से शुरू होती है। सुन्नत और फर्ज जैसे लफ्जों के ‘दीनी वर्क’ में लिपटे होने से जबरन धर्मांतरण को अमानवीयता की हदें लांघने में भी गुरेज नहीं होता ।

खैर, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सक्रियता और गंभीरता से इस पर काफी हद तक लगाम लगी है। विदित हो कि ‘उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ में दिनांक 27-11-2020 से 30-04-2023 तक कुल 433 पंजीकृत अभियोगों में 1229 लोग नामांकित हुए, 855 लोग गिरफ्तार हुए और 339 मामलों में आरोप पत्र भी दाखिल हुए। सख्त कानूनी कार्यवाहियों ने जिहादी जहर के सौदागरों के मन में डर तो पैदा किया है।

काबिल-ए-गौर है कि यह समस्या पूरे देश की है किंतु इसके निदान हेतु परिणामदायक पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। यही नायकत्व है। लव जिहाद से प्रदेश की बेटियां बचाने को मुख्यमंत्री योगी के अभिभावकत्वपूर्ण प्रयासों को तो दुनिया में दिल खोल के सराहना मिल रही है, जिहादी जहर से पीड़ित बेटियों के जीवन में इंसाफ और आत्मविश्वास का प्रकाश फैल रहा है।

लेकिन सारी जिम्मेदारी सरकार की नहीं है। अपने धर्म, संस्कृति, संस्कार और परम्पराओं को प्रति बच्चों को जागृत करना, उनके अंदर गौरव बोध उत्पन्न करना परिवार का दायित्व है। यह युद्ध वास्तविक और आभासी दुनिया दोनों जगहों पर लड़ा जा रहा है। योगी सरकार मोर्चे पर डटी है समाज को भी पूरी तरह सहभागी बनना ही होगा। ध्यान रहे, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।

प्रणय विक्रम  सिंह

विगत 18 वर्षों से जनपक्षीय, राजनीतिक, सामाजिक और समसामयिक मुद्दों पर विभिन्न हिंदी समाचार पत्रों एवं वेब पोर्टल्स पर सतत लेखन।

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